प्रति आपत्ति तथा प्रति अपील ( Cross objection and Cross Appeal ) प्रति आपत्ति ( Cross objection ) — जहाँ कि पारित की गई डिक्री भागतः उत्तरवादी के खिलाफ है तथा भागत : उसके पक्ष में है और ऐसी डिक्री से अपील की जाती , वहाँ उत्तरवादी डिक्री के इस भाग पर तो उसके खिलाफ है , ऐसी आपत्ति कर सकेगा , जो एक पृथक् अपील के रूप में की जा सकती थी । ऐसी आपत्तियों को प्रति आपत्तियाँ ( Cross - objection ) कहते हैं और वे एक ज्ञापन के रूप में प्राप्त की जाती है । कोई भी उत्तरवादी ( Respondent ) किसी आधार पर जो उसके खिलाफ , निचली अदालत में फैसला किये गये हैं , उस डिक्री का केवल समर्थन ही नहीं कर सकेगा बल्कि इस डिक्री पर कोई भी ऐसी आपत्ति कर सकेगा , जिसे उसने अपील द्वारा किया होता । प्रति आपत्तियाँ उत्तरवादी ( Respondent ) द्वारा अपीलीय न्यायालय में उस तारीख से एक महीने के अन्दर जिस तारीख पर तामील की गई है , या ऐसे अतिरिक्त समय के अन्दर जैसी कि ..अपीलीय अदालत मंजूर करे , दायर की जा सकेगी । ...