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भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

बलात्कार का अपराध सिद्ध करने के लिए किन -किन बातों का होना आवश्यक है?( what factors are essential to prove the offence of rape?)

बलात्कार(Rape): भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुसार जो पुरुष अपवादित दशा  के सिवाय किसी स्त्री के साथ निम्नलिखित 6 प्रकार की परिस्थितियों में से किसी परिस्थिति में मैथुन करता है वह बलात्कार होता है


(1) उसकी इच्छा के विरुद्ध

(2) उस स्त्री की सहमति के बिना

(3) उस स्त्री की सहमति से जबकि उसकी सहमति उसे मृत्यु या अपहानि में डाल कर प्राप्त की गई है।


(4) उस स्त्री की सहमति से जबकि वह पुरुष यह जानता है कि वह स्त्री का पति नहीं है और उस स्त्री ने अपनी सहमति इसलिए  दे दी है कि वह विश्वास करती है कि वह वही पुरुष है जिससे वह विधि पूर्ण विवाहित है या विवाहित होने का विश्वास करती है।

(5) उस स्त्री की सहमति से जबकि ऐसी सहमति देने के समय वह मन की विकृत चित्तता (unsoundness of mind) अथवा मदत्ता (intoxication) अथवा किसी जडियाकारी या अस्वास्थकर पदार्थ के सेवन के कारण उस कार्य को उसके लिये उसने सम्मति दी है प्रकृति एवं उसके परिणाम जान सकने में असमर्थ रही हो।



(6) उस स्त्री की सम्मति से या बिना सम्मति के जबकि वह 16 वर्ष से कम आयु की है।


स्पष्टीकरण: बलात्सर्ग या बलात्कार के अपराध को गठित करने के लिए लैंगिक समागम (Sexual intercourse) आवश्यक है जिसके लिए लिंग प्रवेश(Penetration) पर्याप्त है।


अपवाद : पुरुष का अपनी पत्नी के साथ मैथुन बलात्कार नहीं जबकि वह 15 वर्ष से कम की नहीं है।


        बलात्कार की उपर्युक्त परिभाषा से इसके निम्नलिखित आवश्यक तत्व(essential ingredients) स्पष्ट होते हैं


(1) किसी पुरुष के द्वारा किसी स्त्री के साथ लैंगिक सम्भोग (Sexual intercourse) किया जाना एवं

(2) ऐसे लैंगिक सम्भोग का अग्रलिखित  परिस्थितियों में से किसी के अंतर्गत किया जाना

(अ) उस स्त्री की इच्छा के विरुद्घ 

(ब) उस स्त्री की सम्मति (Consent) के बिना

(ब) उस स्त्री की मृत्यु या चोट या भय  बनाकर सम्मति प्राप्त करके उसे अपने को पति बना कर जबकि वास्तव में वह उसका पति नहीं है।


(द) उसकी सम्मति या बिना सम्मति के जबकि उसकी आयु 16 बर्ष से कम है।

(ध) उस स्त्री की सम्मति से जबकि सम्मति  देने के समय वह मन की विकृत चिन्तन मदत्त अथवा किसी मादक या अस्वास्थकर पदार्थ के सेवन के कारण कार्य की प्रकृति एवं परिणाम जान सकने में असमर्थ रही हो।


बलात्कार के लिए दंड: भारतीय दंड संहिता की धारा 376 में बलात्कार के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। यह धारा दंड विधि(संशोधन ) अधिनियम 1983 द्वारा अन्त: स्थापित है। इसके अनुसार(1) जो कोई उप धारा(2) में उपबंधित मामलों के सिवाय बलात्कार करेगा वह ऐसी अवधि के कारावास से जो 7 वर्ष से कम नहीं होगी लेकिन आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। यदि वह स्त्री जिसके साथ बलात्कार किया गया है उसकी पत्नी है और उसकी आयु 12 वर्ष से कम नहीं है तो वह 2 वर्ष की अवधि के कारावास से या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा। लेकिन न्यायालय पर्याप्त एवं विशेष कारणों का उल्लेख करते हुए ऐसे व्यक्ति को 7 वर्ष से कम तक की अवधि के कारावास से दंडित कर सकेगा।


(2) जो कोई

(क) पुलिस अधिकारी होते हुए

(अ) ऐसे पुलिस थाने की सीमाओं के भीतर जिसमें वह नियुक्त है या

(ब) ऐसे किसी  पुलिस ग्रह या चौकी के परिसर में ,चाहे वह उसकी नियुक्ति वाले थाने की सीमाओं के  भीतर  अवस्थित हो या नहीं या

(स) ऐसी स्त्री के साथ जो उसकी अथवा उसके अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा में है ,बलात्कार करेगा ,अथवा



