Skip to main content

Posts

Showing posts with the label Mohammedan law

क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

मुस्लिम विधि मे दान (हिबा )क्या होता है ? मुस्लिम विधि में एक वैध दान के सारभूत सिद्धांत क्या होते हैं?

  दान- डी . एफ . मुल्ला के अनुसार , " हिबा या दान सम्पत्ति का ऐसा हस्तान्तरण है जिसको बिना किसी प्रतिदान के बदले में किया गया हो और जिसको दान प्राप्त करने वाला स्वीकार कर ले या दूसरे से स्वीकार करवा ले । "  फैजी का कथन है कि " हिबा ( दान ) सम्पत्ति का तुरन्त एवं अपरिचित हस्तान्तरण है । इस हस्तान्तरण में सम्पत्ति का स्थूल हस्तान्तरण किया जाता है और यह हस्तान्तरण बिना किसी प्रतिदान के बदले में होता है । "       बेली के अनुसार , " हिबा बिना किसी विनिमय के किसी विशिष्ट वस्तु में सम्पत्ति के अधिकार के रूप में की जाती है । विधिशास्त्र की दृष्टि में यह एक ऐसी संविदा समझी जाती है , जिसको दाता की ओर से किसी वस्तु के देने के प्रस्ताव और दान गृहीता थी ओर से स्वीकृति होती है ।          जीवित लोगों के बीच ( intervivos ) हिबा का शाब्दिक अर्थ है— " ऐसी वस्तु का दान जिससे आदाता अर्थात् दान ग्रहीता ( Donce ) लाभ उठा सके । " ( हेदाया 482 ) । तकनीकी भाषा में हिबा की परिभाषा है- " एक व्यक्ति द्वारा दूसरे को तुरन्त और बिना किसी विनिमय ( Exchange ) या ब

मुस्लिम विवाह - विच्छेद अधिनियम 1939 के अन्तर्गत किन आधार State the grounds of Talaq provided in the dissolution of Muslim divorce Act 1939 • मुस्लिम विवाह - विच्छेद अधिनियम 1939 के अन्तर्गत किन आधारों पर एक अथवा विवाह का विखण्डन किया जा सकता है । उनकी स्पष्ट व्याख्या कीजिए । Explain clearly the grounds on which a muslim marnage cas dissolved under the Dissolution of Muslim Marriate Act 1939 .

न्यायिक विवाह - विच्छेद ( मुस्लिम विवाह - विच्छेद अधिनियम 1939 ) :- मुस्लिम विवाह - विच्छेद अधिनियम के पारित होने से पूर्व किसी मुस्लिम पत्नी को उसके विवाह विच्छेद  की डिक्री प्रदान करने के लिए भारत में केवल दो आधारों पर मान्यता प्राप्त थी:  ( 1 ) पति की नपुंसकता और  ( 2 ) पर पुरुष गमन का झूठा आरोप ( लियन ) ।                    परन्तु मुस्लिम विवाह - विच्छेद अधिनियम ने पूर्व मुस्लिम विधि में क्रान्तिकारी परिवर्तन  ला दिया और इस अधिनियम के पारित हो जाने के पश्चात् अब पत्नी निम्नलिखित माप प्राप्त पर न्यायालय से विवाह - विच्छेद की डिक्री प्राप्त कर सकती है -  ( 1 ) पति की अनुपस्थिति ( Absence of husband ) - यदि किसी स्त्री का पति 4 साल तक लापता रहे और उसके बारे में कोई जानकारी मिलना असम्भव हो तो ऐसी पत्नी को तलाक  का आवेदन करने का अधिकार होता है , परन्तु तलाक की डिक्री पारित होने के 6 माह बाद वह प्रभावी होती है और इसी बीच लापता पति वापिस लौट आये या अधिकृत व्यक्ति न्यायालय  को इस बात से सन्तुष्ट कर दे कि वह ( पति ) वैवाहिक जीवनयापन करने का इच्छुक है तो न्यायालय उस डिक्री को अपास्त ( sct as

इला ' और ' जिहार ' क्या होता हैं ? इनके आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए । What do you mean by ' Illa ' and ' Zihar ? Discuss the essential ingredients of these two .

  इला ( Illa ) –'इला ' का अर्थ है " जब कोई पति जिसने वयस्कता प्राप्त कर ली है और स्वस्थ चित्त हो , खुदा की कसम ( शपथ ) खा कर कहे कि वह चार महीने या उससे अधिक समय तक या किसी अनिश्चित समय तक अपनी पत्नी से सम्भोग नहीं करेगा तो उसको ' इला ' करना कहा जाता है । " इस प्रकार यदि कोई पति अपनी पत्नी से कहे कि " मैं खुदा की कसम खा कर कहता हूँ कि मैं तुम्हारे पास नहीं जाऊंगा " तो वह " मान्य इला " है ।  Illa – 'Illa' means "when a husband who has attained majority and is of sound mind, swears by God that he will marry her for four months or more or for an indefinite period".  If he does not have sex with his wife, then it is called 'Ila'." Thus, if a husband says to his wife that "I swear by God that I will not go near you" then it is "valid Ila".   जब पति ' इला ' करने के बाद चार माह तक अपनी पत्नी से सम्भोग नहीं करता तो विवाह - विच्छेद हो जाता है और उसके वह विभिन्न परिणाम होते हैं ज

