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भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

कंपनी की वार्षिक साधारण सभा से क्या तात्पर्य है? उसकी प्रक्रिया समझाइए.( what is meant by Annual General Meeting of company. Explain its proceedure.

कंपनी की बैठकों से आशय( meaning of meeting of company)

अन्य संगठनों की तरह कंपनी को भी अपना कारोबार वास्तविक ढंग से चलाने के लिए विभिन्न प्रकार की बैठकों का आयोजन करना पड़ता है। क्योंकि कंपनी में अनेकों अंत धारी एवं सदस्य होते हैं जो भिन्न-भिन्न स्थानों पर रहते हैं तथा वे अपनी कंपनी के कार्यों में सक्रिय योगदान नहीं कर पाते हैं इसलिए कंपनी के कारोबार संबंधी मामलों पर विचार विनिमय करने एवं प्रबंधन  व्यवस्था के लिए कंपनी की बैठकों का आयोजन किया जाता है जिन्हें अंश धारियों या  सदस्यों की बैठक कहा जाता है। इसी प्रकार निदेशक मंडल भी अपनी विभिन्न प्रकार की बैठकों का आयोजन करता है।

कंपनी की विभिन्न प्रकार की बैठकें (meaning of various type of meeting)

एक कंपनी को अपने कार्यकाल में विभिन्न प्रकार की सभाओं का आयोजन करना पड़ता है। इन सभाओं को निम्नलिखित वर्गों में विभक्त किया जा सकता है

(1) अंश धारियों या सदस्यों की सभाएं: इन सभाओं को कंपनी की साधारण सभा भी कहा जाता है। इन सभाओं का आयोजन वार्षिक साधारण सभा असामान्य साधारण सभा तथा वर्ग सभाओं के रूप में किया जाता है। इन बैठकों में कंपनी के अंश धारी सदस्य स्वामित्व की हैसियत से अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए कारोबार में सहयोग देते हैं।

(2) निदेशकों की सभाएं: इन सभाओं का आयोजन निदेशक मंडल की सभाओं तथा निवेशकों की समितियों या उप समितियों की सभाओं के रूप में किया जाता है।

(3) लेनदारों की सभाएं: इन सभाओं का आयोजन कंपनी को ऋण देने वाले लेनदारों द्वारा किया जाता है।

(4) ऋण पत्र धारियों की सभाएं: ऋण पत्र धारियों की प्रतिभूति की शर्तों में परिवर्तन के लिए या उनके अधिकारों में परिवर्तन करने के उद्देश्य से इन सभाओं का आयोजन किया जाता है।

एकमात्र व्यक्ति की बैठक या सभा: हालांकि बैठक का तात्पर्य दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक स्थान पर बैठकर विचार विमर्श करना होता है परंतु कंपनी विधि के प्रयोजन आर्थ कतिपय परिस्थितियों में एक ही व्यक्ति की उपस्थिति में कंपनी की सभा हो सकती है। कंपनी विधि के उद्देश्य अर्थ निम्नलिखित परिस्थितियों में बैठक के लिए एक ही व्यक्ति की उपस्थिति पर्याप्त मानी जाएगी।

(1) एकल व्यक्ति की बैठक: कंपनी अधिनियम 2013 की धारा(2)62 के द्वारा एकल व्यक्ति कंपनी को वैधानिक मान्यता प्रदान की गई है जिसके अनुसार केवल एक व्यक्ति भी कंपनी का निर्माण कर सकता है। ऐसी कंपनी में केवल एक ही सदस्य होने के कारण उसके द्वारा आयोजित बैठक में उसी की एकमात्र उपस्थिति वैद्य बैठक के लिए वैद्य मानी जाएगी तथा उसकी कार्यवाही पूर्ण रूप से वैधानिक होगी।
(2) एक ही वर्ग के अंश धारण करने वाले अंश धारियों की बैठक: यदि किसी कंपनी के अंश अनेक प्रकार के हैं तथा इनमें से किसी एक प्रकार के समस्त अंशों को एक ही व्यक्ति धारण किए हुए हैं तो इस प्रकार के अंश धारियों की बैठक के लिए उस व्यक्ति की उपस्थिति मात्र ही पर्याप्त है।

