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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

व्यापार से आय मद के अंतर्गत ऐसी कौन - सी कटौतियाँ हैं जो कि स्पष्ट स्वीकृति की गई हैं ? [ What are the deduction clearly permitted on the head of business income . ]

Deductions Expressly Allowed


 Deductions clearly allowed to a taxpayer under the head of income from business or profession have been described in sections 30 to 37 of the Income Tax Act, which can be known as follows-


 (1) The following deductions are admissible in respect of rent, repair tax and insurance related expenses on a building used for business or profession in any previous year.


 (a) When the house is used as a tenancy building.


 (b) When the taxpayer is also liable to repair the house, the expenditure incurred on its repair.



 (c) Cost of land tax and amount of taxes paid to local and municipal



 (d) The amount of insurance taken to protect the house from various kinds of damages.



 Clear and allowed as deduction as per section 1-30 of the Act.



 (2) Repair and Insurance Expenses of Plant Machinery and Furniture - According to Section-31 of Income Tax, deductions are allowed in respect of repair and insurance of plant, machinery and furniture used in business or profession as follows



 (a) In the context of the above, such amount of expenditure has been spent for the current repair, that is, minor repair which is done from time to time.




 (b) Amount of premium or amount spent on security insurance taken out in respect of the above.



 (3) Expenses related to depreciation - Provisions related to depreciation have been made in Section-32 of the Income Tax Act.  By this is meant the reduction in the assets of the business due to use, decay, wear and tear, etc. due to which their value is reduced.  According to the Act, tax is levied on building, machinery, plant and furniture fittings, know-how, patent, copyright, trademark, license and privilege lease, etc.  For a taxpayer to be granted the exemption of HUAS, it is necessary that the taxpayer

(a) is the actual owner of the property,



 (b) the property is used for business or profession,


 (c) Depreciation is allowed on both tangible and intangible assets,


 (d) The said asset has been put to use during the previous year.



 (4) Tea, Coffee and Rubber Development Account - According to Section-33 (AB) of the Income Tax Act, such taxpayers who do tea, coffee and rubber production, construction and development work in India are given some deductions.  The following provisions have been given to get the deduction as per this section:



 (i) any amount has been deposited by the taxpayer under a scheme approved by the Tea, Coffee or Rubber Board by opening a special account in the Agriculture and Rural Development Bank.



 (ii) the production of tea, coffee or rubber by the taxpayer is being carried on in India only.



 (iii) This amount has to be deposited within 6 months after the end of the previous year or before filing the return for income tax, whichever is earlier.



 (iv) in computing the taxable income of such business, the amount of income which shall be the lower of  This will be allowed as deduction

 स्पष्ट तथा स्वीकृत कटौतियाँ ( Deductions Expressly Allowed ) 

किसी करदाता को व्यापार या पेशे से आय मद ( Head ) के अन्तर्गत स्पष्ट रूप से स्वीकृत  की गयी कटौतियाँ आयकर अधिनियम की धारा -30 से लेकर 37 तक में वर्णित की गयी है जो कि निम्न प्रकार से जानी जा सकती है-

 ( 1 ) किराया , मरम्मत कर तथा बीमा सम्बन्धी व्यय किसी गत वर्ष में व्यापार या पेशे में प्रयोग किये गये भवन के सन्दर्भ में निम्नलिखित कटौतियाँ मान्य हैं 

( a ) जब मकान किरायेदारी भवन की तरह प्रयोग किया गया हो । 

( b ) जब मकान की मरम्मत का दायित्व भी करदाता पर हो तो उसकी मरम्मत पर किया गया व्यय । 


( c ) लागत भूमिकर तथा स्थानीय एवं नगरपालिका को चुकाये गये करों को राशि


( d ) मकान को विभिन्न प्रकार से होने वाली हानियों से बचाने के लिए किये गये बीमे की रकम ।


कटौती के रूप में अधिनियम की धारा 1-30 के अनुसार स्पष्ट तथा स्वीकृत है । 


( 2 ) प्लाण्ट मशीनरी एवं फर्नीचर की मरम्मत तथा बीमा व्यय - आयकर की धारा -31 के अनुसार व्यापार या पेशे में उपयोग होने वाली प्लाण्ट , मशीनरी एवं फर्नीचर की मरम्मत एवं उसके बीमा के सन्दर्भ में कटौतियाँ निम्न प्रकार से स्वीकृत है 


