किसी व्यक्ति की तलाशी और गिरफ्तारी के संबंध में क्या प्रावधान हैं? क्या किसी निजी व्यक्ति द्वारा भी तलाशी ली जा सकती है? Define the search and arrest the private person authority to search and arrest?
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 47 के अनुसार -
( 1) अगर गिरफ्तारी के वारंट के अधीन कार्य करने वाले किसी व्यक्ति को या गिरफ्तारी करने के लिए प्राधिकृत किसी पुलिस अधिकारी को यह विश्वास करने का कारण है कि वह व्यक्ति जिसे गिरफ्तार किया जाना है किसी स्थान में प्रविष्ट हुआ है या उसके अंदर है तो ऐसे स्थान में निवास करने वाला या उस स्थान का भार साधक कोई भी व्यक्ति पूर्वोक्त रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति द्वारा या ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा मांग की जाने पर उसमें उसे अवाध प्रवेश करने देगा और उसके अंदर तलाशी लेने के लिए सब उचित सुविधाएं देगा।
(2) यदि ऐसे स्थानों प्रवेश उपधारा (1) के अधीन नहीं हो सकता है तो किसी भी मामले में उस व्यक्ति के लिए जो वारंट के अधीन कार्य कर रहा है और किसी ऐसे मामले में जिसमें वारंट निकाला जा सकता है किंतु गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को भाग जाने का अवसर दिए बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता पुलिस अधिकारी के लिए यह विधि पूर्ण होगा कि वह ऐसे स्थान में प्रवेश करें और वहां तलाशी ले और ऐसे स्थान में प्रवेश कर पाने के लिए किसी ग्रह या स्थान के चाहे वह उस व्यक्ति का हो जिसे गिरफ्तार किया जाना है या किसी अन्य व्यक्ति का हो किसी बाहरी या भीतरी द्वार या खिड़की को तोड़कर खोल ले यदि अपने प्राधिकार और प्रयोजन की सूचना देने के तथा प्रवेश करने की सम्यक रूप से मांग करने के पश्चात वह अन्यथा प्रवेश प्राप्त नहीं कर सकता है यह परंतु यदि ऐसे कोई स्थान कमरा है जो (गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति से भिन्न) ऐसी स्त्री के वास्तविक अभियोग में है जो रूढी के अनुसार लोगों के सामने नहीं आती है तो ऐसे व्यक्ति या पुलिस अधिकारी उस कमरे में प्रवेश करने के पूर्व उस स्त्री को सूचना देगा कि वह वहां से हट जाने के लिए स्वतंत्र है और हट जाने के लिए उसे प्रत्येक उचित सुविधाएं देगा और तब कमरे को तोड़ कर खोल सकता है और उसमें प्रवेश कर सकता है.
(3) कोई पुलिस अधिकारी या गिरफ्तार करने के लिए प्राधिकृत अन्य व्यक्ति किसी ग्रह या स्थान का कोई बाहरी है भीतरी द्वार या खिड़की अपने को या किसी अन्य व्यक्ति को जो गिरफ्तार करने के प्रयोजन से विधि पूर्वक प्रवेश करने के पश्चात वह निरुद्ध है मुक्त करने के लिए तोड़ कर खोल सकता है.
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 51 के अंतर्गत (1) जब कभी पुलिस अधिकारी द्वारा ऐसे वारंट के अधीन जो जमानत लिए जाने के उपबंध नहीं करता है या ऐसे वारंट के अधीन जो जमानत लिए जाने का उपबंध करता है किंतु गिरफ्तार किया गया व्यक्ति जमानत नहीं दे सकता है कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है तथा
जब कभी कोई व्यक्ति वारंट के बिना या प्राइवेट व्यक्ति द्वारा वारंट के अधीन गिरफ्तार किया जाता है और अवैध रूप से उसकी जमानत नहीं ली जा सकती है या वह जमानत देने में असमर्थ है.
तब गिरफ्तारी करने वाला अधिकारी या जब गिरफ्तारी प्राइवेट व्यक्ति द्वारा की जाती है तब वह पुलिस अधिकारी जिसे वह व्यक्ति गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को सकता है उस व्यक्ति की तलाशी ले सकता है और पढ़ने के आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर उसके पास पाई गई सभी वस्तुओं को सुरक्षित अभिरक्षा में रख सकता है और जहां गिरफ्तार किए गए व्यक्ति से कोई वस्तु अधिग्रहित की जाती है वहां ऐसे व्यक्ति को एक रसीद दी जाएगी जिसमें पुलिस अधिकारी द्वारा कब्जे में ली गई वस्तुएं दर्शित होंगी.
( 2) जब कभी किसी स्त्री की तलाशी लेना आवश्यक हो तब ऐसी तलाशी शिष्टता का पूरा ध्यान रखते हुए अन्य स्त्री द्वारा ली जाएगी.
इस प्रकार धारा 51 के अंतर्गत एक प्राइवेट व्यक्ति भी गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की तलाशी ले सकता है इस धारा के अंतर्गत तलाशी के लिए गवाहों का उपस्थित रहना आवश्यक नहीं है किंतु धारा 100 के अनुसार किसी स्थान की तलाशी दो गवाहों की उपस्थिति में ली जानी आवश्यक है.
अभियुक्त या गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की मेडिकल जांच (medical examination of accused or arrested person)
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 53 के अनुसार जहां की किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किए जाने के पश्चात यदि उसकी मेडिकल जांच कराए जाने की आवश्यकता हो तो कोई भी पुलिस अधिकारी जो उप निरीक्षक स्तर से कम का ना हो उसकी जांच पंजीकृत व्यवसाई (registered medical practitioner) से कराएगा.
जहां की किसी महिला की मेडिकल जांच कराई जानी हो वह ऐसी जांच महिला चिकित्सा व्यवसाई की उपस्थिति में कराई जाएगी.
धारा 54 के अनुसार जहां की कोई गिरफ्तार किया गया व्यक्ति यदि अपनी मेडिकल जांच कराए जाने की प्रार्थना करता है तो वह मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति की मेडिकल जांच कराए जाने का आदेश देगा मजिस्ट्रेट का यह भी कर्तव्य है कि वह गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को इस अधिकार की जानकारी दें. (शीला बारर्स बनाम महाराष्ट्र राज्य एआईआर 1983 S.C.378).
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