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IPC की धारा 375 और BNS की धारा 63 में क्या है ? इन धाराओं में किन अपराधों को वर्णित किया गया है?

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अनुसूचित जाति के व्यक्ति पर हमला करने वाले व्यक्तियों को सजा कैसे दिलायें। दलित व्यक्ति को न्याय प्राप्त करने के लिए कौन-कौन कानूनी प्रक्रियाएं होती हैं।

यदि एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति को कुछ मुस्लिम लोगों द्वारा शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया है, और पुलिस ने इस पर अभी तक मामला दर्ज नहीं किया है, तो अधिवक्ता के रूप में कार्य करने के लिए निम्नलिखित कानूनी प्रक्रियाएँ और तर्क उपयोग किए जा सकते हैं। 1. पुलिस में प्राथमिकी ( FIR ) दर्ज कराना:→ यदि पुलिस शिकायतकर्ता की तहरीर के बावजूद FIR दर्ज नहीं करती है, तो आपको धारा 156(3) के तहत न्यायालय में आवेदन करना चाहिए। इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट को अधिकार है कि वह पुलिस को मामले की प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दे।   2. घटना की कानूनी धाराएँ:→ मामले में निम्नलिखित धाराएँ शामिल हो सकती हैं, जो परिस्थिति पर निर्भर करती हैं:→ • IPC की धारा 323 →: चोट पहुँचाना, जिसमें साधारण चोट के लिए सजा का प्रावधान है। • IPC की धारा 325 →: गंभीर चोट पहुँचाने के लिए, यदि चोट गंभीर है। • IPC की धारा 506 →: धमकी देना, यदि जान से मारने या गंभीर रूप से घायल करने की धमकी दी गई हो। • SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 →: यदि दलित व्यक्ति पर हमला जाति के आधार पर हुआ है, तो इस अधिनियम की धाराएँ ला...

अनुसूचित जाति भूमिधर भूमि बिक्री की अनुमति की क्या प्रक्रिया होती है? धारा 98 व Rule 99(8) के अंतर्गत भूमि बिक्री अनुमति की सम्पूर्ण कानूनी प्रक्रिया क्या है?

ब्लॉग ड्राफ्टिंग स्ट्रक्चर (Outline) परिचय: भूमि हस्तांतरण की अनुमति का महत्व – क्यों ज़रूरी है? कानूनी आधार: धारा 98 – U.P. Revenue Code 2006 का सिद्धांत Collector Permission का नियम: Rule 99 (8) का पूरा विवरण SC भूमिधर के अधिकार व प्रतिबंध: धारा 98 की व्याख्या सरल भाषा में Ramautar Case का तथ्यात्मक पृष्ठभूमि Collector द्वारा आवेदन खारिज किए जाने का कारण High Court का विचार व निर्णय “OR” vs “And” का कानूनी मतलब – अदालत की व्याख्या Explanation to Rule 99(8) का महत्व – कैसे लचीलापन दिया गया संबंधित महत्वपूर्ण केस-लॉ: Bajrangi vs State of U.P. (2023 ADJ 598) Sitaram vs State of U.P. (2022 ADJ 90) Smt. Omwati vs Collector Pilibhit (2023 ADJ 280) Krishna Shri Gupta Case – “Or” की व्याख्या इस फैसले से क्या कानूनी सिद्धांत निकले सरल उदाहरण से समझें – जैसे बीमार भूमिधर का मामला Collector के लिए Guidelines – कब अनुमति देनी चाहिए सामाजिक व आर्थिक पहलू: SC भूमिधरों की सुरक्षा का संतुलन आम व्यक्ति के लिए निष्कर्ष – अगर आपको भूम...

criminal cases एक शहर से दूसरे शहर में transfer करने की क्या प्रक्रिया होती है ? उदाहरण सहित विस्तार से जानकारी दो।

🔰 प्रस्तावित ब्लॉग टॉपिक:⇒ "क्रिमिनल केस ट्रांसफर करने की सम्पूर्ण कानूनी प्रक्रिया – BNSS, 2023 की धाराओं, केस लॉ और व्यावहारिक उदाहरण सहित" ✍️ ब्लॉग ड्राफ्टिंग स्ट्रक्चर ( Friendly Format):⇒ Meta Title: ⇒ ➤ क्रिमिनल केस ट्रांसफर करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया | BNSS 2023 की धाराएँ व केस लॉ सहित Meta Description: ⇒ ➤ जानिए Criminal Case Transfer की पूरी प्रक्रिया – कौन सी अदालत किस स्तर पर केस ट्रांसफर कर सकती है, किन आधारों पर ट्रांसफर होता है, और इससे जुड़े प्रमुख केस लॉ। Focus Keywords: ⇒ Criminal Case Transfer Process in India BNSS 2023 Sections 446, 447, 448, 450 आपराधिक मामला ट्रांसफर प्रक्रिया Supreme Court Criminal Case Transfer High Court Case Transfer 🧾 ब्लॉग की मुख्य रूपरेखा ( शब्दों के अनुसार विस्तृत संरचना):⇒ भाग 1: परिचय (Introduction) क्रिमिनल केस क्या होता है? ट्रांसफर की आवश्यकता क्यों पड़ती है? BNSS 2023 में पुराने CrPC से क्या बदलाव हुए? भाग 2: कानूनी आधार (Legal Provisions) BNSS की धारा 446 से 450 तक का वि...

विशेष विवाह अधिनियम 1954 क्या होता है ? यह किस प्रकार से अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह से सम्बंधित है ?

ब्लॉग पोस्ट का विषय: विशेष विवाह अधिनियम, 1954: अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाहों का संरक्षक कानून परिचय विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (SMA) भारत में अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह करने वाले लोगों के लिए एक सुरक्षित और कानूनी ढांचा प्रदान करता है। यह कानून धर्म, जाति और सामाजिक बाधाओं से परे, समानता और धर्मनिरपेक्षता की भावना को बढ़ावा देता है। इस ब्लॉग में हम इस अधिनियम के प्रावधानों को सरल भाषा में समझेंगे, इसके तहत विवाह और तलाक की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण देंगे और साथ ही इससे जुड़ी जमीनी सच्चाइयों पर चर्चा करेंगे। ब्लॉग ड्राफ्टिंग के मुख्य बिंदु परिचय विशेष विवाह अधिनियम का उद्देश्य। इसका महत्व और इसकी आवश्यकता। एसएमए के अंतर्गत विवाह की प्रक्रिया विवाह के लिए पात्रता। 30 दिनों की नोटिस अवधि। विवाह अधिकारी के समक्ष विवाह का पंजीकरण। तलाक की प्रक्रिया और आधार तलाक के लिए कानूनी आधार। दोष आधारित तलाक। आपसी सहमति से तलाक। बिना गलती के तलाक की अवधारणा। प्रत्येक आधार का उदाहरण सहित वर्णन सरल उदाहरण जो आम लोगों को समझने में मदद करें। वि...