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Aibe exam में संवैधानिक कानून (Constitutional Law) से पूछे जाने वाले कम से कम 350 प्रश्न

व्यापार से सम्बन्धित स्वीकृति कटौतियों को विस्तार से समझाइए [ Explain in detail admissible deduction in the contaxt of business . ]

 व्यापार से सम्बन्धित स्वीकृत कटौतियाँ ( Admissible Deductions From Business ) 


कटौतियाँ निम्नलिखित प्रकार की होती है:-

                                                              व्यापार से सम्बन्धित स्वीकृत हानियाँ :-

     किसी व्यापार में व्यय एवं हानियाँ दोनों ही हो सकते हैं । व्यावसायिक व्ययों एवं हानियों दोनों में अन्तर है । व्यय ऐसा भुगतान है जो करदाता द्वारा स्वयं चुकाया जाता है , जबकि हानियाँ करदाता द्वारा उसकी इच्छा के न होते हुए दबाव के अन्तर्गत सहन की जाती है । इन हानियाँ को हानियों के कुछ उदाहरण इस तरह है :-

 ( i ) जमा की गई प्रतिभूति के जब्त होने पर हानि - माल की पूर्ति हेतु निविदा देते समय पहले से जमा कराई गयीं  प्रतिभूति के जब्त होने के कारण हुई हानि स्वीकृत व्यापारिक हानि होगी ।


 ( Ii ) कच्चे अथवा निर्मित माल की मार्ग में हानि ।


   ( iii ) अनुबन्ध भंग के कारण हानि - व्यवसाय के अन्तर्गत पक्षकार द्वारा माल की सुपुर्दगी हेतु किये गये अनुबन्ध को पूरा न करने के कारण हुई हानि व्यापारिक हानि कहलायेगी । 

Admissible Deductions From Business



 The deductions are of the following types:-


 Allowed losses related to business :-


 There can be both expenses and losses in a business.  There is a difference between business expenses and losses.  Expenses are payments that are made by the taxpayer himself, whereas losses are incurred by the taxpayer under compulsion against his will.  Some examples of these disadvantages are as follows: -


 (i) Loss on forfeiture of security deposited - Loss due to forfeiture of security already deposited at the time of tendering for supply of goods shall be an admissible trading loss.



 (ii) loss in transit of raw or manufactured goods.



 (iii) Loss due to breach of contract - Loss due to non-fulfillment of the contract made by the party for delivery of goods under business will be called business loss.


( iv ) विनियम दूर में उतार - चढ़ाव के कारण हानि - कच्चा माल क्रय करने हेतु धन भेजते ( remittance ) समय विनिमय दर में उतार - चढ़ाव के कारण हानि व्यापारिक हानि होगी । 


( v ) प्रतिभूतियों के क्रय - विक्रय में ह्यनि - वैसे तो यह हानि पूँजीगत है , किन्तु यदि  तिभूतियाँ करदाता के पास व्यापारिक स्टॉक के रूप में हों तो उनके बेचने पर हानि स्वीकृत व्यापारिक हानि होगी । 



( vi ) शत्रु देश के आक्रमण से व्यापारिक स्टॉक तथा माल की हानि - यह स्वीकृत हानि है । 


( vii ) तिजोरी ( Safe ) में से नकद रोकड़ की चोरी - किसी भी व्यापार में अगले दिन व्यापार करने के लिए कुछ रकम का व्यापार में रहना आवश्यक है । अतः कार्यालय समय के बाद भी तिजोरी से नकदी की चोरी कटौती योग्य है । 


( viii ) डकैती , आदि द्वारा हानि - व्यापारिक अवधि के दौरान कोई कर्मचारी धन बैंक में जमा कराने जा रहा है और उससे  लूट लिया जाता है तो यह स्वीकृत हानि है ।


 ( ix ) कर्मचारी की लापरवाही , कपट चोरी या गबन से हानि - कभी - कभी व्यवसाय में कर्मचारी भी रोकड़ एवं माल का गबन कर सकते हैं । इन सभी हानियों को व्यापारिक हानि के रूप में उस गत वर्ष में स्वीकार किया जाता है जिस गत वर्ष में इनका पता लगता है , बशर्ते ये हानियों व्यापार के दौरान व व्यापारिक समय में होनी चाहिए । यदि कोई व्यक्ति व्यापारिक अवधि के बाद ताला तोड़कर या अन्य प्रकार से घुसकर चोरी कर लेता है तो भी यह हानि स्वीकृत होगी । 


(iv) Loss due to fluctuation in exchange rate - Loss due to fluctuation in exchange rate at the time of remittance for purchase of raw material will be business loss.



