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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

अकेक्षक की नियुक्ति शक्तियां तथा कर्तव्यों का वर्णन कीजिए। describe the appointment power and duties of auditor

कंपनी अकेक्षक की नियुक्ति( appointment of an auditor) सामान्यतः  प्रत्येक कंपनी अपने अंतर नियमों में लेखा परीक्षकों की नियुक्ति से संबंधित व्यवस्था रखती है परंतु लेखा परीक्षकों की नियुक्ति के लिए अर्हताओं एवं अनर्हताओं तथा उसके अधिकारों कर्तव्य एवं दायित्व के विषय में विधिक व्यवस्थाएं कंपनी विधि करती है। अधिनियम 2013 की धारा 139 लेखा परीक्षकों की नियुक्ति के संबंध में उप बंध किए गए हैं। किस अधिनियम की धारा 139(1) में उप बंधित किया गया है कि प्रत्येक कंपनी अपनी प्रथम वार्षिक सभा में किसी व्यक्ति या फर्म को लेखा परीक्षक के पद पर नियुक्त करेगी जो इस सभा की अगली निरंतर 6 वार्षिक सभाओं तक अपने पद पर बना रहेगा।अंकेक्षक संपरीक्षक का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। लेखा परीक्षक की नियुक्ति कंपनी की वार्षिक सभा में की जाती है जिसका अनु समर्थन कंपनी के सदस्यों द्वारा किया जाना आवश्यक होता है। ऐसा नियुक्ति से पूर्व लेखा परीक्षक से उसकी सहमति तथा अहर्ता से संबंधित प्रमाण पत्र का लिया जाना जरूरी होता है। इस अधिनियम की धारा 139(2) के अनुसार कोई भी सूचीबद्ध कंपनी या किसी वर्ग विशेष की कंपनी जैसा की विधित

कंपनी निदेशक की परिभाषा दीजिए. Give the definition of company director mention the qualification and disqualification of director

कंपनी निदेशक( company director) कंपनी अधिनियम,2013 की धारा2(34) के अनुसार निदेशक वह व्यक्ति होता है जिसे कंपनी के निदेशक मंडल में निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया हो। अन्य शब्दों में, निदेशक वह व्यक्ति होते हैं जो कंपनी के कारोबार का संचालन तथा प्रबंधन करने के लिए कंपनी के अंश धारक( shareholder) के द्वारा चुने गए हो। पूर्वर्ती कंपनी अधिनियम,2013  की धारा 303 अनुसार ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को निदेशक माना जाएगा  जिसके तथा निर्देशानुसार कंपनी का निदेशक मंडल कार्य करने का अभ्यस्त है।        लिण्डले बनाम ऑटोमेटिक टेलीफोन कंपनी,1902 C.H.56 के मामले में यह निर्धारित हुआ कि कंपनी के निदेशक गढ़ अपने अधिकारों का प्रयोग अंश धारियों के हितों की उपेक्षा करते हुए केवल अपने निजी हित के लिए नहीं कर सकते। न्यास(trust ) शब्द के वास्तविक अर्थों के अनुसार तो निदेशक कंपनी के न्यास धारी नहीं होते देवल कंपनी के प्रति होने वाले उनके कुछ दायित्व न्यास धारी से मिलते जुलते हैं। उन्हें अपने विशेष अधिकारी का प्रयोग सद्भावना के साथ कंपनी के लाभ के लिए करना होता है। निदेशकगण कंपनी की संपत्ति के वास्तविक

निदेशक कंपनी के न्यासी, अभिकर्ता एवं प्रबंध साझेदार होते हैं. स्पष्ट कीजिए. Directors are trustees, agents and managing partner of company explain.

