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बलवा और दंगा क्या होता है? दोनों में क्या अंतर है? दोनों में सजा का क्या प्रावधान है?( what is the riot and Affray. What is the difference between boths.)

पुलिस स्पेशल सेल द्वारा मोटरसाइकिल जब्त करने पर क्या करें, जब कोई मुकदमा पंजीकृत न हो?

यहाँ एक विस्तृत,  ब्लॉग पोस्ट है जो कि कभी आपकी या  किसी व्यक्ति की मोटरसाइकिल को पुलिस विभाग की स्पेशल सेल पकड़ लेती है और किसी भी थाने में मुकदमा पंजीकृत नहीं करती है तो ऐसे स्थिति में क्या करें की गाड़ी को रिलीज करवा लिया जाये इस पर एक  blog post लिखकर मेरे द्तवारा  जितना सम्भव है उतना विशेष जानकारी के साथ  उदाहरण सहित समझाने की आप लोगों को कोशिश है ।🔥🔥🔥🔥


पुलिस स्पेशल सेल द्वारा मोटरसाइकिल जब्त करने पर क्या करें, जब कोई मुकदमा पंजीकृत न हो?

कई बार ऐसी स्थिति सामने आती है जब पुलिस विभाग की स्पेशल सेल किसी व्यक्ति की मोटरसाइकिल या अन्य वाहन को रोककर अपने कब्जे में ले लेती है, लेकिन किसी भी थाने में उसके संबंध में FIR या मुकदमा पंजीकृत नहीं करती। इस तरह की परिस्थिति में वाहन मालिक के लिए यह समझना जरूरी है कि कानूनी प्रक्रिया क्या है और वाहन को रिलीज कराने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जाएं।


1. सबसे पहले स्थिति की पुष्टि करें

  • जिस पुलिस टीम या स्पेशल सेल ने गाड़ी पकड़ी है, उनसे लिखित या मौखिक रूप से पूछें कि वाहन क्यों रोका गया है।

  • यह सुनिश्चित करें कि कहीं किसी अन्य थाने में मुकदमा दर्ज तो नहीं हुआ। इसके लिए थाने में डायरी एंट्री या FIR नंबर की जानकारी लें।


2. लिखित आवेदन दें

यदि कोई मुकदमा पंजीकृत नहीं है और गाड़ी को लंबे समय तक रखा जा रहा है:

  • संबंधित स्पेशल सेल प्रभारी को एक लिखित आवेदन दें।

  • आवेदन में गाड़ी की डिटेल (रजिस्ट्रेशन नंबर, इंजन नंबर, चेसिस नंबर), जब्ती की तारीख और कारण (यदि बताया गया हो) का उल्लेख करें।

  • साथ ही वाहन की वैध कागज़ात (RC, Insurance, Pollution Certificate, Driving License) की कॉपी संलग्न करें।


3. उच्च अधिकारियों को शिकायत करें

यदि आवेदन देने के बाद भी गाड़ी नहीं छोड़ी जाती:

  • एसपी (Superintendent of Police) या डीसीपी (Deputy Commissioner of Police) को लिखित शिकायत भेजें।

  • अपनी शिकायत में स्पष्ट लिखें कि कोई मुकदमा दर्ज नहीं है और गाड़ी बिना कारण रोकी गई है।

  • शिकायत की एक कॉपी RTI (Right to Information) के साथ भी लगा सकते हैं ताकि रिकॉर्ड में मामला दर्ज हो।


4. न्यायालय में याचिका दायर करें

  • यदि पुलिस बिना मुकदमे के गाड़ी को लंबे समय तक रोक कर रख रही है, तो मजिस्ट्रेट कोर्ट में धारा 451 और 457 CrPC के तहत गाड़ी रिलीज कराने के लिए आवेदन (Release Application) किया जा सकता है।

  • कोर्ट पुलिस को निर्देश दे सकता है कि यदि गाड़ी जांच में जरूरी नहीं है तो उसे मालिक को सुपुर्द किया जाए।


5. RTI (सूचना का अधिकार) का प्रयोग करें

RTI के तहत संबंधित थाने या स्पेशल सेल से पूछ सकते हैं:

  • आपकी गाड़ी को किस आधार पर जब्त किया गया?

  • किस डायरी एंट्री या आदेश के तहत गाड़ी रखी गई है?

  • यदि कोई मामला दर्ज नहीं है तो गाड़ी क्यों छोड़ी नहीं गई?


