पत्नी को उसके परिवार वालों द्वारा तलाक के लिए उकसाने की स्थिति में पति और ससुराल वाले क्या कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं
💔 पत्नी को उसके परिवार वालों द्वारा तलाक के लिए उकसाने की स्थिति में पति और ससुराल वाले क्या कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं?
🔹 प्रस्तावना
भारतीय समाज में विवाह केवल एक सामाजिक बंधन नहीं बल्कि एक वैधानिक दायित्व (legal obligation) भी है। जब पत्नी अपने परिवारवालों या रिश्तेदारों के बहकावे में आकर पति से तलाक की जिद करने लगती है, तो यह केवल वैवाहिक संबंधों को नहीं बल्कि कानूनी अधिकारों को भी प्रभावित करता है।
ऐसी स्थिति में यह प्रश्न उठता है —
👉 “क्या पति या उसके परिवार वाले पत्नी के परिवारजनों पर कोई कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं, जिन्होंने उसे तलाक के लिए उकसाया?”
आइए इसे कानून और न्यायालय के दृष्टिकोण से समझें।
⚖️ 1. विवाह संबंध का कानूनी संरक्षण
भारत में विवाह संबंध को विभिन्न कानूनों द्वारा सुरक्षा प्रदान की गई है —
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हिंदू विवाह अधिनियम, 1955
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भारतीय दंड संहिता (IPC)
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घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005
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आईटी अधिनियम, 2000 (ऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में)
पति-पत्नी के बीच किसी भी वैवाहिक विवाद में तीसरे व्यक्ति का अनुचित हस्तक्षेप, कानून की दृष्टि में “अनुचित प्रभाव” (Undue Influence) या “वैवाहिक संबंध में हस्तक्षेप” (Interference in matrimonial life) माना जा सकता है।
⚖️ 2. यदि पत्नी को उसके परिवार वाले भड़काते हैं — तो क्या करें?
यदि पत्नी के भाई, जीजा, मामा या अन्य रिश्तेदार उसे बार-बार भड़काकर पति से तलाक की जिद करवा रहे हैं, तो पति या उसके परिवार के पास निम्न कानूनी विकल्प हैं 👇
(A) धारा 506 IPC – आपराधिक धमकी का मामला
यदि वे लोग पति या उसके परिवार को धमकाते हैं, अपमान करते हैं, या धमकी भरे संदेश भेजते हैं, तो आप धारा 506 IPC (आपराधिक धमकी) के तहत FIR दर्ज करवा सकते हैं।
उदाहरण: यदि पत्नी के भाई ने कहा – “अगर तूने तलाक नहीं दिया तो देख लेना” — तो यह स्पष्ट रूप से धारा 506 के अंतर्गत अपराध है।
(B) धारा 504 IPC – जानबूझकर अपमान करना
अगर पत्नी के परिवारजन जानबूझकर पति या ससुराल पक्ष को उकसाने या अपमानित करने के लिए गलत शब्दों या संदेशों का प्रयोग करते हैं, तो यह धारा 504 IPC के अंतर्गत अपराध है।
(C) धारा 107 IPC – भड़काने का अपराध (Abetment)
अगर यह साबित हो जाए कि पत्नी के परिवारजन या रिश्तेदार जानबूझकर पत्नी को भड़काकर वैवाहिक संबंध तोड़ने के लिए उकसा रहे थे, तो यह “अभियोग का प्रोत्साहन” (abetment of offence) कहलाता है।
इस पर धारा 107 IPC के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
(D) मानहानि (Defamation) – धारा 499/500 IPC
यदि पत्नी या उसके परिवार ने सार्वजनिक रूप से या सोशल मीडिया पर पति/ससुराल की बदनामी की है, तो आप मानहानि का सिविल व आपराधिक केस दोनों कर सकते हैं।
(E) पुलिस को शिकायत या 156(3) CrPC आवेदन
यदि पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है, तो आप न्यायालय में धारा 156(3) CrPC के तहत प्रार्थना पत्र देकर न्यायालय से जांच के आदेश दिलवा सकते हैं।
⚖️ 3. सिविल उपाय (Civil Remedies)
यदि विवाह में “तलाक के लिए दबाव” या “झूठे आरोप” की वजह से मानसिक प्रताड़ना हो रही है, तो पति सिविल अदालत में निम्न आवेदन दे सकता है:
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Restitution of Conjugal Rights (Section 9, Hindu Marriage Act) –
यानी पत्नी को वैवाहिक जीवन में वापस लाने का न्यायालय से आदेश। -
Injunction suit (निषेधाज्ञा) –
जिससे अदालत तीसरे पक्ष (पत्नी के रिश्तेदारों) को वैवाहिक जीवन में दखल न देने का आदेश दे सकती है।
⚖️ 4. महत्वपूर्ण केस लॉ (Case Laws)
🧾 1. K. Srinivas Rao v. D.A. Deepa (2013) 5 SCC 226
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा पति-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंधों में जानबूझकर दखल दिया जाता है, तो इसे “Cruelty” माना जा सकता है।
🧾 2. Naveen Kohli v. Neelu Kohli (2006) 4 SCC 558
अदालत ने माना कि अगर एक पक्ष के परिवारजन लगातार वैवाहिक जीवन को असहनीय बना रहे हैं, तो यह भी मानसिक उत्पीड़न (Mental Cruelty) के अंतर्गत आता है।
🧾 3. V. Bhagat v. D. Bhagat (1994) 1 SCC 337
पत्नी या उसके परिवार द्वारा पति की बेइज्जती या झूठे आरोप लगाना “मानसिक क्रूरता” (Mental Cruelty) की श्रेणी में आता है।
⚖️ 5. व्यावहारिक उदाहरण
उदाहरण:
लड़की का भाई और जीजा बार-बार उसे कहते हैं कि “तू तलाक ले ले, इससे तेरी जिंदगी सुधर जाएगी।”
पत्नी इस दबाव में आकर पति के खिलाफ झूठे 498A या 406 के केस दर्ज करा देती है।
अब पति व उसके परिवार के पास विकल्प है —
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धारा 107, 504, 506 IPC के तहत शिकायत;
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Section 9 HMA के तहत वैवाहिक पुनर्स्थापन का दावा;
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और मानहानि का वाद।
🏛️ निष्कर्ष
यदि पत्नी अपने परिवारजनों के उकसावे में आकर तलाक की मांग करती है और झूठे आरोप लगाती है, तो पति और उसका परिवार पूरी तरह कानूनी संरक्षण प्राप्त कर सकता है।
कानून किसी भी व्यक्ति को दूसरों के वैवाहिक जीवन में अनुचित हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देता।
📚 सुझाए गए कानूनी उपाय
| उपाय | संबंधित कानून | संक्षिप्त विवरण |
|---|---|---|
| पुलिस शिकायत / FIR | धारा 504, 506, 107 IPC | धमकी, भड़काने, अपमान के मामलों में |
| कोर्ट में 156(3) CrPC आवेदन | दंड प्रक्रिया संहिता | पुलिस जांच का आदेश दिलवाने हेतु |
| Section 9 HMA याचिका | हिंदू विवाह अधिनियम | पत्नी को वापस वैवाहिक जीवन में बुलाने हेतु |
| Defamation case | धारा 499/500 IPC | बदनामी के मामलों में |
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