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किरायानामा (Rent Agreement) क्या है | नियम, कानून, उदाहरण और केस लॉ सहित पूरी जानकारी

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🏠 रेंट एग्रीमेंट (किरायानामा): सम्पूर्ण जानकारी, नियम, उदाहरण और केस लॉ सहित


🔹 भूमिका (Introduction)

जब भी कोई व्यक्ति अपना मकान या दुकान किराए पर देता है या लेता है, तो अक्सर दोनों पक्षों के बीच “किरायानामा” यानी Rent Agreement बनाया जाता है।
यह एक कानूनी दस्तावेज होता है जो मकान मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) के बीच के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट करता है।

रेंट एग्रीमेंट यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी विवाद की स्थिति में दोनों पक्षों को कानून की सुरक्षा मिल सके। बिना किरायानामा के, कई बार विवादों का समाधान कठिन हो जाता है, जैसे — किराया बढ़ाना, मकान खाली कराना, या मरम्मत का खर्च आदि।


🔹 रेंट एग्रीमेंट क्या है? (What is Rent Agreement?)

रेंट एग्रीमेंट एक लिखित अनुबंध (Written Contract) है जो मकान मालिक और किरायेदार के बीच होता है।
इसमें यह तय होता है कि कितने समय तक मकान किराए पर रहेगा, किराया कितना होगा, भुगतान कब और कैसे होगा, और दोनों पक्षों की क्या-क्या जिम्मेदारियाँ होंगी।

👉 उदाहरण:
मान लीजिए श्री अमित कुमार ने अपना एक फ्लैट श्री सागर साहू को 11 महीने के लिए ₹25,000 प्रति माह पर किराए पर दिया। इस स्थिति में जो अनुबंध लिखा गया है वही “रेंट एग्रीमेंट” कहलाता है।


🔹 रेंट एग्रीमेंट क्यों जरूरी है?

कई बार लोग बिना लिखित एग्रीमेंट के ही किराए पर मकान दे देते हैं, जिससे आगे चलकर बड़ी कानूनी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

जरूरत के मुख्य कारण:

  1. कानूनी सुरक्षा: अगर कोई पक्ष शर्तों का उल्लंघन करे तो अदालत में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।

  2. विवाद से बचाव: किराया, सुरक्षा राशि, रख-रखाव आदि को लेकर भ्रम नहीं रहता।

  3. HRA (House Rent Allowance) के लिए आवश्यक: नौकरीपेशा व्यक्ति को टैक्स छूट पाने हेतु रेंट एग्रीमेंट आवश्यक होता है।

  4. पारदर्शिता: दोनों पक्षों को अपने अधिकारों और सीमाओं की स्पष्ट जानकारी मिलती है।


🔹 रेंट एग्रीमेंट की आवश्यक शर्तें (Essential Clauses)

रेंट एग्रीमेंट बनाते समय निम्नलिखित बिंदु अवश्य लिखे जाने चाहिए:

क्रम शर्त विवरण
1️⃣ किराया (Rent Amount) प्रतिमाह कितना किराया देना है, स्पष्ट लिखा जाए।
2️⃣ सुरक्षा राशि (Security Deposit) कितने महीने का अग्रिम किराया लिया गया है और कब लौटाया जाएगा।
3️⃣ अवधि (Tenure) 11 महीने या 12 महीने — कब से कब तक किरायेदारी चलेगी।
4️⃣ रखरखाव (Maintenance) बिजली, पानी, सफाई आदि का खर्च कौन उठाएगा।
5️⃣ मकान का उपयोग किस कार्य के लिए उपयोग किया जाएगा — आवासीय या व्यावसायिक।
6️⃣ मरम्मत और नुकसान किसी नुकसान की स्थिति में कौन जिम्मेदार होगा।
7️⃣ समाप्ति और नोटिस मकान खाली कराने या करने की प्रक्रिया कितनी अवधि की होगी।

🔹 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट क्यों बनाया जाता है?