(ख) लोक सेवक होते हुए लोक सेवक के नाते अपनी अथवा अपने अधीनस्थ किसी लोकसेवक की अभिरक्षा में होने वाली किसी स्त्री के साथ अपनी पदीय स्थिति का लाभ उठाते हुए बलात्कार करेगा अथवा


(ग) किसी कारागृह अथवा रिमांड अथवा तत्समय प्रवृति किसी विधि के द्वारा अथवा उसके अधीन स्थापित किसी अभिरक्षा के स्थान अथवा स्त्रियों या बच्चों की किसी संस्था का प्रबंध अथवा  कर्मचारी होते हुए कारागृह रिमांड ग्रह स्थान अथवा संस्था में निवास करने वाली स्त्री के साथ अपनी पदीय  स्थिति का लाभ उठाते हुए बलात्कार करेगा अथवा


(घ) किसी अस्पताल का प्रबंधक अथवा कर्मचारी होते हुए अपनी पदीय स्थिति का लाभ उठाते हुए अस्पताल में किसी स्त्री के साथ बलात्कार करेगा।


(ड) किसी गर्भवती स्त्री के साथ यह जानते हुए कि वह गर्भवती है बलात्कार करेगा अथवा


(च) किसी ऐसी स्त्री के साथ जिसकी आयु 12 वर्ष से कम है बलात्कार करेगा


(छ) सामूहिक रूप से बलात्कार करेगा

         उसे कम से कम 10 वर्ष की अवधि का कठोर कारावास से लेकिन जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय  होगा।



             लेकिन न्यायालय अपने निर्णय में पर्याप्त एवं विशेष कारणों का उल्लेख करते हुए 10 वर्ष से कम अवधि तक के कारावास से दंडित कर सकेगा।


स्पष्टीकरण(1) जहां व्यक्तियों के किसी समूह में से एक या एक से अधिक द्वारा एक सामान्य आशय से अनुसरण में किसी स्त्री के साथ बलात्कार करा जाएगा।


स्पष्टीकरण(2) शब्द स्त्रियों तथा चालकों की संस्था अभिप्राय ऐसी संस्थाएं हैं जिसकी स्थापना स्त्रियों एवं बालकों की देखभाल एवं शरण के लिए की गई है फिर चाहे उसे अनाथों की संस्था या उपेक्षित महिलाओं की संस्था या महिलाओं अथवा बालकों का ग्रह( महिला एवं बाल गृह) या अन्य किसी नाम से पुकारा जाता हो।


स्पष्टीकरण(3) अस्पताल से अभिप्राय अस्पताल प्रांगण से है और इसमें ऐसी किसी संस्था का प्रांगण भी सम्मिलित है जिसमें लोग स्वास्थ्य लाभ अथवा चिकित्सीय परिचर्या अथवा पुनर्वास के लिए आते हैं।


       कोई पुरुष अपनी पत्नी के साथ बलात्कार कर सकता है?


       सामान्यतया प्रत्येक पुरुष को अपनी पत्नी के साथ लैंगिक संभोग करने का अधिकार होता है। परंतु कुछ अवस्थाओं में यह अधिकार प्रतिबंधित हो जाता है और ऐसी लैंगिक संभोग बलात्कार का कारण ले सकता है।


       यदि पत्नी   की आयु 15 वर्ष से कम है तो उसके साथ किया गया लैंगिक संम्भोग बलात्कार माना जाएगा।



बीएन रेड्डी बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के मामले में अभियुक्त जोकि 22 वर्षीय युवक था  ने एक 30 वर्षीय विवाहित महिला को पराभूत (over power ) करके उसके साथ बलात्संग किया। उस महिला के 2 बच्चे भी थे। अभियुक्त ने अपने बचाव में  महिला की सम्मति  का तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि वह अकेले अपने से आयु में वरिष्ठ महिला को बलात्संग के लिये विवश कैसे कर सकता  था। परंतु उक्त महिला के गुप्तांग पर चोटों के चिन्हों से स्पष्ट था कि उसे बलात्कार के लिए बल प्रयोग द्वारा विवश किया गया था। अतः अभियुक्त को दोष सिद्ध किया गया।


राज्य बनाम सुंदर लाल में  उच्चतम न्यायालय ने यह कहा कि बलात्संग कि 13 वर्षीय पीड़ित बालिका उस राज्य के चेहरे को नहीं भूल सकती थी उस राज्य केउस राज्य के चेहरे को नहीं भूल सकती थी जिसने उसके साथ यह घृणित कार्य किया था। यह ऐसा मामला नहीं था जहां पीड़ित को अभियुक्त की क्षणिक झलक ही मिली हुई थी। घटाना स्थल पर उजाला था। उसके साक्ष के द्वारा अभियुक्त की पहचान साबित हो चुकी थी और इसलिए उसकी दोष  सिद्धि उचित थी।