मुस्लिम विधि में पति पत्नि अपनी आपसी सहमती से किस प्रकार से तलाक ले सकते हैं? जिसमें पति और पत्नि को तलाक के बाद ज्यादा रकम न अदा करनी पडे।

          इस्लाम धर्म से पूर्व एक मुसलमान स्त्री को ये अधिकार नहीं था कि वह अपने से तलाक ले - ले परन्तु कुरान में पहली बार वह पत्नी को यह अधिकार प्राप्त हुआ कि वह अपने पति से तलाक ले ले । फतवा - ए - आलमगिरी में यह कहा गया है जब विवाह के पक्षकार राजी हो और इस प्रकार की आशंका हो कि उनका आपस में रहना सम्भव नहीं है तो पत्नी फलस्वरूप पति को कुछ धन वापिस करके स्वयं को उसके बन्धन से मुक्त कर सकती है । ऐसा तलाक निम्न प्रकार से हो सकता है  ( 1 ) खुला ( Khula ) , तथा  ( 2 ) मुबारत ( Mubrat ) |  ( 1 ) खुला ( Khula ) - खुला का शाब्दिक अर्थ है - हटाना , उतारना या खोलना । किन्तु विधि में इसका अर्थ होता है - पति द्वारा पत्नी पर अपने अधिकार और प्रभुत्व को किसी धन के बदले में छोड़ देना । पति पत्नी के मध्य जब कभी भी वैमनस्यता ( enmity ) हो जाय और उन्हें इस डर की आशंका हो कि वे उन कर्त्तव्यों को पूर्णरूप से नहीं कर पायेंगे जिनको कि उन्हें ईश्वरीय आदेश के अनुसार करना चाहिए , तो पत्नी को चाहिए कि वह पति को धन देकर अपने को विवाह बन्धन से मुक्त कराले क्योंकि कुरान में कहा गया है कि “ यदि पत्नी क

Define Talaq ( Divorce ) . Explain the various modes of Talaq ( Divorce ) according to Muslim Law . मुस्लिम विधि में विवाह किन - किन रीतियों द्वारा विच्छेदित किया जा सकता है ? उन रीतियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए । What are the modes in which the marriage may be disolved under the Muslim Law ?

तलाक ( Talaq ) - अरबी में ' तलाक ' शब्द का अर्थ होता है - ' निराकरण करना ' या ' नामन्जूर करना ' । परन्तु मुस्लिम विधि के अन्तर्गत इसका अर्थ वैवाहिक बन्धन से मुक्त करना है । मोहम्मद साहब के एक कथन के अनुसार " खुदा ने जितनी भी वस्तुओं की स्वीकृति दी है इसमें अगर सबसे घृणित कोई वस्तु है तो वह तलाक । " इतने पर भी मुस्लिम विधि ने तलाक की स्वीकृति दी है और कुछ मामलों में आवश्यक भी माना है । तलाक के प्राविधान को मुस्लिम विधि स्वीकार करती है , परन्तु इसके उपयोग को दैवीयकोप की धमकी द्वारा वर्जित भी करती है । बैली महोदय का कहना है कि " पहले भी यह निषिद्ध था और अब भी इसे निन्दित कार्य समझा जाता है परन्तु तुलना में अधिक बुराइयों से बचने के लिए इसकी अनुमति दी गई है ।      " इस्लाम के पूर्व अरब देश में तलाक प्रथा बड़ी सामान्य थी । पति को तलाक देने का ऐसा व्यापक अधिकार प्राप्त था जिसका वह बिना बाधा के प्रयोग कर सकता था ।  काजी न्यूमन ( Kazi Numan ) ने तलाक के दुष्परिणाम के बारे में उदाहरण देते हुए लिखा था कि एक बार हजरत अली ने चार पत्नियों में

मुस्लिम विधि मे पत्नि के भरण-पोषण करने के कौन कौन से अधिकार हैं?

  मुस्लिम विधि में पत्नी के भरण - पोषण करने के अधिकार ( the right of Maintenance of muslim wife according to the muslim law):   पत्नी के भरण - पोषण का अधिकार - मुस्लिम विधि के अनुसार पत्नी निम्न प्रकार  से भरण-पोषण की अधिकारिणी है:-   ( 1 ) स्वीय विधि के अधीन ,  ( 2 ) करार के अधीन ,  ( 3 ) दण्ड प्रकिया संहिता  1973 के अधीन ।  ( 1 ) स्वीय विधि के अधीन ( क ) विवाह के दौरान - मुस्लिम विधि में पति के ऊपर पूर्ण  दायित्व डाला गया है कि वह अपनी पत्नी का भरण - पोषण करे , पत्नी चाहे कितनी ही क्यों न हो । पति का पत्नी को भरण - पोषण का दायित्व उस समय प्रारम्भ होता है जबकि पत्नि   यौवनावस्था  को प्राप्त हो जाती है , इसके पहले नहीं  ।पत्नी पति से भरण - पोषण पाने की  अधिकारिणी है , भले ही वह सम्पन्न हो और पति गरीब । पत्नी चाहे मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम या अमीर स्वस्थ हो या रोगी युवा हो या वृद्ध वह सभी अवस्थाओं में पति से भरण-पोषण  प्राप्त करने की हकदार है । पति उसे भरण - पोषण का करार न होने पर भी भरण - पोषण का अधिकार निरपेक्ष है । अपने को - पोषण पत्नी के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह अपना एक पैसा खर्च