उदाहरण:

केस
राहुल कुमार की मोटरसाइकिल को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक चेकिंग अभियान के दौरान रोक लिया। गाड़ी के सारे कागज़ात सही थे। FIR भी किसी थाने में दर्ज नहीं थी।
राहुल ने कदम उठाए

  1. स्पेशल सेल प्रभारी को लिखित आवेदन दिया और RC, इंश्योरेंस, Pollution Certificate की कॉपी लगाई।

  2. तीन दिन बाद भी गाड़ी रिलीज नहीं हुई तो DCP को शिकायत भेजी।

  3. RTI के तहत जानकारी मांगी।

  4. अंत में मजिस्ट्रेट कोर्ट में धारा 457 CrPC के तहत याचिका दायर की।
    परिणाम – कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि कोई मुकदमा न होने की स्थिति में गाड़ी तुरंत मालिक को सुपुर्द की जाए।


निष्कर्ष

यदि पुलिस स्पेशल सेल ने आपकी मोटरसाइकिल को पकड़ लिया है और कोई मुकदमा दर्ज नहीं है, तो:

  1. लिखित आवेदन और शिकायत दर्ज कराएं।

  2. RTI का उपयोग कर जानकारी लें।

  3. आवश्यकता पड़ने पर मजिस्ट्रेट कोर्ट का सहारा लें।

बिना मुकदमा पंजीकृत किए गाड़ी को लंबे समय तक रोकना कानूनी अधिकारों का उल्लंघन है, और इसके खिलाफ उचित कानूनी कदम उठाकर आप अपना वाहन वापस पा सकते हैं।


अगर आप चाहें तो मैं इस ब्लॉग के साथ एक तैयार "रिलीज एप्लीकेशन" का ड्राफ्ट भी बना सकता हूँ जिसे सीधे स्पेशल सेल या कोर्ट में दिया जा सके।
क्या मैं अभी वो ड्राफ्ट भी जोड़ दूँ?


ठीक है, मैं आपके लिए इस ब्लॉग के साथ एक तैयार “रिलीज एप्लीकेशन” का ड्राफ्ट बना देता हूँ, जिसे सीधे स्पेशल सेल के प्रभारी को या कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने CrPC धारा 451/457 के तहत पेश किया जा सके।


वाहन रिलीज एप्लीकेशन (ड्राफ्ट)

सेवा में,
माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट महोदय,
[जनपद / जिला का नाम]

विषय: मोटरसाइकिल रिलीज करने हेतु प्रार्थना पत्र (CrPC धारा 451/457 के अंतर्गत)

महोदय,
सविनय निवेदन है कि प्रार्थी [आपका पूरा नाम], पुत्र/पुत्री [पिता का नाम], निवासी [पूरा पता], का वाहन (वाहन का विवरण – ब्रांड, मॉडल, रजिस्ट्रेशन नंबर, इंजन नंबर, चेसिस नंबर) दिनांक [तारीख] को पुलिस विभाग की स्पेशल सेल द्वारा जब्त कर लिया गया था।

प्रार्थी के वाहन के सभी वैध दस्तावेज (RC, बीमा, Pollution Certificate, ड्राइविंग लाइसेंस) उपलब्ध हैं, जिनकी प्रतियां इस प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न हैं।

इस संबंध में अभी तक किसी थाने में कोई FIR दर्ज नहीं की गई है तथा न ही वाहन को किसी अपराध में उपयोग किए जाने का कोई प्रमाण उपलब्ध कराया गया है। ऐसे में बिना कारण वाहन को रोके रखना न केवल प्रार्थी के लिए असुविधाजनक है बल्कि इससे वाहन की स्थिति भी खराब हो रही है।

अतएव प्रार्थना है कि:
माननीय न्यायालय कृपया न्यायहित में प्रार्थी के वाहन को सुपुर्दगी पर रिलीज करने का आदेश पारित करने की कृपा करें।

संलग्नक:

  1. वाहन का पंजीकरण प्रमाण पत्र (RC) की प्रति

  2. बीमा प्रमाण पत्र की प्रति

  3. Pollution Certificate की प्रति

  4. ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति

  5. वाहन जब्ती से संबंधित किसी भी पावती/चालान की प्रति

दिनांक: [तारीख]
स्थान: [स्थान]

प्रार्थी
(हस्ताक्षर)
[पूरा नाम]
[मोबाइल नंबर]


 यहां स्पेशल सेल को सीधे देने वाला छोटा और फॉर्मेटेड रिलीज़ एप्लीकेशन — इसे आप वहां के प्रभारी/इंचार्ज को दे सकते हैं ताकि कोर्ट जाने की नौबत न आए।


वाहन रिलीज़ हेतु आवेदन पत्र

सेवा में,
प्रभारी अधिकारी,
स्पेशल सेल, [शहर/जिला का नाम]

