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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

What is the meaning of Assessment year in income tax sector में क्या होता है?

  व्यक्ति ( Person ) :- आयकर अधिनियम की धारा 2 ( 31 ) के अनुसार , ' व्यक्ति ' शब्द में निम्न सम्मिलित होते हैं - ( 1 ) एक व्यक्ति  ( 2 ) एक हिन्दू अविभाजित परिवार   ( 3 ) एक कम्पनी ( 4 ) एक फर्म  ( 5 ) व्यक्तियों की संस्था या व्यक्तियों का समूह चाहे समामेलित हो अथवा नहीं , जैसे- क्लब , सहकारी समिति ;   ( 6 ) एक स्थानीय सत्ता ; जैसे - नगरपालिका , कैण्टूनमैण्ट बोर्ड , जिला परिषद् , पोर्ट ट्रस्ट  ( 7 ) कोई भी कृत्रिम व्यक्ति जो उपर्युक्त में सम्मिलित नहीं है ; जैसे - कोई मूर्ति या देवता या खुदा या भगवान आदि । इनमें न्यायिक व्यक्तित्त्व वाले सभी कृत्रिम व्यक्ति भी सम्मिलित होते हैं ; जैसे - कॉरपोरेशन , बार कौंसिल [ Bar Council of Uttar Pradesh vs. CIT ( 1983 ) 143 ITR 584 All ]  स्पष्टीकरण :- इस वाक्य के लिए , व्यक्तियों के एक संघ या व्यक्तियों के समूह या एक स्थानीय सत्ता अथवा एक कृत्रिम वैधानिक व्यक्ति प्रत्येक दशा में ' व्यक्ति ' माने जायेंगे , भले ही  इनकी स्थापना , निर्माण या समामेलन लाभ या आय कमाने के लिए हुआ है अथवा नहीं । Person :-  As per section 2(31) o

" आयकर आय पर लगने वाला कर है , प्राप्तियों पर लगने वाला नहीं । " इस कथन की विवेचना कीजिए तथा ' आय ' शब्द के प्रमुख लक्षण बताइए । [ “ Income tax is a tax on income and not on receipts . " Discuss this statement and give essential characteristics of term Income . " ]

आय   ( Meaning of Income ) :- आयकर के मामले में ' आय ' शब्द काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि आयकर किसी व्यक्ति की आय पर ही लगाया जाता है । आयकर अधिनियम की विषयवस्तु वास्तव में आय ही है परन्तु आयकर अधिनियम में ' आय ' शब्द की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है । आयकर अधिनियम अनुसार आय में निम्न मर्दे शामिल हैं की धारा 2 ( 24 ) सिर्फ इस की तरफ इशारा करती है कि आय में क्या - क्या शामिल है । इसके अनुसार आय में निम्न मदें शामिल हैं  ( 1 ) कोई भी लाभ की रकम  ( 2 ) लाभांश  ( 3 ) निम्न के द्वारा स्वेच्छापूर्वक प्राप्त चंदों से इन्कम  ( a ) ऐसे ट्रस्ट या संस्था जिनकी स्थापना धार्मिक या पुष्यार्थ उद्देश्यों के लिए हुई हो ,  ( b ) वैज्ञानिक शोध संघ ,  ( c ) खेलकूद संघ ( Games or Sports Association ) ,  ( d ) पुण्यार्थ कोष अथवा पूर्णतया सार्वजनिक , धार्मिक तथा पुण्यार्थ उद्देश्यों के लिए स्थापित ट्रस्ट अथवा संस्था ,  Income (Meaning of Income) :-  In the case of income tax, the word 'income' is very important because income tax is levied only on the income of a person.  The subject

अन्तर्राभिवचनीय वाद में वाद पत्र की रचना कीजिए । ( Draft a plaint in an inter pleader suit . )