( a ) उपर्युक्त के सन्दर्भ में की गयी ऐसी व्यय राशि जो चालू मरम्मत ( Current Regarding ) अर्थात् हल्की फुल्की मरम्मत जो समय - समय पर होती है , व्यय की गयी हो ।



 ( b ) उपर्युक्त के सन्दर्भ में कराये गये सुरक्षा बीमा पर व्यय की गयी राशि या प्रीमियम की रकम । 


( 3 ) ह्रास सम्बन्धी व्यय - आयकर अधिनियम की धारा -32 में ह्यस सम्बन्धी उपबन्ध किये गये हैं । इस से तात्पर्य व्यापार की सम्पत्तियों में उपयोग , क्षय , टूट - फूट इत्यादि के कारण आने वाली कमी जिसके कारण उनका मूल्य कम हो जाता है । अधिनियम के अनुसार ह्यस भवन , मशीनरी , प्लाण्ट एवं फर्नीचर फिटिंग्स , तकनीकी ज्ञान , पेटैण्ट कॉपीराइट , ट्रेडमार्क , लाइसेन्स तथा विशेषाधिकार पट्टे इत्यादि पर लगता है । किसी करदाता के लिए ह्यस की छूट प्रदान किये जाने के लिए जरूरी है कि वह करदाता



 ( a ) उस सम्पत्ति का वास्तविक स्वामी हो , 


( b ) उस सम्पत्ति को व्यापार के लिए या पेशे के लिए प्रयोग किया हो ,

 ( c ) ह्यस की छूट मूर्त एवं अमूर्त सम्पत्ति दोनों पर दी जाती है ,

 ( d ) उक्त सम्पत्ति को गत वर्ष में प्रयोग किया गया हो ।


 ( 4 ) चाय , कॉफी तथा रबर विकास खाता - आयकर अधिनियम की धारा -33 ( AB ) के अनुसार ऐसे करदाता जो भारत में चाय , कॉफी तथा रबर का उत्पादन निर्माण तथा विकास सम्बन्धी कार्य करते हैं तो उन्हें कुछ कटौतियाँ प्रदान की जाती हैं । इस धारा के अनुसार कटौती पाने के लिए निम्न व्यवस्था दी गयी है 


( i ) करदाता द्वारा चाय , कॉफी या रबर बोर्ड द्वारा अनुमोदित योजना के अन्तर्गत कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक में एक विशेष खाता खोलकर कोई धनराशि जमा करायी गयी है ।


 ( ii ) करदाता द्वारा चाय , कॉफी या रबर का उत्पादन भारत में ही किया जा रहा है । 


( iii ) यह धनराशि गत वर्ष की समाप्ति के पश्चात् 6 माह के भीतर या आयकर के लिए विवरण दाखिल करने के पूर्व , जो भी समय पहले खत्म होने वाला हो , जमा करानी होगी । 


( iv ) ऐसे व्यापार की कर योग्य आय की गणना करते समय आय में से वह राशि जो निम्न में से कम होगी । यह कटौती के रूप में स्वीकार होगी


 ( a ) जमा की गयी धनराशि के बराबर राशि , या


 ( b ) इस प्रकार के व्यापार की शुद्ध आय के 40 % के बराबर धनराशि जो सबसे कम होगी । यह कटौती के रूप में स्वीकार की जायेगी । 


( 4A ) लेखों का अंकेक्षण - जब किसी गत वर्ष के सम्बन्ध में यह कटौती माँगी जाती है यह जरूरी है कि उस वर्ष के लेखों का अंकेक्षण चार्टड एकाउन्टैण्ट द्वारा किया गया हो और करदाता ने उस चार्टड एकाउन्टैण्ट की रिपोर्ट अपनी आय के विवरण के साथ आयकर अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की हो तो इस प्रकार की छूट मंजूर की जा सकती है । 


( 5 ) स्थल पुनर्स्थापन फण्ड योजना आयकर अधिनियम की धारा -33 ( ABA ) के अनुसार जब कोई करदाता पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस के पूर्वेक्षण निष्कर्षण या उत्पादन सम्बन्धी व्यापार में संलग्न है और गत वर्ष के खत्म होने से पहले एस . बी . आई . में खोले गये विशेष खाते या पुनर्स्थापन फण्ड में धनराशि जमा करता है तो उक्त राशि या व्यापार के लाभ का 1/5 भाग जो दोनों में सबसे कम होगा उसके बराबर निम्न शर्तों के अधीन कटौती मिलेगी