 (v) Loss in sale and purchase of securities - Although this loss is capital, but if the securities are held by the taxpayer in the form of trading stock, then the loss on selling them will be allowed trading loss.




 (vi) Loss of trading stock and goods due to invasion of enemy country - This is an allowed loss.



 (vii) Theft of cash from the safe - In any business, it is necessary to have some amount of money in the business for trading on the next day.  Hence, theft of cash from safe even after office hours is deductible.



 (viii) Loss by dacoity, etc. - An employee going to deposit money in the bank during business hours and is robbed of it is an allowable loss.



 (ix) Loss due to employee's negligence, fraud, theft or embezzlement - Sometimes employees in business can also embezzle cash and goods.  All these losses are accepted as business loss in the previous year in which they are detected, provided these losses should be in the course of business and during business time.  If a person commits theft by breaking the lock or entering in any other way after the business hours, this loss will also be accepted.

 ( x ) व्यवसाय में गारण्टी के फलस्वरूप हानि- एक व्यापारी द्वारा व्यवसाय में गारण्टी देने के फलस्वरूप भुगतान की गई रकम स्वीकृत व्यापारिक हानि होगी ।

 ( xi ) पेशगी दी गई रकम जब्त होने से हानि – व्यवसाय में क्रय - विक्रय के सौदों की पूर्ति हेतु जो अनुबन्ध किये जाते हैं उस समय कुछ रकम पेशगी भी दी जा सकती है । यह रकम अनुबन्ध पूरा न करने की दशा में वापस नहीं मिलती । इसे व्यापारिक हानि मानकर स्वीकृत किया जाता है ।


 ( xii ) व्यापारिक माल की हानि - व्यवसाय में कभी - कभी आग लगने अथवा दीमक लगने या माल के मार्ग में होने पर माल व अन्य सामान की क्षति हो जाती है । इसे व्यापारिक या व्यावसायिक हानि कहते हैं । यह हानि व्यवसाय में स्वीकृत हानि होती है तथा लाभ - हानि खाते में डेबिट पक्ष में लिखी जाती है ।

(x) Loss as a result of guarantee in business - The amount paid by a trader as a result of giving guarantee in business shall be an allowable business loss.


 (xi) Loss due to confiscation of the amount given in advance – Some amount of advance can also be given at the time when the contracts are entered into for the fulfillment of the deals of sale and purchase in the business.  This amount is not refundable in case of non-fulfillment of the contract.  This is accepted as business loss.



 (xii) Loss of business goods - Sometimes in business, there is damage to goods and other goods due to fire or termite attack or when the goods are in transit.  This is called business or professional loss.  This loss is recognized as loss in business and is debited to the profit and loss account. 


वाणिज्य के सामान्य सिद्धान्तों के आधार पर स्वीकृत व्यय अथवा कटौतियाँ व्यवसाय में कुछ व्यय ऐसे होते हैं जिन्हें करना व्यवसाय के संचालन के लिये जरूरी है और इन्हें कर योग्य लाभों की गणना करते समय घटा देना चाहिए । इन्हें सामान्य कटौतियों भी कहते है । अगर करदाता द्वारा कोई ऐसा व्यय किया जाता है , जो ऐसे कार्य से सम्बन्धित है जो ऐसे अपराध है और जिसे कानून द्वारा करने के लिए निषेध किया गया है , तो करदाता द्वारा किये ऐसे व्यय की कटौती नहीं दी जायेगी । आयकर अधिनियम की धारा 37 ( 1 ) के अन्तर्गत इन सामान्य कटौतियों की सूची दी गई है । इन कटौतियों को स्वीकृत होने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी होना जरूरी है ।


Expenses or deductions allowed on the basis of general principles of business There are certain expenses in business which are necessary to be incurred for the operation of the business and these should be deducted while computing the taxable profits.  These are also called normal deductions.  If any such expenditure is incurred by the taxpayer, which is related to such act which is such offense and which is prohibited by law to be done, then deduction of such expenditure incurred by the taxpayer will not be allowed.  A list of these general deductions has been given under section 37(1) of the Income Tax Act.  For these deductions to be allowed, the following conditions must be fulfilled.



