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विदेशों में भारतीय कानून: IPC, UAPA, और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत भारतीय अधिकार क्षेत्र की समझ

भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत गर्भपात तथा नवजात शिशु के संबंध में अपराधों को रोकने के लिए क्या प्रावधान किए गए हैं? (what provisions are made under Indian penal code for the prevention of miscarriage and offence relating to newly born child?)

भारतीय दंड संहिता में बालकों और महिलाओं से संबंधित विभिन्न अपराधों के बारे में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं -

1: - गर्भपात संबंधी ( धारा 312 से 314)

2: - नवजात शिशु संबंधी अपराध ( धारा 315 से 318)


( 1): - गर्भपात का अर्थ (meaning of miscarriage) - गर्भपात से तात्पर्य “गर्भाधान की अवधि पूर्ण होने से पूर्व ही किसी भी समय आ विकसित बच्चे को या माता के गर्भ से भ्रूण को बाहर निकाल देना या अलग कर देना.

      स्पंदनगर्भा से तात्पर्य स्त्री की उस अनुभूति से है जो उसे गर्भावस्था के चौथे या पांचवें महीने में प्रतीत होती है।


             भारतीय दंड संहिता1860 की धारा312,313 और314 मे गर्भपात के बारे में प्रावधान किया गया है।
 

गर्भपात कारित करना( causing miscarriage): - भारतीय दंड संहिता की धारा 312 के अनुसार जो कोई गर्भवती स्त्री का स्वेच्छा से गर्भपात कार्य करेगा यदि ऐसा गर्भपात उस स्त्री का जीवन बचाने के प्रयोजन से सद्भाव पूर्वक कार्य न किया जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 3 वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा और यदि वह इस्त्री स्पंदनगर्भा से हो तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष तक हो सकती है दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।


        
       स्पष्टीकरण (explanation): - जो स्त्री स्वयं अपना गर्भपात कार्य करती है वह इस धारा के अर्थ के अंतर्गत आती है.

स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कार्य करना (Causing miscarriage without women's consent): - धारा 313 के अनुसार जो कोई उस स्त्री की सहमति के बिना गर्भपात कार्य करेगा वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी बात के कारावास से जिसकी अवधि 10 वर्ष तक की हो सकती है कि दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय है होगा.



गर्भपात कारित करने के आशय से किए गए कार्यों द्वारा कारित मृत्यु( death caused by act done with intent to cause miscarriage): - धारा तीन सौ 14 के अनुसार जो कोई गर्भवती स्त्री का गर्भपात पारित करने के आशय से कोई ऐसा कार्य करेगा जिससे ऐसी स्त्री की मृत्यु कारीत हो जाए वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 10 वर्ष तक हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा.


यदि यह कार्य स्त्री की सहमति के बिना किया जाए (if the act done without women's consent): - और यदि वह कार्य उस स्त्री की सहमति के बिना किया जाए तो वह आजीवन कारावास से या ऊपर बताए हुए दंड से दंडित किया जाएगा.


स्पष्टीकरण (explanation): - इस अपराध के लिए आवश्यक नहीं है कि अपराधी जानता हो कि उस कार्य से मृत्यु कार्य करना संभाव्य है.


      धारा 312 तथा धारा 313 स्त्री की सहमति के बिना कारित गर्भपातो के बारे में प्रावधान करती है।


गर्भपात की आवश्यक शर्तें (essential of miscarriage): - धारा 312 के अंतर्गत गर्भपात के अपराध के गठन के लिए दो बातें आवश्यक है -

( 1) गर्भवती स्त्री का स्वच्छया गर्भपात कारित करना

(2) ऐसा गर्भपात उस स्त्री का जीवन बचाने के प्रयोजन से सद्भाव पूर्वक ना किया जाना.


          स्पष्ट है कि यदि किसी स्त्री का गर्भपात उसका जीवन बचाने के लिए सद्भावना पूर्वक किया जाता है तो वह दंडनीय नहीं है. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई है.


           धारा 313 ऐसे गर्व बातों को दंडनीय बनाती है जो स्त्री की सहमति के बिना कराए जाते हैं इस विषय पर मोइनुद्दीन कुट्टी हाजी बनाम कुन्नी कोटिया ए आई आर 1987 केरल 184 मैं यह निर्धारित किया गया है कि जहां किसी स्त्री को गर्भपात के लिए चिकित्सक के पास ले जाया जाता है और वह स्त्री चिकित्सक के सामने अपने आप को गर्भपात के लिए समर्पित कर देती है तब गर्भपात कराने वाले व्यक्ति को धारा 313 के अंतर्गत तब तक दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता जब तक कि यह साबित ना कर दिया जाता है कि वह व्यक्ति उस स्त्री को इच्छा के विरुद्ध चिकित्सक के पास ले गया था तथा गर्भपात कराया था.


नवजात शिशु संबंधी अपराध (offence relating to newly born child): - नवजात शिशु संबंधी अपराध भी अवैध गर्व से जुड़े हुए हैं जब कोई स्त्री अवैध संबंधों के अधीन रहते हुए गर्भ धारण कर लेती है तब ऐसे जन्म से जन्म को बचाने छिपाने आदि के लिए अक्सर नवजात शिशु की या तो मृत्यु कार्य कर दी जाती है या उसे किसी अज्ञात स्थान पर छोड़ दिया जाता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 315 से 318 तक ऐसे ही अपराधों का वर्णन किया गया है.


