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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

क्या कई अपराधों की दो सिद्धि के लिए एक ही विचारण में दंड आदेश दिया जा सकता है? इस संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता में किए गए प्रावधानों को समझाइए? can a person on convention for several offence at one trial be sentenced for such offence? State the provisions made in Criminal Procedure Code in this regard

Arrest by private person and procedure on such arrest   प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी और ऐसी गिरफ्तारी पर अंगीकृत प्रक्रिया भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 43 के अनुसार कोई प्राइवेट व्यक्ति अर्थात ऐसा व्यक्ति जो ना तो मजिस्ट्रेट है और ना ही कोई पुलिस अधिकारी निम्नलिखित अवस्थाओं में किसी व्यक्ति को  बिना वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकता है (1) कोई भी प्राइवेट व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति को जो उसकी उपस्थिति में अजमानतीय  और संज्ञेय अपराध करता है या किसी उद्घोषित अपराधी को गिरफ्तार कर सकता है या करवा सकता है और ऐसे गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को आवश्यक विलंब के बिना पुलिस अधिकारी के हवाले कर देगा या पुलिस अधिकारी की अनुपस्थिति में ऐसे व्यक्ति को अभिरक्षा में निकटतम पुलिस थाने ले जाया जाएगा । (2) यदि यह विश्वास करने का पर्याप्त कारण है कि ऐसा व्यक्ति धारा 41 के उपबंधों  के अंतर्गत आता है तो पुलिस अधिकारी उसे फिर से गिरफ्तार करेगा (3) अगर यह विश्वास करने का लक्षण है उसने असंज्ञेय अपराध किया है और वह पुलिस अधिकारी की मांग पर अपना निवास बताने से इनकार करता है या ऐसा नाम या निवास

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक निरुद्ध ना रखा जाएगा और उसे गिरफ्तारी के आधारों तथा जमानत के अधिकार से अवगत कराया जाएगा: (no person shall be detained in custody for more than 24 hours and person arrested to be informed the grounds of arrest and of right to bail)

यदि गिरफ्तार किए जाने वाला व्यक्ति गिरफ्तारी का बल पूर्वक प्रतिरोध करें अथवा गिरफ्तारी से बचने का प्रयास करें वहां गिरफ्तार करने वाला पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति उसे गिरफ्तार करने के लिए भी आवश्यक साधनों का प्रयोग कर सकेगा.             इस प्रकार जहां चौकीदार को किसी भागते हुए चोर को गिरफ्तार करना हो और उसे गिरफ्तार करने के लिए उसके पास कोई साधन नहीं हो वहां वह उस को गिरफ्तार करने के लिए आवश्यक हिंसा का प्रयोग कर सकेगा.                 लेकिन ऐसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय उसकी मृत्यु कार्यत नहीं की जा सकेगी जो मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय  अपराध के लिए अभियुक्त नहीं है. हथकड़ी का प्रयोग: - गिरफ्तारी के समय हथकड़ी का प्रयोग आवश्यक होने पर ही किया जाना चाहिए. हथकड़ी का प्रयोग करते समय  गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की हैसियत को ध्यान में रखा जाना अपेक्षित है. एक मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को गिरफ्तार किए जाने उसे हथकड़ी लगाने एवं उसके साथ बल प्रयोग किए जाने की प्रवृत्ति को उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुचित माना गया है. ( दिल्ली न्यायिक सेवा संघ तीस हजारी कोर्ट बनाम