                        न्यायालय श्रीमान सिविल जज ( जू ० डि ० ) महोदय ,बांदा वाद संख्या ........                                                                                                        ........सन् 2022                         अ पुत्र क आयु लगभग ....... वर्ष निवासी मुहल्ला (जिला ) ........वादी                                                                                      बनाम . ..  ( i ) ब पुत्र ख आयु लगभग ...... वर्ष मुहल्ला  , निवासी (जिला ) प्रतिवादी संख्या 1 ( ii ) स विधवा ग आयु लगभग .... वर्ष , निवासनी मुहल्ला (जिला ) प्रतिवादनी संख्या - 2  वादी निम्नलिखित सादर निवेदन करता है  1. यह कि 4 जनवरी  2022 ई ० को ग ने आभूषणों का एक सन्दूक सुरक्षित अभिरक्षा के लिए वादी के पास जमा किया था ।  2. यह कि उक्त ग दिनांक 27 जनवरी  , 2022 ई ० को मर गया ।  3. यह कि प्रतिवादी नं ० । मृतक ग के दत्तक पुत्र की हैसियत से वादी से उन आभूषणों के सन्दूक को प्राप्त करने का दावा करता है ।  4. यह कि प्रतिवादी नं ० 2 भी उपर्युक्त ग की विधवा के रूप में उक्त सन्दूक को लेने का दावा ककरती है और

प्रलेख शास्त्र क्या होते हैं ? इसके उद्देश्य इंगित करते हुए एक बिलेख के आवश्यक अंगों की व्याख्या कीजिए । ( What do you understand by conveyancing . Discuss the essential party off a dood . )

प्रलेख शास्त्र से आशय ( Meaning of Conveyancing )  कोई व्यक्ति अपने साम्पत्तिक अधिकारों को विभिन्न प्रकार से अन्तरित कर सकता है । उदाहरणार्थ - विक्रय , पट्टे दान आदि के विलेखों द्वारा तथा इन्हीं क्लेिखों एवं दस्तावेजों के लिखने को प्रलेखन कहते हैं । पिब्सन के अनुसार , “ किसी पक्षकार के कार्य द्वारा एक दस्तावेज के माध्यम से सम्पत्ति और सम्पत्ति के अधिकारों के अन्तरण के सम्बन्धी विधि को प्रलेखशास्त्र की विधि कहा जा सकता है । " Meaning of Conveyancing  A person can transfer his property rights in various ways.  For example - through the deeds of sale, lease donation etc. and the writing of these writings and documents is called documentation.   According to Pibson, “ The law relating to the transfer of property and rights to property by means of a document by the act of a party may be called the law of documentation”.  ,  सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम की धारा 2 ( 10 ) के अनुसार , हस्तान्तरण लेखन से तात्पर्य एक जीवित व्यक्ति द्वारा दूसरे जीक्ति व्यक्ति को चल या अचल सम्पत्ति क

विशिष्टयाँ क्या हैं ? अभिवचनों में किन विशिष्टियों का दिया जान आवश्यक है ? विशिष्टियों एवं सारभूत तथ्यों में प्रभेद कीजिए । ( What are particulars ? What particulars are required to be given in the particulars ? Distinguish between particulars and material facts . )

 विशिष्टियों से आशय ( Meaning of Particulars )                 विशिष्टियों से तात्पर्य पक्षों द्वारा वाद - पत्र में उठाई गई घटनाओं के स्पष्ट और निश्चित वर्णन से है । विशिष्टियों के अन्तर्गत दावों के विभिन्न कथन शामिल हैं जो वादी या प्रतिवादी अपने वाद - पत्र या लिखित कथन या मौखिक ब्यान में देते हैं । किसी वाद में किसी घटना का कितनी मात्रा में विवरण दिया जाना चाहिये , इसका कोई निश्चित नियम नहीं है । किन्तु उतनी निश्चितता और विवरण पर जोर दिया जाना चाहिये जितना जरूरी समझा जाये । उदाहरणार्थ- किसी बेनामी लेन देन सम्बन्धी वाद में उन तथ्यों की विशिष्टियाँ ( विवरण ) दिये जाने चाहिये जिनसे यह ज्ञात हो सके कि अभिवचन का पक्ष या विपक्ष किस प्रकार बेनामी हुआ ; जैसे - वादी ने प्रतिफल दिया और बयनामा प्रतिवादी के नाम लिखाया गया ।                 सामान्यत : विवरण के दो मुख्य उद्देश्य होते हैं- पहला यह कि वादी द्वारा प्रतिवादी को इस बात की जानकारी देना कि यह किन - किन बातों पर अपना वाद पेश करके न्यायालय से अनुतोष पाना चाहता है ; दूसरे अभिवचनों की व्यापकता को सीमित करना ताकि पूछ ताछ के समय पक्

