मुस्लिम विधि में मुशा से आपका क्या तात्पर्य है ? उदाहरण सहित समझाइये । What do you mean by Musha ? Explain with Illustration .
मुशा ( Musha ) का अर्थ है – भ्रम ( Confusion ) । ऐसा भ्रम उस समय उत्पन्न होता है जब सम्पत्ति का अविभाजित हिस्सा ( Undivided share of property ) दान की विषय वस्तु होती है । बेली ( Baillic ) ने मुशा का अर्थ सार्वजनिक सम्पत्ति या भूमि में अविभाजित भाग पर हिस्सा बताया है । मुशा का सिद्धान्त पारस्परिक मुस्लिम सिद्धान्तों के विरुद्ध है क्योंकि हिदाया में यह स्पष्ट तौर से कहा गया है कि दान केवल उसी सम्पत्ति का किया जाय जो विभाजन के योग्य हो और उसे अलग किया जा सके । इसके अपवाद स्वरूप कुछ परिस्थितियों में किसी सम्पत्ति के दान किये जाने के बाद उतने हिस्से के दान को वैध मान लिया जाता है , जितना हिस्सा विभाजित करके पृथक् किया जा सके । बाकी का दान अनियमित ( Irregular ) होता है , शून्य ( Void ) नहीं ।
हिदाया में लिखित मुशा सम्बन्धी नियम यह है कि किसी विभाज्य वस्तु के किसी भाग का दान या उपहार तब तक मान्य नहीं होता जब तक कि उसे विभाजित करने दाता की सम्पत्ति से अलग न कर दिया जाए , किन्तु अविभाज्य वस्तु ( उसके किसी , अविभाजित भाग का दान मान्य होता है ।
( i ) अविभाज्य सम्पत्ति ( Incapable of Partition ) |
( ii ) विभाजन योग्य सम्पत्ति ( Capable of Partition ) I
( 1 ) अविभाज्य सम्पत्ति ( Incapable of Partition ) - किसी सम्पत्ति के अविभाज्य ( Undivided share ) जिसका बंटवारा न हो सकता हो का दान वैध होता है । किसी मकान या सम्पत्ति का कोई भाग या हिस्सा स्पष्ट रूप से किसी व्यक्ति विशेष के नाम न हो और उस पर सामूहिक स्वामित्व हो तो उसका दान अवैध नहीं होता , जैसे ' अ ' ने अपना मकान ' ब ' को दान किया और उस मकान पर ऊपर चढ़ने वाली सीढ़ियों पर आने - जाने का भी अधिकार दिया । वे सीढ़ियाँ किसी एक गृह स्वामी की न होकर पड़ौस के सभी मकान मालिकों की सामूहिक सम्पत्ति थी । अतः मकान सहित सीढ़ियों पर चढ़ने का अधिकार दान करना वैध था । '
( 2 ) विभाज्य सम्पत्ति ( Property divisible ) - किसी सम्पत्ति के संविभाजित हिस्से ( Undivided share ) जिसका कि बंटवारा किया जा सके कुछ अपवादों सहित अधूरा और अनियमित होता है चाहे बाद में उसको पृथक् करके और उसके आधिपत्य का परिदान ( Delivery of possession ) नियमित कर लिया जाये । ऐसा नियम हनाफी सम्प्रदाय में है जबकि शाफई और इशना आशिरी ( Ishna Ashari ) में अन्यथा स्थिति है जिसके अनुसार मुशा का दान वैध है बशर्ते कि दानदाता उस सम्पत्ति से अपना प्रभुत्व हटा ले और दानग्रहीता को उस सम्पत्ति पर अपना पूर्ण नियन्त्रण स्थापित कर दे ।
अपवाद ( Exception ) - निम्नलिखित परिस्थितियों में अविभाज्य सम्पत्ति के दान चाहे वह हिस्सा ही क्यों न हो जिनका विभाजन करना सम्पत्ति न हो , दान के लिए उसी समय में वैध होगा जब से दान किया जाये चाहे उस हिस्से का विभाजन न किया गया हो और दानग्रहीता को उसका हिस्सा प्रदान किया गया हो
