Skip to main content

भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 के अंतर्गत कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ: Various benefits available to employees under the employees State Insurance act 1948

 

कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम के अंतर्गत कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ धारा 46 (various benefits available to employees under ESI act 1940):



           कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम का उद्देश्य इस अधिनियम में वर्णित लाभों को प्रदान करना है धारा 46 में बीमा कृत व्यक्तियों या उनके आश्रितों को लाभ प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है धारा 46 के अंतर्गत निम्नलिखित लाभ प्रदान किए गए हैं


1. बीमारी लाभ -


         यह किसी बीमा कृत व्यक्ति को आवाज एक भुगतान के रूप में दिया जाता है यह लाभ भी मातृत्व व्यक्ति को ऐसी बीमारी के संबंध में दिया जाता है जबकि उसकी बीमारी समुचित रूप से नियुक्त किए गए किसी चिकित्सक द्वारा या किसी ऐसे अन्य व्यक्ति द्वारा प्रमाणित की जाए जो उन योग्यता और अनुभवों से युक्त हो जिसे कि निगम के नियमों के द्वारा इस विषय में निर्धारित किया जाए हां की स्थाई आदेश के द्वारा बीमारी की छुट्टी के संबंधों में बंद किया गया है वहां नियोजक अपने कर्मचारी से बस बात की अपेक्षा नहीं कर सकता वह इस धारा में उपस्थित बीमारी के लाभ की याचना करें.


मैनेजमेंट ऑफ लोकेशन प्रेस बनाम लेबर कोर्ट मद्रास:



इस मामले में यह अभिमत व्यक्त किया गया कि कोई भी कर्मचारी जिस अवध में बीमारी संबंधी छुट्टी पर रहता है उसकी मजदूरी पाने का हकदार है भले ही उसे अधिनियम के अंतर्गत बीमारी लाख क्यों ना मिला हो परंतु विनिमय 97 के परंतु के फल स्वरुप नियोजक कोई अधिकार है कि वह कर्मचारी की छुट्टी की अवधि के वेतन से उस धनराशि की कटौती कर ले जो उसे बीमारी लाभ के रूप में मिली है.


2 मातृत्व लाभ:


        मातृत्व लाभ भुगतान  के रूप में यह  लाभ एक बीमा कृत स्त्री को प्राप्त होता है यह लाभ निम्नलिखित के संदर्भ में प्राप्त हो सकता है.


1. प्रसव काल में

2. गर्भपात

3. एक शिशु का अपरिपक्व रूप से उत्पन्न हो जाना


3. निशक्त ता लाभ -


             निम्नलिखित परिस्थितियों में कोई भी व्यक्ति या भुगतान का हकदार हो सकता है

1. यदि वह निशक्त हो गया हो

2. उसकी उपजीविका जन्मशती के परिणाम स्वरूप

3. उसे अधिनियम में ओले की दशाओं के अंतर्गत उपजीविका जन्मशती हुई हो

             निशक्त तालाब केवल तभी दे होगा जबकि छत्ती का प्रमाणीकरण बीमा चिकित्सा अधिकारी द्वारा कर दिया जाता है


कृष्णन कुट्टी नायर पीवी बनाम रीजनल डायरेक्टर ईएसआई कारपोरेशन और अन्य



इस वाद मैं अपील करने वाले कर्मचारी राज्य बीमा योजना के अधीन लाभ प्राप्त करने वाला था वह 15 जून 1990 को नियोजन के दौरान दुर्घटना का शिकार हो गया दावेदार को क्षति तब प्राप्त हुई जब वह कर्मचारी नहीं रह गया था.


                         अपील को खारिज करते हुए यह निर्धारित किया गया कि कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 की धारा 46 ( ग) स्पष्ट रूप से इस धारा के लागू किए जाने हेतु दो शर्तों को पूरा होने का उपबंध करती है. प्रथम दावेदार को एक बीमा कृत व्यक्ति होना चाहिए और द्वितीय ऐसी हानि  तब का होनी चाहिए जबकि वह कर्मचारी रहा हो. अतः जब कर्मचारी क उसकी नुकसान  तब प्राप्त हुआ जब वह कर्मचारी नहीं रह गया था तो वह परी लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होगा अंशदान की अवधि और उसकी बीमा  की हैसियत अभी बनी हुई हो.


