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दलित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की अमानवीय घटना कारित करने वाले व्यक्तियों को सजा कैसे दिलायें ?

भारत में विधिक व्यवसाय का विकास का इतिहास क्या है ? इस पर चर्चा।

                                  भारत में विधिक व्यवसाय का विकास  Importance of legal Profession [ विधिक व्यवसाय का महत्व :-        न्याय प्रशासन में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। न्यायाधीशों की सही निर्णय देने में अधिवक्ता सहायता प्रदान करते हैं। अधिवक्ता वाद से सम्बन्धित विधिक सामग्री एकत्रित करके न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों और Legal तर्कों के अनुसार [ legal materials] के आधार पर न्यायाधीश निर्णय देते हैं। अधिवक्ताओं के अभाव में न्यायाधीशों के लिये सही निर्णय देना थोडा जटिल कार्य सिद्ध होगा।      न्यायमूर्ति श्री पी० एन० सप्रु के अनुसार अधिवक्ता के अस्तित्व का उचित आँधार यह है कि किसी भी विवाद का प्रत्येक पक्षकार इस स्थिति में होना चाहिये कि वह निष्पक्ष अधिकरण के समक्ष अपने पक्ष को सर्वोत्तम ढंग से और सबसे अधिक प्रभावी ढंग से अपना पक्ष प्रस्तुत कर सके।           वास्तव में विधि...

इलेक्टोरल बांड योजना पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: पारदर्शिता और लोकतंत्र की जीत

इलेक्टोरल बांड योजना पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: समझें इसका महत्व और प्रभाव ब्लॉग ड्राफ्टिंग: परिचय: इलेक्टोरल बांड योजना क्या है? योजना का संक्षिप्त विवरण इसका उद्देश्य और तरीका इलेक्टोरल बांड योजना का इतिहास मोदी सरकार द्वारा 2018 में शुरुआत वित्तीय और कानूनी बदलाव सुप्रीम कोर्ट का फैसला कोर्ट का निर्णय और तर्क योजना के खिलाफ उठाई गई चिंताएँ इलेक्टोरल बांड योजना के फायदे और नुकसान फायदों की बात आलोचनाएँ और संभावित नुकसान महत्वपूर्ण केस: ‘निजता के अधिकार’ और इसके प्रभाव जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ का उद्धरण अन्य केस से तुलना निष्कर्ष: यह फैसला क्या दर्शाता है? लोकतंत्र और पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण कदम भविष्य में क्या बदलाव हो सकते हैं ब्लॉग पोस्ट: भारत में राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग के लिए एक नया तरीका 2018 में सामने आया, जिसे 'इलेक्टोरल बांड योजना' कहा गया। इस योजना के तहत, राजनीतिक दलों को गोपनीय तरीके से चंदा मिलने का रास्ता खोला गया था। सरकार का कहना था कि इससे पारदर्शिता बनी रहेगी, लेकिन इस योजना को लेकर कई सवाल उठने लगे थे।...

लिव-इन रिलेशनशिप: कानूनी अधिकार, फायदे, चुनौतियां और जरूरी समझौते की जानकारी

लिव-इन रिलेशनशिप: एक आधुनिक जीवनशैली की ओर कदम आज के समाज में लिव-इन रिलेशनशिप धीरे-धीरे एक स्वीकृत जीवनशैली बन रही है। यह उन लोगों के लिए एक विकल्प है जो विवाह के बिना साथ रहना चाहते हैं और अपने रिश्ते को समझने और मजबूत बनाने के लिए समय लेना चाहते हैं। लिव-इन रिलेशनशिप न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह समाज में आधुनिक सोच का प्रतीक भी है। इस ब्लॉग में हम लिव-इन रिलेशनशिप के कानूनी पहलुओं, इसके फायदे, चुनौतियों और इससे संबंधित ड्राफ्टिंग के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। लिव-इन रिलेशनशिप क्या है? लिव-इन रिलेशनशिप का मतलब है कि दो वयस्क लोग बिना शादी के एक साथ रहते हैं। इसमें दोनों साथी अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ रहते हैं, और यह पूरी तरह से सहमति पर आधारित होता है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है एक-दूसरे को समझना और साथ में एक खुशहाल जीवन जीना। लिव-इन रिलेशनशिप की कानूनी स्थिति भारत में लिव-इन रिलेशनशिप का इतिहास 2005 : घरेलू हिंसा अधिनियम में "विवाह की प्रकृति में संबंध" शब्द जोड़ा गया, जिससे लिव-इन रिलेशनशिप को का...