( i ) इन व्यय को पूँजीगत प्रकृति का नहीं होने चाहिए ।

 ( ii ) इन व्ययों का भुगतान पूरी तरह व्यवसाय अथवा पेशे के सम्बन्ध में ही होना चाहिए । 

( iii ) ये करदाता के निजी अथवा घरेलू व्यय नहीं होने चाहिए । 

( iv ) यह व्यय करदाता द्वारा संचालित व्यापार के सम्बन्ध में होना चाहिए । 


( v ) यह व्यय धारा 30 से 36 में वर्णन की गई कटौतियों में से नहीं होना चाहिए ।


 धारा 37 ( 1 ) के अन्तर्गत स्वीकृत सामान्य कटौतियों ( केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के निर्देशानुसार ) -


( i ) अवांछित कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के सम्बन्ध में दी गयी हर्जाने  की  रकम अथवा एक संचालक को कम्पनी के हित में सेवाओं से मुक्त करने पर दी  गयी क्षतिपूर्ति  रकम


( ii ) भुगतान किये गये बिक्री - कर की रकम तथा बिक्री अपील सम्बन्धी व्यय  ।

(i) These expenditure should not be of capital nature.


 (ii) These expenses must be paid wholly in connection with the business or profession.


 (iii) It should not be personal or domestic expenditure of the taxpayer.


 (iv) The expenditure should be in relation to the business carried on by the taxpayer.



 (v) This expenditure should not be included in the deductions described in sections 30 to 36.



 Normal deductions allowed under section 37(1) (as directed by the Central Board of Direct Taxes) -



 (i) The amount of compensation given in relation to the removal of unwanted employees from the job or the amount of compensation given for the release of an operator from the services in the interest of the company



 (ii) Amount of sales tax paid and expenses related to sales appeal.


 ( iii ) श्रम कल्याण के ऊपर चुकाये गये व्यय 

( iv ) व्यापार चलाने के सम्बन्ध में किये गये दैनिक व्यय 

( v ) व्यापार की बिक्री बनाये रखने के सम्बन्ध में किये गये सामान्य विज्ञापन व्यय ।

 ( vi ) माल क्रय करने , निर्माण तथा विक्रय करने के सम्बन्ध में किये गये व्यय

 स्पष्ट रूप से स्वीकृत व्यय अथवा कटौतियाँ अधिनियम की धारा 30 से 37 से स्पष्ट रूप से वर्णित स्वीकृत व्यय / कटौतियों निम्नलिखित है


 भवन से सम्बन्धित व्यय ( धारा 30 ) - भवन से सम्बन्धित व्यय निम्नलिखित हैं 


( 1 ) भवन का किराया व्यवसाय में प्रयुक्त भवन के किराये की कटौती के नियम निम्नलिखित हैं 


( a ) किराये का भवन- दूसरे किराये की रकम की कटौती स्वीकृत होगी । 

( b ) करदाता का स्वयं का मकान किराये की कोई भी रकम नहीं घटाई जायेगी । 


( c ) भवन के आंशिक भाग में करदाता का निवास - ऐसी दशा में करदाता द्वारा  व्यापार में प्रयुक्त मकान के भाग का आनुपातिक किराया स्वीकृत व्यय होगा ।

(iii) Expenditure paid on labor welfare


 (iv) Daily expenses incurred in connection with running the business


 (v) General advertising expenses incurred in connection with maintaining the sales of the business.


 (vi) Expenses incurred in connection with purchase, manufacture and sale of goods


 Expenditure or deductions specifically allowed The following are the expenditure/deductions specifically allowed from section 30 to 37 of the Act



 Expenses related to building (Section 30) – Following are the expenses related to building



 (1) Rent of building Following are the rules for deduction of rent of building used for business



 (a) Rented building- Deduction of amount of second rent will be allowed.


 (b) No amount of tax payer's own house rent shall be deducted.



 (c) Taxpayer's residence in a part of the building - In such a case, the proportionate rent of the part of the house used by the taxpayer for business will be an approved expenditure.


 ( d ) भवन का प्रयोग व्यापार के कर्मचारियों द्वारा - भवन का किराया स्वीकृत की होगी । 


( e ) साझेदारी फर्म के व्यापार में साझेदार के भवन का प्रयोग होना - फर्म द्वारा  साझेदार को देय किराया फर्म का स्वीकृत व्यय होगा । 


( 2 ) भवन की चालू मरम्मत - मरम्मत पर व्यय की गई वास्तविक रकम स्वीकृत व्यय  होगी । भवन की सफेदी आदि कराना चालू मरम्मत के अन्तर्गत आता है । यदि मरम्मत की रकम  पूँजीगत प्रकृति की है तो उसकी कटौती प्रदान नहीं की जायेगी । 


( 3 ) भूमि का लगान एवं नगरपालिका कर - स्वीकृत व्यय है ।


 ( 4 ) व्यापार में प्रयुक्त भवन के सम्बन्ध में चुकाई गई बीमा प्रीमियम की राशि स्वीकृत व्यय है।