     शिशु का जीवित पैदा होना रोकने या जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कार्य करने के आशय से किया गया कार्य (act done with intent to prevent child being born alive or to  Cause it to die after birth): धारा 315 के अनुसार जो कोई किसी शिशु के जन्म से पूर्व कोई कार्य इस आशय से करेगा कि उस शिशु का जीवित पैदा होना उस के द्वारा रोका जाए या जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु हो जाए और ऐसे कार्य से उसे सुखा जीवित पैदा होना उनके गाया उसके जन्म के पश्चात उसकी मृत्यु कर दी जाए यदि यह कार्य माता के जीवन को बचाने के प्रयोजन से सदभावना पूर्वक नहीं किया गया तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 10 वर्ष तक हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा.


         ऐसे कार्य द्वारा जो अपराधिक मानव वध की कोटी मे आता है किसी सजीव अजात शिशु  की मृत्यु कारित  करना (causing death of quick  Unborn child by act amounting to Culpable  homicide): - धारा 316 के अनुसार जो कोई ऐसा कार्य ऐसी परिस्थितियों में करेगा कि यदि वह उसे द्वारा मृत्यु कार्य कर देता है तो वह अपराधिक मानव वध का दोषी होता है और ऐसे कार्य द्वारा किसी सजीव शिशु की मृत्यु कार्य करेगा इसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 10 वर्ष तक हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा.


उदाहरण: - का यह जानते हुए कि वह गर्भवती स्त्री की मृत्यु कार्य कर दे ऐसा कार्य करता है जो यदि उससे स्त्री की मृत्यु हो जाती है तो वह अपराधिक मानव वध की कोठी में आता है उस स्त्री को क्षति होती है किंतु उसकी मृत्यु नहीं होती है किंतु उसके द्वारा उस अज्ञात सजीव शिशु की मृत्यु हो जाती है जो उसके गर्भ में है का इस धारा में परिभाषित अपराध का दोषी होगा.



  शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा 12 वर्ष से कम आयु के शिशु का आरक्षित स्थान में डाल दिया जाना और परित्याग (exposure and abandonment of child under 12 year by parents or person having care of it): - धारा 317 के अनुसार जो कोई 12 वर्ष से कम आयु के शिशु का पिता या माता होते हुए या ऐसे शिशु की देखरेख आभार रखते हुए ऐसे शिशु का पूर्णता परित्याग करने के आशय से उस शिशु को किसी स्थान से आरक्षण डाल देगा जो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 7 वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा.


स्पष्टीकरण (explanation): - यदि शिशु आरक्षित डाल दिए जाने के परिणाम स्वरूप मर जाए तो यथास्थिति हत्या या अपराधिक मानव वध के लिए अपराधी का विचारण निर्धारित करना इस धारा में आशयित नहीं है।


मृत शरीर के गुप्त निपटारे द्वारा जन्म छुपाना(Concelment of birth by secret disposal or deal body): - धारा 318 के अनुसार जो कोई किसी शिशु के मृत शरीर को गुप्त रूप से गाड़ कर या अन्यथा उसका निपटारा करके चाहे ऐसे शिशु की मृत्यु उसके जन्म से पूर्व या पश्चात या जन्म के दौरान हुई हो ऐसे शिशु के जन्म को छिपाए गाया छिपाने का प्रयास करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 2 वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा.



       धारा 315 और 316 स्पंदनगर्भा माता के गर्भ में अवस्थित शिशु की मृत्यु कारित किए जाने को दंडनीय अपराध घोषित करती है।


       उक्त धाराओं के लागू होने के लिए यह आवश्यक है कि किए गए कार्य से आशय गर्व स्थित शिशु की मृत्यु हो जाना यदि कोई व्यक्ति स्त्री के विरुद्ध कोई कार्य इससे से करता है कि वह धारा 299 के अंतर्गत मे तो केवल इस कारण कि ऐसे कार्य को स्पंदनगर्भा  शिशु की मृत्यु कारित  हो गई है इन धाराओं के अंतर्गत अपराध का गठन नहीं करेगा  जब्बार का मामला ए आई आर 1966 इलाहाबाद 590।



        धारा 317 सीटों को आरक्षित स्थानों में डाल देना छोड़ देने को दंडनीय अपराध बनाती है।



सम्राट बनाम त्रिप्स(1916)18Bom .L.R.93 मे एक नवजात बच्चे की माता ने उस बच्चे को खुले में छोड़ देने के आशय से का नामक व्यक्ति को दे दिया. वह व्यक्ति उस बच्चे को रेलगाड़ी के डिब्बे में ले गया और वहां उसे छोड़ दिया बच्चा अच्छी तरह से वस्त्र में लपेटा हुआ था और उसके पास दूध की बोतल रख दी गई इसमें का नामक व्यक्ति को धारा 317 तथा उस स्त्री को धारा 317 से पठित धारा 109 के अंतर्गत दोषी माना गया है.


मिरकिया 1896)Bom.L.R934 मे एक 6 महीने के अवैध बच्चे की माता ने उस बच्चे को एक नेत्रहीन महिला के पास यह कह कर छोड़ दिया कि वह शीघ्र ही वापस आकर उसे ले जाएगी लेकिन वह माता वापस नहीं लौटी और ना ही उसका लौटने का कोई आशाय ही था उसे धारा 317 के अंतर्गत दोषी माना गया।


शब्द छोड़ देने से तात्पर्य बच्चे के बिना किसी संरक्षण के छोड़ देने से है यदि किसी शिशु को किसी अन्य व्यक्ति की देखरेख में छोड़ा जाता है तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।


धारा 318 बच्चों को गुप्त रूप से गाड़ दिए जाने या अन्यथा निपटारा कर दिए जाने के बारे में प्रावधान कर दिया इस धारा के अंतर्गत अपराध पूर्ण हो जाता है जब किसी शिशु के मृत शरीर को गुप्त रूप से किसी साधन द्वारा छुपा दिया जाता है।

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