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भारत में विधिक व्यवसाय का विकास का इतिहास क्या है ? इस पर चर्चा।

                                  भारत में विधिक व्यवसाय का विकास  Importance of legal Profession [ विधिक व्यवसाय का महत्व :-        न्याय प्रशासन में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। न्यायाधीशों की सही निर्णय देने में अधिवक्ता सहायता प्रदान करते हैं। अधिवक्ता वाद से सम्बन्धित विधिक सामग्री एकत्रित करके न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों और Legal तर्कों के अनुसार [ legal materials] के आधार पर न्यायाधीश निर्णय देते हैं। अधिवक्ताओं के अभाव में न्यायाधीशों के लिये सही निर्णय देना थोडा जटिल कार्य सिद्ध होगा।      न्यायमूर्ति श्री पी० एन० सप्रु के अनुसार अधिवक्ता के अस्तित्व का उचित आँधार यह है कि किसी भी विवाद का प्रत्येक पक्षकार इस स्थिति में होना चाहिये कि वह निष्पक्ष अधिकरण के समक्ष अपने पक्ष को सर्वोत्तम ढंग से और सबसे अधिक प्रभावी ढंग से अपना पक्ष प्रस्तुत कर सके।           वास्तव में विधि...

police के द्वारा गिरफ्तार किये गये व्यक्ति के सामान की वापसी के लिये प्रार्थना पत्र कैसे लिखें?

               गिरफ्तार किये गये व्यक्तियों की तलाशी                  [search of arrested Person]               भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 [BNSS] की धारा 49 में गिरफ्तार किये गये व्यक्तियों की तलाशी के सम्वन्ध में प्रावधान है :- 1. जब किसी Police officer द्वारा ऐसे warrunt के अधीन जो जमानत किये जाने का उपबन्ध नहीं करता है, या ऐसे वॉरन्ट के अधीन जो, जमानत लिये जाने का उपबन्ध करता है, किन्तु गिरफ्तार किया गया व्यक्ति जमानत नहीं दे सकता, कोई व्यक्ति गिरफ्तार किया जाता है तथा जब कभी कोई व्यक्ति वॉरंट के बिना या प्राइवेट व्यक्ति द्वारा वॉरंट के अधीन गिरफ्तार किया जाता है और वैध रुप से उसकी जमानत नहीं ली जा सकती, या वह जमानत देने में असमर्थ है ।            तब गिरफ्तार करने वाला अधिकारी या जब गिरफ्तारी प्राइवेट व्यक्ति द्वारा की जाती है. तब वह पुलिस अधिकारी, जिसे वह व्यक्त्ति गिरफ्तार किये गये व्यक्त्ति को सौपता है, उस व्यक्ति ...

आरोप (Charge) क्या होता है ? यह कौन बनाता है ? क्या Police charge बनाती है ? विस्तार से जानकारी दो।

आरोप [Charge ]: → आरोप अभियुक्त के विरुद्ध अपराध की जानकारी का एक ऐसा लिखित कथन होता है। जिसमें आरोप के आधारों के साथ-साथ समय स्थान व्यक्ति एवं वस्तु का भी उल्लेख रहता है। जिसके बारे में अपराध किया गया है।        सरल शब्दों में आरोप [charge] को परिभाषित करने की परिभाषा भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता [CrPC] के तहत " आरोप " [Charge] एक विधिक दस्तावेज होता है जिसमें यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी व्यक्ति पर किस अपराध का संदेह है और उस पर किस धारा के अन्तर्गत मुकदमा, च लाया जायेगा। आरोप एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि अभियुक्त को अपने विरुद्ध लगाये गये अपराधों की पूरी जानकारी ही।  आरोप की परिभाषा: →      आरोप वह विधिक कथन है जो किसी अदालत द्वारा यह कहने के लिये तैयार किया जाता है कि अभियुक्त द्वारा किसी विशेष अपराध को अंजाम दिया है। इसका उद्देश्य अभियुक्त को यह बताना होता है कि उसके खिलाफ किस अपराध में ट्रायल होगा।       आरोप आपराधिक कार्यवाहियों का एक महत्वपूर्ण सोपान है। इसकी विरचना तभी की जाती है...

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS 2023) की धारा 100 क्या है । विस्तृत जानकारी दो।

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS 2023) की 100:-→   आपराधिक मानव वध:→  भारतीय न्याय संहिता, 2023 में पुराने भारतीय दण्ड संहिता [IPC] के स्थान पर नये ढांचे के तहत धारा 299  को धारा 100 के रूप में समाहित किया गया है।   भारतीय दण्ड संहिता 1860 [IPC] की धारा 299 :-→   आपराधिक मानव वध [culpable Homicide]: -→ Section 299 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की   मृत्यु कारित करने के आशय से या ऐसी शारीरिक क्षति मृत्यु कारित हो जाना सम्भाव्य हो या यह ज्ञान रखते हुये कि या सम्भाव्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर दे या इस ज्ञान के साथ कि उसके कृत्य से मृत्यु हो सकती है, " तो वह आपराधिक मानव  [culpable Homicide] कहलाता है।   मुख्य तत्त्त [Essential Ingredients]:→  →मृत्यु होनी चाहिये [ Death must occur] →•कार्य जानबूझकर या मृत्यु की संभावना को जानते हुये किया गया हो (Intention or knowledge →  • कार्य का कारण सीधा या अप्रत्यक्ष रूप से मृत्यु से जुड़ा हो [Direct mexus with death)          धारा 299 जोकि IPC का ...