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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

तलाशी का वारंट किन परिस्थितियों में दंड न्यायालय द्वारा जारी किया जा सकता है? वारंट जारी किए जाने की पूर्ववर्ती शर्तों को समझाइए. Under what situation the search warrant can be issued by a criminal court

तलाशी वारंट का तात्पर्य एक लिखित प्राधिकार है जो किसी सक्षम मजिस्ट्रेट अथवा न्यायालय द्वारा किसी पुलिस अधिकारी अथवा व्यक्ति को निर्दिष्ट करता है. इस प्राधिकार के बल पर ऐसा पुलिस अधिकारी अथवा व्यक्ति सामान्य रूप से किसी स्थान को अथवा विनिर्दिष्ट किसी दस्तावेज या वस्तु की या सदोष परिरुध्द व्यक्ति की तलाश करता है। किसी स्थान व्यक्ति दस्तावेज अथवा वस्तु की तलाशी एक बल प्रवृत्ति गोपनीयता अथवा पवित्रता का अतिक्रमण अंता वर्णित होता है. न्यायालय द्वारा इस निमित्त यह सम प्रतीक्षित किया गया है की तलाशी वारंट जारी करने की शक्ति का प्रयोग संपूर्ण सतर्कता और चौकशी के साथ किया जाना चाहिए.


तलाशी वारंट कब जारी किया जा सकता है (when search warrant may be issued): - भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 93 के अनुसार निम्नलिखित परिस्थितियों में तलाशी वारंट जारी किया जा सकता है -

( 1) धारा 93 (1) (A) के अनुसार तलाशी वारंट तब जारी किया जा सकता है जब न्यायालय के पास यह विश्वास करने का पर्याप्त कारण है कि वह व्यक्ति जिसको धारा 91 के अधीन सम्मन आदेश या धारा 92 की उप धारा (1) के अधीन अपेक्षा संबोधित की गई है या की जाती है ऐसे सम्मन या अपेक्षा द्वारा यथा अपेक्षित दस्तावेज या वस्तु पेश नहीं करेगा या हो सकता है पेश ना करें अथवा

(2) धारा 93(1)(B) के अनुसार जहां किसी दस्तावेज या वस्तु के बारे में न्यायालय को यह ज्ञात नहीं है कि वह किस व्यक्ति के कब्जे में है अथवा

(3) धारा 93(1)(C) के अनुसार जब न्यायालय यह समझता है कि इस संहिता के अधीन किसी जांच विचारण या अन्य कार्यवाही के प्रयोजनों की पूर्ति साधारण तलाशी या निरीक्षण से होगी.


              वहां आई वह तलाशी वारंट जारी कर सकता है और वह व्यक्ति जिसे ऐसा वारंट निर्दिष्ट है उसके अनुसार और इसमें इसके पश्चात अंतर विष्ट उपबंधों के अनुसार तलाशी ले सकता है या निरीक्षण कर सकता है।

( 4) धारा 93 (2) के अनुसार यदि न्यायालय ठीक समझता है तो वह वारंट में उस विशिष्ट स्थान या उसके भाग को विनिर्दिष्ट कर सकता है और केवल उसी स्थान या भाग की तलाशी या निरीक्षण होगा हां भाई व्यक्ति जिसको ऐसे वारंट के निष्पादन का भार सौंपा जाता है केवल उसी स्थान या भाग की तलाशी लेगा तब परीक्षण करेगा जो ऐसे विनिर्दिष्ट है.


( 5) धारा 93 (3) के अनुसार इस धारा की बात जिला मजिस्ट्रेट या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से भिन्न न किसी मजिस्ट्रेट को डाकिया तार प्राधिकारी की अभिरक्षा में किसी दस्तावेज पार्सल या अन्य वस्तु की तलाशी के लिए वारंट जारी करने के लिए प्राधिकृत नहीं करेगा.

