Skip to main content

भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

कर दायित्व पर निवास की स्थिति: Impacts of it on residential status

कर दायित्व का आशय है कर की गणना अथवा कर की राशि से नहीं बल्कि उस कुल आय से है जिस पर करदाता आयकर देने को बाध्य है एक करदाता को अनेक प्रकार की आय प्राप्त होती है कुछ तो भारत में प्राप्त अथवा अर्जित होती हैं कुछ भारत के बाहर प्राप्त अथवा अर्जित होती है एक करदाता काकर दायित्व आए के अर्जित होने या आए के प्राप्त होने के आधार पर निर्धारित किया जाता है इसके अंतर्गत यह अध्ययन किया जाता है कि करदाता को किन-किन आयो पर आयकर देना है यदि करदाता कर का दायित्व होता है इसे ही कर का भार या कुल आय का क्षेत्र कहते हैं.


कर दायित्व पर निवास की स्थिति का प्रभाव:

Impact of residential  status on tax liability

किसी भी करदाता का दायित्व उसके निवास स्थान के आधार पर निश्चित किया जाता है आयकर अधिनियम की धारा 5 के अंतर्गत कर दायित्व पर निवासी स्थिति के प्रभाव इस प्रकार हैं -

( 1) साधारण निवासी पर करभर: एक निवासी करदाता की कुल आय में निम्न प्रकार की आय शामिल है कि जाती है

        गत वर्ष में उसे भारत में प्राप्त हुई हो अथवा प्राप्त हुई समझी जाए चाहे भले ही कहीं भी उपार्जित या उदित हुई हो.

             गत वर्ष में भारत में उपार्जित या उदित हुई आए उपार्जित या उदित हुई आए समझी जाने वाली आए.


               गत वर्ष में भारत के बाहर उपार्जित या उदित हुई आए अगर मैं भारत में नियंत्रित व्यापार या पेशो से प्राप्त हो


             एक साधारण निवासी अपनी सभी आय पर जो उसे संसार में कहीं भी प्राप्त उपार्जित या उदित हुई हो कर देने के लिए उत्तरदाई है

( 2) असाधारण निवासी पर कार्यभार आयकर अधिनियम की धारा 5 (1) के अनुसार एक असाधारण निवासी करदाता अपनी निम्नलिखित आय पर कर देने के लिए उत्तरदाई होगा


           गत वर्ष में उसे या उसकी ओर से भारत में प्राप्त हुई हो या प्राप्त हुई समझी गई हो

        गत वर्ष में भारत में उपार्जित या उदय हुई हो या भारत में उपार्जित या उपार्जित अथवा उदित हुई समझी गई हो.


           गत वर्ष में भारत के बाहर उपार्जित या उदित हुई हो ऐसी आए जो भारत में नियंत्रित व्यापार से भारत में स्थापित व्यापार से उत्पन्न हुई हो.


( 3) अनिवासी पर कर भार आयकर अधिनियम की धारा 5 (2) के अनुसार एक अनिवासी करदाता सिर्फ भारत में प्राप्त हुआ प्राप्त समझी जाने वाली एवं भारत में उपार्जित या उपाध्य समझे जाने वाली आय पर ही कर देने के लिए उत्तरदाई होगा अनिवासी विदेशी आए पर कर देने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा एक अनिवासी करदाता अपनी निम्न आयोग पर कर देने के लिए उत्तरदाई होगा -


                   गत वर्ष में उसे अथवा उसकी ओर से भारत में प्राप्त हुई हो अथवा प्राप्त हुई समझी गई हो

                  गत वर्ष में उसे भारत में उपार्जित या उदय हुई वहां भारत उपार्जित या उदय समझी गई हो


स्पष्टीकरण:

              भारत के बाहर उपार्जित या उदित आय मात्र इस कारण भारत में प्राप्त हुई नहीं समझी जाएगी उस आय को भारत में तैयार चिट्ठे में दिखाया गया है


                 यदि कोई आए उपार्जित या उदित होने के आधार पर करदाता भी कुल आय में जॉब मिल गई हो तो वह पुनः उस समय नहीं जोड़ी जाएगी जब वह प्राप्त हुई आए को यह प्राप्त हुई समझी  जाएगी.

