मानहानि क्या होती है? मानहानि और अपराध में क्या अंतर है? भारतीय दंड संहिता में मानहानि को किस प्रकार से परिभाषित किया गया है?( define defamation as a crime. Discuss ingredients and exceptions as defined in Indian Penal Code. What is the difference between defamation and insult?)
मानहानि(Defamation ): मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसका समाज में अपना अस्तित्व होता है और हर प्राणी अपने अस्तित्व को बनाए रखता है। मनुष्य को अनेक सामाजिक कर्तव्यों का निर्वाह करना होता है रोज उसके लिए अनेक संघर्षों का सामना भी करना पड़ता है। उसे सामाजिक आर्थिक एवं व्यक्तिगत सुरक्षा के अनेक कार्यकार उपलब्ध है। वह इन अधिकारों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप या अवरोध पसंद नहीं करता। खासतौर से वह किसी प्रकार का विघ्न नहीं चाहता क्योंकि सभी अधिकारों प्रतिष्ठा का कार्यकार एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यदि कोई व्यक्ति उसके प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता है तो वह दंडनीय माना जाता है। अतः व्यक्ति की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 499 से 502 तक के मानहानि के बारे में प्रावधान किया गया है। इस संहिता की धारा 499 में मानहानि अपराध की परिभाषा इस प्रकार दी गई है कि कोई या तो बोले गये या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा संकेतों द्वारा या दृश्यरुपेण द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता है या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से ऐसे व्यक्ति की ख्याति की क्षति की जाए या वह यह जानते हुए या विश्वास रखने का कारण रखते हुए लगाता है या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन से उस व्यक्ति की समाज में अप हानि हो सकती है और उसकी प्रतिष्ठा पर भी दाग लग सकता है तो सिवाय अपवादित मामलों के यह कहा जाता है कि वह व्यक्ति की मानहानि करता है।
इस धारा के अंतर्गत मानहानि के संबंध में निम्नलिखित चार स्पष्टीकरण दिए गए हैं:-
(1) मृत व्यक्ति पर कोई लांछन लगाना मानहानि हो सकता है , यदि यह लांछन उस व्यक्ति को यदि वह जीवित होता तो हानि पहुंचाता और उसके परिवार या अन्य निकट संबंधियों की भावनाओं को आघात पहुंचाने के आशय से किया गया हो।
(2) किसी समूह या संस्था व्यक्तियों के समुदाय के संबंध में उसकी हैसियत में कोई लांछन लगाना मानहानि हो सकती है।
(3) वह लांछन जो की विकल्प के रूप में हो या कूटोक्ति के रूप में व्यक्त किया गया हो मानहानि हो सकता है।
(4) कोई लांछन किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर आघात पहुंचाने वाला नहीं कहा जाता जब तक कि वह लांछन दूसरों की दृष्टि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उस व्यक्ति के नैतिक या बौद्धिक चरित्र को गिराए नहीं या उस व्यक्ति की साख को नीचे नहीं गिराए या विश्वास नहीं करवाये कि उस व्यक्ति का शरीर घृणोत्पादक में है जो कि साधारण रूप से अपमानजनक स्थिति समझी जाती है।
इस अपराध के मुख्य तत्व(main ingredients of this offence):- इस अपराध के निम्नलिखित मुख्य तत्व है
(1) किसी व्यक्ति पर लांछन लगाना या प्रकाशित करना
(2) वह लांछन बोले गए या पढ़ने के लिए आशयित शब्दों या संकेतों या दृश्य निरूपण द्वारा प्रकट किया जाए।
(3) लांछन उस व्यक्ति के प्रतिष्ठा का आघात पहुंचाने के आशय से लगाये जाए।
उदाहरण(1)'अ ने इस बात का विश्वास कराने के आशय से की ब ने स की घड़ी वास्तव में चुराई है कहता है कि ब एक ईमानदार व्यक्ति है और उसने स की घड़ी कभी नहीं चुराई।
(2) 'अ' से पूछे जाने पर कि 'स की घड़ी किसने चुराई अ यह विश्वास दिलाने के लिए स की घड़ी वास्तव में ब ने चुराई है ब की ओर इशारा देता है।