( 1 ) सह - वारिस को किया गया दान ( Gift to Co - sharcr ) - जब किसी सम्पत्ति का सह - वारिस दूसरे को अपने हिस्से का दान करे तो यह नियम लागू नहीं होता , एक मुस्लिम स्त्री ने अपनी मृत्यु के पश्चात् अपनी माँ , लड़का और एक लड़की छोड़ी । माँ ने अपने अनार्जित 1/6 वे हिस्से को संयुक्त रूप से मृतक ( अपनी पुत्री ) के लड़के और लड़की को दान कर दिया । उस मामले में विनिश्चय यह किया गया कि उक्त दान वैध था । '
( 2 ) किसी अविभाजित भूमि या जमीदारों के सह - हिस्सेदार का दान - जब दान किसी अविभाजित भूमि या जमींदारी के सह - हिस्सेदार को दिया जाये । अमीर अली का कथन था कि इस सम्बन्ध में मुशा का सिद्धान्त केवल छोटे भूमि के टुकड़ों के सम्बन्ध में लागू हो सकता । बड़ी - बड़ी भूमियों जैसे जमींदारी इत्यादि के लिए नहीं परन्तु आधुनिक समय में ऐसे मामलों मुशा का नियम नहीं माना जाता है ।
( 3 ) जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों को किया जाये - जब दान दाताओं के हिस्से को स्पष्ट रूप से और पूरी तरह पृथक् किया जा सकता है तो ऐसे हिस्से को दो या अधिक व्यक्तियों को किया गया दान अवैध होता है । जैसे — ' अ ' ने अपना मकान बराबर हिस्से में ' क ' और ' ख ' को सामान्ययिक अधिकारी ( tenant - in - common ) के रूप में दान किया । उस मकान का यद्यपि विभाजन किया जा सकता था परन्तु वैसा किया नहीं गया और न ही ' क ' ' ख ' के लिए विशिष्ट हिस्से निर्धारित किये गये परन्तु किरायेदारों को यह नोटिस दे दिया कि उस मकान को ' क ' को दान कर दिया गया है । अतः उन्हें ही किराये का भुगतान किया जाये । ऐसी व्यवस्था को कई उच्च न्यायालय में वैध माना है जिसमें बम्बई , कलकत्ता और नागपुर उच्च न्यायालय प्रमुख हैं ।
मुहम्मद बख्श बनाम हुसैन बीबी ' एक पर्दानशील स्त्री ने लेख - पत्र ( Deed ) द्वारा अपने मृतक पुत्र की सम्पत्ति के अविभाजित हिस्से को जो कि उसको अपने पुत्र के वारिस होने के नाते मिला था , अपनी पुत्री और दामाद को संयुक्त रूप से दान कर दिया । ऐसे मामलों में मुशा का उद्देश्य यही होता है कि किसी सम्पत्ति के अविभाज्य हिस्से में संयुक्त स्वामियों में किसी प्रकार .. का भ्रम न रहे और बिना किसी विभाजन कराये उस हिस्से का उपयोग करते रहें । या सम्पत्ति का कोई भाग या हिस्सा स्पष्ट रूप से किसी व्यक्ति विशेष का नाम न हो और उस पर सामूहिक स्वामित्व हो तो उसका दान अवैध नहीं होता , जैसे ' अ ' ने अपना मकान ' ब ' को दान किया और उस मकान पर ऊपर चढ़ने वाली सीढ़ियों पर आने - जाने का भी अधिकार दिया । वे सीढ़ियाँ किसी एक गृह - स्वामी की न होकर पड़ौस के सभी मकान मालिकों की सामूहिक सम्पत्ति थी । अतः मकान सहित सीढ़ियों पर चढ़ने का अधिकार दान करना वैध था ।
( 4 ) किसी कम्पनी में शेयर का दान मान्य होता है ।
( 5 ) इस अनुबन्ध के साथ मुराअ का दान कि दान प्रहीता किसी व्यक्ति को नियत अवधि के अन्तर से निश्चित धनराशि दिया करेगा , ' मुराअ ' के सिद्धान्त की बाधा से मुक्त तथा मान्य के होता है । शिया विधि के अनुसार , अविभाजित हिस्से का हिबा मान्य है , सम्पत्ति विभाज्य हो या अविभाज्य ।
कासिम हुसैन बनाम शरी फुन्निसा (1885)3 All. 278
Comments
Post a Comment