भारत में प्रायः रेंट एग्रीमेंट 11 महीनों के लिए बनाया जाता है।
इसका कारण भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17(1)(d) है, जिसके अनुसार:

“यदि कोई किरायानामा 12 महीने या उससे अधिक की अवधि का है, तो उसका पंजीकरण (Registration) कराना अनिवार्य है।”

इसलिए 11 महीने की अवधि का समझौता पंजीकरण के झंझट से बचने के लिए किया जाता है।
अगर कोई पक्ष चाहे तो इसे हर 11 महीने बाद नवीनीकृत (Renew) कर सकता है।


🔹 कानूनी प्रावधान (Legal Provisions Related to Rent Agreement)

1. भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 (Section 17(1)(d))

12 महीने से अधिक की अवधि का कोई भी किरायानामा पंजीकृत कराना अनिवार्य है।

2. संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (Transfer of Property Act)

यह कानून “लीज (Lease)” और “सब-लीज (Sub-Lease)” से संबंधित प्रावधानों को नियंत्रित करता है।
धारा 105 के अनुसार, किरायेदारी संपत्ति के अधिकारों के स्थानांतरण का एक रूप है।

3. मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2021

यह नया कानून मकान मालिक और किरायेदार के हितों की रक्षा करता है।
इसकी धारा 11 में कहा गया है कि —

आवासीय संपत्ति के लिए सुरक्षा जमा राशि (Security Deposit) दो महीने के किराए से अधिक नहीं होनी चाहिए, और गैर-आवासीय संपत्ति के लिए छह महीने से अधिक नहीं।


🔹 किरायेदार को बेदखल करने के आधार (Grounds of Eviction)

⚖️ मध्य प्रदेश किराया नियंत्रण अधिनियम, 1961 की धारा 12 के अंतर्गत

निम्न स्थितियों में मकान मालिक किरायेदार को बेदखल कर सकता है:

  1. किराया न देना: नोटिस के दो महीने के भीतर किराया न चुकाना।

  2. उप-पट्टा (Sub-letting): बिना अनुमति के किसी और को मकान किराए पर देना।

  3. उपद्रव (Nuisance): मकान में अवैध या उपद्रवकारी कार्य करना।

  4. व्यक्तिगत आवश्यकता (Bona fide Need): मकान मालिक को खुद के रहने या व्यवसाय के लिए मकान चाहिए।

  5. संपत्ति को नुकसान: मकान को नुकसान पहुँचाना या असुरक्षित बना देना।


🔹 भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS) के प्रावधान

धारा अपराध का प्रकार विवरण
धारा 329 अवैध अतिक्रमण किरायेदारी समाप्त होने के बाद भी मकान खाली न करने पर लागू।
धारा 316(2) आपराधिक विश्वासघात मकान का गलत उद्देश्य के लिए उपयोग करना।
धारा 318 धोखाधड़ी किराए पर लेते समय झूठी जानकारी देना या शर्तों का उल्लंघन करना।

👉 इन धाराओं के तहत मकान मालिक पुलिस या अदालत में शिकायत दर्ज करा सकता है।


🔹 रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर करने की प्रक्रिया (How to Register Rent Agreement)

📍 ऑफलाइन प्रक्रिया:

  1. दोनों पक्ष (मकान मालिक और किरायेदार) व दो गवाह सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में जाएं।

  2. ₹1000 या ₹500 स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट तैयार करें।

  3. दोनों पक्षों के ID प्रूफ (आधार, पैन आदि) आवश्यक हैं।

  4. हस्ताक्षर और रजिस्ट्रेशन शुल्क जमा करने के बाद रजिस्टर्ड कॉपी प्राप्त होती है।

🌐 ऑनलाइन प्रक्रिया (कई राज्यों में उपलब्ध):

राज्य सरकार की Property Registration Portal वेबसाइट पर जाकर
e-Agreement Generate किया जा सकता है (जैसे MP Online, Maharashtra Portal आदि)।


🔹 रेंट एग्रीमेंट बनाते समय किन बातों का ध्यान रखें

  1. मकान का पूरा पता और खसरा नंबर सही लिखें।

  2. किराए की राशि शब्दों और अंकों दोनों में लिखें।

  3. सुरक्षा राशि और वापसी की शर्तें स्पष्ट हों।

  4. मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हस्ताक्षर जरूरी हैं।

  5. दो गवाहों के हस्ताक्षर अवश्य कराएं।

  6. शर्तों में किसी प्रकार की अस्पष्टता न रहे।


🔹 रेंट एग्रीमेंट और लीज़ एग्रीमेंट में अंतर

बिंदु रेंट एग्रीमेंट लीज़ एग्रीमेंट
अवधि 11 महीने तक 1 वर्ष या उससे अधिक
पंजीकरण अनिवार्य नहीं अनिवार्य
लचीलापन अधिक (मकान मालिक शर्तें बदल सकता है) सीमित (लीज अवधि में बदलाव नहीं)
समाप्ति किसी भी समय नोटिस देकर अवधि पूर्ण होने पर
उपयोग सामान्य किरायेदारी दीर्घकालिक उपयोग