 ( i ) करदाता का केन्द्रीय सरकार के साथ अनुबन्ध हुआ हो । 


( ii ) करदाता ने आडिट कराकर उसकी रिपोर्ट अपनी आय के विवरण के साथ संलग्न किया हो ।


 ( iii ) करदाता ने इस कोष से राशि उसके निकालने के लिए निर्धारित कार्यों के उपयोग के लिए ही निकाली हो । 


 यदि निकाली गयी निर्धारित योजना के अनुसार व्यय नहीं की गयी है या जितनी राशि व्यय नहीं की गयी है । वह उस गतवर्ष के लिए व्यापार या पेशे की आय मानी जायेगी जिस वर्ष उसे निकाला गया है और वह कर योग्य होगी । 


( 6 ) वैज्ञानिक अनुसन्धान पर व्यय - किसी करदाता को वैज्ञानिक अनुसन्धान पर किये गये व्ययों के सन्दर्भ में कटौतियाँ निम्नवत् प्राप्त होंगी । 


 ( i ) जब किसी करदाता स्वयं ही कोई वैज्ञानिक अनुसन्धान कर रहा हो तो उसके द्वारा इस व्यापार के
प्रकार के अनुसन्धान पर व्यय की पूरी राशि कटौती योग्य होगी तथा शोध एवं अनुसन्धान के लिए व्यापार प्रारम्भ करने से पूर्व तीन वर्षों के भीतर खरीदी गयी सामग्रियों की राशि भी गतवर्ष में कटौती योग्य होगी ।


 ( ii ) जब करदाता द्वारा किसी बाहरी वैज्ञानिक अनुसन्धान संस्था या किसा शिक्षण संस्थान या विश्वविद्यालय को अनुदान के रूप में दी है तो उस दी गयी राशि का 125 % तक कटौती योग्य माना गया है । 


( iii ) इसी प्रकार जब किसी सामाजिक या ताख्यिकीय अनुसन्धान लिए किसी संस्था को धनराशि दी गयी है तो उस रकम का 125 % तक कटौती योग्य माना गया है ।


 ( iv ) जब करदाता ने वैज्ञानिक अनुसन्धान पर पूँजीगत प्रकृति का कोई व्यय किया है तो उसकी पूरी राशि कटौती के रूप में स्वीकृत होगी । किन्तु 20.02.1984 के बाद भूमि के सन्दर्भ में कोई व्यय किया गया है तो वह कटौती योग्य नहीं होगा ।


    पूँजीगत व्यय सिर्फ व्यापार प्रारम्भ होने के पूर्व तीन वर्षों तक के ही कटौती योग्य होंगे वे ऐसे माने जायेंगे जैसे गतवर्ष के व्यय हो ।


     जहाँ पर अनुसन्धान पर व्यय की गयी रकम यदि लाभ की सभी के कारण उस वित्तीय वर्ष में जब नहीं घटाया जा सका हो तो उसे आगे आने वाले वर्षों में अशोधित ह्यस की तरह घटाया जायेगा ।


     किसी ऐसी सम्पत्ति जो वैज्ञानिक अनुसन्धान सम्बन्धी कार्यों में प्रयोग की गयी हो उसके विक्रय से मिलने वाली पूरी राशि कर योग्य होनी ।



 किन्हीं दो कम्पनियों का एकीकरण होने की स्थिति में वे सभी सुविधाएँ जो एकीकरण वाली फर्म को प्राप्त थीं वे सभी उस एकीकृत फर्म की भी मिल सकेगी ।


 ( v ) जब करदाता किसी ऐसे प्रयोगशाला या व्यक्ति या संस्था जो राष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदित हो को किसी वैज्ञानिक अनुसन्धान सम्बन्धी प्रोग्राम को करने के लिए धनराशि देता है तो उस धनराशि के 125 % तक की राशि कटौती के रूप में स्वीकार होगी । किन्तु इस प्रकार की धनराशि के सन्दर्भ में अन्य कटौती स्वीकृत नहीं की जायेगी । 


