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दलित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की अमानवीय घटना कारित करने वाले व्यक्तियों को सजा कैसे दिलायें ?

किसी भूमिधर के द्वारा देय भू राजस्व की धन राशि क्या होगी? भू राजस्व की अवधारणा की प्रक्रिया. What will be the amount of land revenue payable by the Bhumi Dhar

भूमिधर द्वारा देय भू राजस्व

(Land Revenue Payable by a Bhumidhar)

अधिनियम के अनुसार,

( 1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए प्रत्येक भूमिधर जुलाई 1 , 1976 को या उसके पश्चात प्रारंभ होने वाले प्रति वर्ष के लिए राज्य सरकार को अपने द्वारा धृति भूमि के लिए धारा 246 की उप धारा 2 और धारा 247 के उप बंधों के अनुसार आधारित राजस्व का देनदार होगा।

( 2) किसी भूमिधर द्वारा देय मालगुजारी उस धनराशि  के बराबर होगी जिसकी गणना उसके खात में सम्मिलित गाटों पर लागू मौरूसी दरों के दोगुने पर की जाएगी।

प्रतिबंध यह है कि इस प्रकार गणना की की गई मालगुजारी -

(a) असिंचित गाटा के संबंध में रुपए ₹5 प्रति एकड़ से कम और ₹10 प्रति एकड़ से अधिक ना होगी

(b) किसी सिंचित गाटा के संबंध में ₹10 प्रति एकड़ से कम और ₹20 प्रति एकड़ से अधिक ना होगी


स्पष्टीकरण - (1 ) गाटा से तात्पर्य ऐसी भूमि से है जिसके लिए एक पृथक समान संख्या दी गई हो.

( 2) इस धारा के प्रयोजन अर्थ पद संचित गाटा का तात्पर्य ऐसे गाटा से है जिसके क्षेत्रफल से कम से कम आधे भाग में 1879 फसली से 1383 दोनों को सम्मिलित करते हुए के बीच किसी तीन कृषि वर्ष में प्रत्येक में से कम से कम एक फसल की सिंचाई किसी श्रोत से की गई हो और पद असिंचित गाटा का तात्पर्य सिंचित गाटों से भिंन्न प्रत्येक गाटे से हैं।

(3) शंकाओं के निवारण के लिए एतद् द्वारा यह प्रख्यापित किया जाता है कि प्रत्येक भूमिधर 30 जून 1976 को समाप्त होने वाली अवधि के लिए अध्याय 10 के उपबंधों  के अनुसार जैसा कि वह धारा में प्रारंभ के पूर्व था मालगुजारी का देनदार होगा

जुर्माना (penalty): - अधिनियम की धारा 38 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति पट्टे के मामले में कब्जा प्राप्त करने की तारीख से या उत्तराधिकार या तारीख के 3 मास के भीतर धारा 34 द्वारा अपेक्षित रिपोर्ट करने की उपेक्षा करता है दंड का भागी होगा जो धारा 37 के अंतर्गत देय शुल्क की राशि के 5 गुना से अधिक नहीं होगी यदि कोई शुल्क ना लगने वाला हो तो ऐसी राशि से अधिक नहीं होगा जो राज्य सरकार नियम द्वारा विहित करें.


अधिकार अभिलेख(Record of Rights )

अधिनियम के अंतर्गत अधिकार अभिलेख प्रत्येक गांव के लिए यह एक अधिकारों का अभिलेख होता है और यह धारा 234 के उपबंधों के अंतर्गत निर्मित नियमों द्वारा निर्धारित अपवादों के अधीन होता है अधिकार अभिलेख ऐसे रजिस्टर को कहते हैं जो धारा 32 में वर्णित है और भू राजस्व अधिनियम की धारा 53 के अंतर्गत अभिलेख अधिकारी द्वारा तैयार किया गया है

               उपयुक्त अधिकार अभिलेख का संशोधित स्वरूप जिसे बंदोबस्त समय में समय-समय पर लेखपाल के द्वारा तैयार किया जाता है अधिकार अभिलेख नहीं है अर्थात वार्षिक रजिस्टर होता है वार्षिक रजिस्टर अधिकार अभिलेख का संशोधित स्वरूप है यह वर्ष या ज्यादा समय पर जो भी राज्य सरकार नियत करें जिला कलेक्टर द्वारा तैयार कराया जाता है कलेक्टर वार्षिक रजिस्टर में घटित होने वाले सभी  बदलावों एवं  सभी संव्यवहारों को अभी लिखित कर आएगा जो किन्हीं अधिकारों एवं हितों पर असर डालते हैं कलेक्टर पूर्व के वार्षिक रजिस्टर में सिद्ध हुए भूलों को सुधार करवाएगा अधिकार अभिलेख का संशोधित रूप जो बंदोबस्त अवधि में समय-समय पर लेखपाल द्वारा तैयार किया जाता अभिलेख नहीं वरन केवल वार्षिक रजिस्टर है.

                   अधिनियम के अनुसार जमीदारी उन्मूलन से पूर्व प्रत्येक गांव के लिए तो अधिकार अभिलेख होते थे - (1) खेवट और (2) खतौनी. किंतु केवल एक ही अधिकार अभिलेख खतौनी अधिकार अभिलेख ऐसे सभी व्यक्तियों का रजिस्टर है जो खेती करते हैं या अन्य प्रकार से भूमि पर काबिज रहते हैं इनमें धारा 55 द्वारा अपेक्षित विवरण होते हैं जो इस प्रकार है (a) जोतदार का वर्ग अर्थात संक्रम्य अधिकार  वाला भूमिधर असंक्रम्य  अधिकार वाला भूमिधर आसामी या सरकारी पट्टेदार. (b) जोतदार द्वारा देय लगान या मालगुजारी का विवरण (c) जोरदार की किसी अन्य शर्त का विवरण जिसका राज्य सरकार द्वारा धारा 234 के अंतर्गत बनाए गए नियम में उल्लेख किया गया हो.

              जिला कलेक्टर का कर्तव्य है कि वह अधिकार अभिलेख का रखरखाव करें और इस प्रयोजन अर्थ व वार्षिक या अधिक लंबी अवधि जैसा कि राज्य सरकार निर्धारित करें अधिकारों के अभिलेख का संशोधित रजिस्टर तैयार कराए तथा यह संशोधित रजिस्टर वार्षिक रजिस्टर कहलाते हैं.

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