हड़ताल और तालाबंदी व अधिकार है जो कम 100 श्रमिकों तथा नियोजन को प्राप्त है आधुनिक युग में उन्हें हथियार शब्द से भी घोषित किया गया है औद्योगिक विवादों का प्रत्यक्ष प्रणाम हड़ताल यह तालाबंदी होता है इससे देश का आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है इससे ना केवल श्रम तुमको ही परेशानी होती है बल्कि नियोजक ओं का भी नुकसान उठाना पड़ता है हड़ताल और तालाबंदी से देश के सभी लोगों का जीवन प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है जवाहरलाल नेहरू ने एक बार ठीक ही कहा था कि हड़ताल और ताला बंदियों का तात्पर्य हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे भागों की अर्थव्यवस्था में भी कोई बुनियादी खामी है हमें यह सब बदलना होगा इस तब्दीली में हमें यह ध्यान रखना होगा कि उत्तेजना में हम अपने उद्देश्यों से भी आगे ना बढ़ जाए अतः हड़ताल और तालाबंदी या ना हो जिससे हम लोग आपसी सहयोग से उत्पादन बढ़ा सकें और विकास योजनाओं को सही तरीके से लागू कर सकें.
एक बाद में पेटरसन ने कहा है कि हड़ताली उपलब्ध औद्योगिक दशाओं के विरुद्ध एवं निश्चित एवं संगठित समर्थन है औद्योगिक अशांति के उसी प्रकार के प्रतीक है जैसे शारीरिक विकास के रूप में फोड़े.
हड़ताल का अर्थ (- - - - -):
जैसा कि अधिनियम की धारा 2q म बंद उपबंध ें बंद किया गया है हड़ताल से हमारा अभिप्राय किसी उद्योग में काम करने वाले व्यक्तियों के संघ द्वारा सामूहिक रूप से काम बंद कर देना या उद्योग में काम करने के लिए नियुक्त व्यक्तियों की किसी संख्या द्वारा निश्चित रूप से या साधारण समझौते के अंतर्गत कार्य जारी रखने से इनकार करने अथवा काम को स्वीकार न करने से है वास्तव में हड़ताल श्रमिक तथा कर्मचारियों के समूह द्वारा काम रोकने को कहते हैं.
” strike means of refusal of work by body of person employed in any industry acting in combination or or altered refusal or a refusal under a common understanding of any number of person who have been so employed to continue to work or accept employment” section 2 q
इस प्रकार किसी न किसी कारणवश काम को बंद कर देना थोड़ा जारी नहीं रखने या स्वीकार नहीं करने की स्थिति हड़ताल कल आएगी हड़ताल कल आएगी यहां यह ध्यान देने योग्य की हड़ताल की स्थिति में नियोजक व श्रमिक का संबंध बना रहता है.
हड़ताल के अंतर्गत कामगार या नियोजक व्यक्ति सामूहिक रूप से कार्य करना बंद कर देते हैं या करने से इंकार कर देते हैं वास्तव में हड़ताल श्रमिक का एक मान्यता प्राप्त अस्त्र है जिसका प्रयोग मोहनी चूक नियोजक के विरुद्ध अपनी सौदेबाजी करने की शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए करते हैं और इस प्रकार अपनी मांगों को पूरा कराने का प्रयास करते हैं श्रमिक हड़ताल उस समय करते हैं जबकि उनके पास अपनी मांगों को मनवाने का कोई उपाय नहीं होता है.
हड़ताल के प्रकार -
हड़ताल दो प्रकार की हो सकती है.
( 1) असंवैधानिक हड़ताल
( 2) वैधानिक हड़ताल
अवैधानिक हड़ताल उस समय कहलाती है जब अवैधानिक बात को लेकर की जाती है इस अवधि में श्रमिक पारिश्रमिक पाने का हकदार नहीं होता है वैज्ञानिक हड़ताल वैज्ञानिक बात को लेकर की जाती है तथा इस अवधि में उन्हें पारिश्रमिक दिया जाता है.
उपयुक्त के अलावा हड़ताल को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया गया है:
( 1) सामान्य हड़ताल
( 2) विलंब करो हड़ताल हथियार डालो हड़ताल
( 3) कार्य को धीमी गति से करने का हड़ताल
सामान्य हड़ताल में श्रमिक इकट्ठे होकर किसी सामान्य बात को लेकर काम से अलग रहते हैं इससे श्रमिक काम पर आते ही नहीं है विलंब करो हड़ताल तथा हथियार डालो हड़ताल में श्रमिक काम पर तो आते हैं लेकिन काम नहीं करते हैं धीमे काम करो हड़ताल की दशा में श्रमिक काम पर आते हैं काम करते भी है लेकिन धीमी गति से ताकि नियोजक को हानि हो.