( 4) आश्रित लाभ:


           यह लाभ ऐसी छतिग्रस्त व्यक्ति के आश्रितों को दिया जाता है जिनकी एक ऐसी उपजीविका के परिणाम स्वरुप मृत्यु हो जाती है जो कि उसे इस अधिनियम के अंतर्गत किसी कर्मचारी के रूप में हुई है और जो कि इस अधिनियम के अंतर्गत प्रति कर प्राप्त करने का हकदार है.


( 5). चिकित्सा लाभ


          चिकित्सा लागे क्षतिग्रस्त व्यक्ति को सुलभ है या उसके परिवार के किसी सदस्य को उस परिस्थिति में प्राप्त हो सकेगा जबकि ऐसा लाभ उसके परिवार तक विस्तारित हो यह लाभ निम्न प्रारूप में सुलभ हो सकेगा


) ऐसे बाहर हो कि रोगी के उपचार के रूप में और अस्पताल या औषधालय में संलग्न रूप में


) बीमा कृत व्यक्ति के घर परिचर्या के द्वारा

) किसी अस्पताल में या किसी अन्य संस्था में भर्ती हुई रोगी के रूप में


            चिकित्सा लाभ से बीमारी विशेष लाभ मिलने इन दोनों के बीच भिन्नता का प्रमुख तत्व यह है कि बीमारी का लाभ केवल बीमा कृत व्यक्तियों को ही प्राप्त हो सकता है किंतु चिकित्सा लाभ बीमा कृत व्यक्ति और विनियमन में उपस्थित उनके परिवार के सदस्यों को भी उपलब्ध है.


( 6) अंत्येष्टि कर्म :


          अमृत मान आकृति गति के अंत्येष्टि कर्म किया गया व उसके परिवार के सबसे बड़ी जीवित जीवित व्यक्ति का प्रदान किया जाता है या ऐसे व्यक्ति को जिसने मृत व्यक्ति की अंतरराष्ट्रीय में संबंध में यथार्थ वह किया अंत्येष्टि कर्म से संबंधित उत्तम की जाने वाली धनराशि केंद्र सरकार द्वारा भी धनराशि से अधिक नहीं होगी अंत्येष्टि व्याख्यान ईमित्र भुगतान का दावा भी व्यक्ति की मृत्यु के 3 माह के भीतर निगम या अन्य सक्षम अधिकारी द्वारा प्रस्तुत किया जाना चाहिए.


दिए गए लाभों की प्रदायक की निम्नलिखित पक्षकारों को की जाएगी


) बीमा कृत व्यक्ति को

) बीमा कृत व्यक्ति के आश्रितों को

) उस परिस्थिति में भी में प्रति व्यक्ति के परिवार के सदस्यों को जबकि इस धारा के अंतर्गत ऐसा विशेषता उप बंधित किया गया हो


           चिकित्सा लाभ को निगम द्वारा निम्नलिखित शर्तों के अधीन रहते हुए बिना कैसे व्यक्ति के परिवार तक विस्तारित किया जा सकता है समुचित सरकार उस संबंध में निवेदन करें और भी नियमों में निर्दिष्ट की गई दशा और शर्तों के अधीन रहते हैं.

Comments

Popular posts from this blog

असामी कौन है ?असामी के क्या अधिकार है और दायित्व who is Asami ?discuss the right and liabilities of Assami

