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कानूनी नोटिस और नोटिस वापसी: प्रक्रिया, महत्व और चुनौतियाँ

भूमि बंदोबस्त अधिकारी के कर्त्तव्यों एवं अधिकार क्या होते हैं ? ( Explain the powers and duties of settlement officer . )

बन्दोबस्त अधिकारी के कर्त्तव्य एवं अधिकार ( Power and Functions of Settlement Officer ) 

अधिनियम की धारा -225 के अन्तर्गत , राज्य सरकार किसी जिले या उसके भाग के बन्दोबस्त का भार ग्रहण करने के लिए एक बन्दोबस्त अधिकारी तथा उतने सहायक बन्दोबस्त अधिकारी , जितने कि वह उचित समझे , नियुक्त कर सकती है और जब तक उक्त जिला या उसका भाग बन्दोबस्त कार्रवाई के अधीन रहेगा तब तक ऐसा अधिकारी उन अधिकारों का प्रयोग करेंगे जो उन्हें इस अधिनियम के द्वारा दिये गये हैं । नियुक्ति का क्या ढंग होगा , इसके  बारे में सरकार हा निर्णय करने में सक्षम तथा उपर्युक्त अथोरिटी है । नियुक्ति प्रोमोशन से अथवा सीधे - सीधे की जा सकती है । कितनी संख्या में अधिकारी वांच्छित हैं , उसे भी राज्य सरकार ही निर्णीत करेगी । 


       सभी अधीनस्थ अधिकारी तथा कर्मचारी बन्दोबस्त अधिकारी के नियन्त्रण तथा निर्देश में कार्य करेंगे । सामान्यता कलेक्टर को ही बन्दोबस्त अधिकारी बना दिया जाता है , यही व्यावहारिक भी प्रतीत होता है ।

Power and Functions of Settlement Officer


 Under Section-225 of the Act, the State Government may appoint a Settlement Officer and as many Assistant Settlement Officers as it deems fit to take charge of the settlement of any district or part thereof, and until the said district or part thereof  Till such time the settlement is subject to action, such officer shall exercise the powers conferred on him by this Act.  The government is competent to decide about the method of appointment and the above mentioned authority is there.  Appointment can be done by promotion or directly.  The number of officers required will also be decided by the state government.



 All subordinate officers and employees will work under the control and instructions of the Settlement Officer.  Normally the collector is made the settlement officer, this also seems practical.

                  अधिनियम की धारा -256 के अन्तर्गत , कोई जिला या उसका भाग बन्दोबस्त कार्रवाई के अधीन हो जाने पर राज्य सरकार गजट में विज्ञप्ति के द्वारा बन्दोबस्त अधिकारी को नक्शा और खसरा के रखने और वार्षिक रजिस्टरों की तैयारी के कर्तव्य संक्रामित ( transfer ) कर सकती है और ऐसा होने पर बन्दोबस्त अधिकारी को वे सब अधिकार मिल जायेंगे जो यू . पी . लैण्ड रिवेन्यू एक्ट , 1901 के तृतीय अध्याय में कलेक्टर को दिये गये हैं । 


       ( धारा 256 )

 प्रक्रिया ( Procedure ) - मालगुजारी के बन्दोबस्त में निम्न प्रक्रिया को अपनाया जाता है 


                   अधिनियम की धारा 260 के अनुसार , किसी जिला या उसके भाग के बन्दोबस्त कार्यवाई के अधीन आ जाने पर बन्दोबस्त अधिकारी या सहायक बन्दोबस्त अधिकारी बन्दोबस्त कार्यवाई के अधीन प्रत्येक गाँव का निरीक्षण करेगा और ऐसी रीति से ऐसे सिद्धान्तों पर , जो नियत किये जायें , उस जिले या भाग को भूमि श्रेणियों और निर्धारण मण्डलों में बाँट देगा ।


Under Section-256 of the Act, when a district or its part is subjected to settlement operation, the State Government may, by notification in the Gazette, transfer the duties of keeping maps and khasras and preparation of annual registers to the Settlement Officer and  This being so, the Settlement Officer shall have all the powers which U.  P .  In the third chapter of the Land Revenue Act, 1901, the collector has been given.



