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भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

भारत में पोर्न देखने का कानून: जानिए क्या है कानूनी स्थिति और प्रमुख मामले

भारत में पोर्न देखना एक जटिल कानूनी मामला है। कानून में इसे लेकर स्पष्टता न होने के कारण अक्सर भ्रम बना रहता है। यहाँ इस विषय की कानूनी स्थिति और उससे जुड़े उदाहरणों को विस्तार से समझाया गया है।

1. भारतीय कानून में पोर्न देखना और उसका प्रसारण:→
   •व्यक्तिगत रूप से पोर्न देखना:→ भारत में किसी भी व्यक्ति द्वारा निजी रूप से (अपने व्यक्तिगत उपकरणों पर) पोर्न देखना सीधे तौर पर गैर कानूनी नहीं है। यानी, यदि कोई व्यक्ति अपने व्यक्तिगत रूप से पोर्न देख रहा है, तो इसे अपराध नहीं माना गया है। 
   •पोर्न का प्रसारण और वितरण:→ भारत में पोर्नोग्राफी को बनाने, वितरित करने, प्रसारित करने, या सार्वजनिक रूप से दिखाने पर पाबंदी है। भारतीय कानून के तहत अश्लील सामग्रियों का निर्माण, वितरण या सार्वजनिक प्रसारण एक दंडनीय अपराध है। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 292, 293, और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 और 67A इसके लिए कानूनी प्रावधान हैं।

2. आईटी एक्ट, 2000 और धारा 67A:→
   •धारा 67 और 67A:→ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 और 67A के तहत अश्लील सामग्री का प्रसारण या प्रकाशन अपराध है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति अश्लील सामग्री को सोशल मीडिया, वेबसाइट, या अन्य डिजिटल प्लेटफार्मों पर शेयर करता है, तो उसे दंड मिल सकता है। 
   •सजा:→ धारा 67A के अंतर्गत पहली बार अपराध करने पर 5 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। यदि अपराध दोबारा किया जाता है, तो सजा 7 साल तक की हो सकती है।

3. बाल अश्लीलता (Child Pornography) पर सख्त पाबंदी:→
   •भारत में बाल अश्लीलता (Child Pornography) को लेकर बेहद सख्त कानून हैं। पोक्सो एक्ट (POCSO •Protection of Children from Sexual Offenses Act) और आईटी एक्ट के तहत बाल अश्लीलता का निर्माण, वितरण, देखना या प्रसारण गंभीर अपराध है। बाल अश्लीलता से संबंधित सामग्री रखने पर भी सख्त सजा का प्रावधान है।
   •सजा:→ इसके लिए दोषी को 5 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा हो सकती है।

4. भारत में पोर्न देखना और सुप्रीम कोर्ट के फैसले:→
   •2015 में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत रूप से पोर्न देखना किसी व्यक्ति की निजता का मामला है और इसे अपराध नहीं माना जाएगा। कोर्ट का मानना था कि जब तक यह व्यक्तिगत सीमाओं के भीतर हो, तब तक इसे गैर कानूनी नहीं ठहराया जा सकता।
   •इसके बावजूद, अदालत ने बाल अश्लीलता, हिंसा, और अनैतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली अश्लील सामग्री पर पाबंदी लगाई। 

5. कुछ प्रमुख उदाहरण और मामले:→
   2017 का रोहित मलिक केस:→ इस केस में एक व्यक्ति ने पोर्न साइट पर बाल अश्लीलता की सामग्री अपलोड की थी। इस पर उसे आईटी एक्ट और पोक्सो एक्ट के तहत सजा दी गई। इस मामले ने स्पष्ट किया कि भारत में बाल अश्लीलता को लेकर सख्त नियम हैं।
   2008 का इंडियन पोर्न बैन केस:→ इस मामले में भारत सरकार ने कई पोर्न साइट्स को ब्लॉक किया था। सरकार ने दावा किया कि ये साइटें अश्लील सामग्री फैला रही थीं और इस पर पाबंदी लगाई गई। लेकिन यह प्रतिबंध केवल सार्वजनिक रूप से प्रसारण और वितरण को लेकर था, व्यक्तिगत रूप से देखने पर नहीं।