विषय: जब्त की गई मोटरसाइकिल को रिलीज़ करने के संबंध में।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरी मोटरसाइकिल [वाहन का विवरण – ब्रांड, मॉडल, रजिस्ट्रेशन नंबर] को दिनांक [तारीख] को आपकी टीम द्वारा चेकिंग के दौरान रोका गया और जब्त कर लिया गया।

मेरे वाहन के सभी वैध दस्तावेज — RC, बीमा, Pollution Certificate, ड्राइविंग लाइसेंस — उपलब्ध एवं वैध हैं। जांच करने पर कोई अवैध गतिविधि या अपराध से संबंधित मामला भी दर्ज नहीं पाया गया है।

अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया मेरे वाहन को शीघ्र रिलीज़ करने की कृपा करें।

संलग्नक:

  1. RC की प्रति

  2. बीमा की प्रति

  3. Pollution Certificate की प्रति

  4. ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति

  5. वाहन जब्ती संबंधी पावती (यदि उपलब्ध हो)

दिनांक: [तारीख]
स्थान: [स्थान]

आवेदक
(हस्ताक्षर)
[पूरा नाम]
[पता]
[मोबाइल नंबर]


🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥😎😎😎😎😎😎😎😎🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👨🏻‍⚖️👨🏻‍⚖️

👨🏻‍⚖️

पुलिस स्पेशल सेल द्वारा मोटरसाइकिल जब्त करने और झूठे मुकदमे से बचाव के कानूनी उपाय

परिचय

कई बार पुलिस की स्पेशल सेल या अन्य विशेष इकाइयाँ किसी व्यक्ति की मोटरसाइकिल या वाहन को पकड़ लेती हैं। यदि इस प्रक्रिया में न तो किसी थाने में FIR दर्ज होती है और न ही उचित कारण बताया जाता है, तो यह वाहन मालिक के अधिकारों का हनन है।
समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब बाद में पुलिस संबंधित व्यक्ति को किसी झूठे आपराधिक मामले (जैसे लूट, डकैती) में फंसा देती है। ऐसे हालात में सावधानी और कानूनी कदम उठाना बेहद जरूरी है।


1. गाड़ी जब्त होने पर तुरंत उठाए जाने वाले कदम

(क) लिखित सूचना प्राप्त करें

  • गाड़ी जब्त करने वाले अधिकारी का नाम, पद और बैज नंबर नोट करें।

  • जब्ती की लिखित पावती (Seizure Memo) लें।

  • यदि पावती नहीं दी जा रही है, तो मोबाइल से तारीख व समय सहित वीडियो या फोटो बनाकर सबूत सुरक्षित रखें।

(ख) थाने और स्पेशल सेल में स्थिति स्पष्ट करें

  • नजदीकी थाने में लिखित आवेदन देकर जानकारी दर्ज कराएं कि आपकी गाड़ी कब, किसने, और किस कारण से पकड़ी।

  • यदि FIR दर्ज नहीं है तो RTI के जरिए इसकी पुष्टि करें।


2. झूठे मुकदमे से बचाव के कानूनी उपाय

(क) तत्काल उच्च अधिकारियों को सूचित करें

  • एसपी/डीसीपी को लिखित शिकायत दें कि आपका वाहन जब्त किया गया है और आप पर किसी भी गलत मामले की साजिश की आशंका है।

  • शिकायत की एक कॉपी SP ऑफिस, मानवाधिकार आयोग (NHRC/SHRC) और स्थानीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) को भेजें।

(ख) अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) लें

  • यदि आपको सूचना मिले कि आप पर लूट या डकैती जैसी गंभीर धारा लगाने की योजना है, तो तुरंत धारा 438 CrPC के तहत अग्रिम जमानत के लिए जिला या उच्च न्यायालय में आवेदन करें।

  • अग्रिम जमानत मिलने से पुलिस आपको बिना कोर्ट की अनुमति के गिरफ्तार नहीं कर सकती।

(ग) सबूत सुरक्षित रखें

  • घटना के समय और तारीख के मोबाइल लोकेशन डेटा, कॉल रिकॉर्ड, सीसीटीवी फुटेज, बैंक लेनदेन, पेट्रोल पंप रसीद जैसे सबूत जुटाएं जो साबित करें कि आप घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे।

  • गवाह तैयार रखें जो आपकी उपस्थिति का सही समय पर प्रमाण दे सकें।

(घ) मीडिया और सोशल मीडिया का उपयोग

  • यदि पुलिस की ओर से अनुचित दबाव बनाया जा रहा है, तो प्रामाणिक तरीके से मीडिया को जानकारी दें।

  • सोशल मीडिया पर तथ्यों के साथ पोस्ट डालें (ध्यान रखें कि कोई मानहानिकारक बयान न हो)।