निदेशक वह व्यक्ति होते हैं जो कंपनी के कारोबार का संचालन तथा प्रबंधन करने के लिए कंपनी के अंश धारकों द्वारा चुने गए हों। कोई कंपनी का निदेशक या नहीं यह जानने के लिए उसके पदनाम को विशेष महत्व न देकर यह देखना चाहिए कि क्या उस व्यक्ति को कंपनी के निदेशक मंडल में निदेशक के पद पर कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया है।          निदेशकगण प्रबंध समिति के रूप में कार्य का संचालन करते हैं तथा अपने कार्यों के लिए अंशधारियों के प्रति उत्तरदाई होते हैं। निदेशक कंपनी का एजेंट तथा न्यासी भी कहा जाता है। पहला पद अर्थात अभिकर्ता इन्हें कंपनी की ओर से कार्य करने की दृष्टि से प्रदान किया गया है अद्वितीय पद अर्थात न्यासी इनके दायित्व को दृष्टि में रखकर प्रदान किया गया है। कंपनी अधिनियम 2013 की धारा2(34)में निदेशक को परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार निदेशक के रूप में कार्य करने वाला कोई भी व्यक्ति निदेशक कहलाता है चाहे उसे किसी नाम से ही क्यों ना पुकारा जाता हो। इसका अर्थ यह है कि निदेशक के लिए उसके पद के नाम का विशेष महत्व नहीं है। यह उसके कंपनी के प्रति अधिकारों एवं कर्तव्यों पर निर्भर करता

कंपनी के सदस्यों के अधिकार एवं दायित्व( describe in detail liabilities and rights of member of a company)

कंपनी के सदस्यों के दायित्व( Liabilities  of a company members) (1 )अंशों  का हस्तांतरण करते समय भी अंश धारी देय राशि  के लिए उस समय तक उत्तरदाई रहेगा जब तक कि दूसरे पक्ष का नाम कंपनी के सदस्य रजिस्टर में अंकित नहीं कर लिया जाता। (2) कंपनी के परिसमापन की दशा में उसका दायित्व परिसमापन की तिथि से 1 वर्ष तक निरंतर प्रभावी रहता है। (3) असीमित दायित्व वाली कंपनी में प्रत्येक सदस्य सदस्यता की अवधि में लिए जाने वाले सभी ऋणों  के भुगतान के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदाई होता है। (4) प्रतिभूति द्वारा सीमित कंपनी में परी समापन की दशा में प्रत्येक सदस्य सीमा नियम में दायित्व खंड में निर्धारित धनराशि के भुगतान को ही बाध्य होता है। (5) अंशों  द्वारा सीमित कंपनी में प्रत्येक सदस्य का दायित्व अपने अंशों पर अंकित मूल्य तक ही सीमित होता है। प्रत्येक अंश धारी की अपने अंशों  की  संपूर्ण देय राशि का प्रकार भुगतान करना आवश्यक है जैसे कि वह व्यक्तिगत रूप से लिए गए ऋणों के लिए करेगा। कंपनी सदस्यों के अधिकार( rights of company members) (1) नए अंशों को लेने में प्राथमिकता का अधिकार: कंपनी अधिनियम की धारा 62 के अनुस

कंपनी का सदस्य कौन बन सकता है? Who may become a member of company? Describe the qualification be membership of company.

कंपनी का सदस्य कौन बन सकता है( who may become a member of a company) प्रत्येक व्यक्ति जो संविदा अधिनियम 1872 के अंतर्गत संविदा करने के लिए सक्षम हो, कंपनी का सदस्य बन सकता है अर्थात ऐसा प्रत्येक व्यक्ति कंपनी का सदस्य बन सकता है जो वयस्क हो एवं स्वास्थ्य चित्त हो। वयस्क व्यक्ति के अलावा कोई कंपनी भी किसी दूसरी कंपनी की सदस्यता ग्रहण कर सकती है यदि सीमा नियम अथवा अंतर नियम द्वारा उसे इसके लिए अधिकृत किया गया हो परंतु ऐसी स्थिति में कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 49 के प्रावधानों का अनुपालन करना होगा। एक संधारी कंपनी की सहायक कंपनी अपनी सन धारी कंपनी की सदस्यता ग्रहण कर सकती है जबकि ऐसी सहायक कंपनी अपनी संधारी कंपनी के किसी मृत सदस्य की विधि प्रतिनिधि या न्यासी हो । कोई भागीदार फर्म भी किसी कंपनी की सदस्यता को ग्रहण नहीं कर सकता है क्योंकि फार्म ना तो निगमित निकाय होती है और ना उसका कोई विधिक व्यक्तित्व होता है परंतु भागीदारी फर्म के भागीदार अपने संयुक्त नाम से किसी कंपनी के अंश खरीद कर उसकी सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। इसी प्रकार कोई कंपनी किसी फर्म के नाम अपने अंश आवंटित कर सकती है परंतु उस

