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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

सूचना का अधिकार right to Information Act,2005

 भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है अर्थात भारतीय संविधान के अंतर्गत जिस शासन व्यवस्था की स्थापना की गई है वह जनता में से जनता के द्वारा जनता के लिए चुने गए व्यक्तियों का शासन है लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम आदमी ही देश का असली मालिक होता है इसलिए मालिक होने के नाते जनता को यह जानने का हक है कि जो सरकार की सेवा के लिए बनाई गई है वह क्या कहां और कैसे कार्य कर रही है इस संदर्भ म “महात्मा गांधी ने उचित ही कहा है कि वास्तविक स्वराज केवल कुछ लोगों द्वारा सत्ता प्राप्त कर लेने से ही नहीं होता अपितु यह तभी सार्थक होता है जब सत्ता के दुरुपयोग का विरोध करने की शक्ति जनता में निहित हो” अतः भारत सरकार ने सदैव अपने नागरिकों के जीवन को सहस विचारों एवं सुलभ बनाने हेतु बल दिया है इसी लक्ष्य को सामने रखते हुए भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली को पारदर्शी हम उत्तरदाई बनाने हेतु सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया गया है.💐


               इतना ही नहीं प्रत्येक नागरिक सरकार के संचालन हेतु कार्य का भुगतान करता है इसलिए नागरिकों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि उनके द्वारा कर के रूप में दिया गया पैसा कहां एवं कैसे खर्च किया जा रहा है क्या लोक अधिकारी व लोक संस्थाएं इस धन का सदुपयोग कर रही है अथवा नहीं जनता को सरकारी विभागों एवं लोक शासन के बारे में यह सब जानने का अधिकारी सूचना का अधिकार है व्यवहारिक धरातल पर यदि देखा जाए तो भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के नाते प्रत्येक व्यक्ति को अनेक ऐसे प्रश्नों को जानने का अधिकार है जो उनके व्यक्तिगत पारिवारिक समुदाय तथा सामाजिक जीवन को प्रभावित करते हैं.

सूचना के अधिकार का अर्थ:(meaning of right to information )


सूचना के अधिकार अधिनियम में सबसे महत्वपूर्ण शब्द सूचना है अतः सूचना का अर्थ है तथा सरकार के पास उपलब्ध सूचना की प्रकृति को जान लेना आवश्यक है सूचना से अभिप्राय सरकार सरकारी संगठनों सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले संगठनों निजी संगठनों आदि में उपलब्ध किसी भी प्रकार एवं रूप की सामग्री से है जिसमें रिकॉर्ड्स पुरालेख मेमोस ईमेल मत राय प्रेस विज्ञप्ति या परिपत्र आदेश लांग बुक अनुबंध रिपोर्ट्स पेपर्स नमूने तथा मॉडल इत्यादि सम्मिलित है यह सूचना जिस आदमी को समानता उपलब्ध नहीं कराया जाता है सूचना की दृष्टि से सरकार को संसाधनों का एक गोदाम कहा जाता है सरकार के अभिलेखागार ओं में राष्ट्र की स्मृति निहित होती है अतः सरकार के लिए अपनी गतिविधियां निष्पादन एवं भावी योजनाओं के बारे में आम आदमी को बताना आवश्यक है.

       सरकारी अभिलेखों में जो सूचना होती है वह अधिकतर जनता से संबंध रखती है वह सूचना जनता द्वारा करों के रूप में दिए गए धन से उत्पन्न होती है तथा इस पर नियंत्रण लोग अधिकारियों का उतार लोग अधिकारियों का वेतन भुगतान भी जनता द्वारा दिए गए करो द्वारा ही किया जाता है अतः आम आदमी तक सभी प्रकार की सूचना का प्रवाह होना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग अधिकारी वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता से कार्य कर रहे हैं यदि व्यवस्था पारदर्शी नहीं होगी तो सामान्य नागरिक दैनिक सेवाओं के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो जाते हैं जो नागरिक लोक सेवकों को रिश्वत देकर सूचना प्राप्त करने का प्रयास करते हैं उन्हें सूचना तुरंत प्राप्त हो जाती है जो नागरिक ईमानदारी से करूंगा भुगतान तो करते हैं परंतु रिश्वत देने में विश्वास नहीं रखते हैं उन्हें यह सूचना सरलता से प्राप्त नहीं हो पाती है क्योंकि जनता से उपलब्ध करो का व्यक्तिगत लाभ हेतु दुरुपयोग किया जाता है तथा किसी प्रकार का सोशल ऑडिट भी नहीं होता है इन सब का स्वाभाविक परिणाम यह होता है कि सुशासन के स्थान पर कुशासन का प्रभुत्व जाता है तथा भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलता है.

