हिबा या दान की विषय वस्तु ( Subject matter of Gift ) - सामान्य सिद्धान्त यह है कि उस वस्तु का दान हो सकता है
( क ) जिस पर स्वामित्व ( मिल्कियत ) या सम्पत्ति के अधिकार का प्रयोग किया जा सके ।
या
( ख ) जिस पर कब्जा किया जा सके , या
( ग ) जिसका अस्तित्व
( i ) किसी विशिष्ट वस्तु या
( ii ) निष्पादन अधिकार के रूप में हो
( घ ) जो माल शब्द के भीतर आती है ।
किसी भी वस्तु का दान हो सकता है जिस स्वामित्व या सम्पत्ति के अधिकार का प्रयोग किया जा सके या जिस पर कब्जा किया जा सके । सम्पत्ति को मुस्लिम विधि में ' माल ' कहा जाता है । माल की सीमा में आने वाली निम्नलिखित प्रकार की सम्पत्ति दान की सकती है विषय - वस्तु
( 1 ) कृषि भूमि । '
( 2 ) किसी पवित्र स्थान पर तीर्थ यात्रियों द्वारा चढ़ाई गई भेंटों में से विनिर्दिष्ट अंश प्राप्त
करने का अधिकार ।
( 3 ) मेहर प्राप्ति का अधिकार
( 4 ) बीमा पालिसी का समनुदेशन
( 5 ) कुर्की के अधीन सम्पत्ति
( 6 ) मोचन का अधिकार
( 7 ) अभियोज्य दावा ( Actionable claims ) तथा अमूर्त सम्पत्ति ।
( 8 ) जमींदारी अधिकार या पट्टे पर ली गई जमीन ।
( 9 ) ऋण और परक्राम्य विलेख ( negotiable instrument ) जैसे वचन पत्र का चेक । '
किसी भी मौजूदा सम्पत्ति का दान हो सकता है चाहे वह सम्पत्ति पैतृक हो या स्वार्जित , चल हो या अचल , दृश्य या अदृश्य चाहे भौतिक कब्जा ( Physical possession ) दिया जा सके या नहीं और ( जहाँ अचल सम्पत्ति हो ) चाहे दाता का उस पर पूर्ण स्वामित्व का अधिकार हो या उसके केवल उसका सीमित स्वामित्व ।
कोई भी मुस्लिम अपनी सम्पूर्ण सम्पत्ति दान में दे सकता है और सम्पत्ति का दान भावी उत्तराधिकारियों के पक्ष में भी किया जा सकता है । इस प्रकार मुस्लिम व्यक्ति अपनी सारी सम्पत्ति का दान अजनवी व्यक्ति को कर सकता है और उत्तराधिकारियों के लिए कुछ भी अवशेष न बचे ।
हिबा की विषय - वस्तु की सीमा एवं तत्व - मुस्लिम विधि में सम्पत्ति के दो तत्वों - काय ( Corpus ) और फलोपभोग ( Usefruct ) के बीच प्रभेद माना जाता है और उसका अलग महत्व है । काय से आशय दान की विषय वस्तु के सम्पूर्ण स्थूल भाग से है । यहाँ मुख्यतः काय से तात्पर्य " सम्पत्ति पर स्वामित्व का निरपेक्ष अधिकार " -अर्थात् सम्पत्ति पर स्वामित्व का ऐसा अधिकार जो उत्तराधिकार योग्य हो ( Heritable ) हो और समय के विचार से जिसकी कोई सीमा न हो । फलोद भोग से तात्पर्य है- " सम्पत्ति के उपभोग और उपयोग का किसी व्यक्ति का अधिकार । " समय की दृष्टि से यह अधिकार सीमित होता है , उत्तराधिकार - योग्य ( Heritable ) नहीं होता । सम्पत्ति के काय ( ऐन ) का दान ' दिवा ' कहलाता है और फलोपभोग का दान ' अरीया ' ।
हिबा की विषय - वस्तु मूर्त ( Corpoveal ) या अमूर्त ( Incorpoveal ) हो सकती है । मूर्त सम्पत्ति वह है जो भौतिक अस्तित्व रखती हो और इस रूप में देखी और हुई जा सके , जैसे मकान , धन या भूमि । अमूर्ति सम्पत्ति वह है जिसका भौतिक अस्तित्व न हो , किसी ऋण का भुगतान प्राप्त करने का अधिकार या बन्धक या मोचन का अधिकार ।
एक वाद में मद्रास उच्च न्यायाल ने अवलोकन किया है , " जहाँ माता द्वारा अपनी पुत्री को घर दान में दिया जाता है तो ऐसा दान वैध माना जायेगा चाहे दान - पत्र में कब्जे के सम्बन्ध में चर्चा न हो यदि माता और पुत्री साथ - साथ उसी घर में निवास करती हों ।
सी . टी . डी . ए . पाचुम्मा बनाम पोक्का के वाद में केरल उच्च न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि मुस्लिम विधि के अन्तर्गत विधिपूर्ण दान के लिए यह आवश्यक नहीं है दानकर्ता उस अचल सम्पत्ति को प्रत्यक्ष रूप से छोड़कर जाये तथा दानगृहीता को दे , यदि दोनों दानकर्त्ता तथा दानपहीता एक साथ रह रहे हैं । इस प्रकार के दान को दानकर्त्ता एवं दानग्रहीता के किसी प्रकट कार्य द्वारा पूर्ण किया जा सकता है ।
यदि दानग्रहीता पत्नी है तब दान सम्पत्ति का दाखिला खारिज भी जरूरी नहीं बशर्ते कि दान - पत्र यह पुष्टि करे कि पति ने पत्नी को सम्पत्ति का कब्जा दे दिया जिसे पत्नी ने स्वीकार भी कर लिया ।
निम्नलिखित सम्पत्तियाँ हिबा को मान्य विषय - वस्तु हो सकती है
( क ) ऋण का भुगतान लेने का अधिकार ।
( ख ) धन ( माल ) ।
( ग ) अधिकार जो पूर्ण स्वामित्व का न हो ; जैसे लगान वसूली का वाले गाँवों का लाभ ।
( घ ) बन्धक मोचन का अधिकार ( Equity of redemption ) - कोई मुसलमान बन्धक रखी हुई सम्पत्ति के बन्धक - मोचन के अधिकार को उपहार के रूप में दे सकता है ।
( ङ ) आजीवन हित ।
( च ) मेहर ।
( घ ) सरकारी प्रतिभूतियाँ ( Securities ) ।
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- अमीर अली मोहम्मडन लॉ प्रथम 64
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