राज्य बीमा अधिनियम के अंतर्गत स्थाई समिति के गठन एवं शक्तियों: Compositions and power of standing committee of state
Composition of medical facility Council: चिकित्सा सुविधा परिषद का गठन
कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 की धारा 10 में केंद्रीय सरकार के द्वारा एक चिकित्सा लाभ परिषद के गठन का उपबंध किया गया है इस चिकित्सा सुविधा परिषद का गठन निम्नलिखित पदाधिकारियों एवं सदस्यों से होगा:
( 1) पदेन सदस्य:
महा निर्देशक कर्मचारी राज्य बीमा निगम जो परिषद के पदेन अध्यक्ष होंगे.
( 2) महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं अध्यक्ष होंगे
( 3) पदेन सदस्य:
निगम के चिकित्सा आयुक्त परिषद के पदेन सदस्य होंगे.
नियुक्त सदस्य:
केंद्रीय सरकार के द्वारा चिकित्सा लाभ परिषद में निम्नलिखित को नियुक्त किया जाएगा.
) स्वास्थ्य सेवाओं का एक उप महानिदेशक होगा
) इस समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन सदस्यों की नियुक्ति नियोजक ओं के ऐसे संगठनों के परामर्श पर किया जाएगा जिन्हें इस प्रयोजन के निमित्त सरकार के द्वारा मान्यता दी गई हो
) कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन सदस्यों की नियुक्ति कर्मचारियों के ऐसे संगठनों के परामर्श पर किया जाएगा जिन्हें कि इस प्रयोजन के निमित्त केंद्रीय सरकार द्वारा मान्यता दी गई हो इन 3 सदस्यों में से कम से कम एक का महिला होना जरूरी है.
) प्रत्येक ऐसे राज्य का एक प्रतिनिधि जो कि संघ क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से भिन्न हो जहां कि यह एक्ट लागू हो नियुक्त संबंधित राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा.
चिकित्सालय परिषद के सदस्यों की पदावली
उप महा निर्देशक स्वास्थ्य सेवाएं अपने पद पर केंद्रीय सरकार के प्रसादपर्यंत बने रहेंगे राज्य के प्रतिनिधि अपनी राज्य सरकार के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बने रहेंगे.
नियोजक ओ कर्मचारियों में चिकित्सा वृद्धि के ऐसे प्रतिनिधि जो चिकित्सा लाभ परिषद के मेंबर है अपने नियुक्ति की विज्ञप्ति की किए जाने की तिथि से 4 वर्ष की अवधि तक अपने पद पर बने रहेंगे चिकित्सा लाभ परिषद का कोई भी मेंबर यहां तक कि अपने 4 वर्ष की पदावली के समाप्त हो जाने के पश्चात भी उस समय तक पद पर बना रहेगा जब तक कि उसके उत्तराधिकारी का नाम सूचित नहीं किया जाता है.
धारा 11 सदस्यता से त्यागपत्र:
निम्नलिखित निकायों का कोई सदस्य केंद्रीय सरकार को लिखित रूप से इस आशय की नोटिस देकर अपने पद से त्यागपत्र दे सकता है इस प्रकार त्यागपत्र के कारण उसका स्थान तभी रिक्त माना जाएगा जबकि उसका त्यागपत्र केंद्रीय सरकार द्वारा स्वीकृत कर लिया जाएगा:
) कर्मचारी राज्य बीमा निगम
) स्थाई समिति
) चिकित्सा लाभ परिषद
धारा 12 सदस्यता का अवसान:
अधिनियम की धारा 12 में निगम स्थाई समितियां चिकित्सा लाभ परिषद की सदस्यता के अवसान के संबंध में उपलब्ध किए गए हैं कोई भी सदस्य जो कि लगातार तीन क्रम वरती बैठकों में भाग नहीं लेता है उसकी सदस्यता निगम स्थाई समिति और चिकित्सा लाभ परिषद से समाप्त नहीं मानी जाएगी निकाह यदि चाहे तो केंद्रीय सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अधीन रहते हुए किसी ऐसे सदस्य की सदस्यता को बहाल कर सकता है.
नियोजक ओं कर्मचारियों या चिकित्सा व्रत धारियों का कोई प्रतिनिधि जो निगम स्थाई समिति है चिकित्सा लाभ परिषद का सदस्य है ऐसी परिस्थिति में अपनी सदस्यता से केंद्रीय सरकार द्वारा वंचित किया जा सकता है जब तक कि वे सरकार की सम्मति में अपने वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है इस प्रकार की कोई घोषणा केंद्रीय सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना के द्वारा करेगी और उसको स्थिति से प्रभावी माना जाएगा जिसका की उल्लेख अधिसूचना में किया गया हो. धारा चार के खंड प्रथम में संदर्भित व्यक्ति मंत्री हो जाने पर लोकसभा का स्पीकर या डिप्टी स्पीकर हो जाने पर या राज्य परिषद का डिप्टी चेयरमैन हो जाने पर अथवा जब उसकी संसद की सदस्यता समाप्त हो जाती है तो वह निगम का सदस्य नहीं रह जाएगा.
