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विदेशों में भारतीय कानून: IPC, UAPA, और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत भारतीय अधिकार क्षेत्र की समझ

भूराजस्व वसूल करने का दायित्व किसका होता है ? ( Which is Responsible for the collection of land revenue ? )

 अधिनियम के अन्तर्गत , तहसीलदार द्वारा प्रमाणित हिसाब का लेखा , इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए मालगुजारी के बाकी होने का , उसकी मात्रा का और ऐसे व्यक्ति का जो बाकीदार है , निश्चायक प्रमाण होगा । कमीशन 5 से 10 प्रतिशत तक हो सकता है । परिथितियों को ध्यान में रखकर कमीशन का निर्धारण किया जाता है । किन्तु किसी ऐसे गाँव में , जिनके सम्बन्ध में धारा 276 के अधीन आज्ञा दी गयी हो , ऐसा लेखा किसी विशेष बाकीदार के सम्बन्ध में भूमि प्रबन्धक समिति द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है । ( धारा 278 ) चूँकि भूमियों तथा उसकी मालगुजारी के सभी आवश्यक कागजात , खसरा खतौनी , जमाबन्दी तहसील पर ही रहती है इसलिए रिकार्ड को देखकर इसे आसानी से पता लगाया जा सकता है कि कौन - कौन बकायेदार हैं और कौन लोग मालगुजारी अदा कर चुके हैं । 

बकाया भूराजस्व की प्रक्रिया ( Processes for Realisation of Arrears )

 अधिनियम की धारा 279 के अन्तर्गत बकाया भू - राजस्व निम्नलिखित रीतियों में से एक था , अधिकार प्रकार से वसूल किया जा सकेगा ।

 ( i ) किसी बाकीदार ( चूककर्ता ) पर माँग - पत्र या उपस्थिति पत्र तामील करके , 

( ii ) उस व्यक्ति की गिरफ्तारी या निरोध ( detention ) द्वारा , 

( III ) उसकी अचल सम्पत्ति की , जिसके अन्तर्गत उसकी उपज भी है , कुर्की या नीलामी में , 

( iv ) उस पर खाते की कुर्की से जिसके सम्बन्ध में बकाया हो ,

 ( v ) उस भू - घृति को पट्टे पर देकर या उसका विक्रय करे , जिसके सम्बन्ध में हो , 

( vi ) बाकीदार ( चूककर्ता ) की दूसरी अचल सम्पत्ति की कुर्की या उसकी  नीलामी से और " बकायेदार की यदि दूसरी अचल सम्पत्ति नीलामी द्वारा विक्रीत की जाती है तो उसके पूर्व उसे कुर्क किया जाना आवश्यक है । बिना कुर्क की गई सम्पत्ति का नीलामी द्वारा विक्रय अवैध होगा । " 

( vii ) बाकीदार की चल या अचल किसी सम्पत्ति का रिसीवर नियुक्त करके ,


   उपर्युक्त किसी भी प्रकार की कार्रवाई में उपाप्त व्यय भी मालगुजारी के बकाया मे जोड़ लिया जायेगा और वह उक्त बकाया की वसूली करने की रीति से वसूल किया जायेगा ।

 भूराजस्व वसूल करने का अधिकरण ( Agency for Collection of Land Revenue ) 

अधिनियम की धारा 275 के अनुसार , मालगुजारी की वसूली के लिए राज्य सरकार ऐसा प्रबन्धक कर सकती है और अभिकरण नियुक्त कर सकती है , जो वह उचित समझे । 

अधिनियम की धारा -276 के अनुसार , राज्य सरकार शासकीय गजट में सामान्य या विशेष आज्ञा प्रकाशित करके भूमि प्रबन्धक समिति को ऐसे क्षेत्र में जिसके लिए वह स्थापित की गयी हो या उसके किसी भाग में राज्य सरकार के लिए या उसकी ओर से मालगुजारी और ऐसे दूसरे देय जो नियत किये जाएँ वसूल करने और उगाही ( Realise ) का भार सौंप सकती है । जब भूमि प्रबंधक  समिति को इस प्रकार का भार सौंपा गया हो । तो वह विधि के अनुसार अपने क्षेत्र के अन्तर्गत भूमि के सम्बन्ध में समय - समय पर राज्य सरकार को देय मालगुजारी तथा पूर्वोक्त देयों को वसूल करेगी । 


       मालगुजारी वसूलने का अधिकार या भार अब नवीन संशोधन 1989 द्वारा गाँव सभाओं को दे दिया गया , गाँव सभा मालगुजारी का 5 % प्राप्त करेगी , गाँव सभा मालगुजारी की वसूली अमीनों से करवायेगी और उसका प्रबन्धक एवं पर्यवेक्षण गाँव सभा करेगी । सामान्यतया देखने में यही आता है कि अमीन ही मालगुजारी वसूलते हैं और तहसीलों में जमा करते हैं । गाँव - सभा इस काम को पूरा करने का भार अपने ऊपर लेकर परेशानी में पड़ना नहीं चाहती । 



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