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क्या पुलिस आपकी WhatsApp चैट पढ़ सकती है?

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AIBE में फेल होने पर डिग्री पर क्या असर पड़ता है, और इससे जुड़े महत्वपूर्ण सवाल?

 Supplementary Pending रहते हुए AIBE देने के फायदे और नुकसान 📌 परिचय  AIBE (All India Bar Examination) 🏛हर विधि स्नातक (Law Graduate) के लिए एक अनिवार्य परीक्षा है, जिसे पास करने के बाद ही Bar Council of India (BCI) द्वारा Certificate of Practice (COP) जारी किया जाता है। कई छात्रों के मन में यह सवाल आता है कि अगर उनके supplementary/backlog pending हैं, तो क्या वे AIBE दे सकते हैं? आइए इस पूरे मुद्दे को step-by-step समझते हैं। 1. AIBE Form भरना वर्तमान नियमों के अनुसार Final Year Law Students भी AIBE के लिए रजिस्टर कर सकते हैं। यदि किसी छात्र के पास backlog/supplementary है, तो उसे AIBE फॉर्म भरते समय affidavit/undertaking देनी होगी कि वह अपनी degree backlog-free करेगा। 👉 उदाहरण: राहुल ने LLB की final semester परीक्षा दी, लेकिन उसका एक subject में supplementary आ गया। उसने फिर भी AIBE के लिए फॉर्म भरा और affidavit दिया कि वह जल्द ही बैकलॉग clear कर देगा। 2. AIBE Exam देना आप AIBE परीक्षा दे सकते हैं और परिणाम भी घोषित होगा। लेकिन यह परिणाम provisional (अस्थायी) म...

IPC की धारा 371 और BNS की धारा 145: दासता और मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कानून

IPC की धारा 371: दासों का आदतन लेन-देन भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 371 का उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा करना और समाज में दासता जैसी अमानवीय प्रथाओं को समाप्त करना है। यह धारा उन अपराधियों पर लागू होती है जो दासों के आयात, निर्यात, स्थानांतरण, क्रय, विक्रय, तस्करी या सौदे जैसे कार्यों में आदतन संलग्न रहते हैं। इस धारा के अनुसार, जो व्यक्ति दासों के व्यापार का अभ्यास करता है, उसे आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। इसके अतिरिक्त, उसे अधिकतम पांच वर्षों के कारावास और जुर्माने का भी प्रावधान है। धारा 371 का उद्देश्य और महत्व धारा 371 का मुख्य उद्देश्य समाज से दासता की प्रथा को समाप्त करना है। भारत में, विशेष रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान, दासता और मानव व्यापार आम थे। स्वतंत्रता के बाद, संविधान ने हर व्यक्ति को स्वतंत्रता और गरिमा का अधिकार प्रदान किया। IPC की धारा 371 उन लोगों को कठोर दंड देती है जो इन मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। उदाहरण के माध्यम से समझें उदाहरण 1: रमेश नाम का व्यक्ति विदेशी देशों से लोगों को गैरकानूनी रूप से भारत में लाता है और उन्हें बंध...

warrant recall क्या होता है ?

वॉरंट रीकाॅल warrant recall: वारंट रीकॉल से तात्पर्य है अपने खिलाफ कोर्ट द्वारा जारी किया गया गिरफ्तारी के आदेश को रद्द कराने की प्रक्रिया को warrant recall कहते हैं।         इसको हम आसान शब्दों में समझते हैं जब किसी व्यक्ति के खिलाफ अदालत द्वारा गिरफ्तारी का वारंट (Arrest warrant जारी किया जाता है, और बाद में वह व्यक्ति व्यक्ति अदालत में  हाजिर होकर यह निवेदन करता है कि उसे गिरफ्तार न किया जाये और वारंट को वापस ले लिया जाये। तो इस सम्पूर्ण process को warrant recall कहा जाता है।                      'भारतीय दण्ड संहिता की धारा 70 के अनुसार - न्यायालय द्वारा जारी किया गया warrant लिखित रूप में ऐसे पीठासीन अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित होगा और उस पर न्यायालय की मुहर लगी होगी। और यह Warrant जब तक प्रवर्तन में रहेगा जब तक उसे जारी करने वाले न्यायालय द्वारा उसे रद्द नही किया जाता है या जब तक वह निष्पादित नहीं कर दिया जाता है।        जब किसी अभियुक्त को जमानत पर रिहा किया जाता है,...

