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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

कंपनी के परिसमापन में लॉ बोर्ड की शक्तियां /powers of law board in the winding up of company

कंपनी के परिसमापन में लॉ बोर्ड की शक्तियां /powers of law board in the winding up of company (1) कंपनी के प्रबंध से संबंधित पदाधिकारियों या व्यक्तियों का खुला परीक्षण: अगर कंपनी लाॅ अधिकरण को परिसमापक से यह रिपोर्ट प्राप्त होती है कि कंपनी के प्रवर्तन अथवा निर्माण में या इसके बाद उसके किसी पदाधिकारी या व्यक्ति ने कंपनी के प्रति कपट पूर्ण अथवा कुटिलता पूर्ण व्यवहार किया है तो अधिकरण द्वारा उस पदाधिकारी या व्यक्ति का अधिकरण के समक्ष खुला परीक्षण कराया जा सकता है। इस परीक्षण में परिसमापक(liquidator) उपस्थित होकर अधिकरण का ध्यान उन तथ्यों की ओर आकर्षित करेगा जो उस केस संबंधित हों। संबंधित पदाधिकारी या व्यक्ति को अपना बयान शपथ पत्र पर देना होगा तथा उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने का पूरा अवसर दिया जाएगा। यह खुला परीक्षण अधिकरण स्वयं भी कर सकता है या इसके लिए किसी प्राधिकारी या व्यक्ति को भी अधिकृत कर सकता है।                                             (धारा 300) (2) फरार अंशदायियों की गिरफ्तारी : यदि कंपनी लाॅ अधिकरण को यह आशंका हो की कंपनी का कोई अंशदायी अपने दायित्व या परीक्षण से बचने के

कंपनी के अनिवार्य परिसमापन की परिस्थितियों का वर्णन करो ?describe the compulsory winding up with the decided cases.

कंपनी के अनिवार्य परिसमापन की दशाएं( conditions of compulsory winding up of  a company) कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 271 के अनुसार निम्न दशाओं में कंपनी का अनिवार्य समापन हो सकता है: (1) विशेष प्रस्ताव पास होने पर: कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 271(1)(क) के अनुसार यदि कोई कंपनी अपने ऋण तथा दायित्वों  का भुगतान करने में विफल हो जाती है, तो उसके सदस्य विशेष प्रस्ताव पारित करके कंपनी लॉ अधिकरण में कंपनी के परिसमापन हेतु आवेदन कर सकते हैं। कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 271(1)(ख) के अनुसार, यदि किसी कंपनी ने अपनी सभा में इस आशय का प्रस्ताव पास करा लिया हो कि उसका अनिवार्य परिसमापन कंपनी लॉ अधिकरण के आदेश द्वारा करा दिया जाए तो, उस कंपनी के निदेशक कंपनी लॉ अधिकरण में इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इस प्रकार के आवेदन पर  परिसमापन का आदेश देना कंपनी लॉ अधिकरण के स्वविवेक पर निर्भर करता है तथा अगर कंपनी लाॅ  अधिकरण का मत है की कंपनी का परिसमापन कर देना लोकहित या कंपनी के हितों के प्रतिकूल है , तो कंपनी लाॅ अधिकरण परिसमापन का आदेश नहीं देगा। (2) जहां कंपनी ने राष्ट्रहित के विरुद्ध कोई कार्य किया हो: कंपन

कंपनी के परिसमापन तथा विघटन को अपने शब्दों में बताइए? what is meant by winding up and dissolution of company ?also give a difference between them.

