भारतीय दंड संहिता की धारा 410 क्या है? चोरी की संपत्ति का इस धारा से क्या संबंध है?( I PC act 410 explain and how is the word stolen property state the offence relating to the receiving or keeping storing property and punishment for it.
चोरी की संपत्ति(stolen property): धारा 410 में इसकी परिभाषा इस प्रकार की गई है कि वह संपत्ति जिसका कब्जा चोरी द्वारा या उद्यापन द्वारा या लूट द्वारा अंतरित किया गया है और वह संपत्ति जिसका आपराधिक दूर्विनियोग किया गया है या जिसके विषय में आपराधिक न्यास भंग किया गया है। 'चोरी की सम्पत्ति '(stolen property ) कही जाती है, चाहे ऐसे अन्तरण का दुर्निवियोग या न्यास भंग भारत के अंदर किया गया हो या बाहर। परंतु ऐसी संपत्ति तत्पश्चात किसी ऐसे व्यक्ति के कब्जे में पहुंच जाती है जो उसे कब्जे में रखने के लिए कानूनी तौर पर अधिकृत है तो वह चुराई हुई संपत्ति नहीं होती।
( धारा 410)
चोरी की संपत्ति से संबंधित अपराध निम्न है:-
चोरी की संपत्ति रखना या प्राप्त करना(1): जो कोई किसी चोरी की संपत्ति को यह जानते हुए या विश्वास रखते हुए कि वह चुराई गई है बेईमानी से प्राप्त करता है या रखता है तो वह 3 वर्ष की अवधि के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
( धारा 411)
मंगलिया बनाम स्टेट आॅफ राजस्थान के मामले में अभियुक्त के चोरी में साथ देने का कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं था तथा उससे 10 माह बाद चोरी की संपत्ति बरामद की गई थी। यह धारण किया गया कि चोरी की संपत्ति के कब्जे मात्र से चोरी में उसका हाथ होना नहीं माना जा सकता। उसे धारा 411 के अंतर्गत दोषी ठहराया गया।
सुरजीत सिंह बनाम पंजाब राज्य के वाद में अभियुक्त पर हत्या का अभियोग लगाया गया। अभियुक्त के पास से मृतक की घड़ी बरामद हुई। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 411 के अंतर्गत इसे मृतक की मृत्यु से संबंधित नहीं किया जा सकता। उच्चतम न्यायालय ने अभियुक्त को हत्या के अपराध के लिए दी गई सजा को रद्द करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 411 चोरी की संपत्ति रखने के अपराध से दंडित किया।
धारा 411 के अंतर्गत दोष सिद्ध करने के पूर्व एकाधिकार के रूप में सचेतन रूप से चुराई गई सम्पत्ति का अभियुक्त के पास सिद्ध होना आवश्यक है।
डकैती में चुराई गई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना: जो को यह जानते हुए या विश्वास रखते हुए की कोई संपत्ति डकैती में चुराई गई है या उस व्यक्ति से प्राप्त की गई है जिसका संबंध डाकुओं की टोली से रहा है बेईमानी से प्राप्त करता है तो वह आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक की अवधि तक के कठिन कारावास या जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
( धारा 412)
चोरी की संपत्ति का आदतन व्यापार करना: जो को यह जानकर या विश्वास रखते हुए की संपत्ति की चोरी की है उसको प्राप्त करे या उसकी बिक्री करे या ऐसा करने में सहायता करें तो वह आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक की अवधि के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।( धारा 413)
चुराई गई संपत्ति को छिपाने में सहायता करना: जो कोई यह जानकर या विश्वास रखते हुए की संपत्ति चुराई गई है उसको इधर उधर रखने छिपाने या व्यय करने में स्वेच्छा से सहायक है तो वह 3 वर्ष की अवधि के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
( धारा 414)
एक मामले में अभियुक्त टैक्सी चालक अपनी टैक्सी में कई यात्री लेकर जा रहा था जब अनजान कारणों से टैक्सी है कि स्थान पर रुक गई और दो यात्री उनमें से उतरे और उन्होंने अचानक एक व्यक्ति पर हमला कर उससे 50 हजार रुपए छीन लिया जिसके पश्चात वे दोनों पुनः टैक्सी में बैठ गया और चालक तीव्र गति से गाड़ी को चला कर ले गया जबकि पीड़ित चिल्लाता रहा। यह अभि निर्धारित किया गया कि अभियुक्त चालक धारा 414 के अधीन दोषी है।
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