सोनपुर टी कंपनी बनाम सीबीआई (1977) के वाद में यह भी निश्चित किया गया की धारा 93 संविधानिक है न्यायालय ने धारा 93 की संवैधानिक ता मानते हुए कहा कि इस धारा के उपबंध संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (C), 20 (3) एवं अनुच्छेद 31 के अनुरूप है. इस इन में मूल अधिकारों का अतिक्रमण नहीं होता है. इनमें अधिकारों में केवल अस्थाई हस्तक्षेप होता है और वह भी विशिष्ट प्रयोजन के लिए होता है.


         उस स्थान की तलाशी जिसमें चुराई गई संपत्ति कूट रचित दस्तावेज आदि होने का संदेह है (search of place suspected to contain stolen property forget documents etc) भारती य दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 94 के अनुसार ऐसे किसी स्थान की तलाशी के लिए वारंट जारी किया जा सकता है जिसमें चुराई गई संपत्ति अथवा कूट रचित दस्तावेज आदि के होने का संदेह है.

( 1) धारा 94 (1) के अनुसार यदि जिला मजिस्ट्रेट उपखंड मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट को यह सूचना प्राप्त होती है या जांच के पश्चात जैसी वह आवश्यक समझता है या विश्वास करने का कारण हो जाता है कि कोई स्थान चुराई गई संपत्ति के नीचे पिया विक्रय के लिए या किसी ऐसी आपत्तिजनक वस्तु जिसको यह धारा लागू होती है नीचे विक्रय या उत्पादन के लिए उपयोग में लाया जाता है या कोई ऐसी आपत्तिजनक वस्तु किसी स्थान में निश्चित है तो वह कांस्टेबल की पंक्ति के ऊपर के किसी पुलिस अधिकारी को वारंट द्वारा यह प्राधिकार दे सकता है कि वह -

(A) तलाशी वाले स्थान में प्रवेश करें और इस निमित्त आवश्यक हो तो सहायता के लिए प्रवेश करें.

(B) वारंट में निर्दिष्ट रीति से उस स्थान की तलाशी ले.

(C) वहां पाई गई किसी भी संपत्ति या वस्तु को जिसके चुराई गई संपत्ति या आपत्तिजनक वस्तु जिसको यह धारा लागू होती है जिस पर उचित संदेह है कब्जे में ले.

(D) ऐसी संपत्ति या वस्तु को मजिस्ट्रेट के पास ले जाए या अपराधी को मजिस्ट्रेट के समक्ष ले जाने तक उसको उसी स्थान पर पहरे में रखे या अन्यथा उसे किसी सुरक्षित स्थान में रखें.


(E) ऐसे स्थान में पाए गए प्रत्येक उस व्यक्ति को अभिरक्षा में लें और मजिस्ट्रेट के समक्ष ले जाए जिसके बारे में यह प्रतीत होता है कि किसी ऐसी संपत्ति या वस्तु के नीचे लिख कर आया उत्पादन में यह जानते हुए या संदेह करने का उचित कारण रखते हुए संत सरगी रहा है कि यथास्थिति वह चुराई हुई संपत्ति है या ऐसी आपत्तिजनक वस्तु है जिसको यह धारा लागू होती है.


( 2) धारा 9 4 की उप धारा (2) आपत्तिजनक वस्तुओं का उल्लेख करती है जिनको यह धारा लागू होती है निम्नलिखित है -

(A) कूट कृत्य सिक्का

(B) धातु टोकन अधिनियम 1889 (1889 का 1) घर में बनाए गए अथवा सीमा शुल्क अधिनियम 1962 (1 962 का 52) की धारा 11 अधिकतर समय प्रवत किसी अधिसूचना के उल्लंघन में भारत में लाए गए धातु खंड.

(C) कोट कृत करेंसी नोट कूट कृत स्टंप

(D) कूट रचित दस्तावेज

(E) नकली मुद्राएं

(F) भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (1860 का 45) की धारा 292 मेन निर्देश  वस्तुएं

(1) खंड (A) से (C) उल्लेखित वस्तुओं में से किसी के उत्पादन के लिए प्रयुक्त उपकरण या सामग्री.

         इसके अतिरिक्त तलाशी के वारंट को धारा 95 के अनुसार कुछ प्रकाशनों के समय हरण होने की घोषणा करने तथा उनके लिए जारी किया जा सकता है.

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