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अंकेक्षक के प्रमुख अधिकार( main right of an auditor)

अंकेक्षक के प्रमुख अधिकार( main right of an auditor)

अंकेक्षक  प्रमुख अधिकार निम्न प्रकार है:

(1) यह देखना कि कंपनी के व्यक्तिगत खर्च को राजस्व खर्च में दर्शाया गया है या नहीं।

(2) कंपनी के अंकेक्षक को कंपनी की सभाओं  में उपस्थित होने का अधिकार है जिसमें वह कंपनी के सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर भी देता है।

(3) कंपनी के अंकेक्षक को उन सभी सूचनाओं को प्राप्त करने का अधिकार है जिन्हें प्राप्त करने का अधिकार कंपनी के सदस्यों को होता है।

(4) कंपनी के अंकेक्षक को कंपनी की सभाओं से संबंधित सभी सूचनाओं को प्राप्त करने का अधिकार है। यदि कंपनी उसे उन सूचनाओं को उपलब्ध नहीं कराती है तो वह कंपनी के विरुद्ध कंपनी अधिकरण में कार्य नहीं कर सकता है।

(5) कंपनी के अंकेक्षक का कर्तव्य के साथ ही साथ यह अधिकार भी है कि वह यह प्रमाणित करें की कंपनी का वित्तीय विवरण तुलन पत्र तथा लाभ हानि खाता मानकों के अनुसार ही तैयार किए गए हैं।

(6) जांच करना कि कंपनी की लेखा पुस्तिकाओं में की गई लेनदेन संबंधी प्रविष्टियां के लिए अहितकर तो नहीं है।

(7) यह देखना कि कंपनी द्वारा दिए गए निर्णय अग्रिम राशि को जमा खाते में जमा के रूप में दर्शाया गया है या नहीं।

(8) यह देखना कि कंपनी द्वारा दिए गए ऋण या अग्रिम धनराशि पर समुचित प्रतिभूतियां ली गई हैं या नहीं तथा ऐसे ऋण से संबंधित शर्तें कंपनी के लिए हितकर या अहितकर है।

(9)यह देखना कि कंपनी के अंशों पर प्राप्त राशि का पूर्ण  लेखा संबंधित पुस्तकों तथा अभिलेखों में सही ढंग से लिखा गया है या नहीं।

(10) इसकी जांच करना कि कंपनी ने अंशों पर चुकता एवं अचुकता  राशि का विवरण अपने तुलन पत्र मे दर्शाया है या नहीं।


वार्षिक अधिवेशन का महत्व( importance of Annual General Meeting) कंपनी के अंश धारकों के हित की सुरक्षा के लिए वार्षिक अधिवेशन महत्वपूर्ण साधन है। कंपनी का नियंत्रण तथा भविष्य अंश धारकों के हाथ में होता है इसलिए यह आवश्यक समझा जाता है कि कंपनी के कार्यों की जांच करने के लिए वे वर्ष भर में कम से कम एक बार एकत्रित हों। इस अधिवेशन में कुछ निदेशक पद से हटते हैं तथा उन पदों के लिए फिर से चुनाव होता है। अंश धारक ऐसे व्यक्तियों को नियुक्त ना करने का अवसर पाते हैं जो उनकी नीतियों का पालन नहीं करते रहते हैं। इसी अधिवेशन में लेखा संपरिक्षक भी अपने पद से हटते हैं और अंश धारको को यह विचार प्रकट करने का अवसर मिलता है कि उन्हें नियुक्त किया जाए या किसी अन्य लेखा संपरिक्षक को। इसी अधिवेशन में लाभांश घोषित किए जाते हैं। कंपनी का अधीक्षक अपने भाषण द्वारा कंपनी की वार्षिक उन्नति की ओर ध्यान आकर्षित करता है। निदेशक अपनी रिपोर्ट तथा कंपनी के लेखे प्रस्तुत करते हैं। अंश  धारक लिखो तथा कारोबार के संबंध में कोई सवाल कर सकते हैं।

             इस अधिवेशन की जो कार्यवाही अनुच्छेदों में बताएं रहती है और कंपनी अधिनियम द्वारा अपेक्षित है उसे साधारण कारवाही कहते हैं। इसके अतिरिक्त कोई भी कार्यवाही विशेष कार्यवाही कही जाती है।

    

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