Skip to main content

भारतीय जेलों में जाति आधारित भेदभाव: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और इसके प्रभाव

मजदूरी से आशय (Meaning of wages)

मजदूरी से सभी प्रकार का पारिश्रमिक प्राप्त होता जाएगा वेतन के रूप में हो भत्ते के रूप में हो अन्यथा किसी भी रूप में व्यक्ति हो या इस रूप में अभिव्यक्त किए जाने के योग्य हो और जिसका की भुगतान यदि नियोजन की शर्तों प्रत्यक्ष या विशेष रूप से पूरी कर दी जाती हो तो एक ऐसे व्यक्ति को दे है जो कि उस नियोजन के संबंध में नियोजित है या नियोजन के संबंध में वह कोई कार्य करता है मजदूरी में निम्नलिखित सम्मिलित है -

(a) कोई पारिश्रमिक जोकि पक्षकारों के बीच किसी पंचाट या समझौते के अंतर्गत या न्यायालय के आदेश के अंतर्गत दे होगा.

(b) कोई ऐसा पारिश्रमिक जिसके प्रति कि नियोजित व्यक्ति किसी अधिकारिक काम या छुट्टियां या छुट्टी की किसी अवधि के संबंध में देय होगा।

(c) कोई अतिरिक्त पारिश्रमिक जोकि नियोजन की शर्तों के अधीन देर है चाहे उसे बोनस या किसी अन्य नाम से पुकारा जाता हूं मजदूरी की परिभाषा केवल ऐसे पारिश्रमिक तक सीमित नहीं है जो कि अनुबंध या संविदा के अधीन दे हो. संशोधित परिभाषा सभी प्रकार के पारिश्रमिक पर लागू होगी चाहे वह किसी संविदा द्वारा उत्पन्न हो या पंचाट समझौते या किसी संविदा के अधीन उत्पन्न हुई हो.

(d) कोई ऐसी धनराशि चौकी नियोजित व्यक्ति को सेवा से अलग किए जाने पर किसी विधि संविदा या निर्देश पत्र के अधीन दिया हो जिसमें कि ऐसी धनराशि का भुगतान का उपबंध किया गया है चाहे उसमें कठोतिया सहित भुगतान का प्रश्न हो अथवा कटौती यों के बिना किंतु जिसमें कोई अवधि सीमा नहीं दी गई है जिसके भीतर यह भुगतान कर दिया जाना चाहिए.

(e) कोई ऐसी धनराशि जिससे तत समय प्रवृत्ति किसी विधि के अंतर्गत तैयार की गई योजना के अंतर्गत एक नियोजित व्यक्ति प्राप्त करने का हकदार है.


मजदूरी के अंतर्गत निम्नलिखित नहीं है -

(a) कोई बोनस (जोकि अंश लाभ योजना के अंतर्गत या अन्यथा रूप में दे है) जो कि उस पारिश्रमिक का अंश गठित नहीं करता है जिसका की भुगतान नियोजन की शर्तों के अंतर्गत शोध है पक्षकारों के बीच किसी पंचाट या अनुबंध के आधार पर या न्यायालय के आदेश के आधार पर शोध्य नहीं है। बोनस भुगतान अधिनियम 1965 के अंतर्गत शोध्य बोनस इस धारा की परिभाषा के अंतर्गत मजदूरी के रूप में मान्य है।


(b) किसी आवासीय व्यवस्था का मूल्य या रोशनी पानी चिकित्सीय उपचार या अन्य सुख सुविधा का मूल्य या कोई ऐसी सेवा जो कि राज्य सरकार के किसी साधारण या विशिष्ट आदेश के अंतर्गत मजदूरी में प्रा गणित किया जाने से अवर्जित है.

(c) नियोजक द्वारा किया गया कोई अंशदान जो की पेंशन या भविष्य निधि के संबंध में किया गया हो और उस पर जो ब्याज संकलित हुआ.

(d) कोई यात्रा भत्ता या यात्रा से संबंधित की गई रियायत का मूल्य.

(e) नियोजित व्यक्ति को अदा की गई कोई धनराशि जो कि उसके नियोजन की प्रकृति के कारण विशिष्ट खर्चे की आपूर्ति के लिए दी गई हो.

(f) किसी गैच्युटी की धनराशि जो उपखंड (घ) लिखित के अतिरिक्त अन्य नियोजन के समापन में दिए हो.


             बोनस संदाय अधिनियम 1965 के लागू होने के पश्चात बोनस एक प्रकार  से नियोजन की विवक्षित शर्त हो गई है जो कि अधिष्ठान को होने वाले लाभ पर आश्रित नहीं है अतः कानूनी बोनस पारिश्रमिक की श्रेणी में आता है इस दृष्टि से विचार करने पर मजदूरी शब्द के परिभाषा के अंतर्गत बोनस भी शामिल माना जाएगा.