धारा 13 अयोग्यता:
धारा 13 में सदस्य की योग्यता तथा सदस्यों के निगम या स्थाई समितियां चिकित्सा लाभ परिषद की सदस्यता के चयन संबंधी अयोग्यता का उपबंध किया गया है कोई भी सदस्य उक्त निकायों का सदस्य निर्वाचित नहीं हो सकता है या सदस्य के रूप में बना नहीं रह सकता है यदि उसमें अग्रे लिखित बातें पाई जाती हैं.
) वह एक सक्षम न्यायालय द्वारा विकृत मानसिकता घोषित कर दिया जाए
) एक उन मोचित दिवालिया हो चुका हूं
) वन निगम के प्रति किए जाने वाले किसी काम में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कोई हित रखता है या उसने निगम से इस संबंध में कोई संविदा कर रखी है यहां तक कि यह बात महत्वहीन है कि वह संविदा स्वयं उसके द्वारा की गई है अथवा उसके किसी भागीदार के माध्यम से की गई है परंतु यह निगम किसी चिकित्सा प्रभारी या कंपनी के भागीदार को लागू नहीं होगा.
) उसे एक ऐसे अपराध में सिद्ध दोष पाया गया है जिसमें की नैतिक पतन निहित है नैतिक पतन को निर्धारित करने के लिए मंगली बनाम छक्की लाल के बाद में निम्नलिखित निर्णय लिया गया था क्या सिद्ध दोष पाए जाने के लिए प्रति इस प्रकार था कि अथवा नहीं जो कि साधारण समाज की नैतिक चेतना को आघात पहुंचा सके क्या जिस दोनों भाव से उस काम को किया गया था वह उस काम को करने का आधार था और क्या उस काम को किए जाने के बाद अभियुक्त व्यक्ति को इस प्रकार चरित्रहीन माना जा सकता है या नहीं कि उसने किसी व्यक्ति के चरित्र की इस सीमा तक अवमानना की है कि समाज उसे अब अच्छी दृष्टि से नहीं देख सकता है.
पतन का स्पष्ट अर्थ है अपराध का एक आवश्यक तत्व जहां यह पतन किसी मिथ्या सूचना देने में घटित होता है तथा सूचना यह जानते हुए दी गई है कि वह मिथ्या है.
धारा 14 रिक्तियों की पूर्ति:
अधिनियम की धारा 14 निगम स्थाई समिति या चिकित्सालय परिसर में किसी पद या स्थान के रिक्त होने की स्थिति में पूर्ति करने का बंद करती है किसी नियुक्तिया निर्वाचित सदस्य के पद के रिक्त होने की स्थिति में उसकी पूर्ति जैसी भी स्थिति हो नियुक्तिया निर्वाचन के द्वारा की जाएगी ऊपर कथित किसी भी रिक्त पद के लिए इस प्रकार की नियुक्ति या निर्वाचन केवल उस अवधि के शशांक के लिए किया जाएगा जितनी अवधि तक ऐसा सदस्य अपने रिक्त पद पर बना रहता है.
धारा 15 फीस और भत्ते:
अधिनियम की धारा 15 केंद्रीय सरकार को इस बात के लिए शक्ति प्रदान करती है कि निगम स्थाई समितियां चिकित्सा लाभ परिषद के सदस्यों के लिए फीस और भत्ते वित्त कर सकें.
धारा 16 प्रधान पदाधिकारी
निम्नलिखित को निगम के प्रधान पदाधिकारियों में माना जाएगा
) महा निर्देशक
) आयुक्त कोश
)) महानिदेशक तथा वित्त आयुक्त केंद्रीय सरकार द्वारा निगम के परामर्श से नियुक्त किया जाएगा
)) महानिदेशक निगम का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होगा
)) महा निर्देशक तथा वित्त आयुक्त निगम के पूर्णकालिक अधिकारी माने जाएंगे तथा वे अपने पद और कार्यालय से संबंधित कोई कार्य केंद्र सरकार तथा निगम की अनुमति के बिना नहीं करेंगे.
)) महानिदेशक और वित्त आयुक्त का कार्यकाल नियुक्ति पत्र में विविध अवधि के लिए ही होगा लेकिन यह अवधि 5 वर्ष अधिक नहीं होगी 5 वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने पर वे पुनः नियुक्ति के पात्रों में यदि अन्यथा योग्य हो.
)) निर्देशक और वित्त आयुक्त केंद्र सरकार द्वारा विहित वेतन तथा भत्ता प्राप्त करेंगे
)) कोई भी व्यक्ति महान निर्देशक या वित्त आयुक्त के रूप में लिए अपात्र होगा यदि वह धारा 13 के अधीन अयोग्य
)) केंद्र सरकार किसी भी समय महा निर्देशक और वित्त आयुक्त को हटा सकती है या ऐसा करने के लिए यह आवश्यक होगा कि हटाने के अनुमोदन के लिए निगम द्वारा इस निमित्त बुलाई गई विशेष बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया हो तथा ऐसा प्रस्ताव निगम की कुल सदस्यों की संख्या के कम से कम दो तिहाई सदस्यों द्वारा समर्थित होना चाहिए.
