IPC की धारा 354-ग और BNS की धारा 77: महिलाओं की निजता की रक्षा हेतु कानून की पूरी जानकारी→
भारतीय दंड संहिता (IPC) और इसके नए संस्करण, भारतीय न्याय संहिता (BNS) में महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। IPC की धारा 354-ग, जो महिलाओं की निजता और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए थी, अब नए कानून में BNS की धारा 77 बन चुकी है। इस लेख में, हम इन दोनों धाराओं को विस्तार से समझेंगे और उदाहरणों के माध्यम से इनके महत्व को स्पष्ट करेंगे।
IPC की धारा 354-ग: परिचय
परिभाषा:→
IPC की धारा 354-ग महिलाओं के प्रति ऐसा व्यवहार करने वाले अपराधियों के खिलाफ थी जो किसी महिला की निजता का उल्लंघन करते हैं, जैसे उसकी बिना सहमति तस्वीर लेना, उसे देखने के लिए किसी गुप्त स्थान का उपयोग करना, या उसकी सहमति के बिना वीडियो बनाना।
दंड:→
यह धारा महिलाओं की निजता पर अतिक्रमण करने वाले अपराधियों को रोकने के लिए सख्त सजा का प्रावधान करती थी। दोषी पाए जाने पर 1 से 3 साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता था।
महत्व:→
यह धारा महिलाओं की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और उनकी गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई थी।
BNS की धारा 77: नया कानून
भारतीय न्याय संहिता (BNS) में संशोधन के बाद IPC की धारा 354-ग को BNS की धारा 77 के रूप में शामिल किया गया है।
नए कानून की विशेषताएं:→
•इस धारा में महिलाओं की निजता भंग करने के अपराध को और अधिक कठोरता से लिया गया है।
•प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया के बढ़ते दुरुपयोग को ध्यान में रखते हुए इसके प्रावधानों को और अधिक प्रभावी बनाया गया है।
•यह अपराध गैर-जमानती और गंभीर श्रेणी में रखा गया है।
दंड:→
BNS की धारा 77 के तहत, अपराधी को 1 से 5 साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।
उदाहरणों के माध्यम से समझें
उदाहरण 1:→
•किसी महिला का सहमति के बिना मोबाइल फोन से वीडियो बनाना या उसकी तस्वीर खींचकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना।
•यह अपराध IPC की धारा 354-ग (अब BNS की धारा 77) के तहत आता है।
•दोषी को सजा और जुर्माना दोनों का सामना करना पड़ेगा।
उदाहरण 2:→
•किसी सार्वजनिक स्थान, जैसे शॉपिंग मॉल या सार्वजनिक शौचालय, में गुप्त कैमरा लगाकर महिलाओं की निजता भंग करना।
•यह गंभीर अपराध है और दोषी को न्यूनतम 3 साल की सजा हो सकती है।
उदाहरण 3:→
अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की तस्वीरों को फोटोशॉप के जरिए आपत्तिजनक स्थिति में बदलकर उन्हें फैलाता है।
यह भी इसी धारा के अंतर्गत अपराध माना जाएगा और आरोपी को सख्त सजा दी जाएगी।
निजता की रक्षा:→
महिलाओं की निजता और सम्मान सुनिश्चित करने में इन धाराओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
तकनीकी अपराधों पर नियंत्रण:→
सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से महिलाओं को परेशान करने वाले अपराधों पर यह कानून प्रभावी रूप से रोक लगाता है।
सख्त दंड का प्रावधान:→
कठोर दंड के प्रावधान से अपराधियों को कड़ा संदेश जाता है कि महिलाओं की निजता भंग करना एक गंभीर अपराध है।
कानून के प्रति जागरूकता क्यों जरूरी है?
महिलाओं के अधिकारों और इन धाराओं के बारे में जानकारी का होना आवश्यक है। यह न केवल महिलाओं को सशक्त बनाता है बल्कि समाज में उनके प्रति हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ने की ताकत भी देता है।
निष्कर्ष:→
IPC की धारा 354-ग और BNS की धारा 77 महिलाओं की निजता और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करते हैं। यह कानून केवल कागज पर नहीं बल्कि वास्तविकता में महिलाओं को सुरक्षा और न्याय देने का एक प्रयास है।
"महिलाओं की निजता का सम्मान करना समाज का कर्तव्य है, और इसे भंग करने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।"
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