Comments

Popular posts from this blog

असामी कौन है ?असामी के क्या अधिकार है और दायित्व who is Asami ?discuss the right and liabilities of Assami

अधिनियम की नवीन व्यवस्था के अनुसार आसामी तीसरे प्रकार की भूधृति है। जोतदारो की यह तुच्छ किस्म है।आसामी का भूमि पर अधिकार वंशानुगत   होता है ।उसका हक ना तो स्थाई है और ना संकृम्य ।निम्नलिखित  व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत आसामी हो गए (1)सीर या खुदकाश्त भूमि का गुजारेदार  (2)ठेकेदार  की निजी जोत मे सीर या खुदकाश्त  भूमि  (3) जमींदार  की बाग भूमि का गैरदखीलकार काश्तकार  (4)बाग भूमि का का शिकमी कास्तकार  (5)काशतकार भोग बंधकी  (6) पृत्येक व्यक्ति इस अधिनियम के उपबंध के अनुसार भूमिधर या सीरदार के द्वारा जोत में शामिल भूमि के ठेकेदार के रूप में ग्रहण किया जाएगा।           वास्तव में राज्य में सबसे कम भूमि आसामी जोतदार के पास है उनकी संख्या भी नगण्य है आसामी या तो वे लोग हैं जिनका दाखिला द्वारा उस भूमि पर किया गया है जिस पर असंक्रम्य अधिकार वाले भूमिधरी अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते हैं अथवा वे लोग हैं जिन्हें अधिनियम के अनुसार भूमिधर ने अपनी जोत गत भूमि लगान पर उठा दिए इस प्रकार कोई व्यक्ति या तो अक्षम भूमिधर का आसामी होता ह...

पार्षद अंतर नियम से आशय एवं परिभाषा( meaning and definition of article of association)

कंपनी के नियमन के लिए दूसरा आवश्यक दस्तावेज( document) इसके पार्षद अंतर नियम( article of association) होते हैं. कंपनी के आंतरिक प्रबंध के लिए बनाई गई नियमावली को ही अंतर नियम( articles of association) कहा जाता है. यह नियम कंपनी तथा उसके साथियों दोनों के लिए ही बंधन कारी होते हैं. कंपनी की संपूर्ण प्रबंध व्यवस्था उसके अंतर नियम के अनुसार होती है. दूसरे शब्दों में अंतर नियमों में उल्लेख रहता है कि कंपनी कौन-कौन से कार्य किस प्रकार किए जाएंगे तथा उसके विभिन्न पदाधिकारियों या प्रबंधकों के क्या अधिकार होंगे?          कंपनी अधिनियम 2013 की धारा2(5) के अनुसार पार्षद अंतर नियम( article of association) का आशय किसी कंपनी की ऐसी नियमावली से है कि पुरानी कंपनी विधियां मूल रूप से बनाई गई हो अथवा संशोधित की गई हो.              लार्ड केयन्स(Lord Cairns) के अनुसार अंतर नियम पार्षद सीमा नियम के अधीन कार्य करते हैं और वे सीमा नियम को चार्टर के रूप में स्वीकार करते हैं. वे उन नीतियों तथा स्वरूपों को स्पष्ट करते हैं जिनके अनुसार कंपनी...

वाद -पत्र क्या होता है ? वाद पत्र कितने प्रकार के होते हैं ।(what do you understand by a plaint? Defines its essential elements .)

वाद -पत्र किसी दावे का बयान होता है जो वादी द्वारा लिखित रूप से संबंधित न्यायालय में पेश किया जाता है जिसमें वह अपने वाद कारण और समस्त आवश्यक बातों का विवरण देता है ।  यह वादी के दावे का ऐसा कथन होता है जिसके आधार पर वह न्यायालय से अनुतोष(Relief ) की माँग करता है ।   प्रत्येक वाद का प्रारम्भ वाद - पत्र के न्यायालय में दाखिल करने से होता है तथा यह वाद सर्वप्रथम अभिवचन ( Pleading ) होता है । वाद - पत्र के निम्नलिखित तीन मुख्य भाग होते हैं ,  भाग 1 -    वाद- पत्र का शीर्षक और पक्षों के नाम ( Heading and Names of th parties ) ;  भाग 2-      वाद - पत्र का शरीर ( Body of Plaint ) ;  भाग 3 –    दावा किया गया अनुतोष ( Relief Claimed ) ।  भाग 1 -  वाद - पत्र का शीर्षक और नाम ( Heading and Names of the Plaint ) वाद - पत्र का सबसे मुख्य भाग उसका शीर्षक होता है जिसके अन्तर्गत उस न्यायालय का नाम दिया जाता है जिसमें वह वाद दायर किया जाता है ; जैसे- " न्यायालय सिविल जज , (जिला) । " यह पहली लाइन में ही लिखा जाता है । वाद ...