कंपनी की सदस्यता की कसौटी एवं सदस्यता की समाप्ति को विस्तार से समझाइए? What is meant by member of a company? Explain its test of membership and a nation of membership.

सदस्य  तथा अंश धारी एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। साधारणतया यह दोनों शब्द एक दूसरे के लिए प्रयुक्त होते हैं, किंतु कानूनी दृष्टि से यह सही नहीं है। इन दोनों के मध्य सोच में अंतर है। प्रथम यह है कि अंश धारी का नाम जब तक कंपनी के सदस्यों के रजिस्ट्रार में नहीं लिख दिया जाता वह सदस्य नहीं माना जाता। दूसरी बात यह है कि गारंटी द्वारा सीमित दायित्व वाली कंपनी में कोई अंश धारी नहीं होता जो लोग कंपनी का निर्माण करते हैं तथा उनका नाम कंपनी के सदस्यों के रजिस्टर में अंकित होता है वह इसके सदस्य माने जाते हैं। कंपनी का सदस्य एवं सदस्यता( member and membership of company) कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(55) के अनुसार कंपनी के सदस्य से तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों से है जिन्होंने कंपनी के सीमा नियमों पर हस्ताक्षर किए हों अथवा जिसका नाम कंपनी के सदस्य रजिस्टर में सदस्य के रूप में प्रवेश किया गया हो। दूसरे शब्दों में प्रत्येक ऐसा व्यक्ति जिसने लिखित रूप में कंपनी का सदस्य बनने के लिए सहमति दी हो तथा जिसका नाम उस कंपनी के सदस्यों के रजिस्टर में दर्ज कर लिया गया हो कंपनी का सदस्य कहलाता है। कंपनी अधिनियम 2013 की

कंपनी के सदस्य से क्या समझते हैं?( define member of company what is the process to be a member)

Meaning of Company member( कंपनी के सदस्य ) :- कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(55) के अनुसार कंपनी के सदस्य से आशय ऐसे लोगों से है जिन्होंने कंपनी के सीमा नियमों पर दस्तखत किए हुए या  जिसका नाम कंपनी के सदस्य रजिस्टर में सदस्य के रूप में प्रविष्ट किया गया हो अर्थात प्रत्येक ऐसा व्यक्ति जिसने लिखित रूप में कंपनी का सदस्य बनने के लिए सहमति दी हो तथा जिसका नाम उस कंपनी के सदस्यों के रजिस्टर में दर्ज कर लिया गया हो कंपनी का सदस्य कहते हैं. सदस्य बनने के लिए प्रक्रिया( procedure  of acquiring membership): (a) लिखित आवेदन द्वारा सदस्यता : कंपनी के अंश क्रय करने के लिए संविदा अधिनियम की प्रस्ताव और स्वीकृति संबंधी औपचारिकताओं का पालन करना जरूरी होता है।अंशों के क्रय हेतु किया गया लिखित आवेदन संविदा अधिनियम के अनुसार प्रस्ताव के समान होगा और उसके आधार पर किया गया अंशों का आवंटन स्वीकृति माना जाएगा। स्वीकृति संबंधी औपचारिकताओं की पूर्ति के पश्चात ही उस अंश धारी के नाम को कंपनी के सदस्य रजिस्टर में सदस्य के रूप में दर्ज कर लिया जाएगा और रजिस्टर में उसका नाम लिखे जाने के दिन से ही वह उस कंपनी का सदस