(3) कंपनी अधिकरण द्वारा साधारण बैठक: कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 97 के अनुसार यदि कंपनी अधिकरण कंपनी की वार्षिक सभा बुलाता है या बुलाने के लिए आदेश देता है उसे यह विधिक अधिकार प्राप्त है कि वह उस बात का आदेश जारी करें कि इस प्रकार की बैठक में यदि कंपनी का एक ही सदस्य स्वयं या प्रॉक्सी द्वारा उपस्थित होगा तो बैठक का आयोजन कर लिया जाएगा तथा ऐसी बैठक की कार्यवाही वैधानिक होगी।


कंपनी की वार्षिक साधारण सभा( companies Annual General Meeting):

प्रत्येक कंपनी को चाहे वह लोक कंपनी हो या प्राइवेट कंपनी हो प्रतिवर्ष अपने सदस्यों की सभा का आयोजन करना पड़ता है जिसे कंपनी की वार्षिक साधारण सभा कहा जाता है। यह सभा उन  सदस्यों की उन सभाओं से भिन्न होती है जिसका आयोजन कंपनी समय-समय पर विशेष कारोबार के लिए करती है। एकल व्यक्ति कंपनी को छोड़कर प्रत्येक कंपनी को अपने निगमन की तिथि से 15 महीने की अवधि में इस सभा का आयोजन अवश्य कर लेना चाहिए। जब इस प्रकार की पहली वार्षिक सभा का आयोजन कंपनी द्वारा कर लिया जाता है तो उस वर्ष कंपनी के लिए वार्षिक सभा को आयोजित किया जाना आवश्यक नहीं होता है। कंपनी की वार्षिक साधारण सभा के संबंध में कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 96(1) में प्रावधान किया गया कि पत्नी को अपने निगमन के बाद प्रथम वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 9 माह की अवधि में अपनी प्रथम वार्षिक सभा आयोजित करना अनिवार्य है। इसके बाद कंपनी को अपनी पिछली वार्षिक सभा की तिथि से 15 माह के भीतर अपनी अगली वार्षिक सभा आयोजित करना आवश्यक होगा। यदि कंपनी रजिस्ट्रार उचित समझे तो इस अवधि को 3 माह तक बढ़ा सकता है। धारा 96(2) के अनुसार कंपनी की प्रत्येक वार्षिक साधारण सभा राष्ट्रीय अवकाश के दिन को छोड़कर कार्यालयीन दिन के समय प्रातः 9:00 से साईं काल 6:00 बजे के बीच आयोजित की जानी चाहिए।

विजय कुमार करनानी एवं अन्य बनाम सहायक कंपनी रजिस्ट्रार(1985)58 कंपनी केसेज293 के(कलकत्ता ) के मामले में कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा आधारित किया गया कि कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 166(1)( अब कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 96(1)) मे उप बंधित प्रावधानों के अनुसार कंपनी की निरंतर दो वार्षिक साधारण सभा में किसी भी स्थिति में 15 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।

         कंपनी रजिस्ट्रार को इस कालावधि को 3 माह तक बढ़ाने का अधिकार है लेकिन यह बैठक कंपनी के प्रथम वार्षिक बैठक नहीं होनी चाहिए। बैठकों के स्थगनों को सम्मिलित करते हुए प्रत्येक दशा में वार्षिक साधारण सभा 15 माह की अवधि में आयोजित करके समाप्त हो जानी चाहिए।

            अगर किसी कारण बस कंपनी के लिए वार्षिक साधारण सभा को आयोजित ना असंभव हो तो इसके लिए कंपनी को कंपनी अधिकरण में आवेदन करके इस संबंध में दिशा-निर्देश प्राप्त करने होंगे। इस संबंध में अधिकरण किसी सदस्य के आवेदन पर आदेश कर सकता है परंतु ऐसा सदस्य ही अधिकरण को आवेदन कर सकता है जिसे कंपनी की सभा में मतदान करने का अधिकार प्राप्त हो।


