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झूठी पुलिस मुठभेड़ या फर्जी एनकाउंटर कर परिवार आप के परिवार के किसी सदस्य का तो कौन-कौन कानूनी तरीके हैं जिनसे न्याय मिल सकता है।

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IPC की धारा 375 और BNS की धारा 63: बलात्कार कानून का विस्तृत विश्लेषण और उदाहरण

IPC की धारा 375 और BNS की धारा 63: विस्तृत विश्लेषण भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 और अब इसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) के अंतर्गत धारा 63 के रूप में शामिल किया गया है, यौन अपराधों को परिभाषित करने और उससे जुड़े कानूनों को लागू करने का आधार है। यह धारा महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करती है। IPC की धारा 375: क्या है परिभाषा? IPC की धारा 375 बलात्कार (Rape) को परिभाषित करती है। यह स्पष्ट करती है कि यदि कोई पुरुष निम्नलिखित परिस्थितियों में किसी महिला के साथ उसकी सहमति के बिना या उसकी सहमति का दुरुपयोग करते हुए यौन संबंध बनाता है, तो यह बलात्कार माना जाएगा: सहमति के बिना : यदि महिला किसी भी प्रकार की सहमति नहीं देती है। डर या दबाव में सहमति : यदि महिला किसी प्रकार के डर, चोट या अन्य दबाव में सहमति देती है। नाबालिगता : यदि महिला 18 वर्ष से कम उम्र की है, तो सहमति का सवाल ही नहीं उठता। झूठे वादे या धोखाधड़ी से सहमति : यदि किसी महिला को धोखे से सहमति देने पर मजबूर किया गया हो। बेहोशी या नशे की हालत में सहमति : यदि महिला किसी प्...

वाणिज्यिक अचल संपत्ति किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार की होती है । लाभ, कानूनी पहलू और निवेश के टिप्स

वाणिज्यिक अचल संपत्ति: एक विस्तृत गाइड (प्रकार, लाभ, और कानूनी पहलू) वाणिज्यिक अचल संपत्ति (Commercial Real Estate) का नाम सुनते ही दिमाग में बड़ी-बड़ी इमारतें, गोदाम, और ऑफिस का ख्याल आता है। लेकिन यह केवल इन्हीं तक सीमित नहीं है। वाणिज्यिक अचल संपत्ति में वे सभी प्रॉपर्टी आती हैं, जिनका उपयोग व्यावसायिक या लाभ कमाने के उद्देश्य से किया जाता है। इस ब्लॉग में हम वाणिज्यिक अचल संपत्ति के प्रकार, उनके फायदे, और उनसे जुड़े कानूनी पहलुओं को समझेंगे। इसके साथ ही आपको इस विषय से संबंधित कुछ प्रमुख उदाहरण और केस स्टडी भी बताएंगे। 1. वाणिज्यिक अचल संपत्ति क्या है? वाणिज्यिक अचल संपत्ति का तात्पर्य ऐसी संपत्तियों से है, जिनका उपयोग व्यवसायिक कार्यों के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य आम तौर पर किराये की आय कमाना या इसे ऊंची कीमत पर बेचकर मुनाफा कमाना होता है। उदाहरण: ऑफिस परिसर होटल और रिसॉर्ट गोदाम रेस्टोरेंट मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स 2. वाणिज्यिक अचल संपत्ति के प्रकार 1. ऑफिस स्पेस: बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस से लेकर छोटे-छोटे कंसल्टेंसी ऑफिस तक। आम तौर पर शहरों में इन...

ई-स्टाम्प क्या है और घर बैठे कैसे डाउनलोड करें? पूरी जानकारी और आसान तरीका

ई-स्टाम्प: अब घर बैठे निकालें अपने ज़रूरत के स्टाम्प पेपर स्टाम्प पेपर खरीदने की समस्या अब पुरानी बात हो गई है। भौतिक स्टाम्प पेपर के अनुपलब्ध होने की समस्या और वेंडरों द्वारा अधिक पैसा वसूलने जैसी दिक्कतों का समाधान अब ‘ऑनलाइन ई-स्टाम्प सेल्फ प्रिंट मॉड्यूल’ ने कर दिया है। प्रदेश सरकार की इस नई सुविधा के जरिए आप घर बैठे ₹100 तक के ई-स्टाम्प आसानी से निकाल सकते हैं। यह सुविधा न केवल तेज़ और सरल है, बल्कि पूरी तरह से सुरक्षित भी है। आइए, इस नई प्रक्रिया को सरल भाषा में समझते हैं। ई-स्टाम्प क्या है? ई-स्टाम्प, एक डिजिटल स्टाम्प पेपर है जिसे आप ऑनलाइन खरीद सकते हैं। इसे भौतिक स्टाम्प पेपर की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर आपको शपथ पत्र, ऋण समझौता, क्षतिपूर्ति बांड आदि के लिए स्टाम्प की जरूरत है, तो अब आपको बाजार में भटकने की जरूरत नहीं है। ई-स्टाम्प निकालने की प्रक्रिया 1. रजिस्ट्रेशन करें: सबसे पहले स्टॉक होल्डिंग की वेबसाइट पर जाएं। वेबसाइट खोलने के बाद "ऑनलाइन पेमेंट" विकल्प पर क्लिक करें। इसके बाद "रजिस्टर नाउ" पर क्लिक करें। मांगी ...

