भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 345 और इसके नवीनतम स्वरूप भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 127(5) का उद्देश्य है कि कोई भी व्यक्ति किसी को अवैध रूप से बंधक बनाकर कानून के आदेश की अवहेलना न करे। यह प्रावधान नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि न्यायालय के आदेश का सम्मान किया जाए। IPC की धारा 345 :→ IPC की धारा 345 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी को अवैध रूप से बंधक बनाकर रखता है और उस व्यक्ति को रिहा करने के लिए अदालत द्वारा रिट (जैसे Habeas Corpus ) जारी की जा चुकी है, फिर भी वह व्यक्ति रिट के आदेश का पालन नहीं करता, तो यह अपराध माना जाएगा। दंड: → इस अपराध के लिए दोषी को अधिकतम दो साल तक का कारावास या आर्थिक दंड या दोनों की सजा हो सकती है। BNS की धारा 127(5): नया प्रावधान → नए कानून में इसे अधिक विस्तृत और प्रभावी बनाया गया है। BNS की धारा 127(5) में न केवल अवैध बंधक बनाए रखने की सजा का प्रावधान है, बल्कि रिट आदेश की अवहेलना को भी गंभीर अपराध माना गया है। मुख्य बिंदु: → 1. रिट आदेश की अवहेलना: →...
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