कंपनी का परिसमापन(winding up of Company ) कंपनी का परिसमापन का एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कंपनी का विघटन होता है और उसकी संपत्ति का प्रशासन ऋण दाताओं एवं सदस्यों के लाभ के लिए किया जाता है।            प्रो गोवर के अनुसार कंपनी का  परिसमापन एक ऐसी विधिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा उसकी जीवन लीला समाप्त कर दी जाती है। कार्य संचालन के लिए एक प्रशासक की नियुक्ति की जाती है जो परिसमापक कहलाता है, जिसका कार्य कंपनी को नियंत्रण में लेना, चल अचल संपत्ति का एकत्रीकरण तथा ऋणों का भुगतान करना होता है। अंत में जो शेष बचे उसे अंश धारियों के मध्य उनके अधिकारों के अनुसार वितरित करना होता है।               विद्वान सेनगुप्ता के मतानुसार" कंपनी के परिसमापन से आशय कंपनी के अस्तित्व को समाप्त करने से है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कंपनी की सभी आस्तियों को एकत्रित करके या उनकी वसूली करके, उसके दायित्वों का अनमोचन किया जाता है तथा इसके बाद शेष बनी पूंजी , यदि हो, को कंपनी के अंतर नियमों के प्रावधानों के अनुसार हकदार व्यक्तियों में वितरित कर दिया जाता है।               अतः परिसमा

एक अपंजीकृत कंपनी क्या होती है ? what is meant by an unregistered company ?describe the law relating to winding up of company .what are the liabilities of an examiner winding of up company.

अपंजीकृत कंपनी से आशय( meaning of unregistered company): Company Act 2013 की धारा 275 एक अपंजीकृत कंपनी के परिसमापन से संबंधित है। इस धारा के अनुसार"अपंजीकृत कंपनी( unregistered company)" में कोई ऐसी भागीदारी फर्म, संघ या कंपनी सम्मिलित है जिसका गठन 7 से अधिक सदस्यों के साथ उस समय किया गया था जब इसके परिसमापन के लिए आवेदन किया जा चुका था, लेकिन परंतु निम्नलिखित कंपनियां अपंजीकृत कंपनी( unregistered company) नहीं है: (क) संसद के  अधिनियम या अन्य भारतीय विधि या ब्रिटेन की संसद के अधिनियम के अधीन निर्मित की गई रेल कंपनी। (ख) किसी पूर्वर्ती कंपनी अधिनियम के अधीन पंजीकृत कंपनी तथा जो ऐसी कंपनी नहीं है जिसका पंजीकृत अधिकरण बर्मा, अदन या पाकिस्तान में उस देश का भारत से प्रथक होने से पहले अस्तित्व में था। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 378 के व्यावृत्ति खंड से स्पष्ट है कि कंपनी अधिनियम के भाग 1 में उप बंधित कोई भी प्रावधान किसी ऐसे अधिनियम के प्रवर्तन पर विपरीत प्रभाव नहीं डालेगा जो किसी भागीदारी फर्म, सीमित दायित्व वाली भागीदारी या सोसाइटी या सहकारी  समिति या संगठन के कंपनी अधिनियम, 1

स्वैच्छिक परिसमापन में परिसमापक के अधिकार एवं कर्तव्य right and duties of liquidator in voluntary winding up

स्वैच्छिक परिसमापन में परिसमापक के निम्न कर्तव्य एवं अधिकार होते हैं परिसामापक के सामान्य अधिकार (1) अंशदाताओं की सूची तैयार करना एवं उसे अंतिम रूप देना (2) अंशदाताओं के अंशों पर देय राशि की मांग करना। (3) कंपनी की सामान्य सभाओं का आयोजन करना।               इन अधिकारों का प्रयोग करते समय परिसमापक कंपनी लाॅ अधिकरण के नियंत्रण के अधीन होता है, क्योंकि कोई भी ऋण दाई या अंशदाई कंपनी लाॅ अधिकरण से प्रार्थना कर सकता है। परिसमापक का यही कर्तव्य है कि वह कंपनी लाॅ अधिकरण को एक रिपोर्ट दें  जिसमें इस तथ्य का उल्लेख हो कि उसके मतानुसार कंपनी के गठन, विकास या  प्रोन्नति में किसी पदाधिकारी द्वारा कोई कपट पूर्ण कार्य किया गया है। इस रिपोर्ट के पश्चात ही व्यक्ति सार्वजनिक परीक्षा हेतु उपस्थित किया जा सकता है। परिसमापक के कुछ विशेष अधिकार( some special power of liquidator) परिमापन संबंधी उपयुक्त अधिकारों के अतिरिक्त परिसमापक के कुछ ऐसे अधिकार भी होते हैं, जिनका संबंध कंपनी की वित्तीय स्थिति, व्यापार एवं सुरक्षा से होता है। इनमें निम्नलिखित अधिकार ऐसे होते हैं, जिनका प्रयोग समापक, यदि परिस

