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डिजिटल अरेस्ट क्या है, कैसे होता है और इससे बचने के कानूनी उपाय

डिजिटल अरेस्ट क्या है और इससे कैसे बचें?

आज के दौर में डिजिटल तकनीक ने हमारी जिंदगी को काफी आसान बना दिया है। लोग घर बैठे ही लगभग सभी काम कर सकते हैं। चाहे ऑनलाइन शॉपिंग हो, बैंकिंग हो, या मनोरंजन, इंटरनेट ने इन सब को हमारी उंगलियों पर ला दिया है। लेकिन जहां इस डिजिटल युग ने हमें सहूलियत दी है, वहीं इसके कई खतरे भी हैं। इन खतरों में से एक है डिजिटल अरेस्ट, जो साइबर अपराधियों की एक रणनीति है।  

यह ब्लॉग आपको बताएगा कि डिजिटल अरेस्ट क्या है, यह कैसे होता है, और इससे बचने के लिए आपको क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।  


डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट असल में एक साइबर धोखाधड़ी है। इसमें साइबर अपराधी किसी नकली सरकारी वेबसाइट, ईमेल, या नोटिस के जरिए आपको डराते हैं और आपसे पैसे वसूलने की कोशिश करते हैं।  

उदाहरण के लिए:→
आप किसी ऐसी वेबसाइट पर जाते हैं जो सुरक्षित नहीं है। अचानक आपके ब्राउज़र पर एक पॉप-अप दिखता है, जिसमें लिखा होता है:→
"आपने गैरकानूनी गतिविधि की है। आपको ₹50,000 का जुर्माना भरना होगा। जुर्माना न भरने पर आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।"
यह संदेश किसी सरकारी एजेंसी (जैसे CBI या साइबर क्राइम पुलिस) के नाम से आता है। इसे देखकर व्यक्ति डर जाता है और अपराधी के बताए हुए बैंक अकाउंट में पैसे जमा कर देता है।  

असल में, यह एक फर्जी नोटिस होता है। ऐसे मामलों में डरने की बजाय सतर्क रहना बेहद जरूरी है।  

डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है?
डिजिटल अरेस्ट मुख्य रूप से आपकी लापरवाही और इंटरनेट के गलत इस्तेमाल का फायदा उठाकर किया जाता है। यह निम्नलिखित तरीकों से हो सकता है: →

1. फेक वेबसाइट्स पर जाना:→
   •जब आप किसी पायरेटेड मूवी, गेम, या सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने की कोशिश करते हैं, तो आप असुरक्षित वेबसाइट्स पर पहुंच सकते हैं।  
   
2. अनजान लिंक पर क्लिक करना:→
   •ईमेल, SMS, या सोशल मीडिया पर भेजी गई संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से।  
   
3. फर्जी ऑफर के जाल में फंसना:→
   •"सिर्फ ₹10 में स्मार्टफोन जीतें!" जैसे लुभावने ऑफर्स से।  
   
4. संदिग्ध ऐप्स डाउनलोड करना:→
   •अनजान या संदिग्ध ऐप्स को डाउनलोड करने से।  

5.फर्जी सरकारी नोटिस:→
   •अपराधी सरकारी एजेंसियों की नकली वेबसाइट बनाकर आपको डराने की कोशिश करते हैं।  


डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय:→

डिजिटल अरेस्ट से बचना मुश्किल नहीं है। बस आपको सतर्कता और सावधानी बरतनी होगी। नीचे कुछ महत्वपूर्ण उपाय दिए गए हैं: →

1. फेक वेबसाइट्स को पहचानें:→
   •वेबसाइट का URL ध्यान से देखें। फेक वेबसाइट्स में अक्सर गलत स्पेलिंग होती है, जैसे:  
     •असली: `www.bankofindia.com`  
     • नकली: `www.bank0findia.com`  
   
2. पायरेटेड सामग्री डाउनलोड न करें:→
   •पायरेटेड मूवी, गेम, या सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि खतरनाक भी है।  

3. अनजान लिंक पर क्लिक न करें:→
   •ईमेल, SMS, या सोशल मीडिया पर आई किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से बचें।  

4. लुभावने ऑफर्स से सावधान रहें:→
   •"सिर्फ ₹99 में स्मार्टफोन!" जैसे फर्जी ऑफर्स का लालच न करें।  