             सूचना के अधिकार का अर्थ है सरकार सरकारी संगठनों तथा सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त करने गैर सरकारी संगठनों में उपलब्ध सूचना को जनता तक पहुंचाना सरकार एवं अधिकारियों को अपने कार्यों के प्रति जवाबदेह बनाने हेतु नागरिकों को यह अधिकार दिया गया है इसके पीछे मान्यता है कि बोलने और अभिव्यक्ति का अधिकार तब तक सार्थक नहीं हो सकता जब तक कि नागरिकों के लिए सभी प्रकार की सूचनाओं तक पहुंच निश्चित कि नहीं जाएगी अतः सूचना का अधिकार भी नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकारों की भांति ही है.

          क्योंकि सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत पूछे जाने वाले अधिकांश प्रश्न सार्वजनिक वितरण प्रणाली राशन कार्ड निर्धनता रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को दिए जाने वाले कार्ड इंदिरा आवास योजना भूमि सिंचाई कल्याणकारी योजना में भ्रष्टाचार तथा ग्रामीण प्रशासन के दैनिक कार्यों से संबंधित होते हैं अतः यह अधिकार निश्चित रूप से जवाबदेही सुनिश्चित करने तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु किया गया एक प्रमुख प्रयास है.

          यह सही है कि सभी प्रकार की सूचनाएं जनता की पहुंच तक नहीं होती है कुछ सूचनाएं ऐसी होती हैं जो विदेशी सरकारों द्वारा उनको विश्वास में देकर प्राप्त की जाती हैं तो कुछ ऐसी सूचनाएं हैं जिनका ज्ञान होना किसी व्यक्ति के जीवन की सुरक्षा हेतु खतरा पैदा कर सकती है इनके साथ साथ जो सूचना देश की सुरक्षा या अपराधियों आतंकवादियों और देशद्रोहियों से संबंधित होती हैं इन्हें भी सूचना के अधिकार से दूर रखा गया है वस्तुतः इन श्रेणियों की सूचनाएं सामान्य नागरिकों के जीवन को प्रभावित करने वाली नहीं होती है इन को छोड़कर बाकी सभी प्रकार की सूचनाओं को प्राप्त करने का अधिकार जनता को प्रदान किया गया है.

सूचना के अधिकार अधिनियम की पृष्ठभूमि:(background of right to information ACT)


सूचना के अधिकार अधिनियम की लंबी पृष्ठभूमि है इसकी न्यूज़ 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा द्वारा रखी गई थी सार्वभौम घोषणा पत्र में 30 धाराएं सम्मिलित की गई थी जिनमें से 19 में धारा प्रत्येक व्यक्ति को मत और विचार अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता से संबंधित है इसके साथ ही 1966 के नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों के अंतरराष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र की धारा 19 के दो में इस बात पर बल दिया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति निर्बाध विचारों की स्वतंत्रता सभी प्रकार की सूचना प्राप्त करने एवं आदान प्रदान करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए सूचना के अधिकार की प्रेरणा इन्हीं धाराओं से मिलती है इन्हीं से प्रेरित होकर के अनेक देशों में सूचना के अधिकार संबंधी अधिनियम पारित किए जाने के प्रयास किए जाने लगे स्वीडन पहला देश है जिसमें 1976 में सूचना के अधिकार संबंधी अधिनियम पारित किया गया इसके पश्चात लगभग 85 देशों ने स्वीडन का अनुसरण करते हुए अधिनियम पारित किया में कनाडा ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड जैसे कॉमनवेल्थ तथा अमेरिका फ्रांस एवं शामिल है.