(3) अ यह विश्वास करने के आशय से की ब ने घड़ी चुराई है ब की फोटो खींचता है जिसमें वह स की घड़ी लेकर भाग रहा है।
उपयुक्त यदि किसी अपवाद की श्रेणी में आते हैं तो मानहानि के अपराध होंगे।
मानहानि के अपवाद(Exception of defamation ):- भारतीय दंड संहिता की धारा 499 में उन 10 अपवादों का उल्लेख किया गया है कि जिनमें मानहानि का अपराध नहीं होता। यह निम्नलिखित है
(1) सत्य वाद का लांछन जिसका लगाए जाना या प्रकाशित किया जाना लोक कल्याण के लिए अपेक्षित हो:- किसी सत्य बात का लांछन लगाना प्रकाशित किया जाना जो कि लोक कल्याण के लिए अपेक्षितहो मानहानि नहीं होता है। कोई बात लोक कल्याण के लिए है या नहीं यह तथ्य का प्रश्न होता है।
(2) लोक सेवकों का आचरण:- किसी लोक सेवक के अपने सार्वजनिक कार्य के निर्वहन के संबंध में आचरण के विषय में या चरित्र के विषय में जहां तक की उसके चरित्र या आचरण से यह प्रकट होता हो परंतु उसके अतिरिक्त नहीं कोई राय ऐसी चाहें कैसी भी क्यों ना हो सद्भावना पूरा व्यक्त करना मानहानि नहीं है।
(3) किसी लोकप्रश्न के संबंध में किसी व्यक्ति का आचरण:- किसी लोकप्रश्न के बारे में किसी व्यक्ति के आचरण के विषय में और उसके चरित्र के विषय में जहां तक उसका चरित्र उस आचरण से प्रकट हो कोई राय चाहे कैसी भी क्यों ना हो सदभावना पूर्वक अभिव्यक्त करना मानहानि नहीं है।
उदाहरण:- किसी लोकप्रश्न पर सरकार को अर्जी देने में किसी लोकप्रश्न के लिए सभा बुलाने के लिए अवसर पर हस्ताक्षर करने में ऐसी सभा का सभापतित्व करने में या उस में हाजिर होने में किसी ऐसी संपत्ति का गठन करने में या उस में सम्मिलित होने से जो लोक समर्थन आमंत्रित करती है कि किसी ऐसे पद के किसी विशिष्ट अभ्यार्थी के लिए मत देने में या उसके पक्ष के प्रचार करने में जिसके कर्तव्यों के दक्षता पूर्वक निर्वहन से लोकहित बाध्य हैं 'य' के आचरण के विषय में 'क' द्वारा कोई राय चाहे वह कुछ भी हो सदभावना पूर्वक अभिव्यक्त करना मानहानि नहीं है।
(4) न्यायालयों की कार्रवाहियों की रिपोर्ट प्रकाशन:- किसी न्यायालय की कार्यवाहियों को या किन्हीं ऐसी कार्रवाइयों के परिणाम को सारभूत रूप से ही रिपोर्टों को प्रकाशित करना हानि प्रद नहीं है।
स्पष्टीकरण:- कोई जस्टिस ऑफ द चीफ या अन्य ऑफिसर जो किसी न्यायालय में विचारण से पूर्व की प्रारंभिक जांच खुले न्यायालय में कर रहा हो उपर्युक्त धारा के अर्थ के अंतर्गत न्यायालय है।
(5) न्यायालय में विनिश्चय मामले के गुण या साक्षियों तथा सम्पृष्ट अन्य व्यक्तियों का आचरण:- किसी ऐसे मामले के गुण दोषों को संबंध में चाहे वह व्यवहार संबंधी या अपराध संबंधी जो किसी न्यायालय द्वारा विनिश्चित हो चुका हो या किसी ऐसे मामले के पक्ष कार साक्षी या अभिकर्ता के रूप में किसी व्यक्ति के आचरण के संबंध में या ऐसे व्यक्ति के आचरण के संबंध में जहां तक उसके सील और आचरण से यह प्रकट होता हो ना कि इससे आगे कोई मत चाहे वह कुछ भी हो सदभावना पूर्वक व्यक्त करना मानहानि नहीं है।
(6) लोककृति का गुणावगुण:- किसी ऐसे कार्य गुण दोषों के संबंध में जिनको की उसके करने वाले ने जनता के निर्णय के लिए रखा हो या उसके करने वाले के चरित्र के विषय में जहां तक उसका चरित्र ऐसे कार्य से प्रतीत होता है किंतु उसके अतिरिक्त नहीं कोई मत सदभावना पूर्वक प्रकट करना मानहानि नहीं है।
स्पष्टीकरण:- एक कृति लोक के निर्णय के लिए अभिव्यक्त रूप से या कर्ता की ओर से किए गए ऐसे कार्यों द्वारा जिनसे लोक के निर्णय के लिए ऐसा रखा जाना विकसित हो रखी जा सकती है।