5. संदिग्ध ऐप्स इंस्टॉल न करें:→
   • हमेशा ऐप्स को सिर्फ आधिकारिक प्लेटफॉर्म (जैसे Google Play Store या Apple App Store) से डाउनलोड करें।  

6. किसी भी भुगतान से पहले जांच करें:→
   •अगर किसी वेबसाइट या व्यक्ति द्वारा आपसे पैसे मांगे जा रहे हैं, तो पहले उसकी जांच करें।  

7. डिवाइस को सुरक्षित रखें:→
   •अपने डिवाइस में एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर इंस्टॉल करें और उसे नियमित रूप से अपडेट करें।  

अगर आप डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो जाएं तो क्या करें?

1. घबराएं नहीं:→
   •डिजिटल अरेस्ट एक फर्जी चाल होती है। इसे असली न समझें।  

2. वेबपेज को बंद करें:→
   •यदि फेक नोटिस आपके ब्राउजर पर दिख रहा है, तो उसे तुरंत बंद कर दें।  

3. डिवाइस बंद करें:→
   •अगर वेबपेज बंद नहीं हो रहा है, तो अपने डिवाइस को बंद कर दें।  

4. परिवार या दोस्तों को सूचित करें:→
   •इस घटना के बारे में अपने घरवालों या दोस्तों को तुरंत बताएं।  

5. पुलिस या साइबर सेल में रिपोर्ट करें:→
   •नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराएं।  

6. धन राशि न दें:→
   •किसी भी प्रकार की धनराशि की मांग पर बिल्कुल भी भुगतान न करें।  

निष्कर्ष→

डिजिटल अरेस्ट एक धोखाधड़ी है जिसका उद्देश्य लोगों को मानसिक रूप से डराना और आर्थिक नुकसान पहुंचाना है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है सतर्क रहना और इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग करना।  

याद रखें, डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई वास्तविक अरेस्ट नहीं होता। अगर आप सतर्क हैं, तो साइबर अपराधी आपको कभी भी शिकार नहीं बना सकते।  

आपकी सुरक्षा आपके हाथ में है। सतर्क रहें और सुरक्षित रहें

डिजिटल अरेस्ट: एक विस्तृत गाइड और इससे बचाव के उपाय

डिजिटल युग ने हमारी ज़िंदगी को आसान और सुविधाजनक बना दिया है। आज हम घर बैठे-बैठे अपनी अधिकांश जरूरतें पूरी कर सकते हैं, चाहे वह खरीदारी हो, बिलों का भुगतान हो, या मनोरंजन। लेकिन हर अच्छी चीज के साथ जोखिम भी आते हैं। इंटरनेट पर साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा इन सुविधाओं के साथ जुड़ा हुआ एक बड़ा मुद्दा है।  

ऐसा ही एक साइबर अपराध है डिजिटल अरेस्ट। यह एक नई तरह की धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी मानसिक भय पैदा करके लोगों से आर्थिक लाभ कमाने की कोशिश करते हैं।  

इस लेख में हम समझेंगे कि डिजिटल अरेस्ट क्या है, यह कैसे होता है, और इससे बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए।  



डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह साइबर अपराधियों द्वारा रची गई एक चाल है। इसका मुख्य उद्देश्य आपको डराकर आपसे पैसे ऐंठना होता है।  

अपराधी नकली वेबसाइट्स, पॉप-अप संदेशों, या ईमेल के जरिए आपको यह विश्वास दिलाते हैं कि आपने इंटरनेट पर कुछ गैरकानूनी काम किया है। इसके बाद वे आपको डराते हैं कि यदि आपने तुरंत जुर्माना नहीं भरा, तो आपके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।  

उदाहरण:→
मान लीजिए, आप एक पायरेटेड मूवी डाउनलोड करने की कोशिश कर रहे हैं। अचानक एक पॉप-अप आता है जिसमें लिखा होता है: →
"आपने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A का उल्लंघन किया है। आपको ₹50,000 का जुर्माना भरना होगा। भुगतान न करने पर आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।"

इस नोटिस को देखकर ज्यादातर लोग डर जाते हैं। अपराधी का उद्देश्य भी यही है कि डर के मारे आप उनसे संपर्क करें और पैसे दे दें।  


डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है?