इस हड़ताल में नियोजक को अन्य श्रमिकों को अपने कारोबार के संचालन के निमित्त नियोजित करने से रोक रखा जाता है परंतु बर्खास्त कर्मचारियों का परी क्षेत्र में बने रहना और परी क्षेत्र का ना छोड़ना हड़ताल नहीं कहा जा सकता है सरकार अतिचार का अपराध कहा जाएगा.
भीमा काम करने की हड़ताल में कर्मकार गढ़ काम करने में अपने आप को अलग नहीं रखते हैं बस यही अपने काम पर उपस्थित होते हैं और काम करते भी हैं किंतु उनके काम करने की रफ्तार धीमी होती है जिससे कि उत्पादन में कमी हो जाए और नियोजक को हानि हो जाए.
हड़ताल के कारण:
हड़ताल के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं -
( 1) नियोजक द्वारा कर्मकार वाया उनके संघ की मांगों को पूरा न कर किया जाना मांगों में मूल वेतन महंगाई भत्ते बोनस कार्य साधन अन्य साधनों की वृद्धि हो सकती है.
( 2) अन्य हड़ताल क्योंकि सहानुभूति से भी हड़ताल की जा सकती है
( 3) औद्योगिक अशांति भी हड़ताल के कारण है
( 4) नियोजक द्वारा अभद्र व्यवहार किया जाना
( 5) श्रमिकों को खराब सामाजिक दशा
( 6) काम में निराशा का होन
( 7) श्रमिकों को सौदेबाजी क्षमता के अनुप्रयुक्त होने की निराशा
तालाबंदी ( ):
यदि नियोजक द्वारा नियोजित कर्मचारी की किसी भी संख्या को काम पर जारी ना रखने के लिए नियोजक के स्थान को बंद कर दिया जाता है या काम देने से इंकार कर दिया जाता है तो उसे तालाबंदी कहा जाएगा आधा तालाबंदी से हमारा अभिप्राय किसी नियोजक स्थान को बंद कर देना या काम करने लंबन या अपने द्वारा नियोजित किसी संस्था में व्यक्तियों के नियोजन में बनाए रखने में आयोजक द्वारा इंकार कर सकते हैं.
Lock out means:
( 1) the closing of place of work
( 2) the suspension of work
( 3) the refusal by a employer to continue to employ any number of person employed by him.
अतः तालाबंदी का घबराए होता है कि उद्योग किए जाने वाले स्थान को बंद कर देना या काम लंबित कर देना या काम पर आने वाले कर्मचारियों को कार्य ना देना इसके लिए अग्रिम लिखित तत्वों का होना आवश्यक है -
( 1) किसी ना किसी रूप में काम बंद करना
( 2) काम को लंबित रखना
( 3) काम करने के लिए उद्धत कर्मकार उनको काम लेने से इनकार करना
जिस प्रकार हड़ताल से हमको का एक मान्यता प्राप्त है उसी प्रकार तालाबंदी भी नियोजक ओं का एक अस्त्र है जिसका प्रयोग में श्रमिकों के विरोध करते हैं तालाबंदी के अंतर्गत एक नियोजक नौकरी के स्थान को बंद कर देता है या कार्य को रोक देता है या किसी भी संस्था में श्रमिकों को काम पर बनाए रखने से इंकार कर देता है.
औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 22 की उप धारा दो:
बंधित करती है कि कोई भी नियोजक औद्योगिक प्रतिष्ठानों में तालाबंदी नहीं करेगा -
( 1) जब तक कि उसने श्रमिकों को निर्धारित ढंग से तालाबंदी से 6 सप्ताह पूर्व तालाबंदी का नोटिस ना दिया हो.
( 2) इस प्रकार के नोटिस में 14 दिन की अवधि के
( 3) जब तक कि मध्यस्था संबंधी कार्यवाही श्रमिकों तथा माली के बीच चल रही है तथा यदि धारा 3 का के अधीन नोटिफिकेशन का प्रकाशन हो चुका है तो इस प्रकार की कार्रवाई के समापन के 2 माह बाद की अवधि में व्यतीत हो.
