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आरोप (Charge) क्या होता है ? यह कौन बनाता है ? क्या Police charge बनाती है ? विस्तार से जानकारी दो।

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भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS 2023) की धारा 100 क्या है । विस्तृत जानकारी दो।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS 2023) की 100:-→   आपराधिक मानव वध:→  भारतीय न्याय संहिता, 2023 में पुराने भारतीय दण्ड संहिता [IPC] के स्थान पर नये ढांचे के तहत धारा 299  को धारा 100 के रूप में समाहित किया गया है।   भारतीय दण्ड संहिता 1860 [IPC] की धारा 299 :-→   आपराधिक मानव वध [culpable Homicide]: -→ Section 299 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की   मृत्यु कारित करने के आशय से या ऐसी शारीरिक क्षति मृत्यु कारित हो जाना सम्भाव्य हो या यह ज्ञान रखते हुये कि या सम्भाव्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर दे या इस ज्ञान के साथ कि उसके कृत्य से मृत्यु हो सकती है, " तो वह आपराधिक मानव  [culpable Homicide] कहलाता है।   मुख्य तत्त्त [Essential Ingredients]:→  →मृत्यु होनी चाहिये [ Death must occur] →•कार्य जानबूझकर या मृत्यु की संभावना को जानते हुये किया गया हो (Intention or knowledge →  • कार्य का कारण सीधा या अप्रत्यक्ष रूप से मृत्यु से जुड़ा हो [Direct mexus with death)          धारा 299 जोकि IPC का ...

भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 (ख) (1) के अनुसार (1) जहाँ विवाह के सात वर्ष के भीतर किसी स्त्री की मृत्यु जल जाने से अथवा शारीरिक क्षति से अथवा सामान्य परिस्थितियों से अन्यथा हो जाती है और यह दर्शित किया जाता है, कि उसकी मृत्यु से ठीक पहले उसे उसके पति द्वारा अथवा पति के रिश्तेदारों द्वारा दहेज के लिये मांग को लेकर परेशान किया गया था अथवा उसके साथ निर्दयतापूर्वक व्यवहार किया गया था तो इसे दहेज मृत्यु [dowry death] कहा जायेगा और उसकी मृत्यु का कारण  रिश्तेदारों को माना जायेगा।                       भारत में दहेज प्रथा एक गंभीर सामाजिक समस्या रही है। यह कुप्रथा सिर्फ महिलाओं के लिये पीड़ा का कारण नहीं बनती। बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों पर भी सवाल खड़ा करती है। जब दहेज के कारण किसी महिला को प्रताडित किया जाता है और उसकी हत्या कर दी जाती है या आत्महत्या करने के लिये मजबूर कर दिया जाता है तो इसे दहेज हत्या (Dowry death] कहा जाता है।  दहेज हत्या क्या होती है? सामाजिक रूप से देहज हत्या से हमारे समाज की सोच के बारे में चर्चा: ...

किशोर अभियुक्त के विचारण के सम्बन्ध में आवेदन पत्र की drafting कैसे की जाती है ?

किशोर अभियुक्त के विचारण के सम्बन्ध में आवेदन पत्र                             [अभियुक्त हिरासत में)  न्यायालय मुख्य न्यागिक दण्डाधिकारी xxxxxx (...............)  अपराध संख्या xxxxxxx                           सन् xxx XXX                               राज्य बनाम अभियुक्त                                                                    धारा xxx XX                                                                   थाना xxxx ...

