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भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

राजस्व न्यायालय क्या होता है तथा भूराजस्व नियम 1901 में वर्णित रिवेन्यू बोर्ड की शक्तियों तथा कार्यों की व्याख्या कीजिए । ( Discuss the revenue courts in brief and explain the power and func o of bodrd of Revenue as discussed in Land Revenue Act , 1901. )

 राजस्व न्यायालय ( Revenue Court )  राजस्व न्यायालय से तात्पर्य " ऐसे न्यायालय से है जिसे कृषि प्रयोजनार्थ उपयोग में लाई गई किसी भूमि के लगान , मालगुजारी या लाभ से सम्बन्धित किसी वाद या अन्य कार्यवाइयों को स्वीकार करने का क्षेत्राधिकार किसी प्रदेशीय अधिनियम के अंतर्गत हो , परन्तु  इसमें प्रारंभिक क्षेत्राधिक रखने वाले सिविल न्यायालय शामिल नहीं हैं । "  रिवेन्यू बोर्ड ( Revenue Board )        उ . प्र . में मालगुजारी से सम्बन्धित न्यायिक कार्यों की सबसे बड़ी सत्ता बोर्ड ऑफ रेवेन्यू  है । यह राजस्व का सर्वोपरि राजस्व न्यायालय है । रेवेन्यू बोर्ड के निर्णय हाई कोर्ट निर्णय की तरह सारे न्यायालयों पर बाध्यकारी है । रेवेन्यू बोर्ड के निर्णयों की अपील उत्तर   प्रदेश जमींदारी विनाश तथा भमि व्यवस्था अधिनियम एवं भूराजस्व अधिनियम के अन्तर्गत हाई कोर्ट को नहीं जाती है । रेवेन्यू बोर्ड अंतिम कोर्ट है लेकिन भारतीय संविधान अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत हाईकोर्ट को शक्ति दी गई है कि वह किसी भी न्यायालय खिलाफ रिट इत्यादि जारी कर सकता है । इसलिए हाई कोर्ट ...

मालगुजारी के बंदोबस्त से क्या तात्पर्य है ? बंदोबस्त की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए । ( What do you mean by settlement of land Revenue ? Describe the procedure of land revenue . )

मालगुजारी का बंदोबस्त  ( Settlement of Land Revenue )  किसी भूमि के संबंध में सरकार को देय मालगुजारी के समय - समय पर निश्चित  किए जाने को मालगुजारी का बंदोबस्त कहते हैं । जब किसी क्षेत्र में बन्दोबस्त की कार्यवाही की जाती है तो उसके प्रत्येक जोतदार द्वारा देय मालगुजारी की धनराशि निश्चित अवधि के लिए तय की जाती है ।        बन्दोबस्त अवधि - उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियएम के प्रारम्भ से बीस वर्ष के बाद किसी समय राज्य सरकार किसी जिले या उसके भाग की मालगुजारी का बन्दोबस्त करने का निर्देश दे सकती है । इस पहले वाले बन्दोबस्त को मूल बन्दोबस्त कहा जायेगा । इस बन्दोबस्त की अवधि 20 साल की होगी । राज्य सरकार मूल बन्दोबस्त से बीस साल की अवधि के बाद किसी समय किसी जिले या उसके भाग की मालगुजारी के नये बन्दोबस्त का निर्देश कर सकती है । इस दूसरे बन्दोबस्त को " पुनरीक्षण बन्दोबस्त " की संज्ञा दी जायेगी । परन्तु यदि इस पुनरीक्षण बन्दोबस्त में किसी कारण देर हो गई हो या राज्य सरकार के मत में इस बन्दोबस्त की कार्यवाही अनावश्यक होगी , तो राज्य सरकार चाल...

धारा 131 ख क्या होती है ?इसके अन्तर्गत भूमिधर बने अनुसूचित जाति के सदस्यों द्वारा भूमि बिक्री पर प्रतिबंध क्या होता है?What is Section 131B? Under this, what is the ban on sale of land by members of Scheduled Castes who have become landowners?

धारा 131 - ख के अधीन भूमिधर बने अनुसूचित जाति के सदस्यों द्वारा भूमि के अंतरण पर प्रतिबंध              यह धारा उत्तर प्रदेश भूमि विधि ( Revised ) अधिनियम ( 1997 ) द्वारा जोड़ी गई है । “ धारा 157 क में किसी बात के होते हुए तथा धारा 153 से 157 में दिए हुए प्रतिबन्ध पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति को जो धारा 131 ख के आधीन भूमिधर हुआ है किसी SC से भिन्न किसी व्यक्ति को विक्रय , दान बंधन या पट्टे पर भूमि अंतरित करने का अधिकार नहीं होगा तथा ऐसे अंतरण , यदि कोई  ही निम्न अधिनियम क्रम में होगा  ( i ) भूमिहीन खेतिहर मजदूर ,  ( ii ) सीमान्त किस्म , (3) लघु कृषक ,  ( 4 ) खण्ड ( क ) , ( ख ) तथा ( ग ) में निर्दिष्ट व्यक्ति से निम्न कोई व्यक्ति ।  Prohibition on transfer of land by members of Scheduled Castes who have become landholders under section 131-B  This section has been added by Uttar Pradesh Land Law (Revised) Act (1997).   “Notwithstanding anything contained in section 157A and without prejudic...

भूराजस्व वसूल करने का दायित्व किसका होता है ? ( Which is Responsible for the collection of land revenue ? )

 अधिनियम के अन्तर्गत , तहसीलदार द्वारा प्रमाणित हिसाब का लेखा , इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए मालगुजारी के बाकी होने का , उसकी मात्रा का और ऐसे व्यक्ति का जो बाकीदार है , निश्चायक प्रमाण होगा । कमीशन 5 से 10 प्रतिशत तक हो सकता है । परिथितियों को ध्यान में रखकर कमीशन का निर्धारण किया जाता है । किन्तु किसी ऐसे गाँव में , जिनके सम्बन्ध में धारा 276 के अधीन आज्ञा दी गयी हो , ऐसा लेखा किसी विशेष बाकीदार के सम्बन्ध में भूमि प्रबन्धक समिति द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है । ( धारा 278 ) चूँकि भूमियों तथा उसकी मालगुजारी के सभी आवश्यक कागजात , खसरा खतौनी , जमाबन्दी तहसील पर ही रहती है इसलिए रिकार्ड को देखकर इसे आसानी से पता लगाया जा सकता है कि कौन - कौन बकायेदार हैं और कौन लोग मालगुजारी अदा कर चुके हैं ।  बकाया भूराजस्व की प्रक्रिया ( Processes for Realisation of Arrears )  अधिनियम की धारा 279 के अन्तर्गत बकाया भू - राजस्व निम्नलिखित रीतियों में से एक था , अधिकार प्रकार से वसूल किया जा सकेगा ।  ( i ) किसी बाकीदार ( चूककर्ता ) पर माँग - पत्र या उपस्थिति पत्र तामील क...