 मशीन , फनीचर तथा प्लाण्ट के सम्बन्ध में व्यय ( धारा 31 ) किसी करदाता में प्रयुक्त मशीन , फर्नीचर तथा प्लाण्ट के सम्बन्ध में निम्नलिखित व्ययों की कटौती दी जायेगी 


( a ) मशीन  फनीचर प्लाण्ट के रख - रखाव व चालू मरम्मत के सम्बन्ध में चुकाये गये वास्तविक व्यय । यदि चालू मरम्मत वह को दी गई रकम पूंजीगत प्रकृति की है तो उसकी कटौती प्रदान नहीं की जाएगी  । 

(d) The use of the building by the employees of the business - the rent of the building shall be sanctioned.



 (e) Use of partner's building in the business of partnership firm - The rent payable by the firm to the partner shall be an approved expenditure of the firm.



 (2) On-going repairs of the building - The actual amount spent on the repairs shall be an approved expenditure.  Whitewashing etc. of the building comes under ongoing repairs.  If the amount of repair is of capital nature, then its deduction will not be provided.



 (3) Land rent and municipal tax are approved expenditure.



 (4) The amount of insurance premium paid in respect of building used for business is an allowed expenditure.



 Expenditure in relation to machine, furniture and plant (Section 31) Deduction of the following expenses will be given in respect of machine, furniture and plant used in a taxpayer



 (a) Actual expenses paid in connection with the maintenance and running repairs of the machine furniture plant.  If the amount paid to him for ongoing repairs is of capital nature, then the same will not be deducted.



( 6 ) अगर उपर्युक्त की (भूभवन व मशीन आदि ) किराये पर लिया गया है तो किराए की रकम स्वीकृत कटौती होगी


 उपर्युक्त संपत्तियों की आकस्मिक क्षति के विरुद्ध कराये गये बीमा का प्रीमियम.





कटौती हेतु जरूरी शर्तें ( Need full Conditions for Deduction )

ये कटौतियाँ निम्न शर्ते पूर्ण करने पर ही प्रदान की जाएँगी :

 ( i ) करदाता को अपने खाते चार्टर्ड अकाउन्टेट से अंकेक्षित कराने होंगे एवं ऑडिट रिपोर्ट फार्म संख्या 3Ac पर आय की विवरणी के साथ जमा करानी होगी । जहाँ करदाता के खातों को वैधानिक रूप से ऑडिट कराना जरूरी हो तो यह पर्याप्त माना जायेगा कि करदाता ने अपने खातों को ऑडिट करा लिया है एवं उसकी रिपोर्ट उस अधिनियम के अन्तर्गत जमा करा दी है . पशर्त कि उसने एक अतिरिक्त रिपोर्ट फार्म संख्या 3Ac में जमा कर दी है । 

( ii ) करदाता ने निर्धारित समय के अन्तर्गत :-

( a ) कृषि एवं ग्रामीण राष्ट्रीय बैंक में उस खाते में धन जमा कर दिया हो जो खाता करदाता के द्वारा बैंक में चाय बोर्ड , कॉफी बोर्ड , रबर बोर्ड द्वारा स्वीकृत योजना के अन्तर्गत रखा गया हो या 


(6) If the above (land building and machine etc.) is taken on rent, then the amount of rent will be allowed deduction.



 Insurance premium against accidental damage to the above properties.






 Need full Conditions for Deduction


 These deductions will be granted only if the following conditions are satisfied:


 (i) The taxpayer has to get his accounts audited by a Chartered Accountant and submit the audit report in Form No. 3Ac along with the return of income.  Where the accounts of the taxpayer are required to be audited statutorily, it shall be considered sufficient that the taxpayer has got his accounts audited and has submitted its report under that Act.  Provided that he has submitted an additional report in Form No. 3Ac.


 (ii) the taxpayer has within the prescribed time:-


 (a) has deposited money in the National Bank for Agriculture and Rural Development in an account maintained by the taxpayer under a scheme approved by the Tea Board, Coffee Board, Rubber Board; or


( b ) केन्द्रीय सरकार की पूर्व अनुमति लेकर चाय बोर्ड , कॉफी बोर्ड , या रबर बोर्ड के द्वारा बनाई गई योजना के अन्तर्गत करदाता ने जमा खाते में धनराशि जमा कर दी हो । 


(b) the taxpayer has deposited money in a deposit account under a scheme made by the Tea Board, the Coffee Board or the Rubber Board with the prior approval of the Central Government.

    
    

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