 (Section 256)


 Procedure - The following procedure is adopted in the settlement of Malgujari



 According to section 260 of the Act, when a district or part thereof has come under settlement proceedings, the Settlement Officer or the Assistant Settlement Officer shall inspect every village under settlement proceedings and in such manner on such principles as may be prescribed,  or divide the portion into land categories and assessment circles.

         अधिनियम की धारा -261 के अनुसार , बन्दोबस्त अधिकारी ऐसी सभी भूमियों के विषय में जो किसी प्रतिबन्ध के और साथ किसी विशेष अवधि के लिए मालगुजारी के दायित्व से मुक्त कर दी गयी हो, जाँच करेगा और यदि उसे यह ज्ञात हो कि प्रतिबन्धों का उल्लंघन हुआ है अथवा अवधि समाप्त हो गयी है , तो यह ऐसा सब भूमियों पर मालगुजारी का निर्धारण कर देगा ।  



            
अधिनियम की धारा 262 के अनुसार ( 1 ) यदि किसी ऐसी भूमि के विषय में जो मालगुजारी से मुक्त न अभिलिखित हो , कोई यह दावा करे कि वह मालगुजारी से मुक्त है , तो उसे ऐसी भूमि का अपने अधिकार में मालगुजारी से मुक्त रखने का आगम सिद्ध करना पड़ेगा । 


( 2 ) यदि वह अपने आगम ( title ) को सिद्ध कर ले और उससे बन्दोबस्त अधिकारी को सन्तोष हो जाय तो यह मामला राज्य सरकार की प्रसूचित कर दिया जायेगा और इस सम्बन्ध में सरकार जो आज्ञा देगी वह अन्तिम होगी ।


 ( 3 ) यदि आगम इस प्रकार सिद्ध न हो तो बन्दोबस्त अधिकारी उस भूमि पर मालगुजारी निर्धारण की कार्रवाई करेगा और उस भूमि के अधिकारी व्यक्ति के साथ उसका बन्दोबस्त करेगा । 


    अधिनियम की धारा 263 के अनुसार भूमि जिस पर साधारणतया मालगुजारी निर्धारित की जायेगी , ऐसी भूमि को छोड़कर जिसके विषय में इस धारा में आगे अपवाद दिया गया है , गाँव के भूमिधरों के अभिलेख ( Record ) वर्ष वाली सभी भूमि - धृतियों की संकलित ( Aggregate ) भूमि होगी । इस अपवाद निम्नलिखित हैं 
According to Section-261 of the Act, the Settlement Officer shall hold an inquiry in respect of all such lands which have been freed from any restrictions as well as the obligation of revenue for a particular period and if he finds that the restrictions have been violated  or the period has expired, it shall determine the revenue on all such lands.






 According to section 262 of the Act (1) If in respect of any land which is not recorded as being free from revenue, any one claims that it is free from revenue, he shall prove that he has held such land free from revenue in his possession.  have to do it .



 (2) If he proves his title to the satisfaction of the Settlement Officer, the matter shall be reported to the State Government and the order passed by the Government in this regard shall be final.



 (3) If the income is not so proved, the Settlement Officer shall proceed to assess the revenue on that land and settle it with the person entitled to that land.