संतोखसिंह  बनाम राजस्थान राज्य में अपनी रक्षा न कर सकने वाली 9 वर्षीय बालिका के साथ बलात्संग करने वाले 32 वर्षीय अभियुक्त  को आजीवन कारावास से दंडित किया गया।


धारा 376 क: उस व्यक्ति को 2 वर्ष तक का कारावास तथा अर्थदंड दिया जा सकता है जो  अपनी ही पत्नी से बिना उसकी सहमति के मैथुन करता है यदि वह न्यायालय की डिक्री के तहत अलग रह रही हो।


धारा 376 ख: यदि कोई लोकसेवक अपनी पदीय स्थिति का लाभ उठाते हुए अपनी अभिरक्षा में रह रही स्त्री को बहला-फुसलाकर कि वह उसके साथ लैंगिक मैथुन  करें किंतु ऐसा करना बलात्संग (rape) करने की सीमा तक ना पहुंचे तो उसे 5 वर्ष तक का कारावास और जुर्माने का दंड दिया जा सकता है।


धारा 376 ग और धारा 376 डी क्रमशः जेल अधीक्षक रिमांड होम आदि के अधीक्षकों तथा अस्पताल प्रबंधन तंत्र के सदस्यों या कर्मचारियों के संबंध में धारा 376 बी के अनुसार दंड का विधान करती है।


धारा 376 घ कोई किसी अस्पताल में प्रबंध में होते हैं या   किसी अस्पताल के कर्मचारी होते हुए अपनी शासकीय स्थिति का लाभ उठाकर उस अस्पताल में किसी स्त्री के साथ ऐसा मैथुन करेगा जो मैथुन बलात्संग  की कोटि में नहीं आता वह दोनों में से किसी भांति  के कारावास से जिसकी अवधि 5 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय  होगा।


( नोट: इस संशोधन द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 327 में संशोधन कर दिया गया है और ऊपर लिखे सब अपराधों की कार्यवाही गुप्त रूप से बंद कमरे में न्यायालय द्वारा की जाएगी। न्यायालय से आज्ञा प्राप्त करके ही कोई व्यक्ति विचारण(trial) वाले स्थान में प्रवेश पा सकेगा। ऐसे विचारण की कार्यवाही न्यायालय की आज्ञा के बिना ना छापी जाएगी और ना प्रकाशित की जाएगी। उसके विपरीत करने पर दंड का प्रावधान  नई धारा 228 A.I. P.C. में दिया गया है)


            एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने नवयुवक अपराधी के प्रति जो अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया वह सराहनीय है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार किसी अपराधी को दंड के दिए जाने में इस बात का विचार होना चाहिए कि क्या उसने उक्त अपराध कार्य आपराधिक उद्देश्य से किया या किसी क्षणिक उत्तेजना अथवा परिस्थिति वश किया था। यदि अभियुक्त  एक अभ्यास्थ अपराधी ना होकर  एक सामान्य नागरिक है परंतु किसी कारणवश कोई ऐसा कार्य कर बैठता है जो कि भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडनीय है तो न्यायालयों  का कर्तव्य है कि उसे दंड देते समय उक्त तथ्यों पर विशेष ध्यान दें।


           वर्तमान मामले में अभियुक्त एक 22 वर्षीय ग्रामीण नौजवान था जिसकी विवाहित पत्नी खेतों पर कार्य करती थी। उक्त नवयुवक का चरित्र अपराधिक नहीं था परंतु परिस्थिति वश और किसी प्रकार से उद्वेलित काम उत्तेजना के कारण उसने अपनी चचेरी बहन को जो कि 24 वर्ष की थी दिन की रोशनी में अकेली पाकर दबोच लिया और उसके साथ बलात्कार किया। लड़की की मां द्वारा पुलिस में रिपोर्ट किए जाने पर मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने उसको 4 वर्ष के कठोर कारावास का दंड दिया परंतु सर्वोच्च न्यायालय में अपील होने पर उपयुक्त दृष्टिकोण रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने उसको  कम करते हुए 2 वर्ष का दंड दिया।


         एक मामले में एक स्त्री के साथ चार बार बलात्कार किया गया। उसके स्तन का अगला भाग लाल हो गया लेकिन उस स्त्री ने उसका विरोध नहीं किया। उसके शरीर पर बल प्रयोग के निशान भी नहीं थे न्यायालय द्वारा यह भी निर्धारित किया गया कि लैंगिक संभोग उस स्त्री की सहमति से किया गया था और ऐसी सम्मति  धमकी के अधीन प्राप्त नहीं की गई थी।


(1)1988 क्रि.ला. जनरल 1461(आन्ध्र)

(2)ए.आई.आर. 1992 एल.सी.1413

(3) 1996 क्रि.एल . जे. 4402 (राजस्थान)





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