मध्यस्थता एवं सुलह एक्ट 1996: विवाद निपटान का एक प्रभावी माध्यम:→ भारत में व्यापार और व्यवसाय के क्षेत्र में विवादों का सामना करना एक सामान्य बात है। इन विवादों को निपटाने के लिए भारत सरकार ने मध्यस्थता एवं सुलह एक्ट 1996 लागू किया। इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य विवादों को अदालत के बाहर सुलझाना है, जिससे समय और संसाधनों की बचत हो सके। आइए इस एक्ट के बारे में विस्तार से जानते हैं। 1. एक्ट का उद्देश्य:→ मध्यस्थता एवं सुलह एक्ट 1996 का मुख्य उद्देश्य है अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर विवादों को सुलझाने में मध्यस्थता के प्रयोग को बढ़ावा देना। यह एक्ट 86 धाराओं में विभाजित है और इसमें तीन अनुसूचियां भी शामिल हैं। 2. पुराने एक्ट में कमी:→ इससे पहले, मध्यस्थता एक्ट 1940 में केवल घरेलू विवादों का ही निपटारा किया जाता था और इसमें अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का कोई प्रावधान नहीं था। नए एक्ट में मध्यस्थता न्यायाधिकरण की परिकल्पना की गई है, जिससे विवादों का समाधान अधिक प्रभावी हो सके। 3. मध्यस्थता और सुलह के बीच अंतर:→ इस एक्ट के अनुसार, मध्यस्थता एक प्रक्रिया है जिसमें एक तटस्थ...
this blog is related LLB LAWS ACTS educational and knowledegeble amendments CRPC,IPC acts.