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दलित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की अमानवीय घटना कारित करने वाले व्यक्तियों को सजा कैसे दिलायें ?

IPC की धारा 354-घ और BNS की धारा 78: महिलाओं का पीछा करने और साइबर स्टॉकिंग पर सख्त कानून की पूरी जानकारी

IPC की धारा 354-घ और BNS की धारा 78: महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा के लिए कानून की पूरी जानकारी

भारतीय न्याय व्यवस्था ने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके प्रति अपराधों को रोकने के लिए अनेक सख्त कानून बनाए हैं। IPC की धारा 354-घ, जो महिलाओं की गरिमा के खिलाफ किए गए गंभीर अपराधों से संबंधित है, अब नए कानून में BNS (भारतीय न्याय संहिता) की धारा 78 बन चुकी है। इस लेख में हम इन दोनों धाराओं को विस्तार से समझेंगे और उदाहरणों के माध्यम से उनके प्रभाव और उपयोग को स्पष्ट करेंगे।

IPC की धारा 354-घ: परिचय

परिभाषा:→
•IPC की धारा 354-घ के अंतर्गत ऐसा कोई भी कृत्य आता है जो महिला का पीछा करने (stalking) से संबंधित हो।

•यह धारा उन अपराधियों पर लागू होती है जो किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध उसका पीछा करते हैं, उसकी निगरानी करते हैं, या उसे बार-बार संपर्क करने की कोशिश करते हैं।

•इसमें ऑनलाइन स्टॉकिंग (cyberstalking) भी शामिल है, जैसे सोशल मीडिया पर महिला को परेशान करना।

दंड:→
इस अपराध के लिए पहली बार दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। अगर अपराधी इसे दोहराता है, तो सजा 5 साल तक बढ़ सकती है।

महत्व:→
यह धारा महिलाओं को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाई गई थी, विशेषकर उन मामलों में जहां वे सार्वजनिक या निजी रूप से असुरक्षित महसूस करती हैं।

BNS की धारा 78: नया कानून

2023 में भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत IPC की धारा 354-घ को BNS की धारा 78 के रूप में शामिल किया गया।
विशेषताएं:→

•इसमें पीछा करने और उत्पीड़न के बढ़ते मामलों, खासकर डिजिटल माध्यमों पर, को ध्यान में रखते हुए अधिक कठोर प्रावधान जोड़े गए हैं।

•महिलाओं की निजता और स्वतंत्रता को और अधिक प्रभावी रूप से संरक्षित करने के लिए इस धारा को सख्त बनाया गया है।

•इसे गैर-जमानती अपराध के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

दंड:→

•पहली बार अपराध के लिए 3 साल तक की सजा और जुर्माना।

•दोबारा अपराध करने पर 5 साल तक की सजा और जुर्माना।

उदाहरणों के माध्यम से समझें

उदाहरण 1:→
•एक व्यक्ति किसी महिला का बार-बार ऑफिस या घर तक पीछा करता है, जबकि महिला ने उसे ऐसा न करने को कहा है।

•यह मामला IPC की धारा 354-घ (अब BNS की धारा 78) के तहत आएगा।

•अपराधी को पुलिस में शिकायत दर्ज कराने पर सजा का सामना करना पड़ेगा।

उदाहरण 2:→
•सोशल मीडिया पर कोई व्यक्ति बार-बार एक महिला को संदेश भेजता है, उसकी तस्वीरें डाउनलोड करता है, और बिना सहमति के उन्हें शेयर करता है।

•यह साइबर स्टॉकिंग है और इस धारा के अंतर्गत गंभीर अपराध माना जाएगा।

उदाहरण 3:→
•एक महिला के पड़ोस का व्यक्ति उसकी हर गतिविधि पर नजर रखता है, जैसे कि वह कब घर से बाहर जाती है या कब लौटती है, और फिर उससे जबरदस्ती बात करने की कोशिश करता है।

•यह भी इस धारा के तहत अपराध होगा।

कानून का महत्व और प्रभाव

महिलाओं की स्वतंत्रता का संरक्षण:→
यह कानून महिलाओं को मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न से बचाने में मदद करता है, जिससे वे बिना किसी भय के अपनी जिंदगी जी सकें।

साइबर अपराधों पर नियंत्रण:→
डिजिटल युग में महिलाओं को ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। यह धारा ऐसे अपराधों पर रोक लगाती है।

आरोपियों को सख्त सजा:→
कठोर दंड के प्रावधान से अपराधियों को यह संदेश मिलता है कि महिलाओं की गरिमा और स्वतंत्रता का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कानून के प्रति जागरूकता क्यों जरूरी है?

इस धारा के तहत महिलाएं कानूनी मदद लेकर अपने उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठा सकती हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वे इस कानून के प्रावधानों और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों।

निष्कर्ष:→

IPC की धारा 354-घ और BNS की धारा 78 महिलाओं की गरिमा और उनकी सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए एक प्रभावी कदम है। यह कानून न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक उत्पीड़न से भी उनकी रक्षा करता है। हर महिला को इसके बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि वे बिना किसी डर के अपना जीवन जी सकें।

"महिलाओं की सुरक्षा केवल एक कानूनी प्रावधान नहीं, बल्कि समाज का नैतिक दायित्व है।"

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