3. वाहन रिलीज की कानूनी प्रक्रिया

(क) स्पेशल सेल को आवेदन👨🏻‍⚖️👨🏻‍⚖️👨🏻‍⚖️

  • वाहन के सभी दस्तावेज (RC, बीमा, Pollution Certificate, ड्राइविंग लाइसेंस) की कॉपी के साथ लिखित आवेदन दें।

(ख) मजिस्ट्रेट कोर्ट में याचिका👨🏻‍⚖️👨🏻‍⚖️👨🏻‍⚖️

  • यदि वाहन रिलीज नहीं किया जा रहा है, तो धारा 451 और 457 CrPC के तहत मजिस्ट्रेट कोर्ट में "रिलीज एप्लीकेशन" दायर करें।

  • कोर्ट आदेश देकर वाहन सुपुर्द कर सकता है।


4. उदाहरण😎😎😎

केस:
अजय वर्मा की बाइक दिल्ली की स्पेशल सेल ने 5 मई 2024 को चेकिंग के दौरान जब्त की। FIR दर्ज नहीं हुई। बाद में अजय को सूचना मिली कि उसे एक लूट के मामले में आरोपी बनाने की कोशिश हो रही है।

अजय ने कदम उठाए:

  1. गाड़ी जब्त करने वाले अधिकारी का नाम, समय और पावती सुरक्षित रखी।

  2. नजदीकी थाने में लिखित शिकायत देकर स्थिति स्पष्ट की।

  3. डीसीपी और मानवाधिकार आयोग को खत भेजा कि उसे झूठे मामले में फंसाया जा सकता है।

  4. अग्रिम जमानत के लिए धारा 438 CrPC के तहत हाई कोर्ट में आवेदन किया।

  5. मोबाइल लोकेशन और ATM ट्रांजैक्शन के सबूत जुटाए।

परिणाम:
कोर्ट ने अजय को अग्रिम जमानत दी और पुलिस को निर्देश दिया कि बिना पर्याप्त सबूत के उसे किसी भी गंभीर मामले में नामजद न किया जाए। गाड़ी भी कोर्ट के आदेश पर रिलीज हो गई।


निष्कर्ष

  • वाहन जब्त होते ही दस्तावेजी और डिजिटल सबूत इकट्ठा करना सबसे पहला कदम है।

  • झूठे मुकदमे से बचने के लिए अग्रिम जमानत और उच्च अधिकारियों को समय पर सूचना देना बेहद जरूरी है।

  • कोर्ट और कानून के जरिए न सिर्फ गाड़ी वापस ली जा सकती है बल्कि खुद को बेबुनियाद आपराधिक मामलों से भी बचाया जा सकता है।


👍🔥🔥🔥🔥🔥

मैं आपके लिए पूरा रेडी-टू-यूज़ पैकेज तैयार कर देता हूँ, जिसमें ब्लॉग के साथ-साथ –

  1. स्पेशल सेल को सीधे देने वाला छोटा रिलीज एप्लीकेशन

  2. अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए याचिका ड्राफ्ट (धारा 438 CrPC)

दोनों शामिल रहेंगे।


🚨 पुलिस स्पेशल सेल द्वारा मोटरसाइकिल जब्त करने और झूठे मुकदमे से बचाव के कानूनी उपाय

(🔥🔥🔥🔥😎😎🔥🔥🔥🔥🔥🔥😎😎😎😎)


📌 1. स्पेशल सेल को सीधे देने वाला छोटा रिलीज एप्लीकेशन

सेवा में,
प्रभारी अधिकारी,
स्पेशल सेल, [शहर/जिला का नाम]

विषय: जब्त की गई मोटरसाइकिल को रिलीज़ करने हेतु आवेदन।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरी मोटरसाइकिल [वाहन का विवरण – ब्रांड, मॉडल, रजिस्ट्रेशन नंबर] को दिनांक [तारीख] को आपकी टीम द्वारा चेकिंग के दौरान जब्त किया गया।

मेरे वाहन के सभी दस्तावेज (RC, बीमा, Pollution Certificate, ड्राइविंग लाइसेंस) वैध एवं उपलब्ध हैं। मेरे वाहन के संबंध में किसी थाने में कोई एफ.आई.आर दर्ज नहीं है और न ही किसी अपराध में वाहन के प्रयोग का आरोप है।

अतः आपसे निवेदन है कि कृपया मेरे वाहन को शीघ्र रिलीज करने की कृपा करें।

संलग्नक:

  1. RC की प्रति

  2. बीमा की प्रति

  3. Pollution Certificate की प्रति

  4. ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति

  5. जब्ती पावती (यदि उपलब्ध हो)