🔹 महत्वपूर्ण केस लॉ (Important Case Laws)

1. K.K. Krishnan vs M.K. Mukundan (1997)

निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि रेंट एग्रीमेंट में समय सीमा स्पष्ट लिखी है, तो किरायेदार उस अवधि के बाद मकान में नहीं रह सकता।
महत्त्व: यह मामला “अवैध अतिक्रमण” के सिद्धांत को मजबूत करता है।

2. D.C. Bhatia vs Union of India (1995 AIR 2059)

निर्णय: किराया नियंत्रण अधिनियम पुराने मकान मालिकों को अनुचित रूप से बाधित नहीं कर सकता।
महत्त्व: मालिक के अधिकारों की रक्षा के लिए यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है।

3. Shanti Devi vs Amal Kumar Banerjee (1981 AIR 1550)

निर्णय: मकान मालिक की बोना फाइड आवश्यकता साबित होने पर किरायेदार को बेदखल किया जा सकता है।
महत्त्व: “व्यक्तिगत आवश्यकता” को न्यायिक रूप से परिभाषित किया गया।


🔹 FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. क्या बिना रेंट एग्रीमेंट के मकान किराए पर देना वैध है?
👉 नहीं, लिखित एग्रीमेंट न होने पर विवाद की स्थिति में कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती।

Q2. क्या 11 महीने से अधिक का एग्रीमेंट वैध है?
👉 हां, लेकिन उसे रजिस्टर कराना अनिवार्य है।

Q3. क्या किरायेदार मकान को किसी तीसरे व्यक्ति को किराए पर दे सकता है?
👉 नहीं, जब तक रेंट एग्रीमेंट में अनुमति न दी गई हो।

Q4. क्या मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया बढ़ा सकता है?
👉 नहीं, एग्रीमेंट में तय अवधि पूरी होने के बाद ही संशोधन किया जा सकता है।


🔹 निष्कर्ष (Conclusion)

रेंट एग्रीमेंट न केवल एक औपचारिक दस्तावेज है, बल्कि यह कानूनी सुरक्षा कवच भी है।
यह दोनों पक्षों को अधिकार, दायित्व और सीमाओं की स्पष्टता देता है।
इसलिए हर व्यक्ति जो मकान किराए पर देता या लेता है, उसे लिखित रेंट एग्रीमेंट बनवाना चाहिए।

“एक सही और कानूनी रूप से तैयार किया गया रेंट एग्रीमेंट, विवादों से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है।”





🏠 रेंट एग्रीमेंट (किरायानामा) का नमूना प्रारूप (Copyright Free Draft Format)


✍️ किरायानामा / Rent Agreement

यह किरायानामा आज दिनांक ___ / ___ / 2025 को निम्नलिखित पक्षकारों के मध्य संपन्न हुआ है:


1️⃣ पक्षकार (Parties Involved):

(क) भवन स्वामी (Landlord):
नाम – श्री _______________________________
पिता का नाम – श्री ________________________
पता – __________________________________
आधार संख्या – ___________________________

(ख) किरायेदार (Tenant):
नाम – श्री / सुश्री __________________________
पिता / पति का नाम – _______________________
पता – __________________________________
आधार संख्या – ___________________________

दोनों पक्षकारों ने आपसी सहमति से निम्नलिखित शर्तों एवं नियमों पर यह किरायानामा बनाया है।


2️⃣ किराए पर दी जा रही संपत्ति का विवरण (Description of Property):

यह संपत्ति मकान स्वामी की पूर्ण स्वामित्व वाली संपत्ति है, जो ____________________________ (पूरा पता और खसरा/प्लॉट नंबर) पर स्थित है।
इस संपत्ति में _____ कमरा, _____ बाथरूम, _____ रसोई, और खुला आंगन / बालकनी है।


3️⃣ किरायेदारी अवधि (Period of Tenancy):

यह किरायेदारी 11 (ग्यारह) माह के लिए होगी, जो दिनांक ___ / ___ / 2025 से प्रारंभ होकर ___ / ___ / 2026 को समाप्त होगी।
दोनों पक्ष चाहें तो आपसी सहमति से इसे आगे बढ़ा सकते हैं।


4️⃣ किराया (Rent) एवं भुगतान की विधि:

  1. मासिक किराया ₹________ (रुपये __________ मात्र) तय किया गया है।

  2. किराया प्रत्येक माह की 1 से 5 तारीख तक नकद या बैंक खाते में जमा किया जाएगा।

  3. किराया भुगतान की रसीद लेना/देना अनिवार्य होगा।


5️⃣ सुरक्षा राशि (Security Deposit):

किरायेदार ने ₹_________ (________ रुपये मात्र) सुरक्षा राशि के रूप में मकान स्वामी को दी है।
यह राशि किरायेदारी समाप्त होने पर, किसी प्रकार की क्षति या बकाया राशि काटकर, बिना ब्याज के वापस की जाएगी।


6️⃣ उपयोग का उद्देश्य (Purpose of Use):

किरायेदार उक्त संपत्ति का उपयोग केवल ____________ (आवासीय / व्यावसायिक) उद्देश्य से करेगा।
इसका उपयोग किसी भी अवैध या अनैतिक कार्य के लिए नहीं किया जाएगा।


7️⃣ रखरखाव एवं मरम्मत (Maintenance and Repairs):

  1. मकान की सामान्य मरम्मत की जिम्मेदारी किरायेदार की होगी।

  2. कोई बड़ी संरचनात्मक क्षति होने पर मकान स्वामी जिम्मेदार होगा।

  3. किरायेदार संपत्ति को स्वच्छ और सुरक्षित रखेगा।


8️⃣ बिजली, पानी एवं अन्य बिलों का भुगतान (Utilities):

बिजली, पानी, और अन्य सेवा शुल्कों का भुगतान समय पर किरायेदार द्वारा किया जाएगा।
रसीदें मकान स्वामी को प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।


9️⃣ उप-किरायेदारी (Subletting):

किरायेदार मकान स्वामी की लिखित अनुमति के बिना इस संपत्ति को किसी अन्य व्यक्ति को किराए पर नहीं दे सकता।


🔟 निरीक्षण का अधिकार (Right of Inspection):

मकान स्वामी को दिन के समय पूर्व सूचना देकर संपत्ति का निरीक्षण करने का अधिकार होगा।


1️⃣1️⃣ अनुबंध समाप्ति (Termination Clause):

  1. कोई भी पक्ष दो माह का लिखित नोटिस देकर किरायेदारी समाप्त कर सकता है।

  2. किरायेदारी अवधि समाप्त होने पर किरायेदार संपत्ति खाली करेगा और मूल स्थिति में लौटाएगा।

  3. किराया बकाया रहने या शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में मकान स्वामी को अनुबंध समाप्त करने का अधिकार होगा।


1️⃣2️⃣ विवाद समाधान (Dispute Resolution):

यदि किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न होता है, तो दोनों पक्ष पहले आपसी सहमति से समाधान करेंगे।
अन्यथा मामला संबंधित सिविल न्यायालय / रेंट कंट्रोल कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।


1️⃣3️⃣ कानून का पालन (Legal Compliance):

यह किरायानामा भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908, संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882, एवं
मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2021 के प्रावधानों के अधीन बनाया गया है।


1️⃣4️⃣ अन्य शर्तें (Miscellaneous Conditions):

  1. किरायेदार किसी भी प्रकार की अवैध वस्तु या ज्वलनशील सामग्री मकान में नहीं रखेगा।

  2. किरायेदार द्वारा मकान को किसी प्रकार का नुकसान पहुँचाने पर उसका खर्च उसी से वसूला जाएगा।

  3. किरायेदार किराएदारी अवधि के बाद यदि मकान खाली नहीं करता, तो भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 329 के तहत यह “अवैध अतिक्रमण” माना जाएगा।


साक्ष्य स्वरूप (In Witness Whereof):

दोनों पक्षों ने इस अनुबंध को अपने स्वतंत्र निर्णय से पढ़कर, समझकर, और स्वीकार करते हुए
आज दिनांक ___ / ___ / 2025 को हस्ताक्षर किए हैं।


🧾 हस्ताक्षर (Signatures):

मकान स्वामी (Landlord):
नाम – ___________________________
हस्ताक्षर – _______________________

किरायेदार (Tenant):
नाम – ___________________________
हस्ताक्षर – _______________________

साक्षीगण (Witnesses):

1️⃣ नाम – ___________________________ हस्ताक्षर – ___________________
2️⃣ नाम – ___________________________ हस्ताक्षर – ___________________


⚖️ कानूनी आधार (Legal Reference):

  • भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17(1)(d)

  • संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 105

  • मॉडल टेनेंसी एक्ट, 2021 की धारा 11

  • भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 329 (अतिक्रमण)


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