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मुस्लिम विधि मे मुतवल्ली कौन होते हैं और यह किसके द्वारा नियुक्त किये जाते हैं इनके क्या अधिकार होते हैं?

मुतवल्ली (mutwalli): वक्फ के प्रबंधक या अधीक्षक को मुतवल्ली कहते हैं। दूसरे शब्दों में किसी सम्पत्ति का ईश्वर के प्रति धार्मिक  और दानार्थ कार्यों के लिये समर्पित  होने पर उसकी व्यवस्था करने वाले को प्रबन्धक या मुतवल्ली ( Mutwalli ) कहा जाता है । मुतवल्ली ऐसी वक्फ सम्पत्ति का स्वामी नहीं होता बल्कि ईश्वर का ऐसा सेवक होता है जो उसके ( ईश्वर ) प्राणियों की भलाई के लिए सम्पत्ति का प्रबन्ध करता है । मुतवल्ली वक्फ सम्पत्ति का न्यायधारी ( Trustee ) भी नहीं होता । वह सम्पत्ति का मात्र अधीक्षक या प्रबन्धक ही होता है । वक्फ की सम्पत्ति के संचालन और कार्यों के लिए उसकी स्थिति और दायित्व ट्रस्टी ( Trustee ) के समान हो । वक्फ सम्पत्ति का आधार नैतिक और आध्यात्मिक होता है । अतः उसके प्रबन्धक को ठीक से ट्रस्टी भी नहीं कहा जा सकता ।


 निम्नलिखित में से कोई भी मुतवल्ली हो सकता है-

 ( 1 ) स्वयं वाकिफ । 

( 2 ) वाकिफ की सन्तान और उसके उत्तराधिकारी । 

( 3 ) कोई अन्य व्यक्ति ( जिसमें स्त्रिया ) भी शामिल है किन्तु स्त्रियाँ धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के उद्देश्यों के लिये मुतवल्ली नहीं हो सकती है । 


( 4 ) गैर - मुस्लिम । 

 उपर्युक्त ( 3 ) और ( 4 ) श्रेणी के व्यक्ति वक्फ सम्पत्ति के लिए मुतवल्ली तो हो सकता है परन्तु धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए मुतवल्ली नहीं हो सकते । 


निम्नलिखित में से कोई भी मुतवल्ली नहीं हो सकता:-

 ( 1 ) कोई नाबालिग , 

( 2 ) विकृत मस्तिष्क वाला पुरुष , 

( 3 ) धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों को करने के लिए कोई स्त्री । 

इसका कारण यह होता है कि कोई भी स्त्री ( अ ) सज्जादानशील का कार्य नहीं कर सकती , ( ब ) खातिब द्वारा पत्र को पढ़ने वाला , ( स ) मस्जिद के इनाम का कार्य इत्यादि नहीं कर सकती । 


मुतवल्ली की नियुक्ति - मुतवल्ली की नियुक्ति वक्फ की स्थापना के साथ ही हो जाती है अन्यथा अबू - अनीसा और इमाम मुहम्मद के अनुसार रक्त समर्पण असफल हो जाता है जबकि काजी अबू युसुफ का विचार था कि समर्पण वैध होता है और वाकिफ को मुतवल्ली माना जा सकता है । वैसे आमतौर पर मुतवल्ली की नियुक्ति ( अ ) स्वयं वाकिफ , ( ब ) बाकिफ की सम्पत्ति का निष्पादन . ( स ) मुतवल्ली स्वयं जबकि वह मर्णासन्न अवस्था में हो ।

 ( द ) न्यायालय द्वारा की जा सकती है । 

  सामान्यतः ' जिला जज ' जो कि इन कार्यों के उद्देश्यों के लिए मूल अधिकार रखने वाला न्यायालय माना जाता है और पदेन काजी के अधिकार रखता है , मुतवल्ली की नियुक्ति संक्षिप्त विचारण के द्वारा करता है । 


मुतवल्ली का पद वंशानुगत नहीं होता । उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 312 में दिये गये उत्तरजीविता का पारिभाषिक नियम मुतवल्लियों पर लागू नहीं होता क्योंकि मुस्लिम कानून के नियम इस नियम के पक्ष में नहीं हैं । नये मुतवल्ली की नियुक्ति निम्नलिखित में से कोई भी कर सकता है 