डिजिटल अरेस्ट को अंजाम देने के लिए साइबर अपराधी आपकी असावधानी और लापरवाही का फायदा उठाते हैं। इसके लिए वे विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं:  

1. नकली वेबसाइट्स:→
अपराधी सरकारी वेबसाइट्स की हूबहू नकल बनाते हैं। आप जब उन वेबसाइट्स पर जाते हैं, तो आपको लगता है कि यह असली वेबसाइट है। लेकिन यह एक फर्जी जाल होता है।  

2. पायरेटेड सामग्री:→
जब आप पायरेटेड मूवी, गेम, या सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए असुरक्षित वेबसाइट्स पर जाते हैं, तो आप उनकी जालसाजी का शिकार हो सकते हैं।  

3. लुभावने ऑफर:→
"₹10 में iPhone जीतें" जैसे फर्जी ऑफर्स या संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से आपका डेटा अपराधियों तक पहुंच जाता है।  

4. नकली पॉप-अप और ईमेल:→
अपराधी फर्जी पॉप-अप संदेश या ईमेल भेजते हैं, जिनमें लिखा होता है कि आपने गैरकानूनी काम किया है।  

5. संदिग्ध ऐप्स:→
गैर-मान्यता प्राप्त प्लेटफॉर्म से डाउनलोड किए गए ऐप्स के जरिए अपराधी आपका डेटा चुरा सकते हैं।  

डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए सावधानियां→

सावधानी बरतकर आप इस प्रकार की धोखाधड़ी से बच सकते हैं। यहां कुछ उपाय दिए गए हैं: →

1. नकली वेबसाइट्स से बचें:→
• हमेशा वेबसाइट के URL को ध्यान से पढ़ें।  
• सरकारी वेबसाइट्स के लिए उनके आधिकारिक URLs का ही उपयोग करें। उदाहरण:  
  •असली: `www.incometaxindia.gov.in`  
  • नकली: `www.incometaxxindia.com`  

2. पायरेटेड सामग्री डाउनलोड न करें:→
• पायरेटेड मूवी, गेम, या सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना न सिर्फ कानूनन गलत है, बल्कि यह आपको साइबर अपराध का शिकार भी बना सकता है।  

3. संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें:→
•ईमेल, SMS, या सोशल मीडिया पर भेजी गई अनजान लिंक पर कभी क्लिक न करें।  

4. लुभावने ऑफर्स से बचें:→
•"1000% डिस्काउंट" या "₹1 में स्मार्टफोन" जैसे ऑफर्स फर्जी होते हैं। इनसे दूर रहें।  

5. ऐप्स डाउनलोड करते समय सतर्क रहें:→
• केवल Google Play Store या Apple App Store से ही ऐप्स डाउनलोड करें।  
• ऐप्स के रिव्यू और परमीशन को ध्यान से पढ़ें।  

6. अपने डिवाइस को सुरक्षित रखें:→
•एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें और उसे नियमित रूप से अपडेट करते रहें।  
• अपने डिवाइस में मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें।  

7. किसी भी भुगतान से पहले जांच करें:→
•अगर आपसे कोई जुर्माना या भुगतान मांगा जा रहा है, तो उसे तुरंत न भरें। पहले उसकी जांच करें।  

अगर आप डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो जाएं तो क्या करें?

यदि आप साइबर अपराधियों की इस चाल का शिकार हो जाते हैं, तो घबराएं नहीं। नीचे दिए गए कदम उठाएं:  

1. वेबपेज को तुरंत बंद करें:→
• अगर फेक नोटिस आपके ब्राउजर में दिख रहा है, तो उसे तुरंत बंद कर दें।  

2. डिवाइस को रीस्टार्ट करें:→
•अगर वेबपेज बंद नहीं हो रहा है, तो अपने डिवाइस को बंद करके दोबारा चालू करें।  

3. किसी से सलाह लें:→
•इस घटना के बारे में अपने परिवार, दोस्तों, या किसी तकनीकी विशेषज्ञ को बताएं।  

4. पुलिस में रिपोर्ट करें:→
•नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में तुरंत इसकी रिपोर्ट दर्ज कराएं।  

5. कोई भी भुगतान न करें:→
•अगर आपसे पैसे मांगे जा रहे हैं, तो अपराधी के बैंक अकाउंट में पैसे न जमा करें।  