भारतीय जेलों में जाति आधारित भेदभाव: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और इसके प्रभाव

भारत की जेलों में जाति आधारित भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: एक विस्तृत विश्लेषण भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में जेलों में जाति आधारित भेदभाव को असंवैधानिक घोषित करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया। यह निर्णय न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने दिया। यह फैसला भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 17, 21 और 23 के सिद्धांतों पर आधारित है, जो समानता, भेदभाव के निषेध और मानवीय गरिमा की रक्षा की गारंटी देते हैं। मुद्दा क्या था? यह मामला तब सामने आया जब पत्रकार सुकन्या शांता ने "From Segregation to Labour: Manu Caste Law Governs the Indian Prison System" नामक एक लेख प्रकाशित किया। इस लेख में उन्होंने भारतीय जेलों में जाति आधारित भेदभाव के कड़वे सच को उजागर किया। उनके लेख में सामने आए प्रमुख तथ्य: शारीरिक श्रम का जातिगत विभाजन: उच्च जाति के कैदियों को हल्के कार्य (जैसे पुस्तकालय प्रबंधन, रिकॉर्ड कीपिंग) दिए जाते हैं। निचली जातियों के कैदियों को कठिन शारीरिक श्रम (जैसे सफाई, टॉयलेट साफ ...

IPC धारा 374 और BNS धारा 146 विधिविरुद्ध अनिवार्य श्रम के खिलाफ कानून, सजा, और महत्वपूर्ण उदाहरण

IPC धारा 374 बनाम BNS धारा 146: विधिविरुद्ध अनिवार्य श्रम का विश्लेषण भारत में हर व्यक्ति को सम्मान और स्वतंत्रता के साथ काम करने का अधिकार है। किसी भी प्रकार का अनैतिक या जबरन श्रम कराने पर कानून सख्त दंड का प्रावधान करता है। IPC की धारा 374 विधिविरुद्ध (अवैध) अनिवार्य श्रम को रोकने के लिए लागू की गई थी, जबकि नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 में इसी अपराध के लिए धारा 146 लागू की गई है। यह ब्लॉग पोस्ट इन दोनों धाराओं का विस्तृत विवरण, सजा, और उदाहरणों के माध्यम से अपराध की गंभीरता को समझाने के लिए है। 1. IPC की धारा 374: विधिविरुद्ध अनिवार्य श्रम IPC की धारा 374 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य को अवैध रूप से या बलपूर्वक काम करने के लिए मजबूर करता है, तो यह अपराध है। प्रावधान सजा : एक साल तक की कैद, जुर्माना, या दोनों। यह धारा उन सभी मामलों पर लागू होती है जहां किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध काम करने पर मजबूर किया जाता है। उदाहरण रमेश एक गरीब मजदूर को उसकी मजदूरी रोक कर जबरदस्ती खेतों में काम करने को मजबूर करता है। यह IPC की धारा 374 के तहत अपराध ह...

IPC धारा 373 और BNS धारा 99 वेश्यावृत्ति के लिए बच्चों को खरीदने पर सजा, प्रावधान, और महत्वपूर्ण उदाहरण

IPC की धारा 373 बनाम BNS की धारा 99: वेश्यावृत्ति के लिए शिशु को खरीदने के अपराध का विश्लेषण भारत में बच्चों की सुरक्षा और शोषण के खिलाफ कानून समय के साथ और अधिक सख्त बनाए गए हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 373 में वेश्यावृत्ति जैसे अनैतिक उद्देश्यों के लिए 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खरीदने पर दंड का प्रावधान था। नए कानून, भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, में इसी अपराध के लिए धारा 99 लागू की गई है, जो अधिक कठोर सजा और व्यापक प्रावधान करती है। इस ब्लॉग में हम इन दोनों धाराओं को विस्तार से समझेंगे, उनके बीच का अंतर जानेंगे, और उदाहरणों के माध्यम से अपराध की गंभीरता को स्पष्ट करेंगे। 1. IPC की धारा 373: अप्राप्तवय को खरीदना IPC की धारा 373 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति द्वारा 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को वेश्यावृत्ति, अश्लील फिल्म निर्माण, या अन्य अनैतिक उद्देश्यों के लिए खरीदना अपराध है। प्रावधान 10 साल तक का कठोर कारावास और जुर्माना। यह अपराध गैर-जमानती और संज्ञेय है, जिसका अर्थ है कि गिरफ्तारी के लिए वारंट की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण यदि कोई व्यक्ति गरी...