6. वर्तमान स्थिति और इंटरनेट सेंसरशिप:→
   इंटरनेट सेंसरशिप:→ भारत में सरकार समय-समय पर कई पोर्न साइट्स को ब्लॉक करती रहती है। खासकर उन साइट्स पर प्रतिबंध लगाया जाता है जो अवैध सामग्री जैसे बाल अश्लीलता या हिंसात्मक सामग्री को बढ़ावा देती हैं।
   प्राइवेसी का अधिकार:→ सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में निजता का अधिकार (Right to Privacy) को मौलिक अधिकार माना है। इस निर्णय का यह मतलब है कि व्यक्ति को निजी तौर पर पोर्न देखने की आजादी दी गई है, परंतु इसका सार्वजनिक प्रसारण या वितरण गैर कानूनी है।

निष्कर्ष:→
भारत में पोर्न देखना गैर कानूनी नहीं है, लेकिन इसका प्रसारण, वितरण और बाल अश्लीलता से संबंधित सामग्री रखना सख्त अपराध है। यदि कोई व्यक्ति इसे निजी तौर पर देखता है तो यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के तहत आता है। हालांकि, पब्लिक में शेयर करना, बाल अश्लीलता को बढ़ावा देना या अन्य गैरकानूनी सामग्री को दिखाना प्रतिबंधित है और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है।


भारत में पोर्नोग्राफी को लेकर कई महत्वपूर्ण और चर्चित कानूनी मामले सामने आए हैं, जिन्होंने इस विषय में कानून को स्पष्ट करने और नए प्रावधान जोड़ने में भूमिका निभाई। यहाँ कुछ रोचक केसों का विवरण दिया गया है:→


Viewing porn in India falls into a complex legal gray area. While watching adult content for personal use is not explicitly illegal, distributing or creating pornographic material is prohibited under various laws. Here are some legal aspects and challenges:

1. Legal Status
   •Personal Viewing: There’s no specific law criminalizing the private viewing of adult content by individuals over 18. However, distributing obscene material is illegal under the Information Technology (IT) Act of 2000.
   •Public Access and Distribution: Section 67 of the IT Act prohibits publishing or transmitting obscene material. Violating this law can result in up to three years of imprisonment and a fine.

2. Child Pornography
   • Viewing or sharing child pornography is strictly prohibited. India’s Protection of Children from Sexual Offenses (POCSO) Act enforces severe penalties for offenses involving minors in pornographic content.

3. Blocking Websites
   The Indian government has taken steps to block thousands of pornographic websites over the years, focusing on removing access to sites that may exploit or harm individuals. ISPs are often required to comply with these bans.

 4.Privacy Issues and Surveillance
   • Privacy concerns arise due to potential surveillance of individuals' internet usage, creating a debate over individual freedom versus morality and legality.

Key Issues
   •Privacy vs. Morality: The law aims to balance individual freedom and cultural norms, leading to an ongoing debate on privacy rights.
   •Technology and Enforcement Challenges: Enforcing website bans is difficult due to VPNs and alternative access methods.
   •Social Stigma and Censorship: Social perceptions and moral policing often lead to stigmatizing individuals who consume adult content, raising questions about personal choice.

The legal landscape in India remains nuanced, and privacy and content regulation are evolving with technology and social debates.


 1.राज्य बनाम अरुण कुमार केस (2011)→
   मामला:→ अरुण कुमार पर आरोप था कि उसने सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो शेयर किए थे। उसे आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत दोषी ठहराया गया।
   निर्णय:→ कोर्ट ने अरुण को दोषी करार दिया और उसे सजा सुनाई। यह मामला महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें यह स्पष्ट किया गया कि अश्लील सामग्री का प्रसारण, यहां तक कि डिजिटल माध्यमों पर, अपराध की श्रेणी में आता है।
   प्रभाव:→ इस केस ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री के प्रसारण पर कानूनी कार्रवाई के लिए मिसाल स्थापित की और आईटी एक्ट की धारा 67 को प्रभावी रूप से लागू करने का मार्ग प्रशस्त किया।

