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भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत लोक सेवकों द्वारा या उनसे संबंधित अपराध का प्रावधान( various provisions provided in I.P.C. regarding offence related to public servants)

लोक सेवक द्वारा किसी व्यक्ति को क्षतिकारित करने के आशय से विधि की अवज्ञा करना  : भारतीय दंड संहिता की धारा 166  ऐसे लोक  सेवक के दायित्व से संबंधित है जो किसी व्यक्ति को क्षतिकारित करने के आशय से विधि की अवज्ञा करता है। इसके अनुसार यदि कोई लोक सेवक जो लोक सेवक के नाते उसे आचरण करने वाले ढंग के विधि के निर्देश को जानते हुए उसकी इस आशय से अवज्ञा करेगा या यह संभावना जताते हुए अवज्ञा करेगा कि ऐसी अवज्ञा से वह किसी व्यक्ति को क्षतिकारित करेगा  वह 1 वर्ष के सादा कारावास से या जुर्माने से या दोनों से दण्डित किया जायेगा ।


उदाहरण A जो एक ऑफिसर  है और न्यायालय द्वारा  B के पक्ष में  दी गयी  डिक्री की तुष्टि के लिए निष्पादन में संपत्ति लेने के लिए विधि द्वारा निर्देशित यह ज्ञान रखते हुए की यह सम्भाव्य है कि एतद् द्वारा वह B को क्षतिकारित करेगा जानते हुये विधि के उस निर्देश की अवज्ञा करता है। A ने इस धारा को परिभाषित अपराध किया है।


(2) लोक सेवक द्वारा क्षतिकारित करने के आशय से अशुद्ध दस्तावेज की रचना करना: धारा 167 के अनुसार जो कोई लोकसेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना या  अनुवाद करने का भार वाहन करते हुए उस दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की रचना या अनुवाद ऐसे प्रकार से जिसके बारे में उसे ज्ञान हो या विश्वास हो वह अशुद्ध है या तो इस आशय से करेगा या इस संभावना को जानते हुए करेगा कि एतद् द्वारा वह किसी व्यक्ति को क्षतिकारित  करें तो वह 3 वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।


(3) लोक सेवक द्वारा विधि विरुद्ध रूप से व्यापार करना: धारा 168 के अनुसार जो कोई लोकसेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते किस बात के लिए वैद्य रूप से आबद्ध होते हुए की वह व्यापार में ना लगे व्यापार में लगेगा वह सादा कारावास से जिसकी अवधि 1 वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।


(4) लोक सेवक द्वारा विधि विरुद्ध रूप से संपत्ति क्रय करना या उसके लिए बोली लगाना: धारा 169 के अनुसार जो कोई लोकसेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते इस बात के लिए वैद्य रूप से आबाध्य होते हुए की वह अमुक  संपत्ति को ना तो क्रय करें और ना उसके लिए बोली लगाएं अपने निजी के नाम में या किसी दूसरे के नाम में अथवा दूसरों के संयुक्त रूप से या अंशों में संपत्ति को क्रय करेगा  या उसके लिए बोली लगाएगा वह सादा कारावास से जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने  से या दोनों से दंडित किया जाएगा और यदि वह संपत्ति क्रय कर ली गई है तो वह अधिग्रहित कर ली जाएगी।


(5) धारा 170 के अनुसार जो कोई किसी विशिष्ट पद को लोक सेवक के नाते धारण करने का उद्देश्य: इस ज्ञान के साथ करेगा कि वह ऐसा पद धारण नहीं करता या ऐसे पद धारण करने वाले किसी अन्य व्यक्ति का हृदय प्रतिरूपण करेगा और ऐसे बनावटी रूप में ऐसे पदाभास से कोई कार्य करेगा या करने का प्रयत्न करेगा वह 2 वर्ष तक के सादा या कठिन कारावास से या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।


(6) धारा 171 के अनुसार जो कोई लोक सेवकों के किसी खास वर्ग का नहीं होते हुए भी यह आशय रखते हुए की यह विश्वास किया जाए या इस ज्ञान से की संभावना यह है कि यह विश्वास कर लिया जाए कि वह लोक सेवकों के उस वर्ग का है लोक सेवकों के उस वर्ग के द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक के सदृश्य पोशाक पहनेगा या टोकन के सदृश  कोई टोकन धारण करेगा वह 3 मार्च तक के सादा कारावास या कठिन कारावास से या दोनों से दंडित किया जाएगा।



    

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