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IPC की धारा 353 और BNS की धारा 132 लोक सेवकों की सुरक्षा से जुड़े कानून का पूरा विश्लेषण

आयकर अधिनियम 1961 के निवासियों अनिवासियों साधारण निवासी resident non resident and non ordinary resident in Income Tax Act 1961

भारत में निवासी धारा 6 (2) के अनुसार एक हिंदू अविभाजित परिवार भारत का अनिवासी होगा अगर गत वर्ष में उसका संपूर्ण नियंत्रण तथा प्रबंधन भारत के बाहर से होता है.


असाधारण निवासी एक हिंदू अविभाजित परिवार साधारण निवासी होगा अगर उसका करता निम्नलिखित शर्तों (condition) को पूरा नहीं करता है


            वह गत वर्ष से तुरंत पूर्व के 10 गत वर्षों में कम से कम 2 साल भारत का निवासी रहा हो


              वह गत वर्ष से पहले के 7 सालों में कम से कम 730 दिन भारत में रहा हो.


कर भार की गणना (calculation of incidence of tax)

          किसी कर दाता के कर भार की गणना के लिए उसकी निवास स्थिति तथा उसके द्वारा अर्जित की गई आए को ध्यान में रखा जाता है आयकर अधिनियम की धारा 5 के विभिन्न उपकरणों में कर भार की गणना से संबंधित विधि का उपबन्धित किया गया है कर भार का निर्धारण निम्न देशों में अलग अलग किया जाता है.


( 1) साधारण निवासी के संदर्भ में आयकर अधिनियम की धारा 5 (1) के उप बंधुओं के अनुसार एक निवासी तथा साधारण निवासी कि गत वर्ष में समस्त संसाधनों से कमाई गई वह आयकर भार के लिए शामिल की जाती है


              गत वर्ष में प्राप्त की गई हो चाहे वह भारत में या भारत के बाहर उपार्जित या कमाई गई हो,


           गत वर्ष में भारत में उपार्जित या कमाई गई हो चाहे कहीं से भी प्राप्त की गई हो

           गत वर्ष में भारत के बाहर उपार्जित या कमाई गई हो

              अर्थात एक करदाता जो निवासी असाधारण निवासी है उसने गत वर्ष में जो भी आए विश्व के किसी भी बात पर क्यों ना कमाई हो या अर्जित की हो उस दशा में वह प्राप्त की गई राशि पर कर देने के लिए वह उत्तरदाई होगा,


( 2) असाधारण निवासी के संदर्भ में आयकर अधिनियम के अनुसार एक असाधारण निवासी के संदर्भ में कर भार की गणना के लिए आई में भले ही वह किसी भी संसाधन से कमाई गई हो निम्न प्रकार से जुड़ी जाएगी


             करदाता ने भारत में प्राप्त या कमाई गई हो या अर्जित की गई हो या उपार्जित की गई हो भले ही वह कहीं भी हो क्यों ना प्राप्त हुई हो और वह कमाई की गई हो


           करदाता को भारत में उपार्जित हुई मैं कमाई गई भले ही वे कहीं से भी प्राप्त की गई हो

करदाता को भारत में उपार्जित हुई हो या कमाई गई हो जो कि ऐसे व्यापार से जो कि भारत के बाहर से नियंत्रित होने वाला व्यापार


( 3) अनिवासी के संदर्भ में आयकर अधिनियम की धारा 5 (2) के अनुसार एक अनिवासी करदाता की स्थिति में आए पर कर भार की गणना के लिए उसकी गत वर्ष की आय में निम्नलिखित प्रकार से विभिन्न प्रकार के स्रोतों से कमाई गई आए को शामिल किया जाएगा

        करदाता ने इस गत वर्ष में भारत में प्राप्त की गई हो या प्राप्त समझी जाएगी जो कि भले ही भारत या भारत के बाहर कहीं भी उपार्जित की गई हो या कमाई गई हो.

          करदाता ने जो आयुष गत वर्ष में भारत में उपार्जित की गई हो या कमाई गई हो भले ही वह कहीं भी प्राप्त क्यों ना की गई हो.

            इस तरह हम कह सकते हैं कि कोई भी आए जो कि भारत के बाहर विदेश में क्यों न कमाई गई हो भारतीय आयकर दाता विदेश में आए तो कमाने पर कर बार के दायित्व ही नहीं माना जाएगा क्योंकि वह भारत में आए कमाने पर आयकर देने के लिए आयकर अधिनियम के अधीन उत्तरदाई होगा.


( 1) उपार्जित या कमाई गई हो अर्थात जब आयकर दाता अपना श्रम करके या सेवा करके या अन्य किसी भी देख प्रक्रिया के द्वारा आए को प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त कर लेता है तो कहा जाता है कि उसने आए उपार्जित कर लिया या कमा  ली है.

( 2) प्राप्त की गई हो अर्थात ऐसी आए जिसे करदाता श्रव्य सेवा कर के अधिकार के रूप में प्राप्त कर लेता है तो कहां जाता है कि वहां पर करदाता ने उसे को प्राप्त किया है तथा वह स्थान जहां पर आए को पहली बार प्राप्त किया गया हो तो माना जाएगा कि अमुक स्थान पर आय प्राप्त हुई है भले ही उसके बाद उसे कहीं नहीं भेजा जा गया हो भेजे गए स्थान पर आयकर योग्य नहीं होगी बल्कि उद्गम स्थान पर ही कर योग्य होगी.

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