डिजिटल अरेस्ट: एक सचेत नागरिक बनें→

डिजिटल अरेस्ट कोई वास्तविक कानूनी प्रक्रिया नहीं है। यह पूरी तरह से फर्जी और डराने की रणनीति है। यदि आप सतर्क हैं और इंटरनेट का सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल करते हैं, तो आप साइबर अपराधियों के जाल में नहीं फसेंगे।  

एक उदाहरण से समझें:→
रीना, एक गृहिणी, एक पायरेटेड फिल्म डाउनलोड करने के लिए एक वेबसाइट पर गई। अचानक उसे एक पॉप-अप मिला जिसमें लिखा था:→
"आपने गैरकानूनी गतिविधि की है। तुरंत ₹25,000 का जुर्माना भरें।"
रीना डर गई और अपने पति को यह बात बताई। उनके पति ने तुरंत वह वेबसाइट बंद कर दी और साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। नतीजा यह हुआ कि रीना और उसका परिवार किसी भी आर्थिक नुकसान से बच गया।  निष्कर्ष:→

डिजिटल युग में सुविधाओं के साथ खतरे भी आते हैं। डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको सतर्क रहना और इंटरनेट का सुरक्षित उपयोग करना सीखना होगा।  

याद रखें, डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई वास्तविक अरेस्ट नहीं होता। यह केवल साइबर अपराधियों की एक चाल है। यदि आप सतर्क और समझदार हैं, तो आप न केवल अपने आपको बल्कि अपने परिवार को भी सुरक्षित रख सकते हैं।  

सतर्क रहें, सुरक्षित रहें, और डिजिटल युग का आनंद उठाएं


डिजिटल अरेस्ट और भारत में कानूनी उपाय →

डिजिटल अरेस्ट जैसी घटनाएं साइबर अपराध की श्रेणी में आती हैं। भारत में ऐसे मामलों को रोकने और अपराधियों को दंडित करने के लिए कई कानून और प्रावधान मौजूद हैं। यदि आप ऐसी स्थिति का सामना करते हैं, तो आप कानून का सहारा लेकर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि भारत में इस विषय से संबंधित कौन-कौन से कानून लागू हैं और आप क्या कदम उठा सकते हैं।  

भारत में साइबर अपराधों से संबंधित कानून →

 1. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000)→
भारत का आईटी एक्ट, 2000 साइबर अपराधों से निपटने के लिए मुख्य कानून है। इसके तहत डिजिटल धोखाधड़ी, नकली वेबसाइट्स, और साइबर धमकियों को रोकने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं।  

•धारा 66D (धोखाधड़ी): →  
  अगर कोई व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से धोखाधड़ी करता है, जैसे फर्जी नोटिस या नकली वेबसाइट के जरिए पैसे ऐंठने की कोशिश करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।  

•धारा 66C (पहचान की चोरी): →
  अगर कोई व्यक्ति आपकी पहचान (Identity) का गलत इस्तेमाल करता है, तो यह दंडनीय अपराध है। इसमें 3 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।  

•धारा 69 (निगरानी):→  
  सरकार साइबर अपराधियों पर नजर रख सकती है और जरूरी होने पर उनके उपकरणों को जब्त कर सकती है।  

 2.भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code, 1860) →
•धारा 420 (धोखाधड़ी):→  
  यदि किसी व्यक्ति को जानबूझकर धोखा दिया गया है, तो यह धारा लागू होती है। अपराधी को 7 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।  

•धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी):→  
  अगर अपराधी ने नकली नोटिस, ईमेल, या वेबसाइट तैयार की है, तो यह धारा लागू होती है।  

•धारा 506 (धमकी देना):→ 
  अगर अपराधी आपको किसी कानूनी कार्रवाई या जुर्माने का डर दिखाकर पैसे मांग रहा है, तो इस धारा के तहत शिकायत दर्ज कर सकते हैं।  

 3. साइबर सेल की भूमिका →
भारत के हर राज्य में साइबर अपराध शाखाएं (Cyber Crime Cells) स्थापित की गई हैं। ये शाखाएं डिजिटल अपराधों से निपटने और शिकायतें दर्ज करने में मदद करती हैं।  


डिजिटल अरेस्ट की स्थिति में उठाए जाने वाले कानूनी कदम

यदि आप डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी का शिकार होते हैं, तो निम्नलिखित कदम उठाएं: →