(7) किसी अन्य व्यक्ति के ऊपर विधि पूर्वक प्राधिकार रखने वाले व्यक्ति द्वारा सदभावना पूर्वक की गई परिनिंदा :-किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा जो किसी अन्य व्यक्ति के ऊपर कोई ऐसा प्राधिकार रखता हो या जो विधि द्वारा प्रदत्त किया गया है या उस अन्य व्यक्ति के साथ की गई किसी कानूनी संविदा के उद्धत हो तो ऐसे विषयों से जिनके की ऐसा कानूनी प्राधिकार संबंधित हो अन्य व्यक्ति के आचरण की सदभावना पूर्वक की गई परिनिंदा(Censure) मानहानि नहीं है।
(8) प्राधिकृत व्यक्ति के समक्ष सदभावना पूर्वक अभियोग लगाना:- किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अभियोग ऐसे व्यक्तियों में से किसी व्यक्ति के समक्ष सदभावना पूर्वक लगाना जो उस व्यक्ति के ऊपर अभियोग की विषय वस्तु के संबंध में कानूनी प्राधिकार रखते हैं।
(9) अपने या अन्य के हितों की सुरक्षा के लिए किसी व्यक्ति द्वारा सदभावना पूर्वक लगाया गया लांछन:- किसी अन्य व्यक्ति के चरित्र पर लांछन लगाना मानहानि नहीं है परंतु यह तब जबकि उसको लगाने वाले व्यक्ति के या अन्य व्यक्ति के हित की सुरक्षा के लिए या लोक कल्याण के लिए वह लांछन सदभावना पूर्वक लगाया गया हो।
(10) सावधान¡ उस व्यक्ति की भलाई के लिए जिसे कि वह दी गई या लोक कल्याण के लिये आशयित है: एक व्यक्ति जो दूसरे व्यक्ति को सदभावना पूर्वक सावधान करे वह मानहानि नहीं है , परंतु उस समय जबकि ऐसी सावधानी उस व्यक्ति के हित के लिए जिसे प्रदान की गई है या किसी ऐसे व्यक्ति की भलाई के लिए जिससे व्यक्ति हितबध्द है है या उसका अभिप्राय लोक कल्याण है ।
अपवादों के लिए उदाहरण(1) अ अपना विचार क के बारे में व्यक्त करते हुए कहता है कि मैं समझता हूं कि उस विचारण में 'क' का साक्ष्य ऐसा परस्पर विरोधी है कि यह अवश्य ही मूर्ख या बेईमानी होना चाहिए। ऐसा कथा यदि सद्भावना से किया जाए तो मानहानि नहीं होता।
(2) कोई पुस्तक लेखक अपनी पुस्तक को लोक निर्णय के लिए रखता है।
(3)कोई अभिनेता या गायक अपनी कला को लोक निर्णय के लिए रखता है।
(4) सातवें अपवाद में किसी साक्षी के आचरण की या न्यायालय के किसी ऑफिसर के आचरण की सदभावना पूर्वक परनिंदा करने वाला कोई विभागाध्यक्ष इत्यादि आते हैं।
(5) आठवें अपवाद में किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे पर सदभावना पूर्वक आरोप लगाया या किसी स्वामी के समक्ष किसी सेवक द्वारा अन्य सेवक के बारे में सदभावना पूर्वक की गई शिकायत।
(6) 'क' अपनी दुकान ख को संभालते समय कहता है कि 'अ' को कुछ सामान उधर मत देना क्योंकि उसकी लेनदेन की आदत ठीक नहीं है। यदि क ने यह लांछन अपनी प्रतिरक्षा में सदभावना पूर्वक लगाया हो तो वे नौवें अपवाद के अंतर्गत मानहानि नही है।
मानहानि का दंड: सादा कारावास जिसकी अवधि 2 वर्ष तक होगी या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
(धारा 500)
(1) किसी बात को जो मानहानि करने वाली हो मुद्रित था उत्कीर्ण (engrave) करना।
( धारा 501)
(2) ऐसी मुद्रित या उत्कीर्ण की गई वस्तु का विक्रय करने के लिए (धारा 502) में दंड की यही व्यवस्था है।
मानहानि और अपमान में अंतर:
मानहानि(Defamation )
(1) मानहानि का सबसे प्रमुख तत्व उसका प्रकाशित होना है।
(2) इसमें जिस व्यक्ति का अपमान किया जाए उसके लिए प्रत्यक्ष संदेश देना या संबोधन करना आवश्यक नहीं है।
(3) मानहानि में अपमान स्वयमेव ही निहित होता है।
(4) मानहानि मुख्य तत्व है।
(5) मानहानि के लिए यह आवश्यक है कि वह बात संबोधन कर्ता अतिरिक्त अन्य लोगों को भी पता लग जाए या लिखित हो जाए।
(6) मानहानि कानून के अनुसार एक दंडनीय अपराध है।
अपमान(insult )
(1) अपमान में ऐसा कुछ आवश्यक नहीं है।
(2) जिस व्यक्ति का अपमान किया जाता है उसे प्रत्यक्ष रूप से संदेश दिया जाता है या संबोधित किया जाता है।
(3) अपमान से मानहानि होना आवश्यक नहीं है।
(4) अपमान उसका अंश है।
(5) अपमान में ऐसा कुछ आवश्यक नहीं है।
(a) चमनलाल मोन्हा बनाम हाजी साबिर अली 1973 क्रि.एल.जे. 1249(दिल्ली)
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