2. अविनाश बाजपेयी बनाम राज्य (2015)→
   मामला:→ अविनाश बाजपेयी को पुलिस ने पोर्न वेबसाइट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस वेबसाइट पर भारतीय सामग्री के साथ अश्लील वीडियो अपलोड किए जाते थे।
   निर्णय:→ अदालत ने अविनाश को आईटी एक्ट के तहत दोषी करार दिया और उसे सजा सुनाई। इस केस के बाद कई अन्य पोर्न वेबसाइट्स पर भी पाबंदी लगाई गई।
   प्रभाव:→ इस मामले के बाद सरकार ने कई पोर्न साइट्स पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया। यह केस इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी के प्रसारण के खिलाफ कानून का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बना।

 3. अशोक कुमार बनाम दिल्ली सरकार (2008)→
   मामला:→ इस केस में अशोक कुमार पर आरोप था कि उसने अपने साइबर कैफे में पोर्न वीडियो डाउनलोड और साझा किए थे। यह पहला ऐसा मामला था जिसमें किसी साइबर कैफे मालिक को पोर्न प्रसारण के लिए गिरफ्तार किया गया।
   निर्णय:→ अदालत ने अशोक को दोषी ठहराया और साइबर कैफे में इस प्रकार की गतिविधियों पर पाबंदी लगाई।
   प्रभाव:→ इस मामले के बाद साइबर कैफे में इंटरनेट एक्सेस के नियम सख्त हुए और पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध लगाने के लिए पुलिस की निगरानी बढ़ाई गई।

4. रोहित शर्मा बनाम राज्य (2018)→
   मामला:→ रोहित शर्मा पर आरोप था कि उसने बाल अश्लीलता (Child Pornography) की सामग्री ऑनलाइन अपलोड की थी। उसे पोक्सो एक्ट और आईटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया।
   निर्णय:→ कोर्ट ने रोहित को सख्त सजा दी और यह स्पष्ट किया कि बाल अश्लीलता से जुड़े मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
   प्रभाव:→ इस केस ने बाल अश्लीलता से जुड़े मामलों में सख्त कानून लागू करने की जरूरत को और मजबूत किया, और यह संदेश दिया कि बाल अश्लीलता से जुड़ी गतिविधियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।

 5. भारत सरकार बनाम इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (2015)→
   मामला:→ 2015 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी जिसमें मांग की गई थी कि इंटरनेट पर पोर्न साइट्स को ब्लॉक किया जाए। इसके बाद सरकार ने कई पोर्न वेबसाइट्स को प्रतिबंधित किया।
   निर्णय:→ सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि अवैध पोर्नोग्राफिक सामग्री पर पाबंदी लगाई जाए, खासकर ऐसी सामग्री जो बाल अश्लीलता, हिंसा, या अनैतिक गतिविधियों को बढ़ावा देती हो।
   प्रभाव:→ इस फैसले के बाद भारत में कई पोर्न वेबसाइट्स पर प्रतिबंध लगाया गया, और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को ऐसी वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के निर्देश दिए गए। 

6. मुंबई का हनीट्रैप मामला (2020)→
   मामला:→ मुंबई में एक मामला सामने आया था जिसमें कुछ लोग अश्लील वीडियो के जरिए ब्लैकमेल करने का काम कर रहे थे। पीड़ितों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने आईटी एक्ट और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की।
   निर्णय:→ पुलिस ने इस गिरोह को पकड़ा और दोषियों को जेल भेजा गया। इस केस में पोर्नोग्राफी के जरिए ब्लैकमेलिंग और धमकी देने के गंभीर परिणाम सामने आए।
   प्रभाव:→ इस मामले ने यह स्पष्ट किया कि पोर्न सामग्री का दुरुपयोग और ब्लैकमेलिंग गंभीर अपराध है और इससे संबंधित अपराधियों को सख्त सजा दी जाएगी।

 निष्कर्ष:→
भारत में पोर्नोग्राफी को लेकर कानूनों की स्थिति व्यक्तिगत देखे जाने और प्रसारण या वितरण में भिन्न है। निजी तौर पर देखना अवैध नहीं है, लेकिन इसके वितरण, प्रसारण, और बाल अश्लीलता जैसे मामलों में सख्त सजा का प्रावधान है। उपर्युक्त मामलों से यह स्पष्ट होता है कि भारत में पोर्नोग्राफी के अनैतिक और अवैध उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कानून लगातार सख्त हो रहे हैं।
    

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