संस्वीकृति का अर्थ: Meaning of confession

न्यायिक प्रक्रिया में संस्वी्कृति का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि संस्वी्कृति के अंतर्गत अभियुक्त मजिस्ट्रेट के सम्मुख अपने अपराध को स्वीकार करता है इसलिए इससे अभियोजन पक्ष मजबूत हो जाता है तथा न्यायिक कार्यवाही अत्यंत सरल तथा शीघ्रगामी हो जाती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 24 में संस्वी्कृत की परिभाषा निम्न प्रकार है - (:) वह अभियुक्त के द्वारा की गई हो (:) वह अर्थात सस्वीकृति मजिस्ट्रेट के समक्ष की गई हो (:) अभियुक्त ने अपने अपराध को स्वीकार कर लिया हो( पल विंदर कौर बनाम पंजाब राज्य ए आई आर 1951 एस सी 354)            संस्वीकृति का स्वैच्छिक होना भी जरूरी अर्थात वह बिना किसी भय दबाव प्रलोभन या उत्प्रेरण के की जानी चाहिए (भा द  प्रक्रिया संहिता की धारा 163) संस्वीकृति लेखबंध्द करने की रीति (mode of confession);                    दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 में संस्वीकृति को लेखबध्द किए जाने की रीति का वर्णन किया गया है इसके अनुसार (1) संस्वीकृति का मजिस्ट्रेट के सम्मुख  किया जाना  अभियुक्त के द्वारा अपराध की संस्वीकृति केवल मजिस्ट्रेट के सम्मुख ही की जा सकती है प

Who can claim maintenance? (भरण पोषण की मांग कौन कर सकता है?)

भरण पोषण की मांग पत्नी अपने बच्चे एवं माता-पिता कर सकते हैं भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता के अध्ययन 9 में एक व्यक्ति के इस आधारभूत कर्तव्य को संविधिक मान्यता दी गई है वह अपनी पत्नी बच्चों और माता-पिता का भरण पोषण करें जब तक कि वह स्वयं अपने भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं इस अध्याय के अंतर्गत  वृद्ध माता-पिता पत्नी एवं अवयस्क बच्चों के बारे में पोषण की व्यवस्था करने का मुख्य आशय एक सामाजिक प्रयोजन को पूरा करना है इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को दंडित करना कभी नहीं रहा है और ना ही यह दंड की श्रेणी में आता है अहमद अली बनाम बेगम ए आई आर 1952 हैदराबाद 76 संहिता की धारा 125 के अनुसार - अगर पर्याप्त साधनों वाला कोई व्यक्ति - अगर पत्नी का जो अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है या अपनी धर्मज या अधर्मज अवयस्क संतान का चाहें  विवाहित हो या ना हो जो अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है या धर्म अधर्म संतान का जो विवाहित पुत्री नहीं है जिसने वयस्कता प्राप्त कर ली है जहां ऐसी संतान किसी शारीरिक या मानसिक सा असमान्यता या क्षति के कारण अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है या  अपने पिता या माता का जो अपना भरण-पोषण करने

दंड न्यायालयों के वर्ग (classes of various criminal courts)

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 6 के अनुसार उच्च न्यायालयों और इस संहिता से भिन्न किसी विधि के अधीन गठित न्यायालय के अतिरिक्त प्रत्येक राज्य में निम्नलिखित वर्गों के दंड न्यायालय होंगे  अर्थात - ( 1) सत्र न्यायालय ( 2) प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट और किसी महानगर क्षेत्र में महानगर मजिस्ट्रेट ( 3) द्वितीय वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट ( 4) कार्यपालक मजिस्ट्रेट          भारतीय संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय को कुछ अपराधिक मामलों से व्यवहार करने की शक्ति प्राप्त है अनुच्छेद 134 में वर्णित अपराधिक मामलों के संबंध में उच्चतम न्यायालय को अपीलीय क्षेत्राधिकार प्रदान किया गया है.          सत्र न्यायालय भारतीय दंड संहिता की धारा 9 के अनुसार - ( 1) राज्य सरकार प्रत्येक सेशन खंड के लिए एक सत्र न्यायालय स्थापित करेंगे ( 2) प्रत्येक सत्र न्यायालय में एक न्यायाधीश पीठासीन होगा जो उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त किया जाएगा ( 3) उच्च न्यायालय अपर सत्र न्यायधीश और सहायक सत्र न्यायाधीशों को भी सत्र न्यायालय में अधिकारिता का प्रयोग करने के लिए नियुक्त कर सकता है ( 4) हाई कोर्ट द्वारा एक सेशन ख