( vi ) जब करदाता या कम्पनी द्वारा आन्तरिक अनुसन्धान पर या विकास सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति पर व्यय की राशि का 125 % तक कटौती के रूप में कुछ शर्तों के अधीन स्वीकार होगा । 


( 7 ) पैटेण्ट या कॉपीराइट पाने के व्यय - धारा -35 A के अनुसार - पेटैण्ट या कॉपीराइट के सन्दर्भ में किया गया पूँजीगत व्यय की कुल धनराशि को चौदह भागों में समान रूप से बाँटकर चौदह वर्षों में कटौती के रूप में स्वीकार किया जायेगा । किन्तु इसके लिए जरूरी है कि उक्त पेटेण्ट या कॉपीराइट व्यापार के हित में हो । 


    यदि इस प्रकार व्यय व्यापार प्रारम्भ होने से पहले किया गया है तो 14 वर्ष की अवधि व्यापार प्रारम्भ होने वाले गत वर्ष से शुरू हुई मानी जायेगी । 


  यदि पेटैण्ट या कॉपीराइट 01.04.1998 से प्राप्त किये हैं तो उस पर व्यय कटौती के बजाय ह्यस मिलेगा ।


         जहाँ पर यह अधिकार समाप्त हो रहे हों किन्तु कटौती पूरी न हो पायी हो तो आखिरी गत वर्ष में सम्पूर्ण कटौती की रकम स्वीकृत कर ली जायेगी ।


 ( 8 ) दूरसंचार यन्त्र के संचालन लाइसेन्स शुल्क की कटौती - जब करदाता द्वारा कोई दूरसंचार यन्त्र सम्बन्धी सेवाओं के लिए संचालन का लाइसेन्स पाने के लिए किया गया पूँजीगत व्यय कटौती के रूप में निम्न प्रकार स्वीकृत किये जायेंगे -

( i ) जब व्यापार प्रारम्भ करने से पूर्व लाइसेन्स फीस का भुगतान किया गया है तो यह व्यवसाय प्रारम्भ करने से लेकर व्यवसाय समाप्ति के वर्ष तक समान किस्त के रूप में कटौती योग्य होगा । 


( ii ) जब व्यापार प्रारम्भ होने के बाद लाइसेन्स फीस का भुगतान किया गया हो तो लाइसेन्स प्राप्त होने से लेकर भुगतान के वर्ष से लेकर लाइसेन्स समाप्ति के वर्ष तक समान किस्त के रूप में कटौती के योग्य होगा ।


 ( iii ) जब लाइसेन्स को बेचा गया हो या उसका हस्तान्तरण कर दिया गया हो तो उस स्थिति में नियमानुसार विक्रय के वर्ष एवं उसके बाद के वर्षों के लिए कटौती स्वीकार नहीं की जायेगी । 


( 9 ) किसी अनुपयुक्त प्रोजेक्ट या स्कीम पर व्यय - जब करदाता ने अधिनियम की धारा -35 ( AC ) के अन्तर्गत किसी ऐसी स्कीम या प्रोजेक्ट जो कि जनता के हितों से सम्बन्धित या समाज के आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण के लिए बनायी गयी हो , पर किया गया व्यय जिसका भुगतान किसी अनुमोदित संस्था , स्थानीय सरकार या कम्पनी को किया गया हो , तो वह शत  प्रतिशत कटौती के लिए स्वीकार होगा । किन्तु इसके लिए जरूरी है कि वह स्कीम या प्रोजैक्ट केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया हो ।





  ( 10 ) ग्राम्य विकास कार्यक्रम के लिए दिया गया धन :- जब किसी करदाता द्वारा ग्राम्य विकास सम्बन्धी कार्यक्रमों के लिए कोई धन धनराशि किसी संस्था या कोष को दी जाती है जिसे केन्द्रिय सरकार द्वारा स्थापित एवं अनुसूचित किया गया हो तो उस करदाता द्वारा दी गयी सम्पूर्ण रकम गत वर्ष में कटौती के रूप में स्वीकार की जायेगी । इस प्रकार की कटौती केन्द्र सरकार के कार्यक्रम शहरी गरीबी उन्मूलन फण्ड में दी गयी राशि पर भी देय होगी । 