अधिनियम की नवीन व्यवस्था के अनुसार आसामी तीसरे प्रकार की भूधृति है। जोतदारो की यह तुच्छ किस्म है।आसामी का भूमि पर अधिकार वंशानुगत   होता है ।उसका हक ना तो स्थाई है और ना संकृम्य ।निम्नलिखित  व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत आसामी हो गए (1)सीर या खुदकाश्त भूमि का गुजारेदार  (2)ठेकेदार  की निजी जोत मे सीर या खुदकाश्त  भूमि  (3) जमींदार  की बाग भूमि का गैरदखीलकार काश्तकार  (4)बाग भूमि का का शिकमी कास्तकार  (5)काशतकार भोग बंधकी  (6) पृत्येक व्यक्ति इस अधिनियम के उपबंध के अनुसार भूमिधर या सीरदार के द्वारा जोत में शामिल भूमि के ठेकेदार के रूप में ग्रहण किया जाएगा।           वास्तव में राज्य में सबसे कम भूमि आसामी जोतदार के पास है उनकी संख्या भी नगण्य है आसामी या तो वे लोग हैं जिनका दाखिला द्वारा उस भूमि पर किया गया है जिस पर असंक्रम्य अधिकार वाले भूमिधरी अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते हैं अथवा वे लोग हैं जिन्हें अधिनियम के अनुसार भूमिधर ने अपनी जोत गत भूमि लगान पर उठा दिए इस प्रकार कोई व्यक्ति या तो अक्षम भूमिधर का आसामी होता ह...

पार्षद अंतर नियम से आशय एवं परिभाषा( meaning and definition of article of association)

कंपनी के नियमन के लिए दूसरा आवश्यक दस्तावेज( document) इसके पार्षद अंतर नियम( article of association) होते हैं. कंपनी के आंतरिक प्रबंध के लिए बनाई गई नियमावली को ही अंतर नियम( articles of association) कहा जाता है. यह नियम कंपनी तथा उसके साथियों दोनों के लिए ही बंधन कारी होते हैं. कंपनी की संपूर्ण प्रबंध व्यवस्था उसके अंतर नियम के अनुसार होती है. दूसरे शब्दों में अंतर नियमों में उल्लेख रहता है कि कंपनी कौन-कौन से कार्य किस प्रकार किए जाएंगे तथा उसके विभिन्न पदाधिकारियों या प्रबंधकों के क्या अधिकार होंगे?          कंपनी अधिनियम 2013 की धारा2(5) के अनुसार पार्षद अंतर नियम( article of association) का आशय किसी कंपनी की ऐसी नियमावली से है कि पुरानी कंपनी विधियां मूल रूप से बनाई गई हो अथवा संशोधित की गई हो.              लार्ड केयन्स(Lord Cairns) के अनुसार अंतर नियम पार्षद सीमा नियम के अधीन कार्य करते हैं और वे सीमा नियम को चार्टर के रूप में स्वीकार करते हैं. वे उन नीतियों तथा स्वरूपों को स्पष्ट करते हैं जिनके अनुसार कंपनी...

कंपनी के संगम ज्ञापन से क्या आशय है? What is memorandum of association? What are the contents of the memorandum of association? When memorandum can be modified. Explain fully.

संगम ज्ञापन से आशय  meaning of memorandum of association  संगम ज्ञापन को सीमा नियम भी कहा जाता है यह कंपनी का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। हम कंपनी के नींव  का पत्थर भी कह सकते हैं। यही वह दस्तावेज है जिस पर संपूर्ण कंपनी का ढांचा टिका रहता है। यह कह दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह कंपनी की संपूर्ण जानकारी देने वाला एक दर्पण है।           संगम  ज्ञापन में कंपनी का नाम, उसका रजिस्ट्री कृत कार्यालय, उसके उद्देश्य, उनमें  विनियोजित पूंजी, कम्पनी  की शक्तियाँ  आदि का उल्लेख समाविष्ट रहता है।         पामर ने ज्ञापन को ही कंपनी का संगम ज्ञापन कहा है। उसके अनुसार संगम ज्ञापन प्रस्तावित कंपनी के संदर्भ में बहुत ही महत्वपूर्ण अभिलेख है। काटमेन बनाम बाथम,1918 ए.सी.514  लार्डपार्कर  के मामले में लार्डपार्कर द्वारा यह कहा गया है कि "संगम ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य अंश धारियों, ऋणदाताओं तथा कंपनी से संव्यवहार करने वाले अन्य व्यक्तियों को कंपनी के उद्देश्य और इसके कार्य क्षेत्र की परिधि के संबंध में अवग...