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दलित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की अमानवीय घटना कारित करने वाले व्यक्तियों को सजा कैसे दिलायें ?

उत्तर प्रदेश भू अधिनियम के अंतर्गत किन आधारों पर पुनरीक्षण हो सकता है? On what grounds a revision line under up land revenue court

अधिनियम के अनुसार न्यायालय अपने अधीनस्थ किसी राजस्व  न्यायालय द्वारा पारित आदेश या की गई कार्यवाही की वैधता या औचित्य के बारे में अपना समाधान करने के प्रयोजन से उसके द्वारा निर्णीत किसी ऐसे मामले या ऐसी कार्रवाई का अभिलेख मंगा सकता है जिसमें

( 1) कोई अपील ना होती हो या

( 2) अपील होती है किंतु ना की गई हो और

( 3) यदि ऐसा प्रतीत हो उसे ऐसे राजस्व  न्यायालय ने

(a) ऐसी अधिकारिता का प्रयोग किया है तो उसमें विधि द्वारा  निहीत नहीं है या 

(b) ऐसी अधिकारिता का प्रयोग करने में असफल रहा है जो इस प्रकार निहित है या

(c) अपनी अधिकारिता का प्रयोग करने में अवैध रूप से या तात्विक अनियमितता से कार्य किया है जहां अधीनस्थ न्यायालय ने अपनी अधिकारिता का प्रयोग करने में अनियमितता या अवैध ढंग एवं निष्क्रियता से कार्य किया और विधि या तथ्य  के निष्कर्ष पर प्रश्न निहित हो तो धारा 219 लागू नहीं  होगी 

पुनरीक्षण कौन दायर कर सकता है(who may file Revision)

पुनरीक्षण की याचिका के लिए यह जरुरी नहीं कि दायर करने वाला क्षुब्ध पक्षकार हो पुनरीक्षण की याचिका राज्य सरकार भी दायर कर सकती है अंततः वह निचले कोर्ट में पक्षकार ना रही हो रिवेन्यू बोर्ड खुद भी पुनरीक्षण की कार्रवाई कर सकता है रिवेन्यू बोर्ड पुनरीक्षण याचिका को केवल इस कारण से स्वीकार नहीं करता है कि वह ऐसे व्यक्ति द्वारा दायर किया गया हो जो केवल सूचना दाता था ना की कार्यवाही  में पक्षकार जैसा कि वाद जवाहरलाल बनाम साहेब लाल 1980 रे. डि. 121 में उल्लेखित है कि साहेब लाल ने एक पब्लिक रास्ते पर अनाधिकार कब्जा कर लिया जवाहर लाल तिवारी ग्राम के एक व्यक्ति ने तहसीलदार को उपयुक्त कार्यवाही के लिए इंफॉर्मेशन दी सुपरवाइजर कानूनगो ने मौके का मुआयना किया तथा यह रिपोर्ट कारित  की की साहेब लाल ने पब्लिक रास्ते पर अनाधिकृत कब्जा किया है इस पर तहसीलदार ने आदेश पारित किया कि विवादा ग्रस्त भूमि में 5 फीट तक साहिब लाल  को बेदखल कर दिया जाए और उससे ₹200 बतौर जुर्माना क्षतिपूर्ति वसूल की जाए साहेब लाल ने इस आदेश के पुनरावलोकन के लिए प्रार्थना पत्र दिया कि सारवान विधि बिन्दु को अनदेखा कर दिया गया है यह उ.प. सरकार अध्यादेश 1971  मे जारी किया गया था कि24 मई 1971  से पहले आबादी क्षेत्र में किए गए अनाधिकृत कब्जे के मामले में कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी इस तर्क पर तहसीलदार ने अपने आदेश का पुनरावलोकन किया तथा साहेब लाल के बेदखली के आदेश तथा हार्जाने की वसूली को कैंसिल कर दिया तब जवाहर लाल  तिवारी ने रेवेन्यू बोर्ड में निरीक्षण दायर की रेवेन्यू बोर्ड ने निर्णय किया कि पुनरीक्षण याचिका संधाए है उसने तहसीलदार के दूसरे आदेश को निरस्त कर दिया.

              यदि किसी व्यक्ति द्वारा इस धारा के अधीन कोई आवेदन या तो राजस्व परिषद या आयुक्त अपर आयुक्त या कलेक्टर या अभिलेख अधिकारी या बंदोबस्त अधिकारी के यहां प्रस्तुत किया गया है तो उसी व्यक्ति का कोई और आवेदन उसमें से किसी अन्य के द्वारा ग्रहण नहीं किया जाएगा.

             यहां यह उल्लेखनीय है कि भू राजस्व अधिनियम के अधीन की गई कार्यवाही संक्षिप्त कृति की होती है इसलिए ऐसी कार्रवाई में पारित आदेश के विरुद्ध याचिका पोषणीय नहीं होती धारा 219 के अधीन केवल पुनरीक्षण पोषणीय होता है.

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