कंपनी की बैठकों की प्रक्रिया( proceedure of meeting of company):

किसी कंपनी की वार्षिक साधारण सभा को आयोजित करने में निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:

(1) उपायुक्त प्राधिकारी द्वारा बैठक का आयोजन: कंपनी की बैठक की वैधता के लिए यह आवश्यक है कि उसका आयोजन उचित पदाधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिए। सामान्यतया कंपनी की सभा बुलाने का अधिकार कंपनी के निदेशक मंडल को होता है परंतु यदि निदेशक मंडल कंपनी की सभा का आयोजन नहीं करता है या आयोजन करने में किसी त्रुटि के कारण विफल रहता है तो कंपनी अधिकरण या ऐसी सभा का आयोजन करने वाले सदस्य ही इस संबंध में उपयुक्त प्राधिकारी रहे होंगे।


(2) सभा की सूचना: कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 101 के अनुसार कंपनी की सभाओं की पूर्व सूचना कम से कम 21 दिन पूर्व लिखित रूप में या तो व्यक्तिगत रूप में से या डाक द्वारा दे दी जानी चाहिए। यदि कंपनी के पास कुछ सदस्यों के पते ना हो तो किसी स्थानीय प्रचलित समाचार पत्र में विज्ञापन देकर भी सभा की सूचना दी जा सकती है। कंपनी की सभा संबंधी सूचना में सभा की तारीख दिन स्थान समय आदि का उल्लेख स्पष्ट रूप से होना चाहिए। सभा में प्रस्तावित विचारणीय सामान्य तथा विशेष मुद्दों के विषय में जानकारी दी जानी चाहिए। कंपनी के लिए यह भी आवश्यक है कि सभा की सूचना अपने लेखा परीक्षकों को भी भेजें। यदि कंपनी के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है या दिवालिया हो जाता है तो सभा की सूचना उसके विधि प्रतिनिधियों को भेजी जानी चाहिए।


(3) विशेष सूचना: अगर किसी सदस्य को कंपनी की सभा में निम्नलिखित विषयों में से किसी पर प्रस्ताव पारित कराना हो तो कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 115 के अंतर्गत इसकी विशेष सूचना कम से कम 14 दिन पूर्व कंपनी को देनी होगी

(a) किसी निदेशक का कार्यकाल पूरा होने से पहले उसे पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पारित कराने हेतु
( धारा 169(3))

(b) पद मुक्त किए जाने वाले निदेशक के स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को निदेशक नियुक्त किए जाने हेतु

धारा 169(5)

(c )कंपनी की वार्षिक साधारण सभा की बैठक में सेवानिवृत्त हो रहे अंकेक्षक के स्थान पर किसी अन्य लेखा परीक्षक को नियुक्त किए जाने हेतु

( धारा 139)

(d) सेवानिवृत्त हो रहे अंकेक्षक की पुनर्युक्ति ने किए जाने के लिए प्रस्ताव पारित कराने हेतु


(3) सभा की कार्य सूची: कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 102 के अनुसार कंपनी को अपनी सभा संबंधी सूचना में उन सभी विषयों का उल्लेख करना चाहिए जिन पर उस सभा में विचार किया जाना हो। कंपनी के सामान्य विषयों में उसकी वार्षिक सभा की कार्यवाही लिखें तथा निदेशक की रिपोर्ट पर विचार विमर्श लाभांश की घोषणा निर्देशकों तथा लेख परीक्षकों की नियुक्ति या पारिश्रमिक आदि सम्मिलित हैं तथा अन्य सभी कार्य विशेष कार्यों के अंतर्गत आते हैं।