दिनांक: [तारीख]
स्थान: [स्थान]

आवेदक
(हस्ताक्षर)
[पूरा नाम]
[पता]
[मोबाइल नंबर]


📌 2. अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) हेतु याचिका (धारा 438 CrPC)

सेवा में,
माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय,
[जिला/राज्य का नाम]

विषय: धारा 438 दं.प्र.सं. के अंतर्गत अग्रिम जमानत हेतु आवेदन पत्र।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि –

  1. प्रार्थी [पूरा नाम], पुत्र [पिता का नाम], निवासी [पूरा पता], एक सम्मानित नागरिक है।

  2. प्रार्थी की मोटरसाइकिल को दिनांक [तारीख] को पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा जब्त किया गया, जबकि उसके सभी कागजात वैध एवं उपलब्ध हैं।

  3. प्रार्थी को आशंका है कि उसे किसी झूठे आपराधिक मामले (जैसे लूट अथवा डकैती) में फँसाया जा सकता है।

  4. प्रार्थी निर्दोष है और किसी भी आपराधिक गतिविधि में संलिप्त नहीं है।

  5. प्रार्थी न्यायालय की शर्तों का पालन करने और आवश्यकता पड़ने पर जांच में सहयोग देने के लिए तत्पर है।

अतएव निवेदन है कि:
माननीय न्यायालय कृपया दया एवं न्याय के दृष्टिकोण से प्रार्थी को अग्रिम जमानत प्रदान करने की कृपा करें ताकि पुलिस प्रार्थी को बिना कारण गिरफ्तार न कर सके।

दिनांक: [तारीख]
स्थान: [स्थान]

प्रार्थी
(हस्ताक्षर)
[पूरा नाम]
[पता]
[मोबाइल नंबर]

वकील के माध्यम से
[वकील का नाम, नामांकन नंबर]


✅ इस तरह यह पैकेज आपके लिए तैयार है –

  • ब्लॉग (जानकारी + उदाहरण)

  • स्पेशल सेल एप्लीकेशन

  • अग्रिम जमानत ड्राफ्ट

👉 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥

 🙏

 एक ऐसा ड्राफ्टिंग एप्लीकेशन भी तैयार किया है , जिसे कोई व्यक्ति लिखकर पुलिस से मांग सके कि – यदि उसका नाम और मोटरसाइकिल किसी वारदात (लूट/डकैती/अन्य अपराध) में शामिल दिखाया गया है तो उसकी “वांछित रिपोर्ट / Involvement Status Report” मंगाई जाए।

👇🔥🔥🔥🔥🙏👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️


वांछित रिपोर्ट मंगवाने हेतु आवेदन पत्र

सेवा में,
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक / पुलिस अधीक्षक,
[जिला/शहर का नाम]

विषय: वाहन एवं प्रार्थी का किसी आपराधिक वारदात में नाम/संपृक्ति होने की रिपोर्ट मंगवाने हेतु आवेदन।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि –

  1. प्रार्थी का नाम [पूरा नाम], पुत्र [पिता का नाम], निवासी [पूरा पता] है।

  2. प्रार्थी की मोटरसाइकिल का विवरण –

    • कंपनी/मॉडल: __________

    • रजिस्ट्रेशन नंबर: __________

    • इंजन नंबर: __________

    • चेसिस नंबर: __________

  3. दिनांक [तारीख] को यह जानकारी प्राप्त हुई कि प्रार्थी और उसकी उपरोक्त मोटरसाइकिल का नाम किसी आपराधिक वारदात (जैसे लूट/डकैती) में शामिल बताकर जांच में लिया जा रहा है।

  4. प्रार्थी कानून का पालन करने वाला नागरिक है और इस प्रकार की किसी भी गतिविधि में संलिप्त नहीं है।

  5. प्रार्थी को न्यायोचित अवसर मिले, इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस विभाग की ओर से यह स्पष्ट किया जाए कि –

    • क्या प्रार्थी का नाम किसी मुकदमे में दर्ज/जांचाधीन है?

    • क्या उक्त मोटरसाइकिल किसी अपराध में शामिल दिखाई गई है?

    • यदि हाँ, तो किस थाने, किस अपराध संख्या व किस धारा में?