 According to section 263 of the Act, the land on which land revenue will ordinarily be determined, except the land in respect of which further exception has been given in this section, the aggregate of all the land holdings of the record year of the land owners of the village.  There will be land.  The following are exceptions


( क ) ऐसी भूमि जिस पर इस प्रकार की इमारतें हों जो उन्नति न समझी जाएँ ,


 ( ख ) खलिहान , 

( ग ) कब्रिस्तान और श्मशान भूमि और


 ( घ ) ऐसी भूमि जो नियत की जायें । 


       अधिनियम की धारा 164 के अनुसार , बन्दोबस्त अधिकारी सर्वप्रथम जोत की अनुमानित औसत बचत उपज ( surplus produce ) निकालेंगे । यह औसत बचत खेती के साधारण खर्च को घटाने के पश्चात् ऐसी रीति से निर्धारित की जायेगी , जैसा कि नियत किया गया हो । इसी औसत बचत का यह प्रतिशत देय मालगुजारी होगा , जो राज्य विधान - मण्डल द्वारा प्रस्ताव पास करके निश्चित किया जायेगा । राज्य सरकार द्वारा नियत क्रमिक मान के अनुसार उपज की बचत पर मालगुजारी का प्रतिशत परिवर्तित होता रहेगा । वह उपज की सबसे अधिक बचत वाली जोतों पर सबसे अधिक होगी और कम बचत वाली जोतों पर सबसे कम ।


            उत्तर प्रदेश भूमि विधि ( संशोधन ) अधिनियम , 1976 द्वारा बन्दोबस्त विधि में परिवर्तन - उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम , 1950 द्वारा यह गारण्टी दी गई थी कि अधिनियम की लागू होने के 10 वर्ष के पहले भूमि का बन्दोबस्त नहीं किया जायेगा और नये बन्दोबस्त के बगैर पूरा हुए भूमिधरों और सीरदारों की मालगुजारी बढ़ाई जा सकेगी ।


           1976 के संशोधन अधिनियम द्वारा दोनों गारण्टियों को समाप्त कर दिया गया है । और अब यह व्यवस्था की गई है कि अधिनियम के लागू होने के 20 वर्ष के पश्चात् किसी भी समय बन्दोबस्त किया जा सकता है और धारा 246 के अन्तर्गत एक अस्थायी विवरण पत्र तैयार करवा कर मालगुजारी का निर्धारण किया जाएगा । मालगुजारी भौमिक अधिकारों पर आधारित ना होकर भूमि की श्रेणी सिंचित व असिंचित होने के आधार पर निर्धारित होगी सिंचित भूमि उपज संपदा होती है इसलिए स्वाभाविक है कि उसकी सिंचित क्षेत्र की तुलना में अधिक आंकी जाएगी क्योंकि असिंचित भागों पर उपज तुलनात्मक रूप से कम ही होती है ।
                  (a) any land on which there are buildings of a nature not to be regarded as an improvement,



 (b) barn,


 (c) burial and cremation grounds, and



 (d) such land as may be prescribed.



 According to section 164 of the Act, the settlement officer will first calculate the estimated average surplus produce of the holding.  This average saving after deducting the ordinary cost of cultivation shall be determined in such manner as may be prescribed.  This percentage of this average savings will be the revenue payable, which will be decided by the State Legislature by passing a resolution.  The percentage of land revenue on the savings of produce will keep changing according to the graded scale fixed by the state government.  It will be highest on the farms with the highest savings of yield and lowest on the farms with the least savings.



 Change in settlement method by the Uttar Pradesh Land Law (Amendment) Act, 1976 - It was guaranteed by the Uttar Pradesh Zamindari Abolition and Land Reforms Act, 1950 that the land would not be settled before 10 years from the enactment of the Act and new  Land revenue of Bhumidhars and Sirdars will be increased without settlement.



 Both the guarantees have been abolished by the Amending Act of 1976.  And now it has been arranged that settlement can be done at any time after 20 years from the enactment of the Act and under Section 246, a temporary statement of revenue will be prepared and the land revenue will be determined.  The category of land will be determined on the basis of being irrigated and non-irrigated, not based on revenue land rights. Irrigated land is yield wealth, so it is natural that it will be assessed more than the irrigated area because the yield on unirrigated parts is comparatively less.  .

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