प्रति आपत्ति तथा प्रति अपील एवं साम्यिक प्रतिसादन तथा विधिक प्रतिसादन क्या होते है?

प्रति आपत्ति तथा प्रति अपील ( Cross objection and Cross Appeal )  प्रति आपत्ति ( Cross objection ) — जहाँ कि पारित की गई डिक्री भागतः उत्तरवादी के खिलाफ है तथा भागत : उसके पक्ष में है और ऐसी डिक्री से अपील की जाती , वहाँ उत्तरवादी डिक्री के इस भाग पर तो उसके खिलाफ है , ऐसी आपत्ति कर सकेगा , जो एक पृथक् अपील के रूप में की जा सकती थी । ऐसी आपत्तियों को प्रति आपत्तियाँ ( Cross - objection ) कहते हैं और वे एक ज्ञापन के रूप में प्राप्त की जाती है ।          कोई भी उत्तरवादी ( Respondent ) किसी आधार पर जो उसके खिलाफ , निचली अदालत में फैसला किये गये हैं , उस डिक्री का केवल समर्थन ही नहीं कर सकेगा बल्कि इस डिक्री पर कोई भी ऐसी आपत्ति कर सकेगा , जिसे उसने अपील द्वारा किया होता ।           प्रति आपत्तियाँ उत्तरवादी ( Respondent ) द्वारा अपीलीय न्यायालय में उस तारीख से एक महीने के अन्दर जिस तारीख पर तामील की गई है , या ऐसे अतिरिक्त समय के अन्दर जैसी कि ..अपीलीय अदालत मंजूर करे , दायर की जा सकेगी ।            प्रति आपत्ति की तामील - यदि उत्तरवादी ( Respondent ) अपनी आपत्ति के साथ - सा

शपथ पत्र क्या होते हैं ? शपथ पत्र का प्रारूप तैयार करने के कौन से नियम है का वर्णन कीजिए । ( What do you understand by affidavit ? Describe the rules for making he affidavit . )

    शपथ पत्र का अर्थ ( Meaning of Affidavit ) शपथपत्र से आशय ऐसे लिखित कथन से होता है जिसे शपथ पत्र लेकर किसी प्राधिकारी के सम्मुख किया गया हो । दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 19 नियम 3 के अनुसार वाद में प्रयोग किए जाने वाले शपथ पत्र को छोड़कर शेष समस्त शपथ पत्रों में केवल ऐसे तथ्यों को ही लिखा जाना चाहिए जिसे शपथग्रहीता निजी ज्ञान पर सिद्ध कर सके तथा बाद में उपयोग आने वाले शपथ पत्रों के विश्वास पर आधारित कथन को भी ग्रहण कर सकता है किन्तु विश्वास से ग्रहण करने के कारण का भी कथन करना आवश्यक है ।               इस प्रकार शपथ पत्र न्यायालय की विभिन्न कार्यवाहियों में पक्षकारों द्वारा दाखिल किये जाते हैं । इसके द्वारा किसी ऐसे तथ्य की साक्ष्यता के बारे में प्रतिज्ञा की जाती है जिसका या तो लिखित प्रमाण नहीं होता है अथवा किसी साक्ष्य द्वारा साबित नहीं किया जा सकता । शपथ पत्र का अर्थ शपथ पर किये हुए ऐसे लिखित कथन से होता है जिसे किसी प्राधिकृत अधिकारी के समक्ष किया गया हो ।           शपथ पक्ष में साधारणतया वही तथ्य होने चाहिए जिन्हें शपथ पर लेने वाला अपने ज्ञान से सिद्ध कर सके ।