(4) सभा का अध्यक्ष: कंपनी की सभा की कार्यवाही का संचालन करने के लिए सभा अध्यक्ष का होना आवश्यक है। कंपनी के प्रथम सभा अध्यक्ष का नाम कंपनी के अंतर नियमों में दिया गया रहता है जो निदेशक मंडल की बैठक तथा कंपनी की साधारण सभा की अध्यक्षता करता है। यदि कंपनी ने अपनी सभा के लिए पहले से अध्यक्ष का चयन नहीं किया है या मनोनीत अध्यक्ष सभा आयोजित होने के निर्धारित समय के 15 मिनटों में सभा में उपस्थित नहीं हो पाता है के अध्यक्ष के लिए किसी निदेशक या सदस्य को चुना जा सकता है।


(5) सभा की गणपूर्ति: कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 103 के अनुसार लोक कंपनी की सभा की गणपूर्ति के लिए न्यूनतम सदस्य संख्या 7 तथा प्राइवेट कंपनी के लिए दो होनी चाहिए। यदि कंपनी चाहे तो वह अपने अंतर नियमों द्वारा अपनी सभा की गणपूर्ति के लिए कोई अन्य न्यूनतम संख्या भी निर्धारित कर सकती है परंतु यह संख्या लोक कंपनी की स्थिति में 7 तथा प्राइवेट कंपनी की स्थिति में 2 सदस्यों से कम नहीं होनी चाहिए।


(6) प्रस्ताव: कंपनी की सभा में चर्चा करने के लिए जिन सुझावों को निर्णय हेतु रखा जाता है उन्हें प्रस्ताव कहा जाता है। कंपनी की सभा में प्रस्ताव रखने की विधि एवं प्रक्रिया का उल्लेख कंपनी के अंतर नियमों में किया जाता है। किसी प्रस्ताव को एक सदस्य या कई सदस्यों द्वारा या अध्यक्ष द्वारा स्वयं ही रखा जा सकता है। सभा में किसी प्रस्ताव पर चर्चा के समय मूल प्रस्ताव से संशोधन भी किया जा सकता है परंतु ऐसे संशोधन उस प्रस्ताव पर मतदान के पूर्व ही किए जा सकते हैं।

(7) मतदान: किसी प्रस्ताव पर मतदान की आवश्यकता उस समय पड़ती है जब पक्ष या विपक्ष में बराबर मत आते हैं। प्रत्येक सदस्य को केवल एक मत देने का अधिकार होता है। जब पक्ष और विपक्ष में बराबर मत आते हैं तो सभा का अध्यक्ष अपना निर्णय मत देता है।

(8) सभा की कार्यवाही का कार्यवृत्त: कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 118 के अनुसार प्रत्येक कंपनी के लिए अपनी सभाओं तथा निदेशक मंडल की सभाओं का कार्यवृत्त लिखित रूप में रखना अनिवार्य है। प्रत्येक सभा की तिथि से 30 दिन की अवधि में कार्यवाहक को द्वारा उस सभा का कार्यवृत्त एक विशेष पुस्तिका में लिखा जाना अनिवार्य है। इस विशेष पुस्तिका को मिनिट बुक कहा जाता है।


तपन कुमार चौधरी बनाम कंपनी रजिस्ट्रार,(ROC)(2003)114 कंपनी केसेज 631(कलकत्ता ) के मामले में कंपनी की वार्षिक साधारण सभा इस कारण आयोजित नहीं की जा सकी थी क्योंकि कंपनी में लंबे समय से आज औद्योगिक अशांति चल रही थी जिसके कारण निवेशकों का अपने कार्यालय पहुंच पाना असंभव था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने वार्षिक सभा आयोजित ना कर पाने के उक्त   करण को उचित माना तथा कंपनी को वार्षिक साधारण सभा का आयोजन न कर पाने के व्यतिक्रम के लिए दोषी नहीं माना।



कंपनी की वार्षिक सभा में किए जाने वाले कार्य( work to be one annual meeting of company): कंपनी की वार्षिक साधारण सभा में मुख्य रूप से निम्नलिखित दो प्रकार के कार्य किए जाते हैं:

(a) सामान्य कार्य: कंपनी अपनी वार्षिक साधारण सभा में निम्नलिखितअंकेक्षिक  सकती है

(1) कंपनी के अंकेक्षिक लेखे  तुलन पत्र लाभ हानि खाते आदि पर अंकेक्षक की रिपोर्ट के साथ विचार करना ।
( धारा 136)

(2) निदेशकों की वार्षिक रिपोर्ट पर विचार करना

(3) सेवानिवृत्त होने वाले निदेशकों के स्थान पर निदेशकों की नियुक्ति करना।
( धारा 152)

(4)अंकेक्षक की नियुक्ति एवं पारिश्रमिक निर्धारित करना।

( धारा 139, 142)

(5) लाभांश की घोषणा करना।

धारा 123

(b) विशेष कार्य: उपयुक्त सामान्य कार्यों के अतिरिक्त कंपनी अपनी वार्षिक साधारण सभा में कुछ विशेष कार्य भी करती है; जैसे प्रबंध निदेशकों की नियुक्ति पुनर नियुक्ति या उनके पारिश्रमिक में वृद्धि करना अधिकृत अंश पूंजी में वृद्धि करना कंपनी के अंतर नियमों में संशोधन करना आदि। परंतु कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 102 के अनुसार ऐसे कार्यों की सूचना के साथ सदस्यों को विशेष कार्य संबंधी व्याख्यात्मक कथन भेजा जाना आवश्यक होता है। कोई कंपनी कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 102 के अंतर्गत अपेक्षित व्याख्यात्मक कथन भेजने में व्यतिक्रम करती है तो इसके लिए दोषी अधिकारी को ₹50000 के अर्थदंड से दंडित किया जा सकेगा जो इस व्यतिक्रम के कारण संबंधित निदेशक को हुए फायदे का 5 गुना इसमें से जो भी अधिक हो तक हो सकेगा।


जोजेफ माइकल बनाम त्रवंकोर रबर एंड टी कंपनी,(1986)59 कंपनीज केसेज  मामले में आधारित किया गया कि विशेष कार्यों के संबंध में कंपनी को धारा 173(2)( अब धारा 102) के उक्त व्याख्यात्मक कथन संबंधी औपचारिकता का अनुपालन करना जरूरी है। इस उपबंध के उल्लंघन के परिणाम स्वरूप विशेष कार्य संबंधी समस्त कार्यवाही अवैध एवं शून्य (Void ) प्रभावी होगी।


कंपनी की बैठकों का प्रयोजन( purpose of companies meeting):

कंपनी के वास्तविक स्वामी कंपनी के अंश धारी होते हैं तथा कंपनी की साधारण बैठक इस बात का प्रतीक होती है की कंपनी का वास्तविक नियंत्रण एवं भविष्य उसके अंश धारियों( shareholders) के हाथों में सुरक्षित है। कंपनी की वार्षिक साधारण सभा का मूल उद्देश्य यह होता है कि वर्ष में कम से कम एक बार कंपनी के सदस्यों को सामूहिक रूप से एकत्रित होकर कंपनी के कार्यकलापों की समीक्षा करने का मौका मिल सके। इस सभा में निवृत्त हुये  निदेशकों के स्थान पर नए निदेशकों की नियुक्ति की जाती है अथवा उन्हीं निदेशकों को पुनर नियुक्त किया जाता है। इसी तरह अंकेक्षक की नियुक्ति के संबंध में भी अंश धारियों को विचार विमर्श करने का अवसर भी इसी सभा में मिलता है। उल्लेखनीय है कि वार्षिक साधारण सभा में कंपनी का लेखा प्रस्तुत ना किया जाना एक दंडनीय अपराध है तथा इस संबंध में अंश धारियों द्वारा सभा अध्यक्ष से कोई भी सवाल पूछा जा सकता है जिसका समाधान कारक जवाब सभा अध्यक्ष को देना पड़ता है।

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