भारतीय संपत्ति कानून: नाबालिगों के अधिकार और पैतृक संपत्ति पर विस्तृत जानकारी

भारतीय संपत्ति कानून: नाबालिगों के संपत्ति अधिकार और पैतृक संपत्ति का महत्व भारतीय संपत्ति कानून में नाबालिगों और पैतृक संपत्ति के अधिकारों के संबंध में कई महत्वपूर्ण पहलू हैं। यह ब्लॉग पोस्ट इन पहलुओं को आसान और सरल भाषा में समझाने का प्रयास करेगी, ताकि आम व्यक्ति भी इसे आसानी से समझ सके। साथ ही, कुछ महत्वपूर्ण केस लॉ को भी उदाहरण के रूप में दिया जाएगा, जो इन कानूनी मुद्दों को स्पष्ट करेंगे। 1. नाबालिगों के संपत्ति अधिकार नाबालिगों (18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों) को संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करने में कुछ कानूनी प्रतिबंध होते हैं। उदाहरण के तौर पर, 1882 के संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के अनुसार, नाबालिग केवल उपहार के माध्यम से संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त कर सकते हैं। इसका मतलब यह है कि नाबालिग केवल उपहार विलेख (gift deed) पर हस्ताक्षर करके संपत्ति प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन वह किसी अन्य प्रकार के कानूनी अनुबंध या विलेख पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं, क्योंकि भारतीय कानून में नाबालिगों को अनुबंध करने की अनुमति नहीं होती है। उदाहरण: अगर एक व्यक्ति अपनी संपत्ति को अपने नाबालिग बेटे को...

क्या करें जब पुलिस FIR दर्ज नहीं करती: विस्तृत मार्गदर्शिका

FIR (First Information Report) किसी अपराध के खिलाफ दर्ज की जाने वाली पहली रिपोर्ट होती है। कानून में इसका बहुत महत्व है, क्योंकि यह आपराधिक प्रक्रिया की शुरुआत करती है। लेकिन कई बार, पुलिस थाने में आपकी FIR दर्ज करने से मना कर सकती है। ऐसे में क्या किया जाए? यहां हम आपको कुछ सरल तरीकों के बारे में बताएंगे जिनका उपयोग करके आप अपनी शिकायत को दर्ज करवा सकते हैं। 1. पुलिस अधीक्षक (SP) या उच्च अधिकारी से शिकायत करें अगर आपके क्षेत्र के पुलिस थाने में FIR दर्ज नहीं की जा रही है, तो आप अपने जिले के पुलिस अधीक्षक (Superintendent of Police) या अन्य उच्च अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक आवेदन लिखना होगा जिसमें थाने में FIR दर्ज न करने के कारणों का उल्लेख करना होगा।  कैसे करें आवेदन: → •अपनी शिकायत का विवरण और थाने द्वारा FIR दर्ज न करने का कारण (अगर बताया गया हो) लिखें। •इस आवेदन की एक प्रतिलिपि अपने पास रखें। •इसे पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में जमा करें। पुलिस अधीक्षक आपके मामले की जांच कर सकते हैं और संबंधित थाने को FIR दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं। उदाहरण:...

अगर DM (प्रशासन) ने गन का लाइसेंस देने से मना किया तो क्या करें?

Blog Post Title: "अगर प्रशासन ने मुझे गन का लाइसेंस देने से मना किया तो मुझे क्या करना चाहिए?" Introduction: गन का लाइसेंस, खासकर उस व्यक्ति के लिए जो खुद की सुरक्षा की चिंता करता है, एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है। हालांकि, कई बार प्रशासन गन का लाइसेंस देने से मना कर देता है, और ऐसा होने पर व्यक्ति के मन में कई सवाल होते हैं। क्या वह कुछ कर सकता है? क्या उसे लाइसेंस मिल सकता है? इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि अगर प्रशासन ने गन का लाइसेंस देने से मना कर दिया है, तो ऐसे में क्या कदम उठाए जा सकते हैं। 1. प्रशासन द्वारा मना किए जाने के कारण जानें पहले यह समझना जरूरी है कि प्रशासन गन लाइसेंस क्यों नहीं देता। कुछ आम कारण हो सकते हैं: कानूनी स्थिति: अगर व्यक्ति पर कोई गंभीर अपराध हो या उसके खिलाफ कोई केस चल रहा हो। आवश्यकता का अभाव: प्रशासन यह मान सकता है कि व्यक्ति को गन की जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य संबंधी कारण: अगर व्यक्ति मानसिक रूप से स्थिर नहीं है, तो उसे लाइसेंस देने से मना किया जा सकता है। गलत आवेदन: अगर आवेदन में कोई गलती या अनियमितता है, तो लाइसेंस नही...

भारत में बाल -विवाह एक कुरितियां कानून एवं सजा का क्या प्रावधान है ?आइये समझते हैं.

भारत में बाल विवाह एक लम्बे समय से चली आ रही सामाजिक बुराई रही है। यह प्रथा न केवल बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करती है। बल्कि उनके भविष्य के अधिकारों का हनन करती है। बाल-विवाह अवरोध अधिनियम 1929 के उद्देश्य के लिये बालक ऐसे व्यक्ति को माना गया है जो यदि पुरुष है तो उसने 21 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है और यदि नारी है तो उसने 18 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है। इस समस्या को जड़ से  समाप्त करने के लिये भारत सरकार ने बाल विवाह अवरोध अधिनियम 2006 "[The Prohibition of child Marriage Act 2006] को लागू किया।  बाल विवाह क्या है? (What is child marriage?) इस अधिनियम के अनुसार:-  बालक (Boy):-  वह लड़का जिसकी उम्र 21 वर्ष से कम है। बालिका (Girl):⇒   वह लड़की जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है।                          बाल-विवाह से तात्पर्य ऐसे विवाह से है जिसके दोनों पक्षकारों (अर्थात वर- वधू में से कोई भी बालूक हो । उदाहरणार्थ: वर 22 वर्ष की आयु का है  और वधू 17 वर्ष की आयु की है...