अतएव निवेदन है कि:
माननीय अधिकारी महोदय कृपया शीघ्र आदेश पारित कर उक्त संबंध में “वांछित रिपोर्ट / Involvement Status Report” जारी करने की कृपा करें, ताकि प्रार्थी को उचित न्यायिक व कानूनी सहायता मिल सके।

संलग्नक:

  1. मोटरसाइकिल का RC की प्रति

  2. बीमा की प्रति

  3. Pollution Certificate की प्रति

  4. ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति

  5. आधार कार्ड/पहचान पत्र की प्रति

दिनांक: [तारीख]
स्थान: [स्थान]

प्रार्थी
(हस्ताक्षर)
[पूरा नाम]
[पता]
[मोबाइल नंबर]


👉 यह एप्लीकेशन आप एसपी / एसएसपी कार्यालय या संबंधित थाने के प्रभारी अधिकारी को दे सकते हैं।
👉 अगर जवाब नहीं मिलता तो आप RTI (सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005) के तहत वही सवाल पूछकर पुलिस से लिखित जवाब पा सकते हैं।


यह एक  RTI एप्लीकेशन (सूचना का अधिकार के तहत) भी बनायी है , ताकि यदि पुलिस सामान्य आवेदन पर रिपोर्ट न दे तो RTI से मजबूर होकर लिखित जवाब देना पड़े?🙏

🔥🔥🔥🔥अगर सामान्य आवेदन पर पुलिस रिपोर्ट नहीं देती है तो RTI (सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005) के तहत आवेदन करना सबसे प्रभावी तरीका है। RTI से पुलिस को कानूनी रूप से लिखित जवाब देना ही पड़ेगा।

यहां पर मैं आप सभी के लिये तैयार RTI एप्लीकेशन ड्राफ्ट बना देता हूँ 👇


RTI एप्लीकेशन ड्राफ्ट (वांछित रिपोर्ट हेतु)

सेवा में,
लोक सूचना अधिकारी (Public Information Officer),
कार्यालय – वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक,
[जिला/शहर का नाम]

विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत जानकारी उपलब्ध कराने हेतु आवेदन।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं [आपका पूरा नाम], पुत्र [पिता का नाम], निवासी [पूरा पता], सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6(1) के अंतर्गत निम्नलिखित जानकारी प्राप्त करना चाहता हूँ।

मांगी गई सूचना:

  1. क्या प्रार्थी का नाम किसी भी पंजीकृत आपराधिक मामले (लूट, डकैती अथवा अन्य गंभीर अपराध) में दर्ज है? यदि हाँ, तो कृपया अपराध संख्या, धारा एवं थाने का नाम उपलब्ध कराया जाए।

  2. क्या प्रार्थी की मोटरसाइकिल (विवरण – कंपनी/मॉडल: ________, रजिस्ट्रेशन नंबर: ________, इंजन नंबर: ________, चेसिस नंबर: ________) किसी भी आपराधिक मामले में जब्त/जांचाधीन दिखाई गई है?

  3. यदि हाँ, तो किस थाने में, किस केस क्राइम नंबर में और किन धाराओं में उक्त वाहन का उल्लेख है?

  4. कृपया यह भी बताने की कृपा करें कि उक्त वाहन/प्रार्थी के खिलाफ कोई “वांछित रिपोर्ट” (Wanted Report) तैयार की गई है अथवा नहीं।

संलग्नक:

  1. प्रार्थी का पहचान पत्र (आधार/मतदाता पहचान पत्र) की प्रति

  2. वाहन का पंजीकरण प्रमाण पत्र (RC) की प्रति

एप्लीकेशन शुल्क: ₹10 (नकद/पोस्टल ऑर्डर/डिमांड ड्राफ्ट के रूप में संलग्न)

अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 7(1) के अंतर्गत 30 दिनों के भीतर उपरोक्त जानकारी उपलब्ध कराने की कृपा करें।

दिनांक: [तारीख]
स्थान: [स्थान]

आवेदक
(हस्ताक्षर)
[पूरा नाम]
[पता]
[मोबाइल नंबर]


👉 यह RTI आप SP/SSP कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी (PIO) को संबोधित करेंगे।
👉 30 दिन के भीतर जवाब मिलना ही चाहिए। अगर नहीं मिलता तो आप पहली अपील (First Appeal – धारा 19(1)) कर सकते हैं।

   🔥🔥बहुत अच्छा सवाल 🙏

आपने सही पकड़ा कि अगर RTI आवेदन का जवाब नहीं मिलता या अधूरा/गलत जवाब मिलता है तो पहली अपील (First Appeal) – धारा 19(1), सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का सहारा लेना पड़ता है। चलिए इसे विस्तार से और आसान भाषा में समझते हैं 👇


पहली अपील (First Appeal) RTI में क्या होती है?

(1)😎परिभाषा

जब आप RTI एप्लीकेशन देते हैं तो लोक सूचना अधिकारी (PIO) को 30 दिनों के अंदर आपको जानकारी देनी होती है।

  • अगर 30 दिन में जवाब नहीं मिलता

  • या जवाब अधूरा/ग़लत/असंतोषजनक है
    तो आपको धारा 19(1) के अंतर्गत पहली अपील (First Appeal) करने का अधिकार है।


(2)😭पहली अपील कहाँ की जाती है?