         भारत में सूचना के अधिकार की प्राप्ति एक लंबी प्रश्न 19 का प्रारंभ 1976 में हुआ जब राजनारायण बनाम उत्तर प्रदेश ए आई आर 1975 एस सी 865 मामले में उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 19 में वर्णित सूचना के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया अनुच्छेद 19 के अनुसार प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति का अधिकार प्राप्त उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जनता जब तक जाने कि नहीं तब तक भूलने व्यक्ति के अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकती है इसी के आलोक में सूचना का अधिकार पारित किया गया इस अधिनियम में व्यवस्था की गई कि किस प्रकार नागरिक सरकार से सूचना मांगेंगे और किस प्रकार सरकार जवाब दे होगी.

      इसके अतिरिक्त भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम पारित करने के पीछे निम्नलिखित ऐतिहासिक घटनाओं प्रयास एवं निर्णयों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है -

1990 में स्वर्गीय प्रधानमंत्री वीपी सिंह के नेतृत्व में गठित नेशनल फ्रंट सरकार ने सूचना के अधिकार के महत्व को स्वीकार करते हुए इसे विधि कानून अधिकार बनाने हेतु प्रारंभिक प्रयास किए तथा अधिनियम की ओर से आगे बढ़ने का रास्ता साफ होने लगा.

        1994 में राजस्थान में मजदूर किसान शक्ति संगठन द्वारा एक आम आदमी अभियान प्रारंभ किया गया जिसमें ग्रामीण विकास के कार्यों के बारे में सूचना प्राप्त करने का प्रयास किया गया इसी के परिणाम स्वरूप राजस्थान सरकार ने 2000 में सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया.

          1995 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मसूरी में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा अभियान के तहत अधिनियम का एक ड्राफ्ट तैयार किया गया.

        1996 में सूचना के लोगों के अधिकार हेतु राष्ट्रीय अभियान का गठन किया गया तथा न्यायमूर्ति पीबी सावंत की अध्यक्षता में एक अधिनियम तैयार किया गया जिसे बाद में हुए वर्कशॉप में संशोधन करते हुए सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 1997 नाम दिया गया.      
         
         1997 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन द्वारा एचडी सॉरी की अध्यक्षता में एक ड्राफ्ट तैयार किया गया जिसे सूचना का स्वतंत्रता का बिल 1997 नाम दिया गया.

         1997 में तमिलनाडु भारत का प्रथम ऐसा राज्य बना जिसे सूचना के अधिकार से संबंधित अधिनियम पारित किया

         1997 में मध्य प्रदेश सरकार ने 36 विभागों को सूचना का अधिकार लागू करने हेतु एक प्रशासनिक आदेश जारी किया जिसे बाद में 50 विभागों तक बढ़ा दिया गया.

          1997 में गोवा सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया

         1998 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने यह घोषणा की कि शीघ्र ही सूचना का अधिकार अधिनियम पारित करने का प्रयास किया जाएगा

         1998 में मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा में सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया परंतु यह कानून नहीं बन पाया क्योंकि राज्यपाल ने इसे स्वीकृति प्रदान नहीं की

          1999 में भारत सरकार के नागरिया मामलों के मंत्री ने अपने विभाग में पारदर्शिता हेतु एक प्रशासनिक आदेश दिया परंतु संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने संबंधित मंत्री की इस बारे में फटकार लगाने का प्रयास किया.

       2000 में संसद में सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम पेश किया गया जिसे संसद की सिलेक्ट कमेटी को सौंप दिया गया.

       2001 में राष्ट्रीय राजधानी हेतु दिल्ली सरकार द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम पारित किया गया.

