IPC की धारा 326 और BNS की धारा 118(2):→
गंभीर हमले और सजा का पूरा विश्लेषण→
भारतीय कानून में समय के साथ बदलाव किए जाते रहे हैं ताकि कानून वर्तमान समय के अनुसार प्रासंगिक बना रहे। हाल ही में, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 326, जो खतरनाक हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाने से संबंधित थी, अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) में धारा 118(2) के रूप में लागू की गई है। IPC की धारा 326 और BNS की धारा 118(2) दोनों ही ऐसे अपराधों के लिए बनाई गई हैं जिनमें किसी व्यक्ति को खतरनाक हथियार या पदार्थ के उपयोग से गंभीर चोट पहुँचाई जाती है। आइए इन दोनों धाराओं को विस्तार से समझते हैं और इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करते हैं।
IPC की धारा 326 क्या थी?
IPC की धारा 326 के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति द्वारा खतरनाक हथियार या पदार्थ का प्रयोग कर दूसरे व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाने पर सजा का प्रावधान था। इसमें उस स्थिति को शामिल किया गया है जहाँ चोट जानबूझकर और गंभीर रूप से दी जाती है, और इसके लिए खतरनाक हथियारों का उपयोग किया गया हो, जैसे:→
•चाकू, तलवार, बंदूक जैसे हथियार
•तेजाब, विष या अन्य खतरनाक पदार्थ
IPC की धारा 326 के अंतर्गत सजा का प्रावधान:→
• दोषी को उम्रकैद तक की सजा, 10 साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों हो सकते थे।
• यह धारा गैर-ज़मानती और संज्ञेय है, जिससे पुलिस को तुरंत कार्रवाई का अधिकार मिलता था।
IPC की धारा 326 से BNS की धारा 118(2) में बदलाव:→
कानूनी प्रक्रिया को सरल और सशक्त बनाने के लिए अब IPC की धारा 326 को BNS की धारा 118(2) में समाहित किया गया है। BNS की धारा 118(2) भी उन मामलों को कवर करती है जहाँ जानबूझकर खतरनाक हथियार या पदार्थ से किसी को गंभीर चोट पहुँचाई गई हो।
BNS की धारा 118(2) के तहत सजा:→
• दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को उम्रकैद तक की सजा, 10 साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है।
•यह धारा भी गैर-ज़मानती और संज्ञेय है, जिससे पुलिस आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर सकती है।
IPC की धारा 326 और BNS की धारा 118(2) के अंतर्गत गंभीर चोट की परिभाषा:→
इन धाराओं के अंतर्गत "गंभीर चोट" का अर्थ है किसी व्यक्ति को ऐसा नुकसान पहुँचाना जिससे उसे शारीरिक और मानसिक रूप से दीर्घकालिक असर हो। इसमें अस्थाई या स्थाई रूप से अंग-भंग करना, किसी अंग का काम न करना, या चेहरे पर ऐसा निशान छोड़ना शामिल है, जो व्यक्ति को लंबे समय तक प्रभावित करे।
उदाहरणों से समझें:→
1. उदाहरण 1: तेजाब से हमला→
मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने निजी दुश्मनी के चलते दूसरे व्यक्ति पर तेजाब फेंक दिया, जिससे उसका चेहरा और शरीर बुरी तरह जल गया। यह हमला जानबूझकर और खतरनाक पदार्थ (तेजाब) का उपयोग करके किया गया है, इसलिए यह BNS की धारा 118(2) के तहत आता है। इस मामले में दोषी को उम्रकैद, दस साल तक की जेल, और जुर्माने की सजा मिल सकती है।
2. उदाहरण 2: तलवार से हमला करना→
एक व्यक्ति ने गुस्से में आकर दूसरे व्यक्ति पर तलवार से हमला किया, जिससे उसकी एक हाथ की हड्डी टूट गई और उसे कई महीनों तक अस्पताल में रहना पड़ा। तलवार का प्रयोग एक खतरनाक हथियार के रूप में किया गया था, और इस हमले में गंभीर चोट दी गई थी। ऐसे में आरोपी पर BNS की धारा 118(2) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और दोषी पाए जाने पर उसे सजा का प्रावधान है।
3. उदाहरण 3: बंदूक से गोली मारना→
किसी ने पारिवारिक विवाद के कारण दूसरे व्यक्ति पर गोली चला दी, जिससे उसे गंभीर चोट लगी और उसका एक अंग हमेशा के लिए कमजोर हो गया। गोलीबारी के मामले में यह गंभीर चोट का मामला है और इसमें BNS की धारा 118(2) का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर सख्त सजा दी जा सकती है।
4. उदाहरण 4: विष देकर हमला करना→
मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने दूसरे को विष देकर मारने की कोशिश की, लेकिन पीड़ित व्यक्ति को समय पर अस्पताल ले जाया गया और उसकी जान बच गई। इस मामले में भी विष एक खतरनाक पदार्थ है, और इसे BNS की धारा 118(2) के अंतर्गत दर्ज किया जाएगा, क्योंकि जानबूझकर गंभीर चोट पहुँचाने का प्रयास किया गया है।
5. उदाहरण 5: लोहे की रॉड से सिर पर हमला:→
झगड़े के दौरान एक व्यक्ति ने लोहे की रॉड से दूसरे व्यक्ति के सिर पर हमला किया, जिससे उसे गहरी चोट आई और वह कुछ समय के लिए अचेत हो गया। इस स्थिति में लोहे की रॉड का उपयोग खतरनाक हथियार के रूप में किया गया था और इस मामले में भी BNS की धारा 118(2) लागू होगी।
निष्कर्ष:→
BNS की धारा 118(2) और IPC की धारा 326 के अंतर्गत उन्हीं अपराधों को लाया गया है जिनमें खतरनाक हथियारों या पदार्थों के माध्यम से किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाई गई हो। IPC की धारा 326 में जो प्रावधान थे, वे ही लगभग BNS की धारा 118(2) में भी बनाए गए हैं, ताकि दोषियों को कड़ी सजा दी जा सके और समाज में कानून का भय बना रहे।
इन धाराओं के अंतर्गत अपराधी को सख्त सजा का प्रावधान है, जो समाज में यह संदेश देता है कि किसी भी प्रकार का हिंसक हमला या जानलेवा हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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