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किशोर अभियुक्त के विचारण के सम्बन्ध में आवेदन पत्र की drafting कैसे की जाती है ?

पैतृक संपत्ति में बेटी का अधिकार:→परिवार से संबंध टूटने पर भी क्या मिलेगा हिस्सा?

  पिता की संपत्ति में बेटियों का अधिकार: विस्तृत जानकारी →      समाज में अक्सर यह देखा जाता है कि बेटियों को उनके पिता की संपत्ति में उतना अधिकार नहीं मिलता, जितना बेटों को दिया जाता है। कई बार यह स्थिति समाज की परंपराओं और प्रथाओं के कारण उत्पन्न होती है। हालांकि, भारत में कानून बेटियों को उनके पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार देता है। यह ब्लॉग पोस्ट आपको सरल भाषा में इस विषय पर पूरी जानकारी देगी, ताकि कोई भी इसे आसानी से समझ सके। संपत्ति के प्रकार→ भारत में संपत्ति को दो प्रमुख हिस्सों में बांटा गया है:→ 1. स्वयं अर्जित संपत्ति:→ यह वह संपत्ति होती है जिसे किसी व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में खुद कमाया हो। इसमें जमीन, घर, गाड़ी या बैंक बैलेंस आदि आ सकते हैं। 2. पैतृक संपत्ति:→ यह वह संपत्ति होती है जो पूर्वजों से मिलती है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है और इसे बेचने या इसके संबंध में फैसला लेने के लिए सभी उत्तराधिकारियों का सहमति जरूरी होती है।   बेटियों का अधिकार:→ स्वयं अर्जित संपत्ति में अगर कोई व्यक्ति अपनी स्वयं अर्जित संपत्ति के बारे मे...

NDPS एक्ट में ड्रग्स की मात्रा और सजा→ पूरी जानकारी आसान भाषा में

नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) भारत में ड्रग्स की तस्करी और दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाया गया एक सख्त कानून है। यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि जो लोग अवैध रूप से ड्रग्स बेचते, तस्करी करते या इस्तेमाल करते हैं, उन्हें कड़ी सजा दी जाए। लेकिन इस कानून में एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जब ड्रग्स अन्य चीजों के साथ मिलाए जाते हैं, तो ड्रग्स की मात्रा का निर्धारण कैसे हो?           [NDPS एक्ट की महत्वपूर्ण बातें]→ NDPS एक्ट के तहत ड्रग्स की मात्रा तीन प्रमुख श्रेणियों में बांटी जाती है:→ 1. छोटी मात्रा (Small Quantity):→ इसमें बहुत कम मात्रा में ड्रग्स होते हैं। इस श्रेणी में पकड़े जाने पर हल्की सजा होती है।     2. वाणिज्यिक मात्रा (Commercial Quantity):→ यह बहुत बड़ी मात्रा होती है, जिसे तस्करी और व्यापार के उद्देश्य से माना जाता है। इस श्रेणी में पकड़े जाने पर सबसे कड़ी सजा दी जाती है, जो 20 साल तक हो सकती है। 3. मध्यम मात्रा (Intermediate Quantity):→ यह छोटी और वाणिज्यिक मात्रा के बीच की श्रेणी होती है। इसमें स...

यदि आप के ऊपर आपराधिक केस दर्ज हैं तो क्या आप सरकारी नौकरी कर सकते हैं?

सरकारी नौकरी और आपराधिक केस एक सरल गाइड→ सरकारी नौकरी पाने या उसे बनाए रखने के लिए व्यक्ति का साफ-सुथरा रिकॉर्ड होना बेहद जरूरी है। अगर किसी व्यक्ति पर कोई आपराधिक केस दर्ज है, तो इससे उसके सरकारी नौकरी में परेशानी खड़ी हो सकती है। सरकारी सेवकों के लिए नियम काफी सख्त होते हैं, और हर राज्य के अपने अलग-अलग नियम हो सकते हैं, पर ज्यादातर मामलों में यह नियम सामान्य होते हैं।        इस ब्लॉग में हम यह समझेंगे कि किसी सरकारी कर्मचारी पर अगर आपराधिक केस दर्ज हो जाता है, तो क्या-क्या प्रभाव हो सकते हैं और इससे कैसे निपटा जा सकता है। इसके साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे व्यक्ति पर आपराधिक केस का क्या असर पड़ता है। पुलिस केस और सरकारी नौकरी→ जब किसी सरकारी कर्मचारी पर पुलिस केस दर्ज होता है, तो यह उसकी नौकरी के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। आमतौर पर, अगर केस ऐसा हो जो नैतिक अधमता (moral turpitude) से जुड़ा हो या जिसमें तीन साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान हो, तो उस कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया जाता है।  उदाहरण:→ मान लीजिए कि किसी सरकारी ...

police अधिकारियों की शिकायत करने की क्या प्रक्रिया होती है ? उदाहरण सहित बताओ।

पुलिस अधिकारी और उनके खिलाफ शिकायत करने की प्रक्रिया→ पुलिस का काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना और अपराधों को रोकना है। पुलिस को अपराध की जांच करने और अपराधियों को पकड़ने का अधिकार है, लेकिन यह जरूरी है कि वह अपने काम में निष्पक्ष और ईमानदार रहे। कई बार देखने में आता है कि कुछ पुलिस अधिकारी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं और जनता के साथ गलत आचरण करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब पुलिस अधिकारी ही गलत आचरण करें, तो उनके खिलाफ शिकायत कैसे की जाए और क्या प्रक्रिया अपनाई जाए। प्रकाश सिंह मामला और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश:→ सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में प्रकाश सिंह मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एक स्वतंत्र संस्था बनाने का निर्देश दिया था। इस संस्था को "पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी" कहा जाता है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का मकसद यह था कि जनता पुलिस के गलत आचरण की शिकायतें आसानी से कर सके और उन पर उचित कार्रवाई हो सके।  पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी क्या है? पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी एक स्वतंत्र संस्था है, जो राज्य सरकार या पुलिस के अधीन नहीं होती है। इसका मतलब...

जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम 2015 क्या होता है एक निबन्धात्मक रूप से इसके बारे में चर्चा करो?

भारत में बच्चों का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। इनमें से एक प्रमुख कानून है जुवेनाइल जस्टिस (बाल संरक्षण और देखभाल) अधिनियम, 2015। इस कानून का उद्देश्य उन बच्चों की सुरक्षा, देखभाल और अधिकारों की रक्षा करना है, जो किसी अपराध में संलिप्त होने के आरोपी होते हैं, या जिन्हें किसी अन्य प्रकार की सहायता की आवश्यकता होती है।    blog post related to the Protection of Children under Indian Law:→ 1. Juvenile Justice Act 2015 2. Child protection in India 3. Juvenile rights in India 4. Juvenile Justice Board (JJB) 5. Juvenile crime law India 6. Child rights protection India 7. Role of court in juvenile cases 8. Juvenile justice board cases 9. Children in conflict with law 10. Bail under Juvenile Justice Act 11. Juvenile law in India 12. Supreme Court rulings on juvenile justice 13. Child welfare law India 14. Juvenile rehabilitation in India 15. Juvenile crime and punishment 16. Police lockup rules for juveniles 17. Juvenile rights violation India 18. Ju...