( 1 ) वाकिफ । 

( 2 ) वाकिफ की सम्पत्ति का निष्पादक । 

( 3 ) पहले से नियुक्त वह मुतवल्ली जो मरणासन्न अवस्था में हो । 

( 4 ) न्यायालय जो निम्नलिखित बातों पर भी ध्यान देता है— 

( अ ) वाकिफ के निर्देश , यदि कोई हो तो । 

( ब ) वाकिफ के मुतवल्ली पद प्रत्याशी का सम्बन्ध 

( स ) वंश क्रमानुगत सम्पत्ति को माँग 

( 5 ) किसी विशेष सम्प्रदाय के समाज द्वारा भी मुतवल्ली नियुक्त किया जा सकता है । ऐसो नियुक्ति में रिवाज या नियमों द्वारा कुछ तरीके निश्चित रहते हैं ।

 मुतवल्ली की शक्तियाँ और कर्त्तव्य ( The Power & duties of Mutwalli ) मुतवल्ली ऐसे सभी कार्य कर सकता है जो परिस्थितियों के अनुसार वक्फ सम्पत्ति की रक्षा एवं वक्फ के प्रशासन के लिए युक्तियुक्त और उचित हो । मुतवल्ली की निम्नलिखित शक्तियाँ के होती हैं -


( 1 ) वक्फनामे में प्रत्यक्ष उल्लेख होने या न्यायालय की स्वीकृति होने पर वक्फ सम्पत्ति का बन्धक या विनिमय कर सकता है । 

( 2 ) कुछ परिस्थितियों और निर्धारित शर्तों के आधार पर वक्फ सम्पत्ति का पट्टा ( lease ) कर सकता है जो कि कृषि योग्य भूमि को 3 वर्ष तक और गैर कृषि योग्य भूमि को अधिकतम 1 वर्ष के लिए पट्टे पर दे सकता है । 

( 3 ) न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना वक्फ सम्पत्ति पर मान्य प्रभार ( Recognised charge ) या स्थायी भार नहीं लाद सकता । 

( 4 ) अन्य अधिकार ( Other Rights ) वक्फ सम्पत्ति पर मुतवल्ली के अन्य अधिकार इस प्रकार हैं -- ( अ ) वक्फनामे के अनुसार उसकी व्यवस्था करना , ( ब ) उसके सन्तुष्ट न होने पर न्यायालय द्वारा दशांश तक चढ़वाना , ( स ) इमाम की नियुक्ति ।


      मुतवल्ली अपने पद को किसी अन्य व्यक्ति को अन्तरित करने की शक्ति नहीं रखता । मुतवल्ली का पद सम्पत्ति नहीं है अतः वह किसी अन्तरण की विषय वस्तु नहीं हो सकता । 

मुतवल्ली संस्थापक द्वारा नियत किये गये पारिश्रमिक का अधिकारी होता है । यदि वह राशि बहुत कम हो तो मुतवल्ली उसे बढ़ाने के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है । 


   मुतवल्ली का हटाया जाना ( Removal of Mutwalli ) - एक बार विधिवत् नियुक्ति हो जाने के बाद मुतवल्ली को हटाया नहीं जा सकता है । जब मुतवल्ली वक्फ की ख्याति पर काबिज हो जाय तो वक्फकर्ता उसे हटा नहीं सकता जब तक कि वक्फनामे में ऐसी शक्ति उसने रख नहीं छोड़ी हो । न्यायालय मुतवल्ली को तभी हटा सकता है जब कर्तव्य विमुखता या न्यायोलंघन का कोई सबूत हो जाय कि वह मुतवल्ली का पद धारण करने के योग्य नहीं रह गया है । मुतवल्ली द्वारा वक्फ ख्याति पर निजी अधिकार प्रदर्शित करना और वक्फ के को अस्वीकार करना उसे इस आधार पर हटाने के लिए पर्याप्त है कि इसको धारण करने के अस्तित्व - भी वक्फ की सम्पत्ति के परिसर की मरम्मत नहीं कराता अथवा जानबूझ कर वक्फ की सम्पत्ति को क्षति पहुँचाता है या कुप्रबन्ध करता है , या वह दिवालिया हो जाता है , या वह शारीरिक मानसिक रूप से असमर्थ हो जाता है तो इस पद से हटाया जा सकता है।


          यदि वाकिफ स्वंय प्रथम मुतवल्ली है तो वह अपने जीवन काल में अपने पद से त्याग पत्र दे सकता है और अपने स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को मुतवल्ली नियुक्त कर सकता है।

अब्दुल रज्जाक बनाम अली बखरा ( I. L. R. 1945 ) Lahore 540

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