  • पहली अपील उसी विभाग के अपीलीय प्राधिकारी (First Appellate Authority – FAA) के पास की जाती है।

  • हर सरकारी विभाग में PIO (लोक सूचना अधिकारी) और उसके ऊपर एक FAA (First Appellate Authority) नियुक्त होता है।

  • उदाहरण: अगर आपने पुलिस अधीक्षक कार्यालय (SP Office) को RTI दी थी, तो उसकी First Appellate Authority आमतौर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) या कोई अन्य उच्च अधिकारी होगा।

👉 FAA का नाम/पद प्रायः विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध होता है या आप PIO से पूछ सकते हैं।


(3)😭😭पहली अपील कब करनी चाहिए?

  • यदि 30 दिन में कोई जवाब नहीं मिला → 31वें दिन से अपील कर सकते हैं।

  • यदि जवाब मिला लेकिन संतोषजनक नहीं है → जवाब मिलने के 30 दिन के भीतर अपील करनी होगी।


(4)🙏🙏पहली अपील करने की प्रक्रिया

दस्तावेज़:

  1. पहली अपील का आवेदन पत्र (मैं नीचे ड्राफ्ट दे रहा हूँ)।

  2. आपकी RTI एप्लीकेशन की कॉपी।

  3. डाक/स्पीड पोस्ट/रसीद की कॉपी (जिससे साबित हो कि आपने RTI भेजी थी)।

  4. यदि PIO ने कोई जवाब दिया है तो उसकी कॉपी।

फीस:

  • अधिकांश राज्यों में पहली अपील पर कोई शुल्क नहीं होता

  • केवल मूल RTI एप्लीकेशन में ₹10 शुल्क लगता है।

जमा करने का तरीका:

  • हाथों-हाथ कार्यालय में जमा करें और रसीद लें।

  • या फिर स्पीड पोस्ट/रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजें।


(5)🙏पहली अपील का निपटारा

  • FAA को आपकी अपील पर 30 से 45 दिन के अंदर निर्णय देना अनिवार्य है।

  • FAA आदेश दे सकता है कि PIO आपको जानकारी दे, या यह कह सकता है कि PIO सही है।

👉 अगर FAA से भी उचित राहत नहीं मिलती तो आप दूसरी अपील (Second Appeal) राज्य सूचना आयोग या केंद्रीय सूचना आयोग में कर सकते हैं।


📌 पहली अपील का ड्राफ्ट (धारा 19(1) RTI Act, 2005)

सेवा में,
प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (First Appellate Authority),
[विभाग/कार्यालय का नाम],
[जिला/राज्य]

विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 19(1) के अंतर्गत प्रथम अपील

महोदय,

  1. मैंने दिनांक [RTI डालने की तारीख] को लोक सूचना अधिकारी, [विभाग का नाम] को RTI आवेदन दिया था।

  2. उक्त आवेदन का अभी तक कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है / अथवा प्राप्त उत्तर असंतोषजनक है।

  3. मेरे RTI आवेदन में मांगी गई जानकारी निम्नलिखित बिंदुओं पर थी:

    • [संक्षेप में लिखें, जैसे – मेरी मोटरसाइकिल/नाम किसी मुकदमे में शामिल है या नहीं, केस क्राइम नंबर आदि]

अतः निवेदन है कि:
माननीय अपीलीय प्राधिकारी कृपया इस अपील पर विचार कर संबंधित लोक सूचना अधिकारी को निर्देशित करें कि मांगी गई सही एवं पूर्ण जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 19(1) के अंतर्गत उपलब्ध कराई जाए।

संलग्नक:

  1. मूल RTI आवेदन की प्रति

  2. डाक/स्पीड पोस्ट की रसीद की प्रति

  3. प्राप्त उत्तर (यदि मिला हो) की प्रति

दिनांक: [तारीख]
स्थान: [स्थान]

अपीलकर्ता
(हस्ताक्षर)
[पूरा नाम]
[पता]
[मोबाइल नंबर]


👉 संक्षेप में:

  • RTI → 30 दिन → जवाब नहीं आया/गलत आया → पहली अपील FAA को

  • FAA → 30-45 दिन में फैसला → संतुष्ट नहीं हुए तो दूसरी अपील सूचना आयोग को


बिल्कुल 🙏👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️

अगर प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (FAA) भी सही जानकारी न दे या संतोषजनक आदेश न पारित करे, तो अंतिम उपाय होता है – दूसरी अपील (Second Appeal), जिसे आप सीधे राज्य सूचना आयोग (State Information Commission – SIC) या केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission – CIC) में दाखिल कर सकते हैं।


⚖️ RTI दूसरी अपील (Second Appeal) – विस्तार से जानकारी

(1)दूसरी अपील कब की जाती है?