जब तक तालाबंदी के नोटिस में उल्लेखित तारीख व्यतीत ना हो गई हो
( 5) जब तक समझौता कारवाही किसी समझौता अधिकारी के पास विचाराधीन वह तथा इस प्रकार की कार्यवाही के बाद 7 दिन रत इतना हो गए हो.
मद्रास उच्च न्यायालय के मतानुसार नियोजक चाहे जैसी परिस्थितियों में हो उसे तालाबंदी क्यों न करनी पड़े और तालाबंदी बचाने में उसकी चाहे कैसी भी समर्थन क्यों ना हो यदि नियोजक अपने स्थान को बंद कर देता है या अपने परिसर में काम निलंबित कर देता है तो तालाबंदी या कारखाना बंदी अस्तित्व में आ जाएगा हड़ताल कर्म कारों के हाथों में अपनी मांग मनवाने का अर्थ और तालाबंदी नियोजक का अस्त्र है यदि नियोजक ने अपने कारोबार के स्थान को प्रतिशोध के रूप में दबाव डालने के लिए यह कर्म कारों को विवश करने के लिए बंद किया तो उसे तालाबंदी की संज्ञा दी जाएगी.
तालाबंदी का नोटिस:
( 1) यदि ऐसे औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 22 अथवा 23 में व्यवस्थित और बंधुओं का उल्लंघन करके शुरू किया गया है
धारा 22 यह बताती है कि सार्वजनिक उपयोगी सेवा में कार्य कोई व्यक्ति नियोजक को हड़ताल करने से 6 सप्ताह पूर्व के हड़ताल की सूचना तत्पश्चात तथा बंधित रूप में दिया बिना
( 2) ऐसी सूचना दिए जाने के 14 दिन के अंदर
( 3) उपयुक्त किसी सूचना में है या उल्लेखित की हड़ताल की तारीख के पूर्व
( 4) समझौता कार्रवाई के लंबित रहने के दौरान में और ऐसी कार्रवाई हो की समाप्ति के बाद 7 दिन तक हड़ताल संविदा की भव्यता में ना करेगा. (धारा 22 (1) )
औद्योगिक विवाद अधिनियम की धारा 23 के अंतर्गत:
( 1) बोर्ड के समझ समझौता कार्यवाही होगी लागत रहने के दौरान और ऐसी कार्रवाइयों की समाप्ति के बाद 7 दिन तक.
( 2) श्रम न्यायालय न्यायाधिकरण ने राष्ट्रीय न्यायाधिकरण के समक्ष कार्रवाई के दौरान में और ऐसी कार्रवाइयों की समाप्ति के बाद 2 महीने तक.
( 3) हड़ताल को धारा 10 की उप धारा 3 के अथवा धारा 10 का की उप धारा 4 का में व्यवस्थित हो बंधुओं का उल्लंघन करके जारी रखा गया. (धारा 24)
अभिप्राय है कि हड़ताल अवैध मानी जाएगी यदि कोई सार्वजनिक उपयोगी सेवा में लगा हुआ व्यक्ति संविदा की शर्तें भंग करके हड़ताल पर जाता है -
( 1) हड़ताल करने के पहले 6 सप्ताह के अंदर नियोजक की हड़ताल की सूचना दिए बिना.
( 2) हड़ताल का नोटिस देने के 14 दिन के अंदर
( 3) नोटिस में उल्लेखित हड़ताल शुरू करने की तारीख से पहले की जाने वाली हड़ताल
( 4) किसी समझौता पदाधिकारी के समक्ष समझौता कार्रवाई के नंबर तथा ऐसी कार्रवाई के समाप्त होने के 7 दिन के बाद यदि हड़ताल की जाती है तो वह अवैध मानी जाएगी.
हड़ताल तब भी अवैध होगी -
जबकि कोई श्रम जो किसी औद्योगिक संस्थान में कार्य पर लगा हुआ है संविदा को भंग करके हड़ताल करता है.
किसी समझौता मंडल के समझ समझौते की कार्रवाई यों के प्रारंभ से और ऐसी कार्रवाइयों के समाप्त होने के 7 दिनों तक.
किसी औद्योगिक न्यायाधिकरण के समक्ष कार्रवाई ओं के विचाराधीन होने के दौरान अथवा उसके समापन के बाद 2 माह तक.
किसी ऐसी आ बजे तक जिसमें कि निपटारा या पंचाट के आव्रत विषयों के बारे में कोई निपटा रहा है पंचायत प्रभावी हो.
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