1. घबराएं नहीं और स्थिति का विश्लेषण करें:  →

•यह समझें कि डिजिटल अरेस्ट असली नहीं है।  
•अपराधी नकली नोटिस और धमकी के जरिए आपको डराने की कोशिश कर रहे हैं।  

 2. शिकायत दर्ज करें: →
आप अपनी शिकायत निम्नलिखित तरीकों से दर्ज करा सकते हैं: →
•साइबर क्राइम पोर्टल:→  
  भारत सरकार ने साइबर अपराध की शिकायतों के लिए [National Cyber Crime Reporting Portal](https://cybercrime.gov.in/) लॉन्च किया है। यहां आप ऑनलाइन अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।  
•नजदीकी साइबर सेल:→  
  अपने शहर या जिले की साइबर अपराध शाखा में जाएं और शिकायत दर्ज कराएं।  

3. स्थानीय पुलिस को सूचित करें: →
अगर साइबर सेल तक पहुंचना संभव नहीं है, तो आप अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर (FIR) दर्ज करवा सकते हैं।  

4. डिवाइस और डेटा की सुरक्षा: →
•अपने डिवाइस को ऑफलाइन करें।  
•किसी तकनीकी विशेषज्ञ से संपर्क करें और सुनिश्चित करें कि आपका डिवाइस सुरक्षित है।  

5. साक्ष्य सुरक्षित रखें: →
•नकली नोटिस, ईमेल, पॉप-अप, या मैसेज का स्क्रीनशॉट लें।  
• यह साक्ष्य पुलिस और साइबर सेल को आपकी शिकायत की जांच में मदद करेगा।  

क्या अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई संभव है? →

हां, डिजिटल अरेस्ट के अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव है। भारतीय कानून के तहत:  →
• अपराधियों की पहचान करके उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।  
• कोर्ट में मामला दर्ज कर उन्हें सजा दिलाई जा सकती है।  
•पीड़ित को मुआवजा भी दिलाया जा सकता है।  

उदाहरण: →
2019 में, मुंबई साइबर सेल ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया था जो नकली सरकारी वेबसाइट्स के जरिए लोगों से पैसे ऐंठ रहा था। पुलिस ने शिकायतों के आधार पर अपराधियों को ट्रैक किया और गिरफ्तार किया।  


डिजिटल सुरक्षा के लिए सरकार के प्रयास →

भारत सरकार साइबर अपराधों को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है: →
1. डिजिटल इंडिया अभियान:→  
   इसके तहत सरकार लोगों को डिजिटल जागरूकता प्रदान कर रही है।  
   
2. साइबर जागरूकता कार्यक्रम: →
   पुलिस और साइबर सेल स्कूलों, कॉलेजों, और समुदायों में साइबर सुरक्षा पर सेमिनार आयोजित करते हैं।  

3. CERT-In (Computer Emergency Response Team): →
   यह एजेंसी साइबर खतरों पर नजर रखती है और जरूरी कदम उठाती है।  


साइबर अपराध से बचाव के लिए सुझाव →

1. सतर्क रहें:→  
   •हमेशा वेबसाइट के URL को जांचें।  
   • किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें।  

2. अपना डेटा सुरक्षित रखें: →
   •मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें।  
   •नियमित रूप से एंटीवायरस अपडेट करें।  

3. ऑनलाइन लेन-देन में सावधानी बरतें: →
   • कभी भी अपना बैंक विवरण या पासवर्ड साझा न करें।  
   •केवल भरोसेमंद प्लेटफॉर्म पर ही भुगतान करें।  


निष्कर्ष: →

डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी से बचने के लिए कानूनी जानकारी और सतर्कता बेहद जरूरी है। भारत में साइबर अपराधों के खिलाफ सख्त कानून मौजूद हैं, और सरकार भी लगातार जागरूकता बढ़ाने और अपराधियों पर कार्रवाई करने के प्रयास कर रही है।  

अगर आप ऐसी किसी घटना का शिकार होते हैं, तो घबराएं नहीं। तुरंत उचित कानूनी कदम उठाएं और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने में सहयोग करें। याद रखें, सतर्कता और जागरूकता ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है।  

सतर्क रहें, सुरक्षित रहें, और डिजिटल युग का सकारात्मक उपयोग करें।
    

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