Comments

Popular posts from this blog

असामी कौन है ?असामी के क्या अधिकार है और दायित्व who is Asami ?discuss the right and liabilities of Assami

अधिनियम की नवीन व्यवस्था के अनुसार आसामी तीसरे प्रकार की भूधृति है। जोतदारो की यह तुच्छ किस्म है।आसामी का भूमि पर अधिकार वंशानुगत   होता है ।उसका हक ना तो स्थाई है और ना संकृम्य ।निम्नलिखित  व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत आसामी हो गए (1)सीर या खुदकाश्त भूमि का गुजारेदार  (2)ठेकेदार  की निजी जोत मे सीर या खुदकाश्त  भूमि  (3) जमींदार  की बाग भूमि का गैरदखीलकार काश्तकार  (4)बाग भूमि का का शिकमी कास्तकार  (5)काशतकार भोग बंधकी  (6) पृत्येक व्यक्ति इस अधिनियम के उपबंध के अनुसार भूमिधर या सीरदार के द्वारा जोत में शामिल भूमि के ठेकेदार के रूप में ग्रहण किया जाएगा।           वास्तव में राज्य में सबसे कम भूमि आसामी जोतदार के पास है उनकी संख्या भी नगण्य है आसामी या तो वे लोग हैं जिनका दाखिला द्वारा उस भूमि पर किया गया है जिस पर असंक्रम्य अधिकार वाले भूमिधरी अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते हैं अथवा वे लोग हैं जिन्हें अधिनियम के अनुसार भूमिधर ने अपनी जोत गत भूमि लगान पर उठा दिए इस प्रकार कोई व्यक्ति या तो अक्षम भूमिधर का आसामी होता ह...

पार्षद अंतर नियम से आशय एवं परिभाषा( meaning and definition of article of association)

कंपनी के नियमन के लिए दूसरा आवश्यक दस्तावेज( document) इसके पार्षद अंतर नियम( article of association) होते हैं. कंपनी के आंतरिक प्रबंध के लिए बनाई गई नियमावली को ही अंतर नियम( articles of association) कहा जाता है. यह नियम कंपनी तथा उसके साथियों दोनों के लिए ही बंधन कारी होते हैं. कंपनी की संपूर्ण प्रबंध व्यवस्था उसके अंतर नियम के अनुसार होती है. दूसरे शब्दों में अंतर नियमों में उल्लेख रहता है कि कंपनी कौन-कौन से कार्य किस प्रकार किए जाएंगे तथा उसके विभिन्न पदाधिकारियों या प्रबंधकों के क्या अधिकार होंगे?          कंपनी अधिनियम 2013 की धारा2(5) के अनुसार पार्षद अंतर नियम( article of association) का आशय किसी कंपनी की ऐसी नियमावली से है कि पुरानी कंपनी विधियां मूल रूप से बनाई गई हो अथवा संशोधित की गई हो.              लार्ड केयन्स(Lord Cairns) के अनुसार अंतर नियम पार्षद सीमा नियम के अधीन कार्य करते हैं और वे सीमा नियम को चार्टर के रूप में स्वीकार करते हैं. वे उन नीतियों तथा स्वरूपों को स्पष्ट करते हैं जिनके अनुसार कंपनी...

कंपनी के संगम ज्ञापन से क्या आशय है? What is memorandum of association? What are the contents of the memorandum of association? When memorandum can be modified. Explain fully.

संगम ज्ञापन से आशय  meaning of memorandum of association  संगम ज्ञापन को सीमा नियम भी कहा जाता है यह कंपनी का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। हम कंपनी के नींव  का पत्थर भी कह सकते हैं। यही वह दस्तावेज है जिस पर संपूर्ण कंपनी का ढांचा टिका रहता है। यह कह दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह कंपनी की संपूर्ण जानकारी देने वाला एक दर्पण है।           संगम  ज्ञापन में कंपनी का नाम, उसका रजिस्ट्री कृत कार्यालय, उसके उद्देश्य, उनमें  विनियोजित पूंजी, कम्पनी  की शक्तियाँ  आदि का उल्लेख समाविष्ट रहता है।         पामर ने ज्ञापन को ही कंपनी का संगम ज्ञापन कहा है। उसके अनुसार संगम ज्ञापन प्रस्तावित कंपनी के संदर्भ में बहुत ही महत्वपूर्ण अभिलेख है। काटमेन बनाम बाथम,1918 ए.सी.514  लार्डपार्कर  के मामले में लार्डपार्कर द्वारा यह कहा गया है कि "संगम ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य अंश धारियों, ऋणदाताओं तथा कंपनी से संव्यवहार करने वाले अन्य व्यक्तियों को कंपनी के उद्देश्य और इसके कार्य क्षेत्र की परिधि के संबंध में अवग...