कंपनी के परिसमापन से आप क्या समझते हैं? कंपनी के स्वैच्छिक परिसमापन की विवेचना कीजिए। what do you mean by winding up of a company? Describe its proceedure and results in detail.

कंपनी का परिसमापन(winding up of Company) कंपनी का परिसमापन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा कंपनी का विघटन होता है एवं उसकी संपत्ति का प्रशासन ऋणदाताओं तथा सदस्यों के लाभ के लिए किया जाता है। सेनगुप्ता के शब्दों में" कंपनी के  परिसमापन से तात्पर्य कंपनी के अस्तित्व को समाप्त करने से है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कंपनी की सभी आस्तियों को एकत्रित करके या उनकी वसूली करके ,उसके दायित्वों का उन्मोचन किया जाता है तथा इसके बाद बची पूंजी ,अगर कोई हो, को कंपनी के अंतर्नियमों के प्रावधानों के अनुसार हकदार लोगों में वितरित  कर दिया जाता है ।              इसलिए कंपनी के परिसमापन से अर्थ एक ऐसी कार्यवाही या प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कंपनी का व्यापार पूरी तरह बंद कर दिया जाता है, कंपनी की संपत्तियां बेच दी जाती हैं, जिस से प्राप्त होने वाले धन को एवं अन्य तरह से एकत्रित हुए धन को लेनदारों का भुगतान(Payment) करने के लिए प्रयोग किया जाता है एवं अगर विधिक तरह के लेनदारों का भुगतान करने के बाद भी कुछ रकम शेष बचती है तो उसे अंश धारियों(shareholders ) में  कंपनी के अन्तर्नियम के अनुसार वितर

कंपनी के संगम ज्ञापन से क्या आशय है? What is memorandum of association? What are the contents of the memorandum of association? When memorandum can be modified. Explain fully.

संगम ज्ञापन से आशय  meaning of memorandum of association  संगम ज्ञापन को सीमा नियम भी कहा जाता है यह कंपनी का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। हम कंपनी के नींव  का पत्थर भी कह सकते हैं। यही वह दस्तावेज है जिस पर संपूर्ण कंपनी का ढांचा टिका रहता है। यह कह दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यह कंपनी की संपूर्ण जानकारी देने वाला एक दर्पण है।           संगम  ज्ञापन में कंपनी का नाम, उसका रजिस्ट्री कृत कार्यालय, उसके उद्देश्य, उनमें  विनियोजित पूंजी, कम्पनी  की शक्तियाँ  आदि का उल्लेख समाविष्ट रहता है।         पामर ने ज्ञापन को ही कंपनी का संगम ज्ञापन कहा है। उसके अनुसार संगम ज्ञापन प्रस्तावित कंपनी के संदर्भ में बहुत ही महत्वपूर्ण अभिलेख है। काटमेन बनाम बाथम,1918 ए.सी.514  लार्डपार्कर  के मामले में लार्डपार्कर द्वारा यह कहा गया है कि "संगम ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य अंश धारियों, ऋणदाताओं तथा कंपनी से संव्यवहार करने वाले अन्य व्यक्तियों को कंपनी के उद्देश्य और इसके कार्य क्षेत्र की परिधि के संबंध में अवगत कराना है।"           कुछ विधिवेक्ताओं की दृष्टि में कंपनी का संगम ज्ञापन उसका