तलाशी संबंधी साधारण उपबंध: General provision relating to searches

तलाशी वारंटों का निर्देशन आदि : - दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 38 ,70,72,74,77,78, एवं 79 के उपबंद जहां तक हो सके उन सभी तलाशी वारंटों को लागू  होंगे जो धारा 93,94, या 97 के अधीन किए जाते हैं. बंद स्थान की भारसाधक व्यक्ति  तलाशी लेंगे           जब कभी इसके अधीन तलाशी लिए जाने का निरीक्षण किया जाने वाला कोई स्थान बंद है तब उस जगह में निवास करने वाला या उसका भार साधक व्यक्ति उस अधिकारी या अन्य व्यक्ति की जो वारंट का निष्पादन कर रहा है मांग पर एवं वारंट के पेश किए जाने पर उनमें अबाध प्रवेश करने देगा व एवं वहां तलाशी लेने के लिए समुचित सुविधाएं देगा।              अगर उस जगह में इस तरह प्रवेश प्राप्त नहीं हो सकता है तो वह अधिकारी या अन्य व्यक्ति जो वारंट का निष्पादन कर रहा है धारा 47 की उप धारा ( 2) के द्वारा उपबंध इस नीति से कार्यवाही कर सकेगा.              जहां किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जो ऐसे स्थान में या उसके आसपास है उचित रूप से वह संदेह किया जाता है कि वह अपने शरीर पर कोई ऐसी वस्तु छुपाए हुए हैं जिसके लिए तलाशी ली जानी चाहिए तो उस व्यक्ति की तलाशी ली जा सकती है और

क्या पुलिस किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है जो अपना नाम एवं पता बताने से इंकार करता है?can POLICE ARREST ANY SUCH PERSON WHO REFUSES TO TELL HIS NAME AND ADDRESS?

When any  private person   and magistrate arrest any person   ? कब कोई प्राइवेट व्यक्ति तथा मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है ? भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 42 के अंतर्गत पुलिस अधिकारी किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है -         जिसने उस अधिकारी की उपस्थिति में कोई  असंज्ञेय अपराध कारित  किया है        जिस पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध करने का अभियोग लगाया गया है         जो उस अधिकारी की मांग पर अपना नाम और निवास बताने से इंकार करता है या ऐसे नाम या निवास बताता है जिसके बारे में विश्वास करने का कारण है कि वह मिथ्या है (गोपाल नायडू बनाम एम्परर आर ए आई आर 1923 यात्रा 522)          ऐसी गिरफ्तारी का मुख्य उद्देश्य से व्यक्ति का नाम और निवास अभी निश्चित करना है ( किंग बनाम थांग एआईआर 1938 रंगून  161) लेकिन यदि पुलिस अधिकारी को ऐसे व्यक्ति का नाम और निवास ज्ञात है तो वह उसे बिना वारंट  के गिरफ्तार नहीं कर सकेगा( मायकू    बनाम एम्परर  ए आई आर 41इलाहाबाद 483) गिरफ्तारी पर प्रक्रिया: -  जब ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति का सही नाम और निवास अभी निश्चि

गिरफ्तारी संबंधी उन प्रावधानों का वर्णन कीजिए जहां पुलिस किसी व्यक्तिगत गिरफ्तारी के वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकती है? Discuss the provisions under CrPC where the police can arrest a person without warrant?

क्या मजिस्ट्रेट किसी अपराधी को स्वयं गिरफ्तार कर सकता है? पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को बिना वारंट के Cr.P.C. मे किन उपबन्धो के अंतर्गत गिरफ्तार कर सकता है? दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 44 मजिस्ट्रेट को किसी अपराधी को स्वयं गिरफ्तार करने का उपबंध करता है . धारा44 में मजिस्ट्रेट शब्द के अंतर्गत कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट सम्मिलित हैं धारा 44 में अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए कार्यपालक मजिस्ट्रेट एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट को विशेष रूप से अधिकृत किया गया है.              धारा44(1) के अनुसार कार्यपालक मजिस्ट्रेट या न्यायिक मजिस्ट्रेट या तो अपराधी को स्वयं गिरफ्तार कर सकते हैं या किसी अन्य व्यक्ति को उसे गिरफ्तार करने का निर्देश दे सकते हैं            उक्त मजिस्ट्रेट ऐसा आदेश तभी दे सकता है जब अपराधी ने अपराध उसकी उपस्थिति में या उसकी स्थानीय अधिकारिता के अंतर्गत किया हो.          कार्यपालक एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी ऐसे व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर सकता है या गिरफ्तार करने के लिए निर्देश दे सकता है जिसकी गिरफ्तारी के लिए वह गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए प्रा