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भारत में विधिक व्यवसाय का विकास का इतिहास क्या है ? इस पर चर्चा।

विदेशों में भारतीय कानून: IPC, UAPA, और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत भारतीय अधिकार क्षेत्र की समझ

भारतीय कानून के कुछ प्रावधान अन्य देशों में भी लागू हो सकते हैं, खासकर जब भारतीय नागरिक या भारत के हितों को विदेश में नुकसान पहुँचाने वाले अपराधों की बात होती है। इस पोस्ट में, भारतीय दंड संहिता (IPC) और अन्य प्रमुख कानूनों के आधार पर इसे समझाया गया है।

1. अतिरिक्त क्षेत्राधिकार (Section 4, IPC)

(i) विदेश में भारतीय नागरिकों द्वारा किए गए अपराध: →
भारतीय दंड संहिता की धारा 4(1) के तहत, भारतीय नागरिकों द्वारा विदेश में किए गए अपराधों पर भी भारतीय कानून लागू होता है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में रहते हुए अपराध करता है, तो उसे भारतीय न्यायालयों में सजा हो सकती है।

उदाहरण: अगर कोई भारतीय नागरिक विदेश में साइबर अपराध करता है, जैसे कि ऑनलाइन धोखाधड़ी या हैकिंग, तो उसे भारतीय कानून के तहत दंडित किया जा सकता है।  

(ii) विदेशी नागरिकों द्वारा भारत को प्रभावित करने वाले अपराध: →
भारतीय दंड संहिता की धारा 4(2) के तहत, यदि कोई विदेशी व्यक्ति विदेश में रहकर ऐसा अपराध करता है जो भारत के खिलाफ हो या भारत के हितों को नुकसान पहुंचाता हो, तो भारतीय कानून उस पर लागू हो सकता है।

उदाहरण: यदि किसी विदेशी हैकर ने भारतीय वेबसाइटों पर साइबर हमला किया, तो भारतीय कानून के तहत उसे दोषी ठहराया जा सकता है।

2. अंतरराष्ट्रीय संधियाँ और समझौते →

प्रत्यर्पण संधियाँ: →
भारत ने विभिन्न देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियाँ की हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय अपराधियों को भारत लाने का रास्ता खुल जाता है। इन संधियों के तहत, कोई अपराधी जो भारत में अपराध करके भाग गया हो, उसे दूसरे देश से वापस लाया जा सकता है और भारतीय कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।

उदाहरण: → विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे मामलों में, भारत इन भगोड़े अपराधियों को प्रत्यर्पण संधियों के जरिए वापस लाने की कोशिश करता रहा है।

 साइबर अपराध और वैश्विक व्यापार: →
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act, 2000) के तहत, यदि कोई विदेशी व्यक्ति या कंपनी भारतीय साइबर स्पेस में अपराध करता है, तो भारतीय कानून उन पर लागू हो सकता है।

उदाहरण: अगर कोई विदेशी कंपनी भारतीय यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी चुराती है, तो भारतीय IT Act के तहत उस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

3. आतंकवाद-विरोधी कानून (UAPA)

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद: →
भारत के गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 3 के तहत, अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी गतिविधियों पर भी कार्रवाई की जा सकती है, अगर उनका असर भारत की सुरक्षा पर हो।

उदाहरण:  → अगर कोई विदेशी आतंकवादी संगठन भारत में आतंकी हमलों की योजना बनाता है, तो UAPA के तहत उस संगठन और उसके सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

4. अंतरराष्ट्रीय समझौते और नियम →

कुछ मामलों में, जब भारत और किसी अन्य देश या अंतरराष्ट्रीय संगठन के बीच कोई समझौता होता है, तो भारत उस समझौते के तहत कुछ विशेष कानूनों का पालन करने के लिए बाध्य हो सकता है। 

उदाहरण:  →  विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियम या पेरिस जलवायु समझौता, जिनके तहत भारत को अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करना पड़ता है।

अन्य देशों के कानून भारत पर लागू क्यों नहीं होते?

संप्रभुता (Sovereignty): →
हर देश की अपनी संप्रभुता होती है, जिसका मतलब है कि उसका कानून उसके अपने क्षेत्र में ही लागू होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 245 के तहत, भारत का कानून भारत की सीमाओं के भीतर ही लागू होता है, और किसी अन्य देश का कानून भारत पर लागू नहीं होता जब तक कि किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत ऐसा न हो।

उदाहरण: →
अमेरिकी कानून भारत में सीधे लागू नहीं होते, क्योंकि भारतीय संविधान के तहत भारत संप्रभु है और अपने क्षेत्र में अपने कानून लागू करता है। केवल तभी विदेशी कानून भारत पर लागू हो सकते हैं जब भारत ने किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हों।

निष्कर्ष: →
भारतीय कानून भारतीय नागरिकों और भारतीय हितों को विदेश में भी सुरक्षा प्रदान करता है, और यह संधियों और समझौतों के आधार पर दूसरे देशों के साथ भी काम करता है। इसके विपरीत, अन्य देशों के कानून तब तक भारत पर लागू नहीं होते जब तक भारत ने किसी विशेष अंतरराष्ट्रीय समझौते पर सहमति न दी हो।

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