  • पहली अपील (FAA) के आदेश मिलने के 90 दिनों के भीतर

  • यदि FAA ने 30-45 दिन में कोई आदेश ही नहीं दिया → तो समय सीमा FAA की डिफ़ॉल्ट चुप्पी से गिनी जाती है।


(2) दूसरी अपील कहाँ करनी होती है?👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️👷🏻‍♂️

  • यदि आपका RTI आवेदन राज्य सरकार/राज्य पुलिस विभाग से संबंधित है → राज्य सूचना आयोग (SIC)

  • यदि RTI आवेदन केंद्रीय विभाग/केंद्रीय एजेंसी से संबंधित है → केंद्रीय सूचना आयोग (CIC), नई दिल्ली


(3)आवश्यक दस्तावेज़👩🏻‍🎓👩🏻‍🎓👩🏻‍🎓👩🏻‍🎓

दूसरी अपील के साथ ये संलग्न करें:

  1. मूल RTI आवेदन की प्रति।

  2. PIO (लोक सूचना अधिकारी) को भेजे गए आवेदन का प्रूफ (डाक रसीद/ऑनलाइन रसीद)।

  3. PIO द्वारा दिया गया जवाब (यदि मिला हो)।

  4. पहली अपील (FAA) की कॉपी।

  5. FAA का आदेश (यदि मिला हो) या प्रमाण कि आदेश नहीं मिला।

  6. पहचान पत्र की कॉपी।


(4)दूसरी अपील का ड्राफ्ट (Ready-to-Use Format)🧑🏻🧑🏻🧑🏻🧑🏻

सेवा में,
माननीय सूचना आयुक्त,
[राज्य सूचना आयोग / केंद्रीय सूचना आयोग],
[पूरा पता]

विषय: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 19(3) के अंतर्गत दूसरी अपील

महोदय,

  1. मैं [पूरा नाम], पुत्र/पुत्री [पिता का नाम], निवासी [पूरा पता], इस अपील को प्रस्तुत कर रहा हूँ।

  2. मैंने दिनांक [RTI की तारीख] को लोक सूचना अधिकारी, [विभाग/कार्यालय का नाम] को RTI आवेदन दिया था।

  3. 30 दिन की समयसीमा पूरी होने के बाद भी मुझे मांगी गई सूचना नहीं दी गई / अथवा दी गई सूचना अधूरी/ग़लत/असंतोषजनक थी।

  4. इसके पश्चात मैंने दिनांक [पहली अपील की तारीख] को प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (FAA) के समक्ष अपील दायर की थी।

  5. FAA ने दिनांक [तारीख] को आदेश पारित किया / अथवा कोई आदेश पारित नहीं किया।

  6. FAA का आदेश भी असंतोषजनक है और मांगी गई सही सूचना अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई है।

अतः प्रार्थना है कि:
माननीय आयोग कृपया सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 19(3) के अंतर्गत इस दूसरी अपील को स्वीकार कर संबंधित लोक सूचना अधिकारी को निर्देशित करें कि मांगी गई पूरी एवं सही सूचना शीघ्र उपलब्ध कराई जाए।

संलग्नक:

  1. मूल RTI आवेदन की प्रति

  2. डाक/ऑनलाइन रसीद की प्रति

  3. PIO का उत्तर (यदि कोई मिला हो)

  4. पहली अपील की प्रति

  5. FAA का आदेश / या आदेश न मिलने का विवरण

  6. पहचान पत्र की प्रति

दिनांक: [तारीख]
स्थान: [स्थान]

अपीलकर्ता
(हस्ताक्षर)
[पूरा नाम]
[पता]
[मोबाइल नंबर]


(5)आयोग का अधिकार🧑🏻‍⚖️🧑🏻‍⚖️🧑🏻‍⚖️🧑🏻‍⚖️

  • आयोग संबंधित विभाग पर जुर्माना (₹250 प्रतिदिन, अधिकतम ₹25,000 तक) लगा सकता है।

  • विभाग को आदेश देकर सही जानकारी दिलवा सकता है।

  • जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश कर सकता है।


👉 यानी RTI की “तीन सीढ़ियाँ” इस तरह हैं:

  1. RTI आवेदन → PIO

  2. पहली अपील → FAA (30 दिन में)

  3. दूसरी अपील → सूचना आयोग (90 दिन में)




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