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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

केवल जमानत शर्तों का उल्लंघन जमानत रद्ध करने के लिये पर्याप्त नहीं होगा।



राजिया बनाम हरियाणा राज्य


 पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति जसजीत सिंह बेदी द्वारा जमानत शर्तों की स्वचालित रूप से रद्द करने पर यह कहा गया है कि एक बार जमानत मिलने के बाद उसे रद्द करने के लिये ठोस कारण होने चाहिये। केवल जमानत शर्तों का उल्लंघन जमानत रद्द करने के लिये पर्याप्त नहीं होगा।

 सुप्रीम कोर्ट के कथनानुसार जमानत को रद्द किया जा सकता है यदि साक्ष्य अपराध के रहस्य या सामाजिक प्रभाव पर ध्यान नहीं दिया गया हो।

       राजिया बनाम हरियाणा राज्य के मामले में जमानत देने के आदेश में एक शर्त शामिल थी जिसमें कहा गया था, "यह स्पष्ट है कि अगर जमानत देने के आदेश  में कोई अन्य मामला शामिल है तो मामले में जमानत दी जायेगी।


 धारा 482 CrPC के तहत यदि आवेदक समान प्रकृति के किसी दूसरे मामले में शामिल है तो मौजूदा मामले में दी गयी जमानत को खारिज कर दिया जायेगा। सत्र न्यायाधीश  फरीदाबाद ने पुलिस स्टेशन सुराजकुण्ड फरीदाबाद हरियाणा में एनडीपीएस अधिनियम की धारा 20-61-85 के तहत दर्ज था जिससे याचिकाकर्ता को दी गयी जमानत को रद्द कर दिया गया। क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ NDPS अधिनियम की धारा 20 के तहत आरोप लगाया गया था कि उसके पास से एक किलो 53५ ग्राम गांजा बरामद किया बड़ा था। याचिकाकर्ता द्वारा जमानत के लिए आवेदन किया गया और अतिरिक्त अदालत द्वारा उसे जमानत की मंजूरी दे दी।


 जबकि सत्र न्यायाधीश, फरीदाबाद ने आदेश में यह कहा कि यदि आवेदक समान प्रकृति के किसी अन्य मामले में शामिल है तो मौजूदा मामले में दी गयी जमानत को बिना किसी पूर्व सूचना के खारिज कर दिया जायेगा।


 दौलत राम और अन्य बनाम हरियाणा राज्य [1995]1 SCC 349] में कहा गया है कि पहले से ही दी गयी जमानत को रद्द करने के लिये बहुत ही ठोस और जबरदस्त परिस्थियां आवश्यक है और एक बार दी गयी जमानत को बिना विचार किये यात्रिक तरीके से रद्द नहीं किया जाना चाहिये।


 गोडसन बनाम केरल राज्य [2022 (2) KLD447] में कहा गया कि जमानत शर्तों का उल्लंघन ही जमानत रद्द करने के लिये पर्याप्त नहीं है। वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता की जमानत की रियायत दी गयी थी तो एक शर्त लगाई गयी थी कि यदि वह समान प्रकृति के मामलों में शामिल पाया जाता है तो उसकी जमानत खारिज कर दी जायेगी । जमानत देते समय जमानत की स्वत रद्द करने की कोई शर्त नहीं लगाई जा सकती है। एकमात्र शर्त जो लगायी जा सकती है वह यह है कि जांच एजेंसी । शिकायतकर्ता जमानत रद्द करने के लिये एक आवेदन दायर करने के लिये स्वतंत्र है जिस पर कानून के अनुसार फैसला सुनाया जायेगा। वास्तव में एक बार दी गयी जमानत स्वचालित रूप से और यांत्रिक तरीके से रद्द नहीं की जा सकती है। एक बार दी गयी जमानत को रद्द करने के लिये आवश्यक ठोस और जबरदस्त परिस्थितियाँ होनी चाहिये ।



केवल जमानत शर्तों का उल्लघंन जमानत रद्द करने के लिये पर्याप्त नहीं होगा । न्यायालय को इस बात से सन्तुष्ट होना चाहिये कि विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए इसे रद्द करना आवश्यक है। हालाँकि मौजूदा मामले में किसी भी परिस्थिति की जाँच किये बिना जमानत स्वचालित रूप से रद्द कर दी गयी है जिनमें से एक यह हो सकती है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज दो अन्य मामलों में उसकी जमानत रद्द होने से पहले उसे जमानत की रियायत दी गयी थी।




Rajia vs State of Haryana



 The Punjab and Haryana High Court on automatic cancellation of bail conditions by Justice Jasjit Singh Bedi has said that once bail is granted, there must be strong reasons for canceling it.  Mere violation of bail conditions will not be sufficient to cancel the bail.


 According to the Supreme Court, bail can be canceled if the evidence does not take into account the mystery or social impact of the crime.


 In the case of Rajia vs. State of Haryana, the order granting bail contained a condition which stated, “It is clear that bail will be granted in the case if the order granting bail includes any other matter.

              Under Section 482 CrPC, if the applicant is involved in any other case of similar nature then the bail granted in the present case will be rejected.  Sessions Judge, Faridabad, registered him under Section 20-61-85 of the NDPS Act at Police Station Surajkund, Faridabad, Haryana, thereby canceling the bail granted to the petitioner.  Because an allegation was made against the petitioner under Section 20 of the NDPS Act that one kilo 535 grams of ganja was recovered from him.  bail by the petitioner Applied for and additional court He was approved for bail.


                    Whereas the Sessions Judge, Faridabad, said in the order that if the applicant is involved in any other case of similar nature then the bail granted in the present case will be canceled without any prior notice.



           Daulat Ram and Others v. State of Haryana [1995]1 SCC 349] states that very strong and compelling circumstances are necessary to cancel bail already granted and bail once granted can be revoked by mechanical means without any consideration.  Should not be canceled from.



            Godson v. State of Kerala [2022 (2) KLD447] held that violation of bail conditions alone is not sufficient to cancel the bail.  In the present case, when the petitioner was granted bail, a condition was imposed that if he was found involved in cases of similar nature, his bail would be cancelled.  While granting bail, no condition for automatic cancellation of bail can be imposed.  The only condition that can be imposed is that the investigating agency.  The complainant is free to file an application for cancellation of bail which will be decided in accordance with law.  In fact, bail once granted cannot be canceled automatically and mechanically.  There must be strong and compelling circumstances necessary to cancel the bail once granted.


       Mere violation of bail conditions will not be sufficient to cancel the bail.  The court must be satisfied that it is necessary to cancel it keeping in mind various factors.  However, in the present case the bail has been canceled automatically without examining any circumstances, one of which could be that the petitioner was granted bail concessions before his bail was canceled in two other cases registered against him.
         
    

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