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IPC की नई धारा और BNS धारा 304: झपटमारी की परिभाषा, दंड और उदाहरण की पूरी जानकारी

IPC की नई धारा और BNS की धारा 304: झपटमारी के खिलाफ नया कानूनी प्रावधान

भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) में समय-समय पर बदलाव और नए प्रावधानों को शामिल किया जाता रहा है, ताकि कानून को अधिक प्रभावी और सामाजिक समस्याओं के समाधान में सक्षम बनाया जा सके। इसी क्रम में, झपटमारी (Snatching) के बढ़ते मामलों को देखते हुए, इसे स्पष्ट रूप से अपराध के रूप में परिभाषित करने और इसके लिए सख्त दंड निर्धारित करने के लिए IPC में एक नई धारा जोड़ी गई है, जिसे अब BNS की धारा 304 के तहत समाहित किया गया है। इस लेख में हम इन दोनों प्रावधानों को विस्तार से समझेंगे।


IPC में झपटमारी: नया प्रावधान

पहले IPC में झपटमारी के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं था। इस अपराध को चोरी या डकैती के रूप में देखा जाता था, लेकिन इसकी गंभीरता को ठीक से संबोधित नहीं किया गया था। झपटमारी जैसे अपराध में अक्सर चोरी के साथ हिंसा या धमकी भी शामिल होती है, जो इसे साधारण चोरी से अलग और अधिक गंभीर बनाती है।

IPC की नई धारा में झपटमारी की परिभाषा:

“झपटमारी वह अपराध है, जिसमें कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की चल संपत्ति को उसकी अनुमति के बिना, बल प्रयोग, हिंसा, या अचानक छीना-झपटी के माध्यम से प्राप्त करता है।”

दंड का प्रावधान:

IPC की इस नई धारा के अंतर्गत झपटमारी के लिए 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

उदाहरण:

  1. एक व्यक्ति सड़क पर चलते समय किसी अन्य व्यक्ति के हाथ से मोबाइल छीन लेता है।
  2. किसी महिला के गले से चेन खींचकर भाग जाना।

BNS की धारा 304: झपटमारी का विस्तार और कठोर दंड

भारतीय न्याय संहिता (BNS) ने IPC के नए प्रावधान को अपने ढांचे में धारा 304 के रूप में शामिल किया है। इसमें झपटमारी के अपराध को न केवल परिभाषित किया गया है, बल्कि इसके लिए सख्त दंड और विशेष परिस्थितियों को भी शामिल किया गया है।

धारा 304 की परिभाषा:

“यदि कोई व्यक्ति झपटमारी का अपराध करता है, जिसमें संपत्ति छीनने के साथ हिंसा, चोट, या डराने-धमकाने का प्रयोग होता है, तो इसे झपटमारी के अपराध के रूप में माना जाएगा।”

दंड का प्रावधान:

  1. सामान्य झपटमारी: 3 से 7 साल की कैद और जुर्माना।
  2. गंभीर झपटमारी:
    • यदि अपराध में चोट लगती है, तो सजा 10 साल तक बढ़ सकती है।
    • यदि यह अपराध बच्चों, बुजुर्गों, या महिलाओं के खिलाफ किया गया है, तो सजा और कठोर होगी।

उदाहरण:

  1. एक व्यक्ति ने महिला के बैग को अचानक खींच लिया, जिससे महिला गिर गई और उसे चोट लगी।
  2. किसी बच्चे से उसका कीमती खिलौना या मोबाइल फोन जबरन छीन लेना।

IPC और BNS की धाराओं में अंतर

पहलू IPC की नई धारा BNS की धारा 304
परिभाषा सामान्य रूप से झपटमारी को शामिल करता है। झपटमारी के विशेष और गंभीर मामलों को कवर करता है।
दंड का प्रावधान 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना। 3 से 10 साल तक की सजा, चोट या विशेष परिस्थितियों में सख्त दंड।
सुरक्षा का दायरा झपटमारी को अलग अपराध मानता है। विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षा प्रदान करता है।

झपटमारी के दुष्प्रभाव और इसका समाधान

दुष्प्रभाव:

  • झपटमारी न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाती है, बल्कि पीड़ित को मानसिक और शारीरिक चोट भी पहुंचा सकती है।
  • इससे समाज में असुरक्षा की भावना बढ़ती है।

समाधान:

  • सख्त कानूनी प्रावधान जैसे कि BNS की धारा 304।
  • सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाना।
  • जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को सतर्क बनाना।

निष्कर्ष

IPC में झपटमारी के लिए नया प्रावधान और BNS की धारा 304 समाज में बढ़ते इस अपराध पर रोक लगाने के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। यह कानून न केवल अपराधियों के लिए सख्त संदेश देता है, बल्कि पीड़ितों को न्याय दिलाने और समाज में सुरक्षा की भावना बढ़ाने में भी मदद करता है।

झपटमारी के अपराध को रोकने के लिए कानून और जागरूकता दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
"क्या झपटमारी के मामलों को इन नए प्रावधानों से कम किया जा सकता है?" यह प्रश्न समय के साथ ही स्पष्ट होगा, लेकिन इतना निश्चित है कि यह कानून अपराधियों पर लगाम कसने में अहम भूमिका निभाएगा।

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