        2002 में सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया गया

        सितंबर 2002 में भारत सरकार ने एक सूचना का अधिकार अधिनियम अध्यादेश जारी किया जिससे महाराष्ट्र में पारित सूचना का अधिकार अधिनियम 2019 प्रभावी हो गया

          2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार का गठन हुआ सरकार ने घोषणा की कि वे देश को भ्रष्टाचार मुक्त पारदर्शी एवं जवाबदेह शासन प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध है इसलिए गठबंधन सरकार ने अपने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अंतर्गत इस अधिनियम को पारित करने हेतु आवश्यक कदम उठाने का निर्णय लिया तथा सूचना का अधिकार अधिनियम बनाने हेतु एक राष्ट्रीय परामर्श दात्री परिषद का गठन किया परिषद की बैठकों में सूचना पाने के अधिकार से संबंधित कर्नाटक महाराष्ट्र राज्यों के नियमों पर विचार किया गया इसमें अधिनियम के संशोधित प्रारूप को ही केंद्रीय कानून बनाए जाने की सिफारिश राष्ट्रीय परिषद ने की सिफारिश में कहा गया कि प्रस्तावित संशोधनों का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित होना चाहिए

          अधिकतम प्रकट अन और न्यूनतम छूट के साथ संवैधानिक प्रावधानों का पालन करना

      स्वतंत्र अपीली स्वतंत्रता तंत्र की स्थापना करना

          कानून के अनुरूप सूचना प्रदान करने में असफल रहने पर दंड का प्रावधान करना

          सूचना तक पहुंचने के लिए प्रभावी तंत्र निर्मित करना

          अधिकारियों द्वारा सूचना प्रकट करने को सुनिश्चित होना ना

            इस परामर्श दात्री परिषद ने 2004 में अपनी सिफारिशें प्रधानमंत्री को सौंप दी कुछ सिविल सेवाओं के अधिकारियों में राजनीतिज्ञों द्वारा इनके विरोध में आवाज उठाई गई सक्रिय नागरिक समूहों ने शीघ्र अति शीघ्र इस अधिनियम को पारित करने हेतु दबाव बनाना प्रारंभ कर दिया अंततः 2004 दिसंबर में सूचना का अधिकार अधिनियम संसद में पेश कर दिया गया जो केवल भारत सरकार पर ही लागू होना था ने गैर सरकारी संगठनों एवं खुश राष्ट्रीय सलाहकार समितियों के सदस्यों ने इसका विरोध किया तथा इसे पूरे भारत में लागू करने हेतु आंदोलन भी प्रारंभ हुए इसी के परिणाम स्वरुप राष्ट्रीय समिति ने अधिनियम पर पुनः विचार करते हुए अपने मौलिक ड्राफ्ट से ही सहमति प्रकट की जिसके अनुसार यह अधिनियम राज्यों पर भी लागू होना था इस अधिनियम में सरकार ने लगभग 150 संशोधन पेश किए तथा 11 मई 2005 को यह लोकसभा तथा 12 मई 2005 को राज्यसभा में पारित कर दिया गया यह अधिनियम आप संपूर्ण भारत केवल पर भी लागू है राष्ट्रपति ने इस अधिनियम को 15 जून 2005 को अपनी स्वीकृति प्रदान की एवं 21 जून 2005 को यह अधिनियम भारत के राजपत्र असाधारण भाग 2 खंड 1 के प्रश्न 9 से 22 में प्रकाशित किया गया यह अधिनियम संपूर्ण भारत में 12 अक्टूबर 2005 को लागू किया गया.
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                    सूचना का अधिकार , 2005 ( right to Information Act - 2005)


        सूचना का अधिकार अधिनियम मौलिक रूप से भारतीय संविधान की धारा 19 में विभाजित हुआ है यह धारा नागरिकों के बोलने व्यक्ति के अधिकार से संबंधित है धारा 19 (1) ए के साथ-साथ भारतीय संविधान की धाराएं 311 (2) तथा 22 (1) भी सूचना के अधिकार संबंधित है गठबंधन द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 23 दिसंबर 2004 को संसद में पेश किया गया इसे लोकसभा में 11 मई 2005 तथा राज्यसभा ने 12 मई 2005 को पारित कर दिया राष्ट्रपति ने इस अधिनियम को 15 जून 2005 को अपनी स्वीकृति प्रदान की तथा 21 जून 2005 को यह अधिनियम भारत के राजपत्र असाधारण भाग 2 खंड 1 के प्रश्नों से 22 में प्रकाशित किया गया भारत में 12 अक्टूबर 2005 को लागू किया गया यह अधिनियम भारत के सभी नागरिकों को सरकारी फाइलों एवं रिकार्ड्स में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार देते हैं इस अधिनियम को संक्षेप में आरटीआई कानून कहा जाता है.

            सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 जिन शब्दों से प्रारंभ होता है उनसे इसके उद्देश्य एवं महत्व का अनुमान लगाया जा सकता है यह शब्द है प्रत्येक लोक प्राधिकारी के कार्यक्रम में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के संवर्धन के लिए लोक प्राधिकारी यों के नियंत्रण आधीन सूचना तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नागरिकों के सूचना के अधिकार की व्यवहारिक शासन पद्धति स्थापित करने एक केंद्रीय सूचना आयोग तथा राज्य सूचना आयोग का गठन करने और उनसे संबंधित या उनके अनुषांगिक विषयों का बंद करने के लिए अधिनियम.

       इस अधिनियम का उद्देश्य सरकारी कार्यालयों की जवाबदेही तय करना तथा उनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाना है ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके इसके लिए सरकार ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग का गठन भी किया है इस अधिनियम का लाभ केवल भारतीय नागरिक ही उठा सकते हैं इसमें निगम यूनियन कंपनी बगैरा को सूचना देने का प्रावधान नहीं है क्योंकि यह नागरिकों की परिभाषा में नहीं आते हैं यदि किसी निगम यूनियन कंपनी एनजीओ का कर्मचारी या अधिकारी आरटीआई दाखिल करता है तो उसे सूचना दी जाएगी बशर्ते उसने सूचना अपने नाम से मांगी है निगम यूनियन के नाम पर नहीं.

        सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना प्राप्ति के प्रमुख अधिकार निम्नलिखित है

नागरिकों को किसी लोग अधिकारी से ऐसी सूचना मांगने का अधिकार है जो उस लोक अधिकारी के पास उपलब्ध है या उसके नियंत्रण में उपलब्ध है इस अधिकार में लोग अधिकारी के पास यह नियंत्रण में उपलब्ध कृति दस्तावेजों तथा रिकार्डो का निरीक्षण दस्तावेजों या रिकार्डों के नोट उदाहरण या प्रमाणित प्राप्त प्रतियां प्राप्त करने सामग्री के प्रमाणित नमूने लेना शामिल है.

      सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत लोग अधिकारी द्वारा सूचना सृजित करने या सूचना की व्याख्या करना या आवेदन द्वारा उठाई गई समस्याओं का समाधान करना यह काल्पनिक प्रश्नों का उत्तर देना अपेक्षित नहीं अधिनियम के अंतर्गत केवल ऐसी सूचना प्राप्त की जा सकती है जो लोग अधिकारी के पास पहले से मौजूद है.

            अधिनियम नागरिकों को संसद सदस्य और राज्य विधान मंडल के सदस्यों के बराबर सूचना का अधिकार प्रदान करता अधिनियम के अनुसार ऐसी सूचना जिसे संसद अथवा राज्य विधानमंडल को देने से इनकार नहीं किया जा सकता है उसे किसी व्यक्ति को देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि इस अधिनियम में के अनुसार ऐसी जानकारी जिससे संसदीय विधानमंडल सदस्यों को देने से इनकार नहीं किया जा सकता है उसे किसी आम व्यक्ति को देने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.

          यद्यपि आवेदक को सूचना सामान थे उसी रूप में प्रदान की जाती है जिसमें वह मांगता है तथापि यदि किसी विशेष प्रारूप में मांगी गई सूचना की आपूर्ति से लोग अधिकारी के संसाधनों का अपेक्षित ढंग से विचलन होता है या इससे रिकार्डों के परीक्षा में कोई हानि की संभावना होती है तो उस रूप में सूचना देने से मना किया जा सकता है.

          नागरिक को डिस्ट्रॉफी टैब वीडियो कैसेट या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में सूचना प्राप्त करने का अधिकार है बशर्ते की मांगी गई सूचना कंप्यूटर में या अन्य किसी युक्ति में पहले से सुरक्षित है 
 उसको पेनड्राइव या फ्लॉपी में आदि में स्थानांतरित किया जा सकता है.

:सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के प्रमुख प्रावधान


सूचना का अधिकार अधिनियम 2015 पूर्व में निर्मित सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 के स्थान पर लाया गया है सूचना की स्वतंत्रता का 2002 का एक कमजोर तथा निष्प्रभावी कानून सिद्ध हुआ था जिसके कारण एक नए अधिनियम की आवश्यकता महसूस की गई 2005 का अधिनियम इसी कमी को पूरा करने के लिए पारित किया गया इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्न प्रकार है -

          सभी नागरिकों को सूचना तक पहुंच का अधिकार सुस्पष्ट या प्रदान करना

            सभी लोग अधिकारियों के लिए इस प्रकार की सूचना के प्रसार को एक बाध्यता बना बनाया जाना

          केंद्र एवं राज्य स्तर पर एक उच्च स्तरीय स्वतंत्र निकाय के रूप में सूचना आयोगों की स्थापना करना यह आयोग सूचना प्राप्त करने के अधिकारों को प्रोन्नत करेंगे तथा अधिनियम के प्रावधानों को लागू करेंगे यह निकाय अपीलीय अधिकरण के रूप में कार्य करेंगे तथा इन्हें दीवानी न्यायालय के अधिकार प्राप्त होंगे अधिनियम में सूचना आयोग को ऐसी शक्तियां प्रदान की गई है जो लोग अधिकारियों को सूचना देने से मना करने में हतोत्साहित करेंगे.

              इस अधिनियम के अधिकार क्षेत्रों में निम्नलिखित को रखा गया है

केंद्र एवं राज्य सरकारों के सभी मंत्रालय तथा विभाग सुरक्षा एवं इंटेलिजेंट संगठनों को छोड़कर

          पंचायती राज संस्थाएं तथा स्थानीय नगर निकाय

             सरकार से वित्त पोषित गैर सरकारी संगठन एनजीओ 


        केंद्र एवं राज्य सरकारों के स्वामित्व वाले निगम तथा कंपनियां

सूचना प्राप्त करने के अधिकार में अभिलेखों की जांच पड़ताल तथा आंकड़ों को प्राप्त करना भी शामिल है अधिकारियों को सूचना प्राप्त करने संबंधी आवेदन प्राप्त करने के 48 घंटे के भीतर इस पर कार्रवाई करनी होगी यदि यह जीवन और स्वतंत्रता का मामला है तो सूचना प्रदान करने में हीला हवाली करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध प्रशासनिक कार्यवाही की जाएगी तथा दोषी अधिकारी दंडित होंगे इस अधिनियम के कतिपय प्रावधान इन अधिनियम के लागू होने के साथ ही लागू हो जाएंगे शेष प्रावधान अधिनियम लागू होने के 120 दिन के भीतर लागू हो जाएंगे इस 120 दिन की अवधि के भीतर केंद्र एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों को सूचना प्रदान करने के लिए तंत्र बनाना होगा प्रत्येक सरकारी कार्यालय संगठन में अत्याधिक अधिकारियों को जन सूचना अधिकारी यानी पीआरओ के रूप में नियुक्त किया जाना जरूरी है इन जन सूचना अधिकारियों को नागरिकों द्वारा मांगी गई सूचना 30 दिनों के भीतर देनी होगी.

           सूचना प्राप्त करने के लिए किसी नागरिक द्वारा दिए गए आवेदन को लेने से मना करना समय से सूचना ना देना या आधी अधूरी सूचना देना गलत सूचना देना वंचित सूचना को नष्ट करना या भ्रामक सूचना देना आदि के लिए कठोर दंड का प्रावधान है

          यदि किसी स्तर पर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 तथा ऑफिसियल सीक्रेट से अधिनियम 1923 के प्रावधानों के बीच टकराव की स्थिति आती है तो सूचना पाने के अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों को ही प्रमुखता प्राप्त होगी.

        नागरिकों को डिस्क टाइप और इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंटआउट के रूप में सूचना मांगने का अधिकार ह बशर्ते मांगी गई सूचना पहले से  में पहले स उस रूप में े उपलब्ध हो.

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