( 11 ) प्राथमिक व्ययों के सन्दर्भ में कटौती - किसी करदाता के व्यापार या पेशे के सम्बन्धित ऐसे व्यय जो व्यापार प्रारम्भ होने से पहले या व्यापार प्रारम्भ होने के बाद व्यापार को वृद्धि ( Extention ) के लिए किये गये हो तो ऐसे व्यय 01.4.1998 के बाद 20 % प्रति वर्ष की दर से अगले 5 वर्षों तक कटौती योग्य होंगे । इससे पूर्व यह 10 % प्रतिवर्ष दर से 10 वर्षों में कटौती योग्य थे । इस श्रेणी में रखे गये प्रारम्भिक व्ययों में निम्नलिखित शामिल हैं 


 ( i ) सम्भावना की रिपोर्ट बनाने के व्यय

 ( ii ) प्रोजैक्ट रिपोर्ट को बनवाने के व्यय 

( iii ) सर्वेक्षण इत्यादि पर किया गया व्यय

 ( iv ) व्यापार की निर्माण सेवा ( Engineering service ) पर किया गया व्यय 

( v ) व्यापार की स्थापना , संचालन सम्बन्धी किसी प्रकार की संविदा पर किया गया व्यय 


( vi ) जहाँ पर करदाता कोई कम्पनी है तो उस स्थिति में पार्षद सीमा नियम तथा पार्षद अन्तर्नियम की संरचना , प्रकाशन , प्रविवरणिका का निर्माण कम्पनी का पंजीकरण शुल्क , कम्पनी के अंशों एवं ऋणपत्रों के निर्गमन सम्बन्धी व्यय , दलाली , अभिगोपन , कमीशन इत्यादि  पर व्यय की गयी धनराशि आदि कटौती योग्य है ।


 ( 12 ) कम्पनी के अमलगमेशन या डीमर्जर सम्बन्धी व्यय - आयकर अधिनियम की धारा -35 ( DD ) के अनुसार जब कोई भारतीय कम्पनी दिनांक 31.30.1999 के बाद किसी उद्यम के अमलगमेशन या उसके डीमर्जर के सन्दर्भ में कोई व्यय करती है तो उस व्यय को अगले पाँच कटौती प्रदान की जायेगी । वर्षों में समान रूप से प्रति वर्षों कटौती के रूप में मान्य किया जायेगा अर्थात् 20 % वार्षिक कटौती प्रदान की जायेगी ।


 ( 13 ) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति सम्बन्धी व्यय - आपकर की धारा -35 ( DD ) के अनुसार किसी करदाता द्वारा अपने कर्मचारी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के अनुसार सेवानिवृत्त करते हुए उसको कोई धनराशि प्रदत्त की हो तो उक्त धनराशि को व्यय के रूप में 20 % वार्षिक छूट रूप में स्वीकार कर लिया जायेगा जो कि अगले पाँच वर्षों में पूरी तरह चुका लिया जायेगा । यह कटौती भी अन्य कटौतियों के समान उसी गत वर्ष से देय होगी जिस वर्ष इस प्रकार व्यय किया गया है ।


 ( 14 ) खनिज पदार्थों की खोज , विकास इत्यादि सम्बन्धी व्यय - आयकर की धारा -35 ( E ) के अनुसार , जब किसी करदाता भारतीय कम्पनी या निवासी व्यक्ति के द्वारा किसी ऐसे खनिज पदार्थ जो कि अनुसूचित सूची के खण्ड- VIII में वर्णित सूची में वर्णित है तो किसी योग्य होगा । जोकि निम्न में सबसे कम होगी 



( i ) कुल व्यय राशि का 10 % भाग ।


 ( ii ) वह राशि जिसके घटाने से उस आय जिसके सम्बन्ध में यह व्यय किया है जीरो रह जाये ।



( 15 ) बीमा सम्बन्धी व्यय - जब करदाता द्वारा व्यापार या पेशे में होने वाले नुकसानों की  जोखिम से बचाने के लिए यदि किसी माल आदि का बीमा कराता है तो उस बीमा के प्रीमियम पर व्यय की गयी राशि कटौती के योग्य होगी और वह राशि आयकर की गणना के समय घटा दी जायेगी । यह बीमा राशि व्यापार या पेशे में कार्यरत कर्मचारियों एवं उपयोग में आने वाले जानवरों पर व्यय किये जाने पर भी कटौती योग्य होगी । 