प्रधान अधिकारी का अपने पद से हटाया जाना:
कोई प्रधान पदाधिकारी केंद्रीय सरकार द्वारा अपने पद से हटाया जा सकता है इस प्रकार हटाया जाना तभी संभव है जब कि ऐसा किसी अधिकारी को हटाए जाने का प्रस्ताव निगम द्वारा पास कर दिया गया हो प्रस्ताव निगम द्वारा इस प्रयोजन के लिए बुलाई गई विशेष बैठक में पारित होना चाहिए और निगम की कुल सदस्यता के दो-तिहाई मतों द्वारा उसे समर्थन होना चाहिए.
केंद्रीय सरकार द्वारा नियुक्तियों निगम के परामर्श के आधार पर किए जाने का उपबंध मात निर्देशात्मक है केंद्रीय सरकार निगम द्वारा दिए गए परामर्श पर कार्य करने के लिए बाध्य नहीं है यदि किन्ही नियुक्तियों के करने में केंद्रीय सरकार ने निगम से परामर्श नहीं लिया है तो इस कारण मात्र से वह नियुक्ति निष्प्रभावी नहीं हो जाएगी न्यायालयों के समय यह प्रश्न बहुत आते हैं कि क्या प्रधान पदाधिकारी राजकीय सेवक है अथवा नहीं विभूति भूषण बनाम दामोदर वैली कारपोरेशन के बाद में यह निर्णय लिया गया था कि निगम एक संवैधानिक निकाय है और इस पर संविधान के अनुच्छेद 311 के ऊपर लागू नहीं होते हैं.
धारा 17 स्टाफ:
( 1) निगम अपने कारोबार की एक कुशल संपादन के लिए आवश्यक पदाधिकारियों और सेवकों की नियुक्ति कर सकती है परंतु ऐसे पदों के सृजन के लिए जिनके वेतन केंद्रीय सरकार द्वारा वित्त अधिकतम वेतन से अधिक हैं केंद्रीय सरकार की अनु शक्ति प्राप्त करनी होगी.
( 2) निगम द्वारा अपने कर्मचारियों की भर्ती की रीति वेतन और भत्ते अनुशासन तथा सेवा की दशाओं के संबंध में बनाए गए नियम वही होंगे जो केंद्रीय सरकार के समय वेतन पाने वाले कर्मचारियों अधिकारियों पर लागू होते हैं.
अगर निगम केंद्र सरकार द्वारा उपरोक्त विषयों से संबंधित बनाए गए नियमों से कोई भी नियम आवश्यक समझती है तो केंद्रीय सरकार का पूर्व अनुमोदन आवश्यक होगा.
यह धारा करार के आधार पर नियुक्त परामर्श दाताओं और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को लागू नहीं होगी.
निगम के अधीन अपने स्टाफ के सदस्यों के समान वेतनमान के निर्धारण में कि निगम केंद्रीय सरकार के अधीन कार्य ऐसे कर्मचारियों अधिकारियों की शैक्षिक योग्यता ओं भर्ती कीजिए तथा कर्तव्य एवं दायित्व के बारे में विचार करेगी संदेह की स्थिति में निगम उस मामले को केंद्रीय सरकार के पार निर्देशित कर देगी तथा उसका निर्णय अंतिम होगा.
( 3) चिकित्सीय पदों को छोड़कर प्रत्येक नियुक्तियां जो कि केंद्रीय सरकार के अधीन ग्रुप ए तथा ग्रुप भी पदों के समान है संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श की जाएंगे किंतु ऐसा परामर्श किसी कार्यकारी या अस्थाई नियुक्ति के लिए आवश्यक नहीं है यदि ऐसी नियुक्ति 1 वर्ष से अधिक अवधि के लिए ना की जा रही हो.
कार्यकारी अस्थाई नियुक्ति नियमित नियुक्ति के लिए कोई दवा प्रदान नहीं करती है तथा कार्यकारी या अस्थाई रूप से की गई सेवा का आकलन वरिष्ठता या उच्चतम वेतनमान में प्रोन्नति के लिए नहीं किया जाएगा.
( 4) कोई पद केंद्रीय सरकार के अधीन ग्रुप ए तथा ग्रुप डी के समान है या नहीं है केंद्र सरकार द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम होगा.
राज्य बीमा अधि
( 1) निगम के समान अधीक्षण और नियंत्रण के अधीन रहते हुए निगम के प्रशासन की शक्ति
( 2) निगम के सामान में भी नियंत्रण के अधीन रहते हुए वह ऐसी किसी भी शक्ति का प्रयोग कर सकती है या ऐसा कोई भी कार्य कर सकती है जिसे कि निगम द्वारा किया जाना अपेक्षित है.
( 3) स्थाई समिति ऐसे सभी मामलों को जिन्हें कि इस निमित्त विनियमों में उल्लेखित किया जाए निगम के विचार अर्थ और निर्णय हेतु समर्पित होगा
( 4) स्थाई समिति अपने विवेक शक्ति का प्रयोग करते हुए किसी भी अन्य मामले या विषय को निगम के विचार एवं विनिश्चय हेतु समर्पित कर सकती है.
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