IPC की धारा 328 और BNS की धारा 123:→
जहर देना और उसके कानूनी प्रावधान→
भारत में जब किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य या जीवन को नुकसान पहुंचाने के लिए जहर या विषैले पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है, तो यह एक गंभीर अपराध माना जाता है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 328 और उसके बाद भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 123 ने ऐसे अपराधों को रोकने और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का प्रावधान किया है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम IPC की धारा 328 और BNS की धारा 123 के बीच के अंतर को समझेंगे और उन अपराधों के कानूनी पहलुओं पर चर्चा करेंगे, जिसमें किसी व्यक्ति को जहर देकर नुकसान पहुंचाया जाता है।
IPC की धारा 328: जहर देना→
IPC की धारा 328 के तहत, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को जहर देता है या किसी ऐसे पदार्थ को देता है जो उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो, तो यह अपराध माना जाता है। इस धारा के तहत आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है और उसे सजा का प्रावधान किया जाता है। इस धारा का उद्देश्य समाज में जहर से होने वाले अपराधों पर काबू पाना है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
IPC की धारा 328 के अंतर्गत सजा का प्रावधान:→
• यदि किसी व्यक्ति को जहर दिया जाता है और उससे उसकी मृत्यु नहीं होती, तो अपराधी को 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
• अगर जहर देने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो आरोपी को उम्रभर की सजा या मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है।
•यह अपराध गैर-ज़मानती होता है, जिसका मतलब है कि आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है।
BNS की धारा 123: जहर देने का नया कानूनी प्रावधान→
भारत में दंड प्रक्रिया में समय-समय पर बदलाव किए जाते हैं ताकि अपराधों को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सके। IPC की धारा 328 को भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत धारा 123 के रूप में बदल दिया गया है, जो जहर देने के अपराध को और अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित करती है। BNS की धारा 123 में जहर देने के मामलों में कड़ी सजा और दंड का प्रावधान किया गया है, जिससे अपराधियों को कड़ा संदेश दिया गया है।
BNS की धारा 123 के अंतर्गत सजा का प्रावधान:→
•इस धारा के तहत, यदि किसी व्यक्ति को जहर दिया जाता है और उसे गंभीर नुकसान पहुंचता है, तो आरोपी को 5 से 7 साल तक की सजा हो सकती है।
•अगर जहर देने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो आरोपी को उम्रभर की सजा और जुर्माना दिया जा सकता है।
•जहर देने के मामलों में आरोपी को कड़ी सजा और जल्दी न्याय दिलाने के लिए अदालतों को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं।
IPC की धारा 328 और BNS की धारा 123 के बीच अंतर→
जब IPC की धारा 328 और BNS की धारा 123 की तुलना की जाती है, तो दोनों में मूल रूप से जहर देने के अपराधों को रोकने और अपराधियों को सजा देने के लिए प्रावधान किए गए हैं। हालांकि, BNS की धारा 123 में अपराध की गंभीरता के आधार पर अधिक सजा और दंड का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, BNS में न्याय की प्रक्रिया को त्वरित और प्रभावी बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।
•IPC की धारा 328→ में जुर्माना और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान था।
•BNS की धारा 123→ में अब सजा की अवधि बढ़ा दी गई है और इसे अधिक सख्त किया गया है।
जहर देने के अपराध के कुछ उदाहरण→
1. उदाहरण 1: घरेलू विवाद में जहर देना→
एक महिला अपने पति से घरेलू विवाद के बाद गुस्से में आकर उसे जहर दे देती है। परिणामस्वरूप, पति की हालत गंभीर हो जाती है, लेकिन उसकी जान बच जाती है। इस मामले में आरोपी महिला को BNS की धारा 123 के तहत सजा मिल सकती है, क्योंकि उसने जानबूझकर जहर दिया।
2. उदाहरण 2: व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में जहर देना→
एक व्यापारी अपने प्रतिस्पर्धी को जहर देने की कोशिश करता है ताकि उसे नुकसान पहुंचे। व्यापारी ने अपने प्रतिस्पर्धी के खाने में जहर मिलाकर उसे नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। इस मामले में आरोपी व्यापारी को IPC की धारा 328 या BNS की धारा 123 के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।
3. उदाहरण 3: प्रेम संबंध में जहर देना→
एक युवक अपने प्रेमिका को धोखा देने के बाद उसे जहर देता है ताकि वह शारीरिक रूप से कमजोर हो जाए। महिला की हालत गंभीर हो जाती है, लेकिन उसकी जान बच जाती है। ऐसे मामले में आरोपी युवक को सख्त सजा मिल सकती है।
4. उदाहरण 4: अपहरण के बाद जहर देना→
किसी अपहृत व्यक्ति को उसकी इच्छाओं के खिलाफ जहर दिया जाता है, जिससे उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हो जाता है। इस मामले में आरोपी को BNS की धारा 123 के तहत कड़ी सजा दी जाएगी।
निष्कर्ष:→
IPC की धारा 328 और BNS की धारा 123 में जहर देने के अपराधों पर सख्त कानूनी प्रावधान किए गए हैं ताकि समाज में इस प्रकार के अपराधों पर नियंत्रण पाया जा सके। इन धाराओं के तहत दोषियों को कठोर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है, ताकि अपराधियों को चेतावनी मिले और समाज में इस प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें। BNS की धारा 123 के द्वारा अपराधियों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान करके न्याय व्यवस्था को और अधिक मजबूत किया गया है।
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