( 16 ) कार्मिकों को दिया गया कमीशन या बोनस पर व्यय - जब किसी करदाता द्वारा अपने व्यापार या पेशे के दौरान सेवा करते समय कमीशन या बोनस का भुगतान किया जाता है तो उस बोनस या कमीशन की रकम कटौती योग्य होगी । किन्तु इसकी एक शर्त यह होगी कि कार्मिकों को दी जाने वाली कमीशन या बोनस या बोनस की रकम उन्हें लाभांश के रूप में अन्यथा देय नहीं है । क्योंकि करदाता अपने लाभों का वितरण लाभ या लाभांश के रूप में न करके बोनस के रूप में करके कर की चोरी कर सकता है । इसलिए यह व्यवस्था का चोरी को रोकने के लिए की गयी है ।


 ( 17 ) कर्ज ली गयी पूँजी पर ब्याज जब करदाता द्वारा कोई पूँजी व्यापार या पेशे के प्रयोग के लिए ली हो तो उस पूंजी पर दी जाने वाली ब्याज की राशि आयकर की गणना करते समय व्यापार या पेशे की आय में से कटौती योग्य होगी । जबकि 

( i ) पूँजी कर्ज के रूप में उधार ली गयी हो , 

( ii ) उस पूँजी को व्यापार या पेशे के लिए प्रयोग किया गया हो , 

( iii ) एवं उस पूंजी पर ब्याज दिया गया हो । 


( 18 ) प्रमाणित भविष्य विधि या अनुमोदित अधिवार्षिक विधि में नियोक्ता का अंशदान - अधिनियम के अनुसार किसी करदाता नियोक्ता द्वारा अपने व्यापार या पेशे के किसी कर्मचारियों के उक्त प्रकार की विधियों में दिये गये अंशदान की राशि जितनी की विधियों के निर्धारण के समय तक की गयी थी । कटौती योग्य मानी जायेगी । 


( चौथी अनुसूची के नियम -87 तथा नियम 88 के अन्तर्गत ) । 


( 19 ) अनुमोदित ग्रेच्युटी फण्ड में अंशदान - करदाता द्वारा अपने कर्मचारियों के किसी ऐसे फण्ड में जो अनुमोदित ग्रेच्युटी फण्ड में किया गया अंशदान जो कि एक अखण्डनीय ट्रस्ट के अन्तर्गत सिर्फ कर्मचारियों के लाभ के लिए बनाया गया हो तो अंशदान की रकम कटौती के योग्य होगी ।


 ( 20 ) विभिन्न कर्मचारी कल्याणकारी योजना में कर्मचारी का अंशदान जब किसी नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के कल्याण के लिए स्थापित विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं के अन्तर्गत अपने कर्मचारियों से अंशदान की राशि प्राप्त की जाती है तो वह अंशदान की रकम नियोक्ता की व्यवसायिक आय मानी जाती है । किन्तु जब नियोक्ता द्वारा कर्मचारी से प्राप्त अंशदान की रकम को सम्बन्धित योजना के अनुसार उस निधि में देय तिथि ( जोकि पूर्व निर्धारित हो ) तक जमा करा दिया जाता है तो वह राशि पूर्णतया कटौती योग्य होगी । 


( 21 ) पशुओं से सम्बन्धित हानि की कटौती - जहाँ पर करदाता को व्यवसाय या पेशागत उपयोगी पशुओं की मृत्यु या स्थायी अयोग्यता आदि के कारण उत्पन्न होने वाली हानि ( जोकि मृत पशु के खाल एवं हड्डी इत्यादि के विक्रय से प्राप्त रकम उस पशु की वास्तविक लागत में से घटाने पर प्राप्त होती है ।  कटौती के रूप में मान्य होगा । 


( 22 ) डूबत ऋण की रकम - करदाता की किसी ऋण या उसके किसी भाग को जोकि  गतबर्ष डूबा मानकर अपलिखित किया गया है वह कटौती के रूप मे मान्य होगा।जो कि कुछ शर्तों के अधीन माना गया है।


(अ) यह गतबर्ष या पूर्व वर्ष या पूर्व मे करदाता की आय मे जोडा गया हो जिस वर्ष यह दिया गया हो।


(ब)गतबर्ष मे करदाता द्वारा इसे डूबा हुआ मानकर अपने खातों मे अपलिखित कर लिया गया है ।कटौती योग्य होगा।
    



    

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