Bank account में ₹10लाख का लेन-देन और ITR न भरने पर आयकर विभाग का नोटिस आ जाये तो क्या करें? जानिए कारण section और समाधान।

Income tax Department सभी बडे वित्तीय लेन- देन की निगरानी काफी करीब से करता है। यदि आप के द्वारा financial year में अपने Bank accounts से 10 Lakh या उससे अधिक Transaction किया है और आप के द्वारा उस Financial your का ITR Return file नहीं किया तो आपको Income tax department से Notice मिल सकता है। इस Blog Post में हम जानेगें  किस Section में नोटिस आता है?                     किन परिस्थितियों में Notice Income tax department आप को कौन सी condition हो सकती है जिनके तहत Notice मिल सकता है। सबसे जरुरी बात है कि Notice का जवाब कैसे लिखा जाये ?  कौन - कौन से Document जरूरी है यदि आप को Notice मिले तो जवाब तैयार करने के लिये।  Section:→          यदि आपने ITR file नहीं किया और खाते में 10 लाख से ज्यादा का लेन-देन हुआ है तो आयकर विभाग आपको Section 133(6), Section 142 (1) या Section 148 के तहत नोटिस भेज सकता है।  • Section (धारा) 133(6)- Preliminary Inquiry (प्रारंभिक जांच):→  इस धारा क...

क्या विवाहिता महिला यदि किसी अन्य पुरुष से शारीरिक संबंध बनाए तो वह पति से गुजारा भत्ता (Maintinace) प्राप्त कर सकती है?

भारतीय समाज में विवाह एक पवित्र संस्था मानी जाती है लेकिन जब पति-पत्नी के रिश्तों में दरार आती है तो गुजारा भत्ता (maintenance) एक महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार बन जाता है। प्रश्न यह उठता है कि अगर पत्नी ने विवाह के दौरान किसी (अन्य पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध बना लिये ही (adultery) तो क्या वह पति से गुजारा भत्ता प्राप्त करने  की पात्र है? इस  Blog Post में हम इस जटिल प्रश्न को भारतीय कानून न्यायालय के दृष्टिकोण और कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों के आधार पर स्पष्ट करेंगे।       गुजारा भत्ता का कानूनी आधार (maintenance Law: भारतीय दण्ड संहिता की धारा 125 crpc के अन्तर्गत पत्नी यदि स्वंय अपना भरण-पोषण नहीं कर सकती, तो वह पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है। लेकिन यह अधिकार नैतिक आचरण और वैवाहिक निष्ठा से भी जुड़ा हुआ है  । क्या व्यभिचार (Adultery) maintinace के अधिकार को समाप्त कर देता है?   अगर पत्नी पति के रहते हुये स्वेच्छा से किसी और पुरुष के साथ शारीरिक संबन्ध बनाती है तो यह "व्यभिचार" माना जायेगा और यह स्थिति धारा 125 (4) Crpc के अन्तर्गत आती है जि...

गिरफ्तार व्यक्ति की प्रार्थना पर गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा - व्यवसायी द्वारा परीक्षा [Examination of arrested person by medical practitioner at the request of arrested person

भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 54 जोकि अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 53 है कि जब कोई व्यक्ति जो चाहे किसी आरोप पर या अन्यथा गिरफ्तार किया गया है। मजिस्ट्रेट के समान पेश किये जाने के समय या अभिरक्षा में अपने निरोध की अवधि के दौरान किसी समय यह अभिकथन करता है, कि उसके शरीर का परीक्षण से ऐसे साक्ष्य प्राप्त होगा, जो उसके द्वारा किसी अपराध के किये जाने को नासाबित कर देगा या जो यह साबित करेगा कि उसके शरीर के विरुद्ध किसी अन्य ने कोई अपराध [जैसे कि मारपीट की घटना को अंजाम दिया हो] किया था तो यदि गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा मजिस्ट्रेट से ऐसा करने के लिये प्रार्थना की जाती है और यदि मजिस्ट्रेट का यह विचारण नहीं है, कि प्रार्थना तंग करने या विलम्ब करने या न्याय के उद्देश्यों को विफल करने के प्रयोजन के लिये की गयी है, तो वह यह निर्देश देगा कि रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा ऐसे व्यक्ति के शरीर का परीक्षण किया जाये।"                                             ...