भारत में विधिक व्यवसाय का विकास का इतिहास क्या है ? इस पर चर्चा।

                                  भारत में विधिक व्यवसाय का विकास  Importance of legal Profession [ विधिक व्यवसाय का महत्व :-        न्याय प्रशासन में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। न्यायाधीशों की सही निर्णय देने में अधिवक्ता सहायता प्रदान करते हैं। अधिवक्ता वाद से सम्बन्धित विधिक सामग्री एकत्रित करके न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों और Legal तर्कों के अनुसार [ legal materials] के आधार पर न्यायाधीश निर्णय देते हैं। अधिवक्ताओं के अभाव में न्यायाधीशों के लिये सही निर्णय देना थोडा जटिल कार्य सिद्ध होगा।      न्यायमूर्ति श्री पी० एन० सप्रु के अनुसार अधिवक्ता के अस्तित्व का उचित आँधार यह है कि किसी भी विवाद का प्रत्येक पक्षकार इस स्थिति में होना चाहिये कि वह निष्पक्ष अधिकरण के समक्ष अपने पक्ष को सर्वोत्तम ढंग से और सबसे अधिक प्रभावी ढंग से अपना पक्ष प्रस्तुत कर सके।           वास्तव में विधि...

इलेक्टोरल बांड योजना पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: पारदर्शिता और लोकतंत्र की जीत

इलेक्टोरल बांड योजना पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: समझें इसका महत्व और प्रभाव ब्लॉग ड्राफ्टिंग: परिचय: इलेक्टोरल बांड योजना क्या है? योजना का संक्षिप्त विवरण इसका उद्देश्य और तरीका इलेक्टोरल बांड योजना का इतिहास मोदी सरकार द्वारा 2018 में शुरुआत वित्तीय और कानूनी बदलाव सुप्रीम कोर्ट का फैसला कोर्ट का निर्णय और तर्क योजना के खिलाफ उठाई गई चिंताएँ इलेक्टोरल बांड योजना के फायदे और नुकसान फायदों की बात आलोचनाएँ और संभावित नुकसान महत्वपूर्ण केस: ‘निजता के अधिकार’ और इसके प्रभाव जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ का उद्धरण अन्य केस से तुलना निष्कर्ष: यह फैसला क्या दर्शाता है? लोकतंत्र और पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण कदम भविष्य में क्या बदलाव हो सकते हैं ब्लॉग पोस्ट: भारत में राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग के लिए एक नया तरीका 2018 में सामने आया, जिसे 'इलेक्टोरल बांड योजना' कहा गया। इस योजना के तहत, राजनीतिक दलों को गोपनीय तरीके से चंदा मिलने का रास्ता खोला गया था। सरकार का कहना था कि इससे पारदर्शिता बनी रहेगी, लेकिन इस योजना को लेकर कई सवाल उठने लगे थे।...

लिव-इन रिलेशनशिप: कानूनी अधिकार, फायदे, चुनौतियां और जरूरी समझौते की जानकारी

लिव-इन रिलेशनशिप: एक आधुनिक जीवनशैली की ओर कदम आज के समाज में लिव-इन रिलेशनशिप धीरे-धीरे एक स्वीकृत जीवनशैली बन रही है। यह उन लोगों के लिए एक विकल्प है जो विवाह के बिना साथ रहना चाहते हैं और अपने रिश्ते को समझने और मजबूत बनाने के लिए समय लेना चाहते हैं। लिव-इन रिलेशनशिप न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह समाज में आधुनिक सोच का प्रतीक भी है। इस ब्लॉग में हम लिव-इन रिलेशनशिप के कानूनी पहलुओं, इसके फायदे, चुनौतियों और इससे संबंधित ड्राफ्टिंग के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। लिव-इन रिलेशनशिप क्या है? लिव-इन रिलेशनशिप का मतलब है कि दो वयस्क लोग बिना शादी के एक साथ रहते हैं। इसमें दोनों साथी अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ रहते हैं, और यह पूरी तरह से सहमति पर आधारित होता है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है एक-दूसरे को समझना और साथ में एक खुशहाल जीवन जीना। लिव-इन रिलेशनशिप की कानूनी स्थिति भारत में लिव-इन रिलेशनशिप का इतिहास 2005 : घरेलू हिंसा अधिनियम में "विवाह की प्रकृति में संबंध" शब्द